अनजान फौजी से गांड मरवाई

अनजान फौजी से गांड मरवाई

दोस्तो, मैं तब बाईस तेईस साल का रहा होऊंगा, ग्वालियर शहर में पढ़ता था. मैं अपने शहर से बीएससी करके यहां आया था. मेरे ही शहर से मेरा एक पुराना दोस्त था रोशन, जो मेरा क्लास फैलो रहा है. वह मुझसे एक दो साल उम्र में बड़ा था. अब हम अलग अलग कॉलेजों में पढ़ रहे थे.

हम दोनों अपने पुराने शहर में एक दूसरे की गांड मारा करते थे, एक दूसरे से मरवाते भी थे. अटा-सटा वाला खेल था. एक बार तू मेरी गांड मार, एक बार मैं तेरी गांड मारूंगा.

एक दिन वह मुझे एक शादी में अपने गांव ले गया. उसका गांव दतिया जिले में सेंवढ़ा के पास था. सेंवढ़ा से भिंड जिले के मेंहगांव के लिए जाने वाली बस में बैठे, फिर सड़क किनारे बस से उतरे. कुछ दूर चले, तब उसके गांव पहुँचे.

हम दोनों ने शादी अटेन्ड की, फिर रात को वह बोला- यहां राधे चाचा हैं, उनके घर चलते हैं.

राधे चाचा अकेले रहते थे. हम दोनों उनके घर पहुँचे. उन दिनों गरमी थी, सो छत पर बिस्तर बिछा कर सो गए. बारह एक बज गए थे, हम लेटे थे. एकदम से नींद नहीं आ रही थी इसलिए हम लेटे हुए थे. तभी मेरे दोस्त का लंड खड़ा हो गया.

हम पुराने पापी थे. उसने हाथ चलाए तो मैंने कहा- अबे रहने दे.. कोई आ जाएगा.
वह बोला- कोई नहीं आएगा यार.. आ जा बड़ा मन कर रहा है.

वह मेरी पैन्ट खोलने लगा. उसने पैन्ट नीचे खिसकाया, अंडरवियर को नीचे किया और मुझे औंधा कर के मेरे ऊपर चढ़ बैठा. उसने अपना मस्त लंड अपने अंडरवियर से निकाला और मेरी गांड के ऊपर टिका दिया. वहां और कुछ तो था नहीं.. हर समय उपलब्ध यूनिवर्सल लुब्रिकेंट थूक निकाला, अपने हाथ में लिया और मेरी गांड पर मल दिया. कुछ अपने लंड पर भी मला और मेरी गांड पर टिका दिया.

वह मस्त लौंडा था, मेरा पुराना माशूक यार था. अंधेरे में ही मेरी गांड टटोली और गांड के छेद पर लंड रख कर अन्दर कर दिया. उसने धक्के शुरू किए. हम दोनों बस की यात्रा के कारण थके थे.. सो वह जल्दी निपट गया.
उसने मेरे से कहा- अब तू मेरी मार ले.
पर मेरा मूड नहीं था तो मैंने मना कर दिया.
वह सो गया.

रात को मुझे लगा कि कोई मेरा पैन्ट खोल रहा है. फिर उसने मेरा अंडरवियर नीचे खिसकाया, मैं सीधा लेटा था. उसने मुझे करवट दिलाई. मैं नींद में था सो मुझे लगा कि मेरा दोस्त है साले को फिर से ठरक चढ़ गई होगी.

मैं करवट से हो गया, फिर किसी ने मेरे चूतड़ सहलाए, वह मेरी गांड उस अंधरे में टटोल रहा था. मुझे गीला सा लगा, जैसे किसी ने थूक से भीगी उंगली मेरी गांड में डाली. मैं गांडू तो था ही, मुझे मजा आने लगा.

अब भी मुझे यही लगा कि दोस्त मेरी फिर से गांड मारना चाहता है. पर मेरी गांड समझ गई कि ये दोस्त की उंगली नहीं है, किसी मजबूत मर्द की उंगली है.

वो गांड में उंगली डाल कर हिलाने लगा. मेरा दोस्त रात को लंड पेल कर जल्दी झड़ गया था, इसलिए मेरी गांड प्यासी रह गई थी. अतः मैंने और उस तरफ चूतड़ कर लिए.

अब मैं बाईस साल का हट्टा कट्टा मर्द था गोरा माशूक था, पर बहुत दिनों से लंड के दीदार नहीं हुए थे. मेरी गांड प्यासी सी ही थी.

अब उसने उंगली हटा ली, मैं उधर ही गांड किए लेटा रहा. वो एक पल के रुका, शायद अपने लंड पर थूक लगा रहा था. थोड़ी देर में उसने गांड से लंड को छुलाया, एक हाथ मेरी कमर तक बढ़ा कर उसने मेरी कमर पकड़ी और धक्का लगा दिया.

मुझे दर्द तो हुआ क्योंकि ये एक अच्छा खासा मोटा मस्त मूसल लंड था. दोस्त के लंड से ज्यादा मोटा ज्यादा सख्त था. ये लंड मकान मालिक राधे चाचा का था. उनसे गांड मरा कर मुझे तृप्ति मिल गई थी.

ये मुझे बाद में पता लगा कि राधे चाचा विधुर थे, उनकी पत्नी चार पांच साल पहले गुजर गई थीं. वे एक रिटायर फौजी थे, लौंडों की गांड मारने के आशिक थे, जिस लड़के के पीछे पड़ जाते उसकी गांड में लंड पेल कर ही मानते थे. अब तक उन्होंने छोटी उम्र से लेकर पच्चीस साल तक के गांव के सारे ही लौंडे निपटा दिए थे. तीस पेंतीस तक की गांड मराने वालों की गांड मारने को भी तैयार रहते थे. उन्हें आज मेरी जैसा माशूक लौंडा सोता मिल गया. उन्होंने मुझे दोस्त से गांड मराते देख लिया था. वे पहले ही मुझे शादी में देख कर मन बना चुके थे.

चाचा का लंड बदस्तूर गांड में खलबली मचा रहा था. उन्होंने एक धक्का और दिया तो मैंने भी उनकी तरफ अपने चूतड़ कर दिए. उन्होंने अपना लंड पेल पूरा जड़ तक ठूंस दिया. फिर चाचा ने अपने हाथ से मुझे औंधे होने का इशारा किया, मैं पलट गया. वे मेरे ऊपर चढ़ बैठे और अपना पूरा लंड फिर से गांड में अन्दर पेल दिया. मुझे इतना मोटा लंड बहुत दिनों बाद मिला था. मैंने बिना उनके कहे ही अपनी टांगें फैला दीं और गांड ढीली कर दी.

वे प्रसन्न हो गए. अब चाचा भी मेरे चूतड़ थपथपा रहे थे, ये इशारा था गांड थोड़ी और ढीली करो.
मैंने गांड बिलकुल फ्री छोड़ दी. चाचा मेरे कान में बोले- मोटा है तुम्हें जरा लगेगी.
मैंने कहा- डाल दो.. अपने आप ढीली हो जाएगी.
वे बोले- डाल रहा हूँ.

उन्होंने पूरी ताकत से लंड मेरी गांड में पेल दिया. वे गांड मारने के पुराने खिलाड़ी हो गए थे. बस अब वे अन्दर बाहर करने लगे. गांड मारने के बीस मिनट बाद चाचा झड़ गए. हम यूं ही चिपके हुए सो गए.

लगभग पांच साढ़े पांच बजे मैं उठा. मैंने चाचा को उठाया और उनसे कहा- लेट्रिन जाना है.

वे बोले- यहां एक आधा किलोमीटर सड़क पर चलो, तुम शहर के लोग हो, उधर खेत में लेट्रिन बनी है. अपना बैग ले लो. तुझे अकेले ही वापस जाना है, वहीं से बस में बैठ जाना.

मैं बैग लेकर उनके साथ चला. सड़क किनारे उनके खेत थे.. एक कमरा बना था. उसी में बगल में एक लेट्रिन बनी थी. उनको सड़क पर एक उन्नीस बीस साल का लड़का मिला.

चाचा उससे बोले- ग्वालियर की गाड़ी रोक लेना, ये भैया जाएंगे. मैं इन्हें खेत पर कमरे पर ले जा रहा हूं.
वह मुस्कुराया और बोला- मैं ड्राइवर से कह दूंगा, कक्का आप आराम से निपट लियो, भैया बहुत सुन्दर हैं.. जे कहां से हैं?
चाचा- अरे न्योतार हैं.. रोशन के दोस्त हैं.
वह मुस्कुराया.

चाचा उस लड़के से बोले- और रोशन तुमाओ दोस्त है.. उतईं छत पै सो रओ हुए.
‘अच्छा जब ऊके दोस्त चले जैं, तब आप रोशन से बात करहौ?’
चाचा ने मजाक में उसे डांटा- हट बदमाश.

मैं वहां लेट्रिन गया, ब्रश किया बस जाने को तैयार हो गया.

चाचा बोले- अब तो जा रहे हो, एक बार और हो जाए.
मैंने कहा- चाचा.. एक बार तो आपसे पहले रोशन ने मारी, फिर आपका लंड झेला.. अब तो दर्द कर रही है.
वे बोले- चाहे तुम मेरी मार लो, पर एक बार और मार लेने दो.

मैंने देखा चाचा भी एक तगड़े मस्त खूबसूरत थे. मैंने पूछा- चाचा आपने भी कभी मराई?
चाचा- हां आर्मी में मराई थी, जब दूर जंगल में जहां न आदमी, न औरत.. तो मेरे सीनियर सिपाही मेरी मारते थे. मैं था ही नौजवान और खूबसूरत.. फिर साथी भी गांड मार लेते थे. मैं भी मराते-मराते गांड मारना सीख गया.. तुम मेरी मारोगे? मैं तैयार हूँ, बहुत दिन हो गए किसी से मराई ही नहीं. बस, पहले मुझे मार लेने दो, लंड परेशान कर रहा है.

उनका लंड पैन्ट में से खड़ा सलामी दे सहा था. वे बोले- तुम कहो रूको तो गांव की लौंडिया दिलाऊं.. बोलो, अच्छे खासे खूबसूरत हो, गांव का कोई लौंडा तुम जैसा नमकीन तगड़ा खूबसूरत नहीं है.

चाचा ने मक्खन लगाया. मेरे पास कोई चारा नहीं था, अभी पैन्ट वैसे ही उतार दिया था. मैंने अंडरवियर भी उतार दिया.

वहां कमरे में धान का पुआल रखा था, चाचा ने मुझे उस पर लिटा दिया, औंधा किया. मैं टांगें फैला कर गांड ऊंची करके लेट गया. चाचा ने अपना गाँव भर में मशहूर लम्बा मोटा, गांड प्रेमी लंड पेल दिया. इस बार वे थोडा धीरे धीरे कर रहे थे.

मुझसे बार बार पूछ रहे थे- लग तो नहीं रही.

पर उनका मोटा लंड ही आनन्द दे रहा था. मैंने बहुत दिनों के बाद इतना मोटा लम्बा लंड गांड में घुसवाया था, वही कष्ट भी दे रहा था लग भी रही थी. तभी बाहर किसी गाड़ी ने हॉर्न दिया ‘पीं पीं पीं..’ मैंने गांड सिकोड़ ली.

‘चाचा गाड़ी जा रही है!’
चाचा ने कहा- गाड़ी अभी नहीं जाएगी, थोड़ी देर और लेट बस.
तभी कमरे के बाहर से लड़का बोला- चाचा आराम से निपट लो, अबै देर है.. और चाचा इत्तो नमकीन लौंडा तुम्हें सात जनम में भी नहीं मिलहै.. चाचा आराम से पूरा काम कर लो, मैं हैंई खड़ो.

चाचा धकापेल मचाए पड़े थे.

तभी वह लौंडा भी कमरे में अन्दर आ गया. चाचा ने उसे देखा और फिर से मेरी गांड चुदाई शुरू कर दी. लड़का चुदाई देख रहा था, उसका लंड भी खड़ा हो गया. वो चाचा का लंड मेरी गांड में अन्दर बाहर होते बड़ी तल्लीनता से देख रहा था.

चाचा बोले- घबड़ा मत, वह केवल देखेगा कोई परेशानी नहीं, डिस्टर्ब नहीं करेगा, वह भी मेरे से मरा चुका है.

वो लौंडा यह बात सुन कर बोला- चाचा जैसा जबरदस्त लंड असफेर में कितऊं नईंया, केवल झांसी से एक नईम ड्राइवर है, ऊको भी ऐसई भयंकर लंड है.
मैंने लेटे लेटे ही पूछा- तूने उनसे मराई?
वह बेशर्मी से लंड सहलाते हुए बोला- हां मैंने दोनों से मराई.. नईम भैया कौ लंड तो बड़ो है.. भौत देर तक गांड मारत, मैंने उनसे दो बार गांड मरवाई हती.

तब तक चाचा का पानी छूट गया, वे अलग हो गए. पजामे का नाड़ा बाँधते हुए वे मेरे से बोले- यह गाड़ी का क्लीनर है व टिकट भी काटता है. ओये रमसुख..! भैया को गाड़ी में बैठा कर ले जाना. अब मैं चलूं.

चाचा चले गए. अब रमसुख से मैंने कहा- क्या तू भी मेरी मारेगा?
वो हकला गया- भै…या जी… आप मों से भी करवाओगे..?

उसकी आंखें फट गईं.

मैंने कहा- तू भी तो बहुत नमकीन है.
वह बोला- पर आप बहुत ही खूबसूरत हैं.. रोशन भैया भी आपके मुकाबले कुछ नहीं है.
मैं- तो मेरे से तैयार?

वह चुप हो गया, मैं उसका पैन्ट खोलने लगा. तो उसने मुझे रूकने का इशारा किया, फिर खुद ही पैन्ट व अंडरवियर खोल कर धान के पुआल पर लेट गया.

मैं उस पर चढ़ बैठा, लंड बहुत तनतना रहा था. थूक लगा कर उसकी मैंने लंड पेल दिया.
वह बोला- भैया थोड़ा धीरे..
मैंने कहा- अबे टांगें तो चौड़ी कर, गांड ढीली कर.

उसने की तो मैंने पेल दिया. वह डलवाने को बहुत ही तैयार था. लंड उसकी गांड में अन्दर गया तो उसने दांत भींच लिए, आंखें बंद कर लीं.
मैंने पूछा- क्या बहुत लग रही है?
तो बोला- भैया पूछो मत.. बस डाल दो भौत मजा आ रऔ है.. आपकौ भी बहुत बड़ो है.. चाचा की टक्कर कौ है.
मैंने कहा- मैं धीरे धीरे डालूंगा.. तू गांड मत सिकोड़ना.

वह बहुत उत्साहित था. मैंने पूरा लंड डाल दिया और धक्के शुरू कर दिए. पहले तो वह चुपचाप लेटा था, फिर गांड हिलाने लगा. मैं धक्कम पेल लगाता रहा. मेरे लंड ने जब पानी छोड़ा, तब हम अलग हुए.

वह गांड मराने के बाद हँस रहा था. मैंने पूछा- ज्यादा तो नहीं लगी?
वह पैन्ट पहनते हुए बोला- लगबे की ऐसी तैसी.. लगे नईं तौ गांड मराबे कौ मजई का है? आपकौ लंड भौत मस्त लंड है.. ऊपर से दमदार झटके देहो तौ मजा नईं आहै.. सच्ची भैया आप नमकीन भी भौत हो. मैं एक चुम्मा ले सकत?

मैंने मुस्की मारी तो उसने कसके लिपट कर मेरा चुम्बन ले लिया. वह बहुत थैंक फुल था.
मैंने उसे फिर छेड़ा- बस एक चूमा.. तू भी मेरी मार ले.. क्या मैं तुझे पसंद नहीं?
मैंने उसका लंड पैन्ट से निकाल कर हिलाया, मुँह में लेकर चूम लिया. उसने लंड छुड़ा लिया. उसका 7 इंची का मस्त लंड था.

मैंने पूछा- क्या किसी लौंडे की अब तक नहीं मारी? या कोई लौंडिया भी नहीं मिली? क्या ब्रह्मचारी हो?
वह बोला- भैया सब काम किया.. लौंडों की भी मारी, लौंडियां भी चोदीं और का बताऊं अपन से बड़ी उम्र की भाभियन की चूत भी खूबई चोदीं और जो आपकी मारके गऔ ऊकी गांड भी मारी. वौ तौ आपसे भी गांड मराबे तैयार हतो, आप मानेई नईं, आपको मैं पसंद आ गऔ. अपईं अपईं पसंद है. आप बहुत नमकीन हो, गोरे हो, तगड़े हो. आपने मेई मारी, भौत मजा आओ, कभऊँ फिर मिले और आप तैयार रए.. तो सब काम हुईए.. जो आप कैहैं.. अब बार बार न कऔ, लंड मचल जैहे.. गाड़़ी जाबे बारी है.. चलें?

मैं हंस कर अपनी पैन्ट पहन ली और चल दिया.

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