अनजान युवा लड़की की ट्रेन में चुदाई

अनजान युवा लड़की की ट्रेन में चुदाई

प्रिय पाठको.. मैं अपना एक सेक्स एक्सपीरियेन्स शेयर करने जा रहा हूँ।

सबसे पहले मैं अपना परिचय आप सभी को देना चाहूँगा। मेरा नाम अयमन है.. उम्र 29 वर्ष.. कद 5’6”.. रंग गोरा और मेरा जिस्म किसी एथलीट जैसा है। मैंने एमबीए की पढ़ाई की है और अभी एक कंपनी में काम कर रहा हूँ। मूलतः मैं पटना का रहने वाला हूँ।

ये कहानी उस वक़्त की है जब मैंने अपना एमबीए पूरा किया था। उस वक़्त मेरी उम्र 25 साल की थी। मैं अपने दीक्षांत समारोह के लिए अपने शहर से नागपुर जा रहा था। मनचाही ट्रेन का टिकट नहीं मिलने की वजह से मुझे समर स्पेशल ट्रेन में अपना रिज़र्वेशन करवाना पड़ा।
आप सभी जानते हो समर स्पेशल ट्रेन की हालत कैसी होती है.. वो शायद ही कभी टाइम पर चलती हैं।

मेरी ट्रेन भी पटना से 4:30 घण्टे देर से चली। स्पेशल ट्रेन होने के वजह से ट्रेन में बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी। मेरी बोगी में सिर्फ 15-20 लोग थे।

मैंने अपने सीट पर जाकर अपना सामान रख दिया और नीचे की बर्थ पर बैठ गया। मेरे साथ इस कूपे में मेरे अलावा 4 लोग थे। एक भाभी.. जिनकी उम्र लगभग 30 साल की होगी। उनके 2 बच्चे.. जिनकी उम्र 6 और 4 साल की होगी और एक लड़की जिसकी उम्र लगभग 18 साल की रही होगी। उसका रंग गोरा.. स्लिम बॉडी थी.. और देखने में अच्छी लग रही थी।

ट्रेन चल चुकी थी.. भाभी ने मुझे पूछा- आप को कहाँ तक जाना है?
मैंने उनको बताया- नागपुर..
फिर मैंने उनसे पूछा.. तो उन्होंने बताया कि वो लोग हैदराबाद जा रहे हैं।

कुछ देर बैठे-बैठे मैं बोर होने लगा.. इसलिए मैंने अपना लैपटॉप निकाला और उस पर म्यूज़िक वीडियो देखने लगा।
इस बीच भाभी के बच्चे भी आ कर मेरे साथ बैठ गए.. तो मैंने म्यूज़िक वीडियो क्लोज़ करके टॉम आंड जेरी का वीडियो लगा दिया।
मेरे लैपटॉप में बच्चों के लिए ढेर सारी फिल्म्स मिल जाएँगी।

देखते-देखते ट्रेन मुग़लसराय पहुँच गई, वहाँ ट्रेन का स्टॉप देर तक का था, समर स्पेशल होने की वजह से ट्रेन में पैंट्री कार नहीं थी।
मैं अपना लैपटॉप बन्द करके प्लेटफार्म पर चला गया। वहाँ से मैंने कुछ खाने के लिए फल.. नमकीन और कोल्ड ड्रिंक्स लिया और ट्रेन के सिग्नल ग्रीन होने का वेट करने लगा।
कुछ देर में ट्रेन चल पड़ी।

मैं चढ़ने के लिए ट्रेन के गेट पर पहुँचा तो देखा वो लड़की ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रही है.. लेकिन उसके हाथ में पानी की बोतल और कुछ सामान होने की वजह से उसे चढ़ने में दिक्कत हो रही थी।

मैं भी उसके साथ दौड़ रहा था कि वो ट्रेन में चढ़ जाए तो मैं भी अन्दर आ जाऊँ। ट्रेन धीरे-धीरे अपने स्पीड को बढ़ा रही थी.. मुझे लगा कि वो खुद से चढ़ नहीं पाएगी.. तो मैंने एक हाथ से ट्रेन का गेट पकड़ा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और दौड़ते हुए उसे गोद में लिया और ट्रेन की सीढ़ी पर चढ़ा दिया।

उसने अपना पूरा संतुलन खो दिया था और उसके शरीर का पूरा भार मेरे ऊपर आ गया। मैं भी अपने आपको और उसे संभालने की कोशिश कर रहा था।

इस दौरान मेरा हाथ एक मुलायम और गुद्देदार चीज़ पर चला गया.. ये उसका गोल-गोल कोमल चूचा था।
मुझे इसका अहसास होते ही मेरे लंड में हरकत शुरू हो गई और उसका साइज़ बड़ा होने लगा।
मेरा लंड उसके गोल-गोल चूतड़ों के बीच में जा धँसा।

मैंने अपने आपको संभालते हुए उसे कमर से धक्का दिया और उसे ट्रेन की बोगी में चढ़ा दिया। फिर मैं भी बोगी के अन्दर आ गया। लड़की थोड़ी डर चुकी थी.. लेकिन शायद उसे अपने मम्मे पर मेरे हाथ का और मेरे लंड का कड़े होने का अहसास हो चुका था.. क्योंकि जब हम अपने बर्थ पर पहुँचे तो मुझे लगा कि शायद वो मेरे पैंट की तरफ देख रही थी।

हम अपने अपने स्थान पर बैठ चुके थे और ट्रेन फिर से अपने स्पीड में दौड़ने लगी थी।
उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और अपने भाभी को बताया कि मैंने उसकी मदद की।

इस वजह से हमारे बीच बातों का सिलसिला चल पड़ा और हम थोड़ा घुल-मिल गए। उसका नाम श्वेता था और उसने 12 वीं का एग्जाम पास किया था। वो अपनी भाभी के साथ अपने भाई के यहाँ जा रही थी।

भाभी के बच्चे लैपटॉप पर मूवी के लिए जिद करने लगे। मैं अपने लैपटॉप को बच्चों के हाथों में नहीं देना चाहता था। इसलिए मैंने अपना लैपटॉप अपनी गोद में रख कर चालू कर दिया।

मैंने देखा कि श्वेता भी मेरी वाली बर्थ पर आकर बैठ गई और वो भी मूवी देखने लगी।

इस बीच मुझे एक कॉल आया तो मैंने उससे बोला- लैपटॉप अपने पास रख लो.. बच्चों के हाथ में मत देना।

वो दूर से लैपटॉप उठाने लगी.. जिसकी वजह से उसका संतुलन बिगड़ने लगा उसने अपना संतुलन बनाने के लिए अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया.. जिससे उसके हाथ से मेरा लंड दुबारा टच हो गया। उसने जल्दी-जल्दी लैपटॉप लिया और अपनी जगह पर बैठ गई। उसके स्पर्श की वजह से मेरा लंड एक बार फिर बड़ा होने लगा।

मैंने उसे छिपाने के लिए अपने पैरों के बीच में उसे रख कर मोड़ लिया। मेरी इस हरकत को वो देख रही थी.. जिसे देख कर मेरा लंड और खड़ा हो गया।

मेरे मन में अब तक उसको चोदने का ख़याल नहीं आया था.. लेकिन इसके बाद मुझे उसे चोदने का ख़याल आने लगा।
मैं सोचने लगा अगर मौका मिल जाए तो मैं उसकी चुदाई कर लूँ।

इस बीच डिनर का टाइम हो गया.. तो मैंने अपने लैपटॉप को अपनी बर्थ पर रख दिया और उसे चार्ज में लगा दिया। वो सभी लोग मुझसे भी साथ में खाने के लिए जिद करने लगे।
मैंने उनका दिल रखने को थोड़ा खा लिया।

थोड़ी देर में सभी खा चुके थे, खाने के बाद बच्चे फिर से मूवी देखने को जिद करने लगे।
भाभी को नींद आ रही थी.. सो वो बच्चों को मना कर रही थीं।

मैंने कहा- भाभी, आप सभी का बेड लगा दें और सो जाएं।
तभी बीच श्वेता ने भी भाभी को बोला- हाँ भाभी आप सो जाईए.. मैं इन लोगों को इनकी जगह पर सुला दूँगी।

यह सुन कर भाभी सो गईं.. चूंकि मेरा लैपटॉप मेरी बर्थ पर था.. इसलिए मैंने उन लोगों को ऊपर ही मूवी देखने को कहा।
मुझे लगा अगर वो ऊपर मेरे सीट पर आ जाएगी.. तो मेरे लिए कुछ करना आसान होगा।

सभी मेरी बर्थ पर आ गए और मूवी देखने लगे।
कुछ देर बाद छोटा बच्चा सो गया.. इसलिए श्वेता ने उसे उसकी बर्थ पर सुला दिया। उसके बाद वो फिर से मेरे बर्थ पर आई और बड़े बच्चे को अपनी गोद में लेकर मेरी बगल में बैठ गई।

ट्रेन पूरी स्पीड में दौड़ रही थी। ट्रेन के हिलने से हमारे कंधे एक-दूसरे को बार-बार टच कर रहे थे। मेरा तो लंड बाहर आने को बेताब था। कुछ देर बाद मैंने देखा कि बड़ा लड़का भी सो गया.. लेकिन वो उसे अपनी गोद में रखे हुए ही मूवी देख रही है।

मैंने उससे बोला- जाओ इसे भी सुला दो।
उसने बोला- नहीं.. मूवी खत्म होने के बाद..
मैंने कहा- सुला के आ जाओ.. मैं मूवी पॉज़ कर देता हूँ.. आकर फिर से पूरी मूवी देख लेना।

मेरी बात मानते हुए वो दूसरे बच्चे को भी सुलाने चली गई। मैंने मूवी को पॉज़ किया और अपने बेड पर लेट गया और अपने मोबाइल पर कुछ फन्नी वीडियो देखने लगा।

वो बच्चे को सुला कर मेरी सीट पर आ गई।
उस वक़्त सभी लोग सो गए थे, ट्रेन में बिल्कुल अंधेरा था।
मैंने अपना लैपटॉप उठा कर उसको दे दिया। इस दौरान मैंने जानबूझ उसकी जाँघों को टच किया। मैं जानना चाहता था कि उसका क्या सोच है।

उसने कुछ भी रिएक्शन नहीं किया। मन ही मन में मैं उसे चोदने का विचार करने लगा.. जिससे मेरा लंड पूरी तरह से उत्तेजित हो गया.. मानो मेरे लंड में करेंट दौड़ रहा हो।

उसका भी ध्यान लैपटॉप की तरफ़ कम और मेरे मोबाइल और मेरी पैंट की तरफ ज्यादा था।

मैंने सोचा कि अब पहल की जाए, मैंने उससे पूछा- ठीक से बैठी हो ना.. कोई दिक्कत तो नहीं?
उसने कहा- नहीं.. कोई दिक्कत नहीं।
मैंने उससे बोला- आराम से पैर फैला लो..

मैं लेटे हुआ मोबाइल पर फन्नी वीडियो देख रहा था और वो मेरे पैर के पास बैठी हुई थी।
मैंने उसे अपने पास बुलाया और बोला- आराम से पैर फैला लो।
वो मेरे पास आ गई तो मैंने करवट ले ली।

मैंने उससे पूछा- तुम्हें बच्चों की मूवी अच्छी लगती हैं?
तो उसने बोला- आप क्या देख रहे हैं?
मैंने कहा- फन्नी वीडियोज.. तुम देखोगी?

उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने उसे जगह दी और बोला- इधर लेट जाओ। मैंने लैपटॉप बन्द करके बैग में रख दिया और मोबाइल पर उसे वीडियो दिखाने लगा। जब वो लेटी तो उसकी गाण्ड मेरे लंड के पास थी। मैंने अपने लंड को अपने पैंट से आज़ाद किया और मैंने उसे अहसास दिलाया कि थोड़ी प्राब्लम हो रही है

मैंने बोला- थोड़ा एड्जस्ट करो यार।

उसने अपनी कमर को पीछे किया.. तो मेरा लंड उसकी गाण्ड के बीच में जा कर चिपक गया। मेरा लंड उसके कपड़े फाड़ कर उसके प्यारी चूत में अन्दर जाने को बेताब था।

मेरी इस हरकत पर भी उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने सोचा कि लड़की भी रेडी लग रही है मेरे लंड को अपने अन्दर लेने के लिए।
मैं तो कब से उसे पेलने के लिए तड़प रहा था।

ट्रेन पूरी स्पीड में होने से मेरे लंड उसकी गाण्ड में आगे-पीछे हो रहा था.. बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?

उसने कुछ नहीं बोला.. तो मैं अपना हाथ उसके गोल-गोल चूतड़ों पर फेरने लगा। वो कुछ नहीं बोली तो उसके बाद मैं अपना हाथ उसके मम्मों पर ले गया और मम्मे सहलाने लगा।

धीरे-धीरे उसके मम्मे कड़े होने लगे। मैं सोच रहा था कि क्या मस्त रात है ये। मैं अपने हाथ सरकाते हुए उसकी बुर के पास ले गया।
जैसे ही मैंने उसकी बुर को टच किया.. उसने अपनी कमर को और पीछे को कर लिया.. इससे मेरा लंड उसकी गांड से हटता हुआ उसकी टांगों के बीच में चला गया।

एक बार फिर मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया.. इस बार उसने मुझे चूत को टच करने दिया।

उफफ्फ़.. क्या मस्त मुलायम चूत थी.. मैं अपना लंड उसकी टांगों के बीच में आगे-पीछे कर रहा था।

मैं तो उसे चोदने के लिए पागल हो रहा था। मैंने उसकी सलवार की नाड़ा खोल दिया.. उसने रोका नहीं। फिर उसकी पैंटी भी उतार दी.. उसका जिस्म क्या मुलायम और नरम था.. मजा आ गया।

मेरा गरमा-गरम लंड उसकी नरम-नरम गाण्ड के बीच चला गया और मेरा हाथ उसकी चूत पर था। उसकी चूत रस सर भीगी हुई थी। मैं उसे सहलाता रहा.. कभी उसकी बुर की दरार में उंगली डालता.. तो कभी उसकी बुर के छोटे-छोटे बालों को सहलाता।

फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर डाल दी.. वो चिहुंक गई और उसने अपनी पैरों को सिकोड़ लिया।

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने बोला- मैं पागल हो रही हूँ.. इससे अच्छा मुझे कभी नहीं लगा।

मैंने उससे कहा- और भी मज़ा आएगा.. तुम रेडी हो?
उसने बोला- हाँ..

फिर मैं नीचे होकर उसकी बुर को चाटने लगा। इससे वो काँपने लगी। ट्रेन फुल स्पीड में चली जा रही थी।

कुछ देर मैं उसे ऐसे ही चाटता रहा.. उसके बाद मैंने पोजीशन बना कर अपने लंड को उसकी चूत से टच किया और फिर उसे रगड़ने लगा।
वो आँखें बंद किए हुई लेटी थी।

मैंने उसे थोड़ा नीचे खींचा और फिर अपने मोटे लंड को उसकी बुर की दरार में रखा.. फिर उसके छेद पर लंड का सुपारा लगा दिया। जैसे ही मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर लगा.. वो उसे अन्दर लेने के लिए बेकरार हो गई और अपनी कमर ऊपर करके मेरे लंड को अन्दर लेना चाह रही थी। मेरा भी लंड उसकी बुर के अन्दर जाने को बेताब था। मैं थोड़ा ताक़त लगा कर अपने लंड को उसके छेद में डालने की कोशिश करने लगा।

पहले तो मेरे लंड को अपने अन्दर लेने के लिए उसने अपने पैरों को फैलाया था.. लेकिन जैसे ही मेरे लंड का सुपारा अन्दर गया.. उसने अपने पैर भींच लिए और तड़फने लगी।
उसकी चूत बहुत टाइट थी।
मुझे भी लगा कि साली चिल्ला पड़ी तो समस्या हो जाएगी इसलिए मैं बहुत ऐहतियात से कर रहा था।

एक-दो बार कोशिश करने के बाद मेरे लंड का सुपारा उसकी कोमल चूत के अन्दर घुस गया था। मुझे लगा मेरा लंड का सुपारा उसकी चूत की रिंग में फंस गया और मेरे लंड को अन्दर जाने से कुछ रोक सा रहा था।

कुछ देर वैसे ही रहने के बाद उसने अपने पैरों को ढीला किया और उसी पल मैंने ताक़त लगा कर मेरे लंड को और अन्दर पेल दिया। ‘उम्म्म्म..’ उसके मुँह से घुटी सी आवाज़ निकली.. मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ लगा रखा था।

मेरा आधा लंड उसके चूत के अन्दर हो गया था।
मैं एक-एक इंच का मज़ा ले रहा था।
कुछ देर तक मैं अपने आधे लंड ही उसे पेलता रहा।

अब वो भी मेरा पूरा लंड अन्दर लेने को रेडी थी। मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर ठोक दिया। ‘उफ़फ्फ़.. क्या मस्त आनन्द आ रहा था।
क्या मस्त लड़की थी.. क्या मस्त कसी हुई चूत थी उसकी।

कुछ देर वो सामान्य हुई और अब मैं जम के धक्के पे धक्का लगाता जा रहा था, वो भी कमर उठा कर चुदाई का मज़े ले रही थी।

कुछ देर में मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों के बीच में मचलने लगा, मैंने अपनी स्पीड को तेज़ कर दिया।

कुछ ही देर में मामला चरम पर आ गया, मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और उसके जिस्म से चिपक गया। वो भी अकड़ने लगी और उसने भी मुझे कस कर पकड़ लिया।
मेरा पानी निकल रहा था।

मैं कुछ देर तक वैसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।

मुझे बहुत मज़ा आया था और उसने भी बहुत एंजाय किया था। कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो वो मुझे पकड़ कर चूमने लगी और ‘आई लव यू’ कहा।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारे जिस्म को उजाले में देखना चाहता हूँ.. तुम बहुत सुंदर और बहुत स्वीट हो।

ट्रेन काफ़ी लेट चल रही थी.. जिसकी वजह से मुझे उसके साथ चुदाई करने का एक बार और मौका मिला।

जब मैं नागपुर पहुँचा.. मैंने उसे अपना मोबाइल नम्बर दिया। हम आज भी संपर्क में हैं।

मैं अब जॉब करता हूँ.. जब भी अपने घर पटना जाता हूँ.. उससे ज़रूर मिलता हूँ। वो भी मेरे मेरे आने का इन्तजार करती है।

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