अनजान जाटनी की चुदाई का मजा

अनजान जाटनी की चुदाई का मजा


इंडियन विलेज भाभी सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे बैंक की लाइन में एक देहाती भाभी से मेरा नैन मटक्का हुआ. मैंने उसे बाहर बुला कर उसका फोन नम्बर लिया. उसके बाद …

नमस्कार दोस्तो, मैं राज हुड्डा रोहतक से आपके सामने एक और सच्ची इंडियन विलेज भाभी सेक्स कहानी लेकर प्रस्तुत हूँ.
मेरी पिछली कहानी थी: पड़ोसी का लंड देख खुद को रोक ना पाई

लेकिन कहानी शुरू करने से पहले एक प्रार्थना है कि कम से कम घर से बाहर निकलें और घर से बाहर से आएं, तो साबुन से हाथ जरूर धोएं और आस पास के लोगों को भी जागरुक करें.
तभी हम कोरोना वायरस से बचाव कर सकते हैं.

अभी मैं फ़्री था, तो सोचा घऱ पर बैठे बैठे अपनी बात दोस्तों से शेयर कर ली जाए. वैसे मैं बता दूँ दोस्तों कि लड़कियों में मेरी कोई रुचि नहीं है. मैं भाभी और आंटियों में ही बहुत रुचि रखता हूं क्योंकि एक तो लड़कियां चुत देने में नखरे बहुत करती हैं. ऊपर से सेक्स के समय अलग से डरती हैं. तो मैं लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हूँ. शादीशुदा के साथ चुदाई का मजा ही अलग है, खुल कर साथ देती हैं.

अब मैं अपनी बात पर आता हूं.

मैं रोहतक के पास के ही गांव से हूँ और अपनी गोपनीयता के चलते मैं इससे ज्यादा कुछ भी बताने में असमर्थ हूँ. आप भी कृपया मेरे गांव का नाम मत पूछा करो क्योंकि गोपनीयता मेरे लिए पहले है … अपनी भी और मेरी जो फ्रेंड्स हैं, उनकी भी.

मैं दिसंबर में रोहतक, बैंक में गया था मेरे बैंक के केवाईसी के लिए उन्होंने पैन कार्ड की कॉपी मंगवायी थी, तो मैं दोपहर को 12 बजे के करीब बैंक में गया. बैंक में बहुत भीड़ थी. कोई पेंशन लेने आया था, तो कोई एटीएम कार्ड लेने, कोई आधार जमा करवाने. मैं भी लाइन में खड़ा हो गया.

मेरे साथ वाली लाइन पेंशन लेने वालों की थी, जिसमें ज्यादातर औरतें ही थीं. जिनके पति सरकारी नौकरी में थे और गुजर चुके थे. मतलब ज्यादातर विधवा ही थीं. कुछ बूढ़े आदमी भी थे. मैं अपने नम्बर का इंतजार कर रहा था और बैंक में आई सुंदर औरतों को देख रहा था.

तभी मेरे नज़र एक औरत पर पड़ी जो पेंशन वाली लाईन में आखिर में खड़ी थी.
मेरी और उसकी नज़र मिली … न जाने क्यों तो दिल में धक धक सी हुई. उसकी बिल्कुल भूरी आंखें, गोरा चेहरा, लंबी नाक, लंबे बाल … बहुत ही दिलकश थी.

उसने सूट के ऊपर से चुन्नी डाल रखी थी. मेरी और उसकी नज़र कुछ पल के लिए ही मिली थी. मगर उसने नज़र नहीं हटाई, मुझे ही अपनी नज़र हटानी पड़ी.

मैंने सोच लिया कि बेटा अभी काम तो कुछ है नहीं … आज तो इसके साथ दोस्ती करनी ही है, चाहे कितना टाइम लगे.

अब मैं बार बार उसकी तरफ देखता, तो वो भी देखती. वो मुझे देखने के साथ साथ पीछे बार बार किसी से बात भी कर रही थी. मैंने देखा तो उसके पीछे एक औरत बैठी थी.

मैंने सोचा वो इसकी बहन होगी. उनकी बात सुनकर लग रहा था कि वो किसी इंडियन विलेज से ही हैं. मैंने यूं ही कुछ बार उसकी तरफ देखा, तो मामला बदल गया. अबकी बार नज़रें मिलते ही वो मुस्कुराने लगी.

फिर मुझे लगा कि पहले चैक कर लेता हूँ कि इसके साथ कोई और आदमी तो नहीं आया है.

मैं लाइन से हटकर बैंक से बाहर निकल आया … तो वो बैंक के बाहर की तरफ देखने लगी. मैं बाहर ही खड़ा रहा, तो वो बार बार बाहर ही देख रही थी.

फिर मैंने हिम्मत करके उसे बाहर आने का इशारा किया, तो उसने देख कर मुँह फेर लिया. इस हरकत से मुझे गुस्सा आ गया.

थोड़ी देर में वो फिर से देखने लगी, तो मैंने इस बार उसे हाथ हिला कर बुलाया. तो वो इधर उधर देख कर बाहर आ गयी. वो मेरी तरफ देखती हुए बाहर लगे पानी के कूलर की तरफ गयी और पानी पीने लगी. पानी पीकर वो मुस्कुराते हुए अन्दर जाने लगी, तो मैंने उसे फ़ोन का इशारा किया.

वो मेरे पास आकर बोली- ले मेरे फोन से अपने फ़ोन पर घंटी मार ले.

ये कह कर उस विलेज भाभी ने अपनी ब्रा से फ़ोन निकाल कर मुझे दे दिया.

मैंने उसके फ़ोन से अपना नम्बर डायल किया और कॉल आते ही फ़ोन उसको दे दिया. फिर मैं अपनी लाईन में जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर में वो भी आ गयी. फिर हमारे इशारे चलते रहे.

कुछ देर बाद मैं अपना काम करके बैंक से बाहर आ गया और उसको कॉल करके कहा- चलो कुछ खाते हैं … तुम्हारा नम्बर तो बैंक के लंच टाइम के बाद आएगा शायद.
वो बोली- मेरी सहेली साथ में आयी है … तुम जाओ. मुझे उसके साथ मार्किट में भी जाना है. मैं नहीं चाहती उसे तुम पर शक हो … या वो हमें बात करते देखे.

तो मैंने उसे बॉय बोला और घर की तरफ चल पड़ा.

घर पहुंच कर मैं जाते ही सो गया.

शाम को 5 के करीब उसका फ़ोन आया तो मैंने उसका नाम पूछा.

उसने अपना नाम गुड्डी (काल्पनिक) बताया. उसने बताया कि उसका पति सरकारी नौकरी में था. दो साल पहले ही गुजर गया है … और मेरी पेंशन बन गयी है.

मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसके 2 बच्चे हैं. एक लड़का, एक लड़की हैं. जो कि 8 और 10 साल के हैं … और वो दोनों गांव के ही स्कूल में पढ़ते हैं. उसका गांव रोहतक से 5 किलोमीटर ही दूर था.

फिर उसने मेरा नाम और मेरे बारे में पूछा. मैंने उसे अपने बारे में सब बता दिया.

अब हमारी रोज़ बात होने लगी और हमने एक दूसरे से वादा किया कि किसी को एक दूसरे के बारे में नहीं बताएंगे.

उस इंडियन विलेज भाभी ने मुझे सब कुछ बताया- मेरे जेठ की शादी नहीं हुई थी. पति की मौत के बाद मुझे उसके पल्ले (शादी कर दी) लगा दिया, लेकिन मेरा जेठ कुछ नहीं करता. वो शराब बहुत पीता है … और सेक्स करते वक़्त तो सीधा सलवार खोली और डाल कर अपना काम करके सो जाता है. तो मैंने जेठ के साथ सोना छोड़ दिया और बच्चों के कमरे में सोने लगी. उसको भी कह दिया कि मेरे पास आने की जरूरत नहीं है. अब सेक्स किये 3 महीने से ज्यादा हो गए हैं. बस बच्चों के सहारे दिन काट रही हूँ.

ये सब बता कर वो रोने लगी.

तो मैंने कहा- रो मत … किसी चीज़ की जरूरत हो तो मुझे बोलना … और आज के बाद रोई, तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगा.
वो बोली- अब कभी नहीं रोऊंगी … बाकी तुमको बैंक में देखा, तो तुम मुझे बहुत अच्छे लगे. लेकिन अब बात करके लग रहा है कि तुम बहुत अच्छे हो, मुझसे कभी नाराज़ मत होना, मुझे कभी छोड़ना नहीं दोस्त.
मैंने भी वादा किया- मेरी वजह से तुम्हारे जीवन में तुमको कोई तकलीफ नहीं होगी.

फिर हमने एक दूसरे को बाय किया और फ़ोन काट दिया.

हमें बात करते 20 दिन के आस पास हो गए थे. मैं भी गुड्डी को मिलने की नहीं कहता था कि कहीं वो मुझे गलत न सोचे.

हम दोनों बस बात ही करते थे.

एक दिन बात करते करते गुड्डी ने कहा- मैं आज रोहतक आ रही हूँ … तुम भी आ जाना. मैं अकेली ही आऊँगी.
मैंने पूछा- रोहतक में कहां?
तो वो बोली- झज्जर चुंगी के पास कल मिल जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
अगले दिन मैं झज्जर चुंगी से थोड़ा आगे बाइक लेकर खड़ा हो गया.

थोड़ी देर में कोई घूंघट किए वो मेरे पास आई और बोली- चलो.

मैं समझ गया कि ये गुड्डी ही है. मैंने बाइक स्टार्ट की और चल पड़ा.

मैं रास्ते में बोला- घूंघट क्यों किया था?
गुड्डी बोली- ताकि कोई हमारे गांव वाला मुझे देख न ले.

मैंने बोला- ओके … क्या खाओगी?
वो बोली- तुम्हें!
और हंसने लगी.

मैं बोला- बताओ ना!
वो बोली- पहले किसी होटल में चलो, वहीं कुछ खाऊंगी … और बात भी करेंगे.
मैंने पूछा- होटल में या होटल के कमरे में?
वो बोली- बावला है के … कमरे में चालने को बोल री हूँ.

उसकी बात सुनकर मैंने एक होटल में कमरा ले लिया और कमरे में जाकर लेट गया. गुड्डी बाथरूम में चली गयी. फिर एक मिनट बाद गुड्डी मेरे पास आकर बैठ गयी.

मैं बोला- बताओ जी, क्या खाओगी पीओगी?
तो गुड्डी बोली- बताया तो था भूल गया के … तुझे खाऊंगी.

ये कह कर वो मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी.

मेरे लंड ने मुँह उठाना शुरू कर दिया. मैं भी बैठ गया औऱ बोला- लो खा लो.

इतना कहते ही गुड्डी मेरे होंठों को चूमने लगी. मैं भी इसी घड़ी का इंतज़ार कर रहा था. हमारी जीभें एक दूसरे की जीभ को चूस रही थीं.

दस मिनट तक हम दोनों ने किस किया. फिर गुड्डी खड़ी हो गयी और उसने अपने बालों को खोल दिया. फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगी.

मैं तो होश ही खो बैठा था. वो भी मदहोश हो गई थी. हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे.

फिर हम अलग हुए तो गुड्डी बोली- राज, आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा है. बस मुझे आज जी भरकर प्यार करो.

मैं खड़ा हो गया और गुड्डी भी खड़ी हो गयी. मैं गुड्डी के पीछे जाकर उसकी गर्दन को चूमने लगा और दोनों हाथों से चुचियों को दबाने लगा. गुड्डी ने शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दिया.

मेरा लंड गुड्डी के चूतड़ों पर वार कर रहा था. गुड्डी अब बिल्कुल मस्त हो चुकी थी. वो पीछे हाथ ले जाकर मेरा लंड पकड़ने लगी.

मैंने गुड्डी का कुर्ता ऊपर उठाया ही था कि गुड्डी ने हाथ ऊपर कर दिए. मैंने गुड्डी का कुर्ता निकाल दिया और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसकी कमर पर जीभ फिराने लगा.

वो मस्त होने लगी.

फिर मैंने गुड्डी की सलवार उतार दी और उसको बिल्कुल नंगी कर दिया. गुड्डी को मैंने बेड पर लिटा दिया और खुद भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. कपड़े हटते ही लंड को आज़ाद होकर खुल कर खेलने का मौका मिल गया.

मैंने कपड़े उतारते ही गुड्डी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. गुड्डी तो होश खो बैठी थी. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और मुँह से आह आह की आवाज़ निकलने लगी थी.

मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और चूत को जीभ से चोदने लगा. कोई 5 मिनट में गुड्डी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने थोड़ा सा उसकी चूत का पानी पिया.

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और होंठों को चूमने लगा. गुड्डी को अपनी बांहों में जकड़ लिया. वो मेरे होंठों को काटने लगी. मैं चुत में लंड रगड़ते हुए धक्के लगाने लगा. नीचे से गुड्डी ने टांगें खोल दीं और एक हाथ से लंड को पकड़कर चूत पर रख दिया. मैं समझ गया कि गुड्डी लंड लेने के लिए तैयार है.

मैंने लंड चूत के मुँह पर रखते ही एक हल्का सा झटका मार दिया. लंड का टोपा चूत के अन्दर घुस गया.

गुड्डी ने थोड़ी दर्द की आवाज़ की. मैंने जोश में उसके होंठों को अपने होंठों में क़ैद कर लिया और जोर से झटका दे मारा. वो मस्त ही गई और मैं गुड्डी को चोदने लगा.

धकापेल चुत चुदाई होने लगी.

जब भी मुझे ऐसा लगता कि लंड झड़ने को है, तो मैं चूत से लंड निकाल देता. ऐसा करते करते मैंने पहली बार में ही गुड्डी का दो बार पानी छुड़वा दिया था.

उस दिन हम दोनों तीन घंटे तक होटल में रहे औऱ हमने 4 बार चुदाई की.

इसके बाद मैंने उस इंडियन विलेज भाभी को उसके गांव की बस में बिठा दिया.

हम दोनों आज भी मिलते हैं और खूब मस्ती करते हैं.

आपको मेरी इंडियन विलेज भाभी सेक्स कहानी कैसी लगी … मुझे मेल जरूर करना.
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धन्यवाद

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