ऑफिस में मैनेजर ने की मेरी गाण्ड ठुकाई -2

ऑफिस में मैनेजर ने की मेरी गाण्ड ठुकाई -2

अब तक आपने पढ़ा..
शर्मा बोला- साली छिनाल.. रांड.. लौड़े का माल.. चल तेरी गाण्ड और चूत एक साथ ही मारूँगा।
मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये दोनों एकदम कैसे मारेगा?
‘कैसे?’ मैंने पूछा..
तो वो हँस दिया- देख मेरे लण्ड का जादू..
अब आगे..

उसने इतना कह कर अपनी दराज से एक पांच इंच लम्बा और करीब डेढ़ इंच चौड़ा डिल्डो निकाला- अब इससे मैं तेरी गाण्ड मारूँगा और मेरा लण्ड तेरी चूत की बखिया उधेड़ेगा।
‘बाप रे.. मतलब एक साथ दोनों छेद खोदेगा..?’
‘हाँ साली.. तेरी पूरी भूख मिटाता हूँ आज।’

आज मेरी चूत की बखिया उधड़ने वाली थी… हाय क्या सीन था.. साला पूरा चुदक्कड़ था और चूत का भूखा था।

‘साले चुदक्कड़ तेरा लण्ड हारता है या मेरी चूत.. ये आज मुझे देखना है।’ मैंने मन ही मन ये कहते हुए उसके लण्ड को मेरी तरफ खींचा.. मेरे खींचने से लण्ड ने चूत में लैंड किया तो सही.. लेकिन साले ने मेरी गाण्ड में वो डिल्डो पेल दिया।
‘हाय मर गई रे मादरचोद.. गाण्ड फाड़ दी मेरी..’
ऐसा कहते हुए मैंने मेरी गाण्ड हिलाना शुरू किया।

‘आह.. इस्स्स्स स्स्स्स.. मर गई.. निकाल निकाल.. फाड़ डाला रे.. मेरी गाण्ड.. गई.. बाप रे..’ मेरी आँखों में आँसू आ गए.. लेकिन वो कमीना नहीं रुका, बस अन्दर डालते ही जा रहा था।
मेरे दोनों छेदों में जैसे अंगारे भर दिए थे उसने। मेरी चूत कसमसा रही थी.. गाण्ड परपरा रही थी.. ‘बस.. बस.. अब घुसा साले.. तेरे में कितनी ताकत है.. उतनी अन्दर डाल कमीने।’
मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

फिर तो क्या था.. उसने कोई सुस्ती नहीं की.. न अपने लण्ड को रोका न डिल्डो ने कोई आराम किया, मेरी गाण्ड को डिल्डो ने और लण्ड ने चूत को.. दोनों का एकसाथ जम कर बाजा बजाया।

गेम पूरा होने के बाद मैंने शर्माजी की तरफ मुस्कुराते हुए देखकर कहा- क्या बात है शर्माजी.. आज तक मेरे दोनों छेदों का इतना खूबसूरत यूज किसी ने नहीं किया.. आप तो माहिर खिलाड़ी निकले।
‘अरे हाँ.. मेरी चुदक्कड़ रानी.. तेरी चूत बजाने में बड़ा मजा आया साली.. तू बड़ी सेक्सी रांड है.. मेरी प्रभा ने तो हर तरफ से चुदाई करवाई है.. साली एक बार तीन तीन डॉक्टरों से चुदवाई थी एक साथ..
‘अरे कैसे.. एक साथ तीन से..?’

‘हाँ.. एक गाण्ड मार रहा था.. दूसरा चूत में लण्ड डाले हुए था.. तो तीसरे ने उसके मुँह को चोदना शुरू किया था और ये सब एक ही समय में चालू था।
‘आपको कैसे पता?’ मैंने शर्माजी से पूछा.. तो उसने कहा- उनमें से एक तो मैं था ना..

अब मैं भी तैयार थी ऐसे किसी तीन से चुदने के लिए। क्या मजा आता होगा जब औरत तीन छेदों में एक साथ चुदती होगी?
मैंने शर्माजी से कहा- यार, मैं भी इस तरह से चुदना चाहती हूँ.. क्या आप कोई इंतजाम करा सकते हैं?
‘वाह.. वाह.. क्या बात है.. इस रविवार तुम और प्रभा और तुम दोनों को भी हम तीनों मिलकर चोदेंगे।’

‘वाह क्या बात है.. अँधा क्या मांगे.. एक आँख.. यहाँ तो तीन-तीन लण्ड मिल रहे थे। वो भी साली चुदक्कड़ प्रभा के साथ चुदाना था।
दो तीन का ये कॉम्बिनेशन बड़ा अच्छा था। मैं सारे छेदों में गर्रा चलवाने के लिए बिल्कुल तैयार थी।

तीसरे दिन जैसे ही मैंने हाँस्पिटल में एंटर किया.. प्रभा मेरी तरफ देख के मुस्कुराई। मुझे समझ में आ गया कि शर्मा ने अपना लण्ड प्रभा की चूत में डालते हुए उसको मेरे चुदने के बारे में सब बता दिया।

थोड़ी देर में प्रभा मेरे डिपार्टमेंट में आई, मुझे वॉशरूम में आने को कह गई।
दो मिनट में मैं वाशरूम में पहुँच गई, जैसे ही मैंने वॉशरूम में एंटर किया.. प्रभा ने मुझे आगोश में जकड़ लिया- साली.. तू तो मुझसे भी बड़ी चुदक्कड़ निकली।
मेरी चूत पर हाथ फिराते हुए उसने मेरा चुम्मा लेते हुए कहा।

तो मैं एकदम हतप्रभ रह गई। एकदम हुए इस आक्रमण से मैं थोड़ी हड़बड़ाई.. लेकिन फिर संभल कर मैंने प्रभा के दोनों मम्मों को मेरे पंजे में लेकर मस्त दबाते हुए उससे कहा- साली.. तू तो रोज चुदवाती है.. तीन तीन से भी एक साथ चुदवाती है.. मैं चुदवाऊँ तो तुझे क्या परेशानी?
प्रभा ने कहा- नहीं रे जान.. मुझे क्या परेशानी होगी.. साले तीनों मर्द इकट्ठे जानवर की तरह मुझे झिंझोड़ते हैं.. कोई गाण्ड में उंगली डालता है.. कोई चूत चाटता है.. कोई मुँह पर पेशाब करता है। कोई मुँह में डाल देता है। यार एक साथ तीनों से चुदाने में बदन का पोर-पोर ढीला हो जाता है। एक का सात इंची है.. तो दूसरा लण्ड छ: इंची.. शर्मा साला.. चोदता कम है.. लेकिन गरम भी बहुत ज्यादा करता है।

मैंने उसका एक्सपीरियंस तो लिया ही था, चुदक्कड़ प्रभा ने मेरी चूत को चाटकर मेरा पानी निकाला और फिर मेरे दोनों मम्मों को अपने थूक से साफ़ किया।
क्या नजारा था यार.. मैं तो कुर्बान जाऊँ ऐसी फ्रेंड पर..

दूसरे दिन शर्माजी ने हम दोनों को केबिन में बुलाया और कहा- तुम दोनों को आज डॉक्टर अनुराग के घर जाना है। वहाँ अनुराग.. मैं.. और डॉक्टर दुग्गल होंगे, पूरी तैयारी करके आना।
मैंने और प्रभा ने एक-दूसरे की तरफ मुस्कुराते हुए देखा, आज तो चांदी ही चांदी थी।

दोपहर तीन बजे के करीब हम दोनों डॉक्टर अनुराग के घर पहुँची, डॉक्टर साहब अकेले थे, उन्होंने हम दोनों को अपने आगोश में लेकर हमारे मम्मे दबाकर हम दोनों का स्वागत किया और कहा- दोनों अन्दर बेडरूम में इंतजार करो.. बाकी दोनों जने अभी आने वाले हैं।
उसके बाद हमारा शराब का सेशन चलेगा, तुम दोनों से हम लोग बाद में मिलेंगे।

डॉक्टर साहब से मैं थोड़ी खुल गई थी- क्या डॉक्टर साहब.. क्या अकेले-अकेले दारू पियोगे? जरा हमारी चूत से बरसता जाम तो पीकर देखो.. वो मजा आएगा कि जिंदगी भर याद रखोगे।
मेरा इतना ही कहना था कि डॉक्टर ने हम दोनों की साड़ियों को खोलकर हम दोनों को ब्लाउज पेटीकोट में रख दिया।
इतने में कॉलबेल बजी.. तो डॉक्टर दरवाजा खोलने दरवाजे की तरफ गया, इसी वक्त हम दोनों बेडरूम की तरफ चल पड़ी।
बेडरूम में ब्लाउज पेटीकोट निकाल कर मैं और प्रभा डबलबेड पर लेटी हुई उन तीनों का इंतजार करने लगी।

बाहर से आवाजें आ रही थीं।
‘साले भड़वे शर्मा.. आज तो तेरी चांदी है.. साले तेरे लण्ड का सेशन खत्म ही नहीं होता न..’
‘हाँ रे जैसे तू साले बिल्कुल ही शाही काम करता है.. साले रंडी को भी नहीं छोड़ता.. गाण्ड मारने के सिवा.. चल चूत के लौड़े।’

उनकी ये गालियाँ सुनकर मैं और प्रभा मुस्कुरा रही थीं, आज उनकी चांदी है.. हमारी चूतें और गाण्ड सोना थी।

बाहर क्या चालू था.. कुछ समझ नहीं आ रहा था।
प्रभा वैसे ही नंगी उठी.. उसने रूम के बाहर देखा.. तो सन्न रह गई। तीनों साले चोदू एक-दूसरे का लण्ड हाथ में लेकर खेल रहे थे।
प्रभा बोल उठी- अरे देख ये तीनों हमारा काम कर रहे हैं।
मैंने उचककर देखा तो मुझे हंसी छूट गई- अरे शर्माजी हमें क्यों बुलाया है यहाँ?

‘अबे साली चुदक्कड़ रंडियों.. तुमको चोदने के पहले लंडों को सरसों का तेल लगा रहे थे हम.. क्योंकि आज तुम दोनों की जानवरों के जैसी चुदाई होगी।’
‘क्यों..?’
‘अभी दो और जानवर आने वाले हैं.. उसके साथ मेरी बीवी भी है।’
शर्मा की बीवी भी साथ में? हम दोनों का सर चकराया… शर्मा तो शर्मा उसकी बीवी भी चालू माल है?

‘क्यों चकरा गई ना रंडियों.. अब देखना कमाल मेरे बीवी का.. तुम क्या चुदवाओगी.. ऐसी वो लेगी अन्दर.. बहुत बड़ी छिनाल है वो..’

शर्मा की बीवी लण्डखोर है.. ये हम दोनों को आज ही पता चला। ये जानवर चुदाई क्या होती है.. कुछ पता नहीं था। रोजमर्रा की चुदाई से तो हम दोनों वाकिफ थे, लेकिन ये कौन सी चुदाई है.. ये जब हमें पता चला.. तो हमारी रूह कांप गई।
हे भगवान.. ये साले तो एक से बढ़ कर एक जानवर हैं।

मैंने अभी तक ऐसी चुदाई नहीं देखी थी। ये लोग जानवर चुदाई किसे कहते थे.. ये उस वक्त पता चला।
एक पे चार.. इस पैमाने में ये चुदाई होती है। जो औरत इसके लिए लेटती है.. उसका पूरा बैण्ड बज जाता है। सालों को सीधी-साधी चुदाई पसंद नहीं आती थी।

गाण्ड मरवाना ठीक है.. चूत में लण्ड का प्रहार करना ठीक है। पर यहाँ तो चार लँडों को एक साथ सहन करना था। आगे क्या हुआ..? कैसे हमारी चूत.. गाण्ड और बदन का भुरता बना.. यह मैं आपको बाद में जरूर बताऊँगी.. बस तनिक इंतज़ार करें।

यह कहानी कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है.. लेकिन मैंने लेखन स्वतंत्रता का सहारा लेकर इसमें मिर्च-मसाला भरा है.. इसे अन्यथा न लें।
आपके ईमेल संदेशों का इन्तजार रहेगा।
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