वोड्का पिला कर पड़ोसन भाभी की चुदाई

वोड्का पिला कर पड़ोसन भाभी की चुदाई

यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है.. पसंद आई या नहीं, प्लीज़ कमेंट जरूर करना।

मेरा नाम राज श्रीवाश है, मैं छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से हूँ, मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है। चुदाई में सबसे ज़्यादा मुझे मैरिड लेडीज और आंटी पसंद हैं।

आज जो मैं सेक्स स्टोरी आप लोगों से शेयर करने जा रहा हूँ.. वो भी ऐसी ही एक सेक्सी पड़ोसन भाभी की है, जिसे मैंने सिड्यूस किया और खूब चोदा।

बात उस समय की है.. जब मैं 19 साल का था और हमारे घर के पड़ोस में एक नया शादीशुदा जोड़ा रहने आया था। भैया सूरज और सुमति भाभी की शादी को अभी एक साल ही हुआ था। मैं उन्हें भैया-भाभी ही कहता था।
सूरज भैया काम के सिलसिले में अधिकाँश बाहर रहते थे और सुमति भाभी एक हाउसवाइफ की तरह घर में ही रहती थीं।

सुमति भाभी भी साली एकदम सेक्सी माल थीं.. उन्हें देख कर मेरी नीयत पहले दिन से ही खराब हो गई थी। सुमति भाभी बहुत ही क्यूट थीं.. और काफ़ी हेल्पिंग नेचर की भी थीं। ऐसे ही कुछ दिनों में हम दोनों घरों में अच्छा मेलजोल हो गया, भाभी अक्सर दोपहर को मम्मी से मिलने आ जाती थीं, साथ ही मेरी भी भाभी से अच्छी जमनी शुरू हो गई।

जब भी मम्मी मार्केट या कहीं आउट ऑफ स्टेशन जातीं.. तो भाभी ही मेरे खाने-पीने का ध्यान रखती थीं। मुझे पहले से ही नई डिशिज बनाने का बहुत शौक था और भाभी को भी नई डिशिज ट्राई करने का बहुत शौक था।

यह बात दिसंबर की है.. जब सूरज भैया 3 हफ्ते के लिए आउट ऑफ कंट्री गए थे और मेरे मॉम और डैड भी एक हफ्ते के लिए क़िसी शादी में बाहर गए थे। उस दिन शाम का समय था और ठंड हो रही थी।

भाभी मेरे घर टाइम पास करने के लिए आई थीं।
भाभी- यार आज ठंड कितनी हो रही है ना राहुल!
मैं- जी भाभी..!
भाभी- चलो मॉल में कोई मूवी देखने चलते हैं?
मैं- भाभी मॉल जाकर क्या करेंगे.. मेरे पास सारी मूवीज हैं.. मैंने सब नई डाउनलोड की हैं.. यहीं घर में आराम से बैठ कर देखते हैं।
भाभी- ओके चलो ठीक है.. बताओ कौन-कौन सी मूवी हैं?

मैंने मूवी पसंद करने के लिए अपना लैपटॉप भाभी को पकड़ा दिया और भाभी उसमें मूवी सिलेक्ट करने लगीं।

मैं- भाभी कुछ स्नेक्स बनाएं.. बहुत भूख लग रही है!
भाभी- हाँ आज तुम मुझे पिज़्ज़ा बनाना सिख़ाओ.. कैसे बनाते हो?
मैं- चलो किचन में चलते हैं।

फिर हम दोनों किचन में चले गए।

मैंने किचन में पिज़्ज़ा बनाने के लिए सामान निकालने के लिए फ्रिज खोला तो उसमें बियर रखी थीं।

भाभी ने मजा लेते हुए कहा- राहुल बेटा मम्मी-पापा गए नहीं.. और तुमने आज़ादी मनाना शुरू कर दी!
मैं- नहीं भाभी यह तो फ्रिज में डेली ही रहती है.. घर में सबको पता है कि मैं बियर पीता हूँ।
भाभी- ओके.. बहुत सही बेटा.. सही जा रहे हो..!

मैं- भाभी आप पियोगी.. तो आपके लिए निकाल दूँ?
भाभी- नहीं नहीं यार.. बियर और इतनी सर्दी में.. मुझे अभी नहीं चलेगी।
मैं- ओह.. यानि आप पीती तो हो ना.. वाउ मुझे पता नहीं था।
भाभी- श..श.. क़िसी को बोलना मत.. ये तो सूरज को भी नहीं पता है.. जब वो घर पर नहीं होते, तो कभी-कभी उनकी बोतल से लगा लेती हूँ!

मैं- वैसे मेरे पास भी सामान पड़ा है.. गर्मी लेनी हो तो जुगाड़ है.. चलो पीते हैं।
भाभी- नहीं नहीं यार.. मुझे बहुत जल्दी चढ़ जाती है।

मैंने मन में सोचा बहनचोद यही सही मौका है- कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना आपको सम्भालने के लिए.. वैसे आप मुझ पर इतना तो भरोसा कर ही सकती हो।
भाभी- हम्म.. बात भरोसे की नहीं है डियर.. अगर भरोसा नहीं होता तो यह बात तुझे थोड़ी ना बताती.. फिर भी यार..
मैं- अब फिर भी-विर भी कुछ नहीं.. हम दोस्त हैं ना.. आप हमेशा कहती हो… फिर मुझ पर इतना तो भरोसा कर सकती हो यार.. चलो अब जल्दी से… बताओ क्या पियोगी.. वोड्का, रम या व्हिस्की?

भाभी- अरे वाह.. तुमने तो घर में पूरा जुगाड़ कर रखा है.. चलो वोड्का मारते हैं.. लेकिन प्रॉमिस करो कि तुम मुझे ज़्यादा पीने के लिए फोर्स नहीं करोगे।
मैं- नहीं भाभी मैं फोर्स नहीं करूँगा.. प्रॉमिस।

इसके बाद हम दोनों वोड्का पीने बैठ गए और मैंने पैग बनाने शुरू कर दिए।

मैं- भाभी आज बहुत दिनों बाद किसी दोस्त के साथ पीने के लिए बैठ रहा हूँ.. वरना तो छुप-छुप कर ही पीनी पड़ती है।
भाभी- मैं भी कॉलेज के दिनों के बाद आज किसी के साथ दारू पीने बैठी हूँ.. वरना तो मुझे भी अकेले ही पीनी पड़ती है।
मैं- क्यों यार.. सूरज भैया के साथ पी लिया करो ना… वो तो अक्सर पीते हैं।
भाभी- ना.. ना.. उन्हें यह सब पसंद नहीं है।
मैं- ओह्ह.. चलो कोई नहीं.. अब जब भैया नहीं हुआ करें और आपका पीने का मूड हो.. तो मुझे बता देना।

अब तक मैंने भाभी को तीसरा पैग दे चुका था और हम दोनों ने दारू पी कर मस्त होने लगे थे.. हम दोनों को ही थोड़ी-थोड़ी चढ़ने लगी थी।
भाभी- यार बस.. अब रुको.. थोड़ी देर बाद पिएँगे.. अब पहले मैं खाना बना लूँ।
मैं- चलो मैं भी आपकी हेल्प करने आता हूँ।

मैंने हम दोनों के लिए एक-एक पैग बना उठा लिए और भाभी के साथ किचन में चला आया।
भाभी आटा गूँथने लगीं।
मैं- भाभी मुझे भी सिख़ाओ यार आटा गूँथना.. कैसे करते हैं?

मैंने सोचा भाभी को सिड्यूस करने का यही सही मौका है, मैं भाभी के पीछे चिपक कर खड़ा हो गया और मैंने भी अपने हाथ भाभी के साथ आटे में डाल दिए और आटा गूँथने लगा।

भाभी ने नशे में हिलते हुए कहा- राहुल यह क्या कर रहे हो यार..!
मैं- भाभी आपकी हेल्प कर रहा हूँ.. और आपसे सीख भी रहा हूँ।

भाभी थोड़ा सा बचने की कोशिश करने लगीं और मैं अपना खड़ा लंड हल्के-हल्के से भाभी की गांड पर रगड़ने लगा।
भाभी रुक कर मुझे देखने लगीं।

मैं- क्या हुआ भाभी.. मुझे आटा गूँथना नहीं सिख़ाओगी क्या.. हुँम्म?
भाभी- उउउहह.. राहुल प्लीज़ परेशान मत करो ना.. मैं फिर कभी सिखा दूँगी.. पक्का..!

भाभी की चुदासी सीत्कार सुन कर मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने भाभी के दोनों हाथ पीछे से जोर से पकड़े और अपना लंड भी जोर से उनकी गांड की दरार में रगड़ने लगा।
मैं- नहीं भाभी.. मुझे सब कुछ आज ही सीखना है।
भाभी- प्लीज़ राहुल ऐसे मत परेशान करो मुझे यार.. प्लीज़.. समझा करो!
मैं- क्यों आपको अच्छा नहीं लग रहा है?

यह कहते हुए मैंने भाभी को कंधे पर किस किया और भाभी के कान की लौ को किस करते हुए चूसने लगा।
भाभी एकदम से गरमा गईं और कहने लगीं- नहीं राहुल मुझे यह सब पसंद नहीं है.. प्लीज़ ऐसा मत करो।
मुझे पता था भाभी भी अब गरम हो चुकी हैं- अच्छा तो फिर बार-बार मोन क्यों कर रही हो जान?

मैंने अब अपने दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा, साथ ही भाभी को सीधा करके उनके होंठों को अपने होंठों में भर कर उन्हें चूमा करने लगा।
पहले तो भाभी ने थोड़ी सी आना-कानी की.. लेकिन बाद में वे मेरा साथ देने लगीं।

अब मैंने उनका टॉप उतार दिया और उनकी ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को दबाने लगा। दूध का दबना क्या हुआ हम दोनों जंगली जानवरों के जैसे स्मूच करने लगे।
अब मैंने उन्हें वहीं किचन में ही फ्लोर पर लेटा दिया और स्मूच करने लगा।

मैंने उनकी ब्रा फाड़ दी।
भाभी नशे में मस्ती में बोलीं- साले यह क्या कर रहा है.. फाड़ क्यों रहा है भोसड़ी के.. उतार दे ना प्यार से..!
मैं- साली रंडी.. आज के बाद जब हम दोनों अकेले होंगे और अगर मैंने तेरे को ब्रा पहने देख लिया.. तो वहीं फाड़ दूँगा कुतिया।

भाभी हँसने लगीं और मुझे प्यार से जकड़ कर चूमने लगीं।
भाभी- बहुत आग है साले कमीने तुझमें लौंडिया चोदने की.. हम्म.. आज सब आग ठंडी कर दूँगी।
मैं- हाँ रंडी.. तेरे जैसी माल मेरे लंड के नीचे होगी तो आग नहीं लगेगी क्या..!

मैंने भाभी को फिर से चुम्बन किया और अब हम दोनों ने एक-दूसरे के होंठों को काटना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों बाद मैंने भाभी की पेंटी में हाथ डाला।
भाभी को फिर से आदर्श के कीड़े ने काटा- नहीं राहुल यह नहीं.. प्लीज़ यह सही नहीं है।
मैं- चुप कर साली.. खुद की चुत में आग लगी है.. और मुझसे मना कर रही है।

मैंने भाभी की जीन्स उतारी और पेंटी भी फाड़ दी।
भाभी- साले पैंटी तो छोड़ देता मेरी.. मेरे पति को यह पैंटी बहुत पसंद थी।

हम दोनों हँसने लगे और अब मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए। फिर भाभी की चुत को उंगली से रगड़ने लगा और स्मूच करने लगा। फिर मैंने भाभी को उठाया और अपने कमरे में ले गया।

मैं- भाभी आपको किस तरह का सेक्स पसंद है?
भाभी- यार पहले तो यह भाभी बोलना बंद कर.. और सुन मुझे वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद है।
मैं- बांडेज किया है कभी?
भाभी- हाँ एक बार किया था।

मैं- ओह्ह गुड.. सूरज भैया को भी बांडेज पसंद है.. गुड.. फिर तो शादी के बाद से आपकी खूब पिलाई होती होगी?
भाभी- नहीं यार.. सूरज को तो सेक्स करना ही बहुत कम पसंद है.. साला केवल फॉरमेलिटी के लिए चुदाई करता है।
मैं- ओह.. तो बांडेज किसके साथ किया है मेरी जान?

भाभी- कॉलेज मैं- अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ किया था.. और फिर उसके दो दोस्तों के साथ भी किया था।
मैं- ओहो.. यानी तू तो पूरी रंडी है साली..!

भाभी ने अपना दूध चुसाते हुए कहा- ले पी भोसड़ी के.. रंडी तो मैं हूँ ही.. मादरचोद.. अब तक 6 लंडों से चुद चुकी हूँ.. अब तक तेरा नंबर सातवां हैं चूतिये.. साले इतने दिनों से तुझे पटाने में लगी थी.. आज मिला तू ले चूस साले..!

मैंने अपनी बेल्ट से भाभी के दोनों हाथ बिस्तर से बाँध दिए.. और दोनों टांगें खोल कर चुत पर लिकिंग शुरू की। भाभी तड़पने लगीं और अपनी गांड उठा-उठा कर अपनी चुत मेरे मुँह में ठूंसने लगीं।
भाभी- उफफ्फ़… चूस बहनचोद.. और जोर से खा जा मेरी चुत को.. अह.. बहुत दिनों से इसकी प्यास नहीं बुझी है.. आह आह खा जा.. लवड़े.. इसे.. आह मर गई.. आह और जोर से कर हरामी.. बहुत मजा आ रहा है.. अहा..

मैंने भाभी की आँखों पर पट्टी बाँधी और उन्हें फोल्ड कर दिया। फिर उनके रबड़ी से मम्मों को चूसने लगा और निप्पलों पर बाईट करने लगा।
भाभी भी पूरे जोश में मेरा साथ दे रही थीं.. अब मैं रुक गया।
भाभी- क्या हुआ साले.. कहाँ चला गया हरामी!

मैं किचन से आइसक्रीम और खूब सारी आइस क्यूब्स और चॉकलेट सीरप लेकर आया।

भाभी- क्या हुआ यार.. कहाँ है तू.. कहाँ चला गया इतनी ठंड में गरम करके भोसड़ी के.. एक तो मेरी आँखें भी बंद कर दी हैं तूने… आँखें तो खोल कमीने.. झड़ गया क्या?
मैं- चुप कर साली रांड.. इतनी जल्दी थोड़ी ना झड़ जाऊँगा।

मैंने भाभी के चुत के होंठों को खोला और उसमें अपनी जीभ डाल कर चुत को लिक किया, भाभी चुत चुसवाने का मजा लेने लगीं। अभी उनका मजा चल ही रहा था कि मैंने अचानक से उनकी चुत के अन्दर दो आइस क्यूब डाल दीं और भाभी की चुत को बंद कर दिया।

भाभी तड़फ उठीं- आआअहह.. मादरचोद साले.. यह क्या कर रहा है.. कमीने.. क्यों तड़पा रहा है.. छोड़ मुझे.. मैं पहले से ही बहुत प्यासी हूँ.. और मत तड़पा मुझे लवड़े.. इतनी ठंड में चुत में ये क्या डाल दिया है.. हरामखोर.. आआआअहह।

मैंने भाभी के निप्पलों को बाईट करने लगा और उन्हें कट्टू कर-करके लाल कर दिए। फिर मैंने उनके मम्मों पर खूब आइस्क्रीम रगड़ना स्टार्ट कर दिया।

भाभी- आअहह ईहह.. क्या कर रहा है साले.. बस कर.. मत तड़पा और मुझे.. प्लीज़ मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूँ.. छोड़ मुझे..!
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भाभी की चुदास देख कर मैं भी गर्म गया था तो मैंने भाभी की चुत की फांकों में अपने लंड का सुपारा रगड़ना स्टार्ट कर दिया।

मैं- सुन बे रंडी.. मेरे पास अभी कंडोम नहीं है, मेरे लंड का माल चुत के भीतर लेगी या बाहर?
भाभी- कोई बात नहीं साले.. तू चोद तो सही.. मैं सब संभाल लूँगी… चिंता मत कर.. कोई तू पहला लंड नहीं है.. बस तू तो आज जम कर चोद दे.. मुझे अपनी रंडी बना ले आह..!
मैं- अच्छा रंडी बनेगी तू मेरी!
भाभी- हाँ आज ऐसे चोद कि मैं तेरी गुलाम बन जाऊँ ज़िंदगी भर के लिए!

मैं- साली गुलाम बनना है मेरी.. तो आज के बाद मेरी सारी बातें तेरे को माननी होंगी।
भाभी- हाँ ठीक है.. जो तू कहेगा वो करूँगी.. जैसे रखेगा.. मैं रह लूँगी, बस आज मुझे हचक के छोड़ दे.. अह.. बहुत प्यासी हूँ।

मैंने भाभी के दोनों मम्मों को पकड़ा और जोर से झटका मार दिया।
वो जोर से चिल्लाईं- आआहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दी.. साले क्या पेला भोसड़ी के.. लंड है या मूसल ठोका है.. अह बहनचोद.. मर गई रे.. मेरी चुत फट गई आआहह..!
मैं- साली रांड मालिक बोल अपना… समझी कुतिया.. और ले..

मैंने ये कहते हुए और एक जोर का झटका मार कर आधा लंड अन्दर पेल दिया।

अब तो वो पागलों की तरह चिल्ला रही थीं।

मैं- क्या हुआ साली कुतिया तेरी चुत तो बहुत छोटी है.. साली छह लंड लिए और सब छोटे-छोटे से लुल्ले थे क्या.. ठीक से ठुकाई भी नहीं हुई क्या?
भाभी- आह.. मालिक.. हल्के से करो प्लीज़.. बहुत दर्द हो रहा है!

मैंने एक और जोर का झटका मारा और वो दर्द के मारे बिस्तर पर कूदने लगी।
मैं- कहाँ भाग रही है रांड.. जाएगी कहाँ बच कर.. तुझे ही तो चुल्ल थी ना चुदने की..!

मैं ऐसे ही रुका रहा और भाभी के मम्मों को चूसता रहा। जब मुझे लगा कि वो थोड़ा नॉर्मल हो गईं तो मैंने झटके देना स्टार्ट किए और हल्के-हल्के झटके मारता रहा। थोड़ी देर के बाद वो भी गांड उठा-उठा कर साथ देने लगीं।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई तो अब वो भी मेरा साथ देने लगीं।

कुछ देर में वो झड़ चुकी थीं और मैं भी खूब जोर से झटके मारने लगा था, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैं बोला- जानेमन मैं भी झड़ने वाला हूँ।
मैंने अपनी स्पीड और जोर से बढ़ाई और फिर 10-15 झटकों के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

भाभी- बाहर क्यों निकाल लिया बे.. अन्दर ही झाड़ दो अपने लंड का रस!

मैंने एक झटके में अपने पूरा लंड को चुत में जड़ तक पेल दिया।

कुछ मिनट में ही मैं चुत में झड़ गया।
फिर मैं उनके ऊपर लेट गया, हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं।

भाभी हंसने लगीं- भोसड़ी के मालिक.. अब तो हाथ खोल दो..!

मैंने भाभी की आँखों से भी पट्टी हटा दी और हाथ भी खोल दिए।

फिर 10-15 मिनट हम एक-दूसरे की बांहों में ही पड़े रहे।

फिर भाभी बाथरूम जाने के लिए उठीं, तो वे ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं।
मैं- क्या हुआ रंडी.. चाल क्यों बिगड़ गई तेरी?
भाभी- साले कुतिया की तरह चुत फाड़ दी मेरी.. अब पूछ रहा है कि चल क्यों नहीं पा रही मैं?

मैं हंसता हुआ उठा और भाभी को बाथरूम में लेकर गया। उनकी चुत में से हम दोनों का ही माल ज़मीन पर टपक रहा था।

मैंने बाथटब में गरम पानी भरा और हम दोनों नहाने लगे। उस रात हम लोगों ने 4 बार सेक्स किया और फिर उसके बाद पूरा हफ़्ता मेरे ही घर में वो मेरी रंडी बन कर रहीं। हम दोनों ने घर के हर कोने में सेक्स किया.. बाथरूम, स्टोर, बाल्कनी, किचन, ड्रॉइगरूम.. सब जगह खूब चुदाई हुई।

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