अतृप्त भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई- 3

अतृप्त भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई- 3


कुकोल्ड सेक्स हॉट कहानी में पढ़ें कि मेरे साले की बेटी की अन्तर्वासना इतनी ज्यादा थी कि उसने अपने पति को बता कर अपने फूफा से यानि मुझसे चुदवा लिया.

दोस्तो … मैं चन्दन सिंह एक बार फिर से अपनी भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
कुकोल्ड सेक्स हॉट कहानी के पिछले भाग
साले की जवान बेटी ट्रेन में चुद गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अनीता को उसके घर में ही चोदने की तैयारी कर रहा था और उसकी चुत को चूस कर झाड़ चुका था.

अब आगे की कुकोल्ड सेक्स हॉट कहानी:

अपनी भतीजी की चुत का रस पीने के कारण मुझे एक बार मुँह का स्वाद बदलने की इच्छा हो रही थी.
मैंने एक पैग पिया और बेड पर आ गया. इस बार अनीता मेरे लंड को मुँह में लेकर चुसाई करने लगी.

रात को जब उसने लंड चुसाई की थी, तब उसे मालूम था कि अंडकोष पर जब तक चुसाई नहीं होगी, तब तक लंड का स्खलित होना मुश्किल है. इसलिए वो अण्डकोष पर जीभ चलाने से बच रही थी.

उसकी पांच मिनट की लंड चुसाई के बाद जब मेरी सहन शक्ति जवाब देने लगी, तो मैंने गांड को ऊंचा कर दिया.

उसके मुँह से लंड निकल चुका था. अब वो मेरी गांड के छेद को रंडी की तरह चूसने लगी. अपनी गांड का छेद चुसवाना मेरे लिए एक नया अनुभव था.

मैंने सीत्कार भरते हुए अनीता से कहा- अब बस भी कर.
अनीता बोली- फूफाजी, अगर आज आपको ऐतराज नहीं हो, तो मैं आपकी चुदाई करूं?

मैं सोच में पड़ गया कि यह औरत है … आदमी की कैसे चुदाई करेगी.
मैंने कहा- चल आज कोई ऐसे तो मिली, जो आदमी की चुदाई करेगी.

वो हंस कर बोली- मैं मेरी अब तक यौन तृप्ति की भड़ास निकलना चाहती हूँ.

अनीता मर्दों की तरह मेरे ऊपर चढ़ गयी. मैं नीचे चित लेट गया.

उसका अंदाज वहशी पुरुष की तरह था. मेरे होंठों को बुरी तरह चूमने लगी.

कभी मेरी छाती की घुंडियों को अपनी उंगलियों से मसलने लगी. कभी वो मेरी छाती की घुंडियों को अपने मुँह में डाल कर चूसती जा रही थी.

फिर उसने कमर हिला कर अपनी चुत पर लंड को सैट किया और हाथ से लंड पकड़ कर अपनी बुर में डाल लिया. वो मुझे आदमी की तरह चोदने लगी.

मैंने दोनों पैर उसकी कमर से लपेट लिए. वो लंड लेते हुए मुझे चिकोटी काटने लगी. कभी कभी लंड के ऊपर बैठ कर अपने मम्मों को मुझसे चुसवा रही थी. बड़ा मस्त मजा आ रहा था.

इस समय हम दोनों की सर्दी गायब हो गयी थी. बल्कि सर्दी की जगह हमारे जिस्मों से पसीने छूट रहे थे और हम दोनों ही पसीने से तरबतर हो गए थे.

आधा घंटे से ज्यादा देर तक चुदाई चली. तब जाकर हम दोनों स्खलित हुए. झड़ने के बाद वो मेरे सीने पर लेटी रही.

दस मिनट बाद अनीता रोने लगी.

उसे रोते देख कर मैंने उससे पूछा- अनु रो क्यों रही है?

अनु बोली- सच में, जिन्दगी में आज ही मेरी असली चुदाई हुई है. मेरी हमेशा से एक ही इच्छा थी कि मैं आदमी की तरह अपने पति को चोदूं … पर वो निठल्ला कभी काम ही नहीं आया. आज बरसों के बाद मेरी इच्छा पूरी हुई है. अब आगे इस तरह की चुदाई किस तरह कर पाऊंगी, ये सोच कर ही मुझे रोना आ गया.

मैं उसकी पीठ सहलाने लगा.

वो आगे बोली- फूफाजी मेरा पति शादी के बाद एक साल तक तो सेक्स बराबर करता रहा. बाद में उसका स्टेमिना कम होता गया. मैं परिवार की इज्जत को रो रही थी … इसलिए खून का घूंट पीकर सहन करती आ रही हूँ.

मैंने पूछा- तुम क्या चाहती हो?
अनीता बोली- हमेशा के लिए इस आदमी से छुटकारा.
मैंने कहा- इससे हमारे परिवार को बदनामी मिलेगी.

वो बोली- तो क्या हुआ … मैं अभी 28 साल की तो हूँ ही. क्या सारी जिन्दगी बिना सेक्स के रहूँ?
मैंने कहा- मुझे सोचने का समय दो. अच्छा वो मेरी शर्त का क्या हुआ?
अनु बोली- फूफाजी आप सचमुच जीत गए … बोलिए क्या इनाम दूं?

मैंने कहा- अगर नाराज नहीं हो तो बोलूं!
वो बोली- आप बिंदास बोलिए, अगर मेरे हाथ में नहीं हुआ, तो भी मैं किसी तरह आपकी इच्छा पूरी करूंगी.

मैंने डरते डरते कहा- मैं तेरी छोटी बहन अविना को भी शादी से पहले भोगना चाहता हूँ. मेरी इच्छा है कि उसकी चुत का उद्घाटन मेरे लंड से ही हो.

अनु खिलखिला कर हंस पड़ी- वाह फूफाजी … बस इतना छोटा सा काम … और आप इतने डरते हुए बोल रहे थे. पर मेरी भी एक शर्त है.
मैं बोला- क्या?
अनीता- आप मुझे इस नामर्द आदमी से छुटकारा दिलाओगे … और हमेशा के लिए मुझे अपने साथ रखोगे.

मैं- अनु तुम्हारे बच्चों का क्या होगा?
अनीता- भाड़ में जाएं बच्चे … और बच्चों का बाप. आप मुझे अपने साथ ले चलिए.

मैंने कहा- नहीं ऐसा नहीं कहते हैं. मैं तुम्हें सपरिवार मुंबई ले जाऊंगा. उससे पहले तेरे पति के सामने तुझे चोद सकूं, तू ऐसी कोई तरकीब निकाल!
अनीता- उसकी चिंता आप बिल्कुल भी न करो फूफा जी.

मैं- अच्छा, अब तुम्हारा पति वापस कब आएगा?
वो घड़ी की ओर देख कर बोली- बस वो आने ही वाला होगा. मैंने उससे आपके लिए नाश्ता और पांच अलग अलग ब्रांड वाली शराब की बोतलें मंगवाई थीं.
मैं- अच्छा सुन, अभी फटाफट अपने कपड़े पहनो.

हम दोनों ने कपड़े पहन लिए.

फिर मैंने उससे कहा- तू ऐसा कर … अपने बेड पर जा, मैं अपने बेड पर जाकर सो जाता हूँ.

अनीता अपने कमरे में चली गयी और मैं बेड पर वापिस इस तरह सो रहा था, जैसे अभी नींद में हूँ.

कुछ ही देर में डोरबेल बजने की आवाज आई.
अनीता ने दरवाजा खोल कर पति को अन्दर लिया और बोली- आ गए, लाओ थैला मुझे दे दो.

पति ने आते उसे सूंघा और बोला- तूने और शराब पी ली, थोड़ी बहुत शर्म है या नहीं! क्या हुआ … तुमने फूफाजी से पूछा … कुछ हुआ या नहीं!

वो बोली- फूफाजी धर्म कर्म की दुहाई दे रहे हैं, वो बिल्कुल नहीं मान रहे हैं. मुझे इसी कारण पीनी पड़ी. अब तो उनको मालूम पड़ गया है कि मेरी सेक्स की इच्छा है और मैं अतृप्त हूँ.
पति बोला- तो?

अनीता- तो जब फूफाजी ये बात बुआजी को बताएंगे … तो तुम्हारी नामर्दी का भांडा फूट जाएगा. आपकी रही सही इज्जत भी जाती रहेगी. अब आप जाओ और उनको उठा कर मनाओ.

उसका पति बोला- अभी कहने से कुछ मतलब नहीं है. शाम को दुकान से वापस आऊंगा, तब हम दोनों साथ बैठ कर पिएंगे. उस समय मैं उनसे बात करूंगा. अच्छा अब मैं दुकान जा रहा हूँ. तुम शाम को खाना बना लोगी या लेते आऊं?

अनीता बोली- शाम को तो मैं बना लूंगी … पर तुम मेरी बात ठीक से समझे या नहीं. फूफाजी कल सुबह निकल जाएंगे और तुम्हारी इज्जत भी जाती रहेगी.
वो बोला- पर अभी तो दुकान …

अनु बात काटते हुए बोली- एकाध दिन दुकान नहीं जाओगे … तो क्या फर्क पड़ेगा. पहला काम ये है कि तुम फूफाजी को मनाओ … नहीं तो इज्ज़त गयी ही समझो.

अनीता का पति मेरे कमरे में आया. वो आवाज देते हुए उठाने लगा.
उसने दो बार ‘फूफाजी फूफाजी ..’ आवाज लगाई, तब मैं बोला- जी.

मैं उठ कर बेड पर बैठ गया. वो भी बेड पर मेरे समीप बैठ गया. हम दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें करने लगे.

तब तक अनीता ने एक बोतल और नमकीन, पानी वगैरह टेबल पर लाकर रख दिया.

अनीता का पति बोला- आप पहली बार आए हैं … कुछ जाम शाम हो जाए.
ये कह कर वो पैग बनाने लगा.

कुछ देर तक उसने मुझसे कुछ और बातें की. इस दरम्यान उसने तीन पैग पी लिए. अब उसकी ट्यून बदल गयी थी.

वो- फूफाजी मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ.
मैं बोला- जी बताइए.
वो- वैसे तो अनीता ने आपको बताया होगा.
मैं अनजान बन कर बोला- नहीं तो … क्या बात!
वो बोला- अनु कह रही थी कि उसने आपको बता दिया है. फिर भी आप ही बता दीजिए.

मैंने उससे पैग बनाने का इशारा करते हुए कहा- क्या बता दूं?
फिर वो एक लार्ज पैग मेरे हाथ में देते हुए बोला- फूफाजी अनु मुझसे खुश नहीं रहती. आप आए हुए हैं तो उसे खुश करके जाइए.

मैं गंभीर मुद्रा बना कर बैठा रहा. कुछ देर बाद बोला- यह तो नाजायज है.
वो मेरी तरफ निवेदन भरी नजरों से देखने लगा और बोला- अगर आपने उसे आज खुश नहीं किया, तो मुझे आज ही सुसाइड करना पड़ेगा. अब आप करते हैं तो ठीक है, नहीं तो …

मैंने उसकी बात समझते हुए अपना फैसला सुना दिया.

मैं कुछ क्षण विचार कर बोला- मेरी एक शर्त है.
वो बोला- मुझे मंजूर है.
मैंने कहा- पहले सुन तो लीजिए. मैं भी अपनी इज्जत चाहता हूँ. कल के दिन मुझे कोई दिक्कत न हो, इसलिए आपको मेरे मोबाईल से फोटो ग्राफ़ी और वीडियो शूटिंग करनी होगी.
वो बोला- हां मैं कर लूंगा.
वो ‘अनु अनु …’ कह कर अनिता को बुलाने लगा.

अनीता दरवाजे की ओट में खड़ी सब सुन रही थी.
अनु कमरे में आई तो उसका पति बोला- लो अनु फूफाजी मान गए.
उसने बेड के पास पड़ा मेरा मोबाईल लिया और अनु से बोला- चल फटाफट शुरू हो जा.

अनु मेरी तरफ देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी.

फिर वो झूठ-मूट का शर्माते हुए बेड के पास आई. तब मैं बोला- मोबाईल में एक भी फोटो या वीडियो में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आना चाहिए, जिसमें ऐसा लगे कि मैं जबरदस्ती कर रहा हूँ. अनु जैसे अपने पति से करवाती है, उसी तरह से मुझसे सेक्स करवाएगी.

अनीता समझ गयी. वो लाज शर्म छोड़ एक पत्नी और पति के बीच जिस तरह मिलन होता है. हमारे बीच वो सब होने लगा.

उधर उसका पति फोटो खींच रहा था.

अनु ने अपने कपड़े उतारे और मेरे कपड़े उतारने चालू कर दिए. हम दोनों पूरे एक घंटे तक खुल्लम खुल्ला सेक्स करते रहे.

अनु की चुदाई करने में मैं इतना अधिक मशरूफ हो गया था कि मैं उसके पति को भी भूल चुका था.

एक घंटे के बाद जब हम दोनों चोदम चादी से निवृत हुए, तब हमें भान हुआ कि उसका पति भी यहां है.

मैंने उसके पति की तरफ देखा, तो उसका चेहरा एकदम लाल था और वो मोबाईल मुझे देकर बोला- फूफा जी, आप बहुत अच्छा सेक्स करते हैं. आप अनु को कहो ना कि वो अब मुझे भी एक बार सन्तुष्ट कर दे.

मैंने अनु को आंख से इशारा किया.
अनु ने अपने पति का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ही खींच लिया.

अब मैं उन दोनों की वीडियो बना रहा था. मैंने मोबाईल को को एक जगह स्थिर करके उनकी वीडियोग्राफ़ी चालू कर दी और उन दोनों के साथ बेड पर मैं भी कूद पड़ा.

अनु की चुत में वो लंड डालने की चेष्टा कर रहा था. उधर अनु ने मेरे लंड को हिलाना चालू कर दिया. मेरा लंड तपाक से खड़ा हो गया.

मेरा खड़ा लंड देख कर अनु बोली- अब आप ही देख लो फूफाजी, इस झांटू का लंड ही मेरी चुत में अन्दर नहीं जा रहा है.
मैंने अनु से कहा- तू इनको नीचे लिटा और तू ऊपर लेट कर कोशिश कर.

अनु ने वैसा ही किया. इस तरीके से लंड चुत में चला गया. अनु ने चुत में लंड लेकर हिलना शुरू किया. अभी तीन चार बार ही अनु ऊपर नीचे हुई थी कि उसके पति की सीत्कार निकलने लगी- ओह मां मर गया … आह मैं गया.

ऐसा बोल कर वो ढीला पड़ गया. अनु ने मेरी ओर देख कर मुँह बनाया, तो मैंने उसे कुतिया बन जाने का इशारा कर दिया. वो बेड पर कुतिया स्टाइल में हो गई. मैंने पहले तो उसकी गांड पर तीन चार बार चपेट मारी फिर छेद पर थूक दिया.

अनु चांटा पड़ते ही बोल पड़ी- आह उधर नहीं फूफाजी … मैं मर जाऊँगी.

मुझे गुस्सा आ गया. मैं उसके चूतड़ों पर चांटों की बरसात करते हुए बोला- साली रांड … आगे से करवाते हुए जोर नहीं लगा … भैन की लौड़ी अब पीछे से करवा कर देख. मजा नहीं आए तो कहना.

अनु के पति जिसका नाम कमल था. मैं उससे बोला- कमल, तू अनु के मुँह में अपना लंड दे दे.

कमल अनु के मुँह की तरफ गया. उसकी ढीली पोली लुल्ली देख कर अनु बोली- फूफाजी, लो आप खुद ही देख लो, इसकी लुल्ली किस काम की है.
मैंने कहा- तू मुँह में तो ले … अभी तन्ना जाएगी.

अनीता के पति का लंड लुल्ली ही था, इसीलिए अनीता को चुदाई में तृप्ति नहीं मिल पाती थी.

आज मैं अपनी भतीजी अनीता की गांड मारने की तैयारी कर रहा था. मेरी भतीजी की गांड चुदाई की कुकोल्ड सेक्स हॉट कहानी का रस आपको अगले भाग में कामोत्तेजित कर देगा, ये मेरी गारंटी है.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
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कुकोल्ड सेक्स हॉट कहानी का अगला भाग: अतृप्त भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई- 4

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