अच्छा चोदन और अच्छा भोजन नसीब वालों को ही मिलता है

अच्छा चोदन और अच्छा भोजन नसीब वालों को ही मिलता है

चोदन हर किसी की चाहत और जरूरत है.

मेरा नाम अमित है, मैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर का रहने वाला हूँ. मेरी शादी 2002 में हुई थी.
जिस तरह सभी ने अपनी शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन को लेकर कुछ सपने देखे होते हैं, वैसे ही मैंने भी देखे थे पर मैं यह नहीं जानता था कि अच्छा चोदन और अच्छा भोजन नसीब वालों को ही मिलता है.

शादी से पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड थी पर मैंने उसके साथ संभोग इसलिए नहीं किया था कि क्यूंकि मैं सुहागरात का आनंद खोना नहीं चाहता था.
पर उसने भी मुझे इस्तेमाल किया और शादी किसी और से कर ली.

तब मैंने सोचा कि हो सकता है ऊपर वाले ने शायद कुछ बेहतर ही सोचा होगा मेरे लिए और मैंने दोबारा कोई गर्लफ्रेंड इसलिए नहीं बनाई कि अब जब भी मेरी शादी होगी तब ही सही… पर मैं अपनी पत्नी के अलावा किसी और से संबंध नहीं बनाऊंगा.

हालाँकि ज़िंदगी ने बहुत मौके दिए पर मैंने कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखा, शायद यही मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी. क्यूंकि किसी ने कहा भी है कि साँप और चूत जहाँ मिल जाए मार लेना चाहिए.

मैं आपको अपनी पत्नी के बारे में बता दूं… उसका नाम आरती है, वो एक सामान्य कद काठी की लड़की थी पर एक अच्छे गदराए हुए शरीर की मालकिन भी…
जब मैंने पहली बार उसको देखा था तो मुझे लगा था कि ऊपर वाले ने मुझे सब कुछ भरपूर दिया है… उसके स्तन और कमर अच्छे भरे हुए थे.

खैर हम अब अपनी कहानी पर आते हैं, सभी की तरह मेरी भी शादी हो गई और सुहागरात पर अपनी पत्नी को देने के लिए मैंने एक मंगलसूत्र खरीदा और घर आ गया.
रात को मेरी एक रिश्तेदार भाभी ने मुझे कमरे में धकेल दिया और दूध का गिलास देते हुए कहा- देवर जी, आज पूरा दूध पी लेना छोड़ना मत!

मैंने अंदर जाकर दरवाजा बंद किया और देखा तो आरती बिस्तर पर बैठी हुई थी.
मैंने अपने कपड़े चेंज किए और जाकर उसके पास बैठ गया.

हमारी सामान्य बातचीत हुई और जैसे ही मैंने उसके हाथ को छुआ तो वो बोली- मैं बहुत तक गई हूँ, नींद आ रही है.
तो मैंने भी लाइट बंद कर दी और लेट गया, मुझे लगा मेहमानों की भीड़ भाड़ में थक गई होगी… कोई बात नहीं.

अगले दिन सुबह से ही भाभी और सारे दोस्त मज़ाक में पूछते रहे- रात में क्या हुआ?
मैंने सबको यही कहा- बड़ी प्यारी लड़की है, सब कुछ बड़े ही प्यार से हुआ.

फिर दूसरी रात मैं अपने कमरे में पहुँचा दरवाजा बंद किया और जाकर आरती के पास बैठ गया और उसे मंगलसूत्र दिखाया तो उसने अपने हाथ में ले लिया बोली- सुबह पहन लूँगी.
आज मैंने उसका हाथ पकड़ा तो कुछ नहीं बोली. अब मैंने उसकी बांहों को सहलाते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और पल्लू को उसके सीने से हटा दिया. उसका ब्लाउज काफ़ी कसा हुआ था, ऐसा लगा कि स्तन ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएँगे.

मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसके माथे पर चूम लिया, तब उसने कहा- लाइट बंद कर दो.
मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी और आकर उसके पास बैठ गया.

तब तक वो लेट गई थी, मैं भी अपना कुर्ता उतार कर उसके पास लेट गया और उसे अपने सीने से चिपका लिया उसकी गर्म साँसें मैं अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था.
जब मैंने उसके होठों को चूमने की कोशिश की तो उसने अपना मुँह घुमा लिया… पर आज मैंने भी ठान लिया था कि आज सुहागरात मना कर ही रहूँगा, अब मैंने उसके स्तन ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने शुरू कर दिए.

उसके पेट को सहलाते हुए जब मैंने उसकी साड़ी को निकालने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने भी ज़िद नहीं की और उसके पैरों पर हाथ फेरते हुए धीरे धीरे साड़ी ऊपर करने लगा.

उसकी जांघें बड़ी मुलायम थीं, अब मेरा हाथ उसकी पेंटी तक आ गया था, दूसरे हाथ से मैं कभी उसके होठों को सहलाता तो कभी उसके स्तनों को…
अब मैंने उसे बैठाया, उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए पर उसने अपना ब्लाउज उतारने नहीं दिया तो मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूसने लगा. मुझे महसूस हुआ कि उसके निप्पल काफ़ी बड़े थे.

अब मैंने उसका हाथ पकड़ कर कोशिश की कि वो पाजामे के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ ले पर उसने अपना हाथ खींच लिया. अब तक मैंने उसकी ब्रा ऊपर कर उसके स्तनों को बाहर निकाल लिया था, वो इतने कड़े तो नहीं थे पर ठीक शेप में थे.
मैं पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहला रहा था और उसके निप्पल भी चूस रहा था. पर इतना सब हो जाने के बाद भी अभी तक उसने मुझे नहीं छुआ था.

खैर मैंने धीरे से उसकी पेंटी उतार दी और उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो इतनी गीली नहीं लगी जितना उसे होना चाहिए था.
मैंने उसे कहा- अपनी साड़ी पेटिकोट ब्लाउज और ब्रा उतार दो!
तो उसने मना कर दिया.

मुझे लगा कि पहली बार है तो शर्मा रही होगी, पर अब तक मैं अपनी चड्डी उतार चुका था.
अब मैं आरती के ऊपर था और उसके स्तनों और पेट को चूसते हुए जैसे ही चूत तक आया, उसने अपने पैर मोड़ लिए, मैंने जब उसके पैर पकड़ कर सीधे करने की कोशिश की तो वो पूरी ताक़त से मुझे रोकने लगी.
थोड़ी देर चूमने सहलाने के बाद जब उसने अपनी टाँगों को थोड़ा ढीला किया तो मैं तुरंत उसकी दोनों टाँगों के बीच आ गया, और जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत से लगाया तो उसने मुझे धक्का दे कर दूर कर दिया और बोली- मुझे ये सब पसंद नहीं है, मुझसे दूर रहो.

अब मुझे बहुत तेज गुस्सा आया और मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें नहीं पता था कि शादी के बाद ये सब तो होगा ही?
तो उसने कहा- इस सब में मेरी कोई रूचि नहीं है.

जब मैं ज़्यादा नाराज़ होने लगा तो वो एक रंडी की तरह अपना पेटिकोट ऊपर करके और अपनी टाँगें चौड़ी कर के बोली- लो कर लो जो करना है!
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
थोड़ी देर बाद मैं भी चुपचाप सो गया और वो भी.

फिर काफ़ी कोशिश करने के बाद शादी के चौथे दिन जब वो मिलन के लिए मानी तो बस उसी तरह अपना पेटिकोट ऊपर करके और अपनी टाँगें चौड़ी करके बोली- लो, कर लो जो करना है!
इस बार मैं भी बस अपना लंड उसकी चूत में डाल कर हिला और अपना माल अंदर निकाल कर हट गया.
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इसी तरह करीब महीने में दो तीन बार वो मुझे चोदने देती थी, फिर करीब तीन महीने बाद जब उसके पीरियड नहीं आए तो मुझे पता चला कि मैं पिता बनने वाला हूँ.
तब से लेकर आज तक मैं दो बार पिता बन चुका हूँ. पर अब वो मुझे तीन चार महीने में एक बार चोदने देती है, और ना उसने पहली बार पूरे कपड़े उतारे थे और ना ही आज उतारती है.

मैंने कई बार उसे प्यार से समझाने की कोशिश, कई बार हमारा झगड़ा भी हुआ पर वो नहीं मानती, ज़्यादा कलह करने पर साफ कह देती है कि ज़्यादा चुदास है तो बाहर किसी के साथ सो जाया करो, पर मुझे परेशान मत करो.

अब आप लोग ही बताओ कि मैं क्या करूँ?
जिससे भी बात करूँ वो मानता ही नहीं… कहता है जब वो कुछ करने नहीं देती तो तुम बाप कैसे बने!
कोई मेरी परेशानी नहीं समझ रहा.
मेरे सभी दोस्त अपने वैवाहिक जीवन का पूरा आनन्द उठा रहे हैं, उनकी पत्नियाँ उन्हें हर तरीके से शारीरिक सुख देती हैं, किसी बात के लिए मना नहीं करतीं और एक मैं हूँ जिसकी पत्नी ने आज 14-15 साल से मेरा लंड भी अपने हाथ में नहीं पकड़ा.

क्या करूँ? अगर आप लोगों को मेरी बातों में सच्चाई लगे तो मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ?
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