अपनी चालू बहन को चोदा

अपनी चालू बहन को चोदा

नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे हैं आप सब! मैं आपका दोस्त रविराज उर्फ़ राज एक इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी के साथ हाजिर हूँ.

आप सबको बता दूँ कि मैं बहुत बड़ा चुदक्कड़ हूँ.. और मेरी चुदाई की शुरूआत मेरी अपनी बहन स्वाति से हुई थी. मैंने अपनी बहन को चोदा, मुझे मेरी बहन ने चोदना सिखाया है. आपको बता दूँ कि मेरी दो बहनें हैं और दोनों भी बड़ी चुदक्कड़ हैं. वो दोनों हर रात मुझसे चुदवाती थीं. मेरा एक भी दिन उन्हें चोदे बगैर नहीं जाता था. इस सबके अलावा और एक बात है कि हर दीवाली को मेरी मौसेरी बहन सुमन भी हमारे घर आती थी, उसे भी मेरी बहन ने मुझसे चुदवा दिया था. वो भी मेरे लंड की दीवानी थी.

अब मेरी दोनों बहनों की शादी हो चुकी थी और मेरे बड़े भैया की भी छह महीने पहले शादी हो गई थी. उनकी बीवी यानि मेरी भाभी भी एकदम मेरी बहन जैसी खूबसूरत थीं. एकदम पटाखा माल. उनके बड़े बड़े मम्मे, नाजुक कमर और उनकी मस्त फ़िगर देखकर मुझे मेरी बहन की बहुत याद आती थी.. लेकिन मैं कुछ भी नहीं कर सकता था. मेरे पास चुदाई का कुछ भी जुगाड़ नहीं था और चुत के बिना मेरा कहीं भी दिल नहीं लगता था. क्या करें, मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

ऐसे ही दिन गुजर रहे थे. मैं हर रात चोरी से भैया भाभी की चुदाई के सीन देख कर मुठ मारके सो जाता था.

गर्मियों की छुट्टियों में मेरी महाचुदक्कड़ बहन स्वाति बहन हमारे घर कुछ दिनों के लिए आने वाली थी. मैंने माँ को बता दिया कि उसे लेने के लिए मैं ही जाने वाला हूँ. माँ को कुछ ऐतराज नहीं था. माँ ने हाँ कर दी और मेरी मम्मी ने बहन को मेरे आने की खबर दे दी. फ़िर उसी दिन मैं बहन को लेने निकल गया.

जब मैं स्वाति बहन के घर पहुंच गया तो घर पे बहन और उसकी सास, ये दोनों ही थीं. घर में इन दोनों के अलावा और कोई भी सदस्य नहीं था. घर में कोई रहे ना रहे, इससे मुझे कोई लेना देना नहीं था. मैं बहुत खुश था. मुझे देखते ही बहन पानी लेकर आ गईं. वो भी बहुत खुश दिख रही थीं. मेरे वहाँ पहुँचने से पहले ही बहन ने निकलने की पूरी तैयारी कर रखी थी. बहन ने मेरे लिए चाय बनाई. चाय पीने के बाद हम लोग निकलने को हो गए.

लेकिन उनकी सास बोलीं- क्या कर रही है तू? रवि अभी अभी तो आया है और तू सामान लेकर जा रही है. मैं तुम्हें ऐसे थोड़े ही जाने दूँगी.. पहले कुछ खाओ पियो फ़िर चले जाना.. तुम्हें मना कौन कर रहा है.
मैं मना करने लगा, लेकिन उन्होंने मेरी एक ना सुनी और फ़िर वो बाजार से कुछ लाने के लिए चली गईं.

बहन की सास के घर से बाहर जाते ही मैं बहन से लिपट गया. मैंने बहन की एक बड़ी चुम्मी ले ली और मैं बहन के बदन पे हाथ फ़िराने लगा. मदहोश होकर मैं बहन के बड़े बड़े मम्मे दबाने लगा. बहन की साँस फूल गई थीं, उसकी वजह से बहन के मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे. स्वाति बहन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बेडरूम में ले गईं. मैंने बहन को बेड पे लिटा दिया और बहन की साड़ी ऊपर करने लगा.

बहन ने पेंटी नहीं पहनी थी, तो मैंने बहन से कहा- बहन क्या तुम पेंटी नहीं पहनती हो?
तो वो बोलीं- अरे बुद्धू तुम आने वाले हो, ये बात मुझे मालूम थी ना, इसलिए तुम्हारे स्वागत के लिए निकाल रखी है. फ़िर बहन ने मेरा हाथ अपनी चुत पे रख दिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे चूमने लगीं.

मैं बहन के पैरों के बीच में बैठ गया और उनके पैरों को फैला दिए, उनकी चूत को अपने हाथ से फैला कर उसकी चूत के अन्दर वाले हिस्से को देखने लगा.
तो बहन सीत्कार भरते हुए बोलीं- आज इस चूत की गर्मी बुझा दो. मेरी चूत का कचूमर बना दो. आआअहह.. चोदो आआ अहह आहआ आअहह..

मैं बहन की चुत पर उंगलियां घुमा रहा था और एक हाथ से बहन के मम्मे दबा रहा था. जब मैं और तेज़ दबाने लगा. स्वाति बहन तेज़ आहें भरने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह.. आआह.. उह्ह्हु.. अहह!
फिर मैं बहन के एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा.

मैं बहन की साड़ी हटा कर उन्हें पूरा नंगी करना चाहता था लेकिन बहन की सासू माँ के आने का डर था.. इसलिए मैंने बहन की साड़ी उसके शरीर पे रहने दी और बहन की नंगी चुत के साथ खेलने लगा. साथ ही मैं उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा.

बहन बोलीं- रवि.. बड़ा मजा आ रहा है.
मैं बोला- अभी तो असली मजा आना बाकी है मेरी जान..

मैं उंगली से उनकी चूत के साथ खेलने लगा. फ़िर मैं बहन की चूत में लंड डालने लगा.. मुझे पता था कि दर्द नहीं होगा, क्योंकि मेरी बहन आज तक ना जाने कितने लंडों से खेल चुकी थीं. सो मैंने मेरा लंड एक्दम से बहन की चुत में से घुसा दिया. एक पल के लिए बहन का मुँह खुल गया. उन्होंने अपने होंठ काटे और लंड के मजे लेने लगीं.

मैं उनके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा. इसी के साथ एक हाथ उनकी चूत के ऊपर घुमाने लगा.

अब बहन पागलों की तरह मचलने लगीं. मैं भी नीचे से उनकी कमर पकड़ कर शॉट लगाने में जुट गया और उनके उछल रहे मम्मों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा. चुदाई करते वक्त हम एक दूसरे को चूम रहे थे.

फ़िर मैंने पीछे से लंड को बहन की लपलप करती चूत पर लगा दिया, वो एकदम से मस्त हो गई थीं. मैं भी जोश में आ गया था. उनकी कमर पकड़ कर एक के बाद एक तगड़े शॉट लगाने शुरू कर दिए. मैंने मेरे लंड को बहन की चुत से फिर से बाहर निकाला और बहन के मुँह पर लगा दिया.

मेरे लंड को देख कर बहन बोलीं- ये पिछली बार से थोड़ा बड़ा और मोटा कैसे हो गया है?
मैं बोला- मेहनत हुई है इसके साथ..

बहन ने मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगीं. उनको ऐसा करते हुए बहुत मजा आने लगा और वो गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगीं. इस पोज़िशन में चोदते हुए कुछ समय हो गया था.. तो मैंने उन्हें उठाया और ड्रेसिंग टेबल के सामने ले गया. उनका एक पैर ड्रेसिंग टेबल पर रखा और एक नीचे को थोड़ा सा झुकाया और शीशे में देखते हुए उनकी चूत में लंड पेल दिया.

मुझे शीशे में उसके चेहरे के भाव और उसके हिलते हुए मम्मे नज़र आ रहे थे. इससे मेरा मजा दो गुना हो रहा था. इसी पोज़िशन में मैंने बहन को कुछ देर चोदा.
फ़िर बहन बोलीं- मैं झड़ने वाली हूँ.
अब मैं भी झड़ने के ही करीब था.. तो मैंने भी बहन से कहा- बस मैं भी झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
बहन बोलीं- चूत में ही निकाल दो.

लंड ने पानी छोड़ दिया और हम दोनों लेट गए. वो लंड को मसलने लगीं और मैं उनकी चूचियों को. वो भी पूर्ण सन्तुष्ट हो चुकी थीं और मैं भी.

हमारी चुदाई के 10-15 मिनट बाद बहन की सासू माँ चिकन ले कर आ गईं और बहन से बोलीं- जल्दी से पका दे, सब मिलकर खाना खायेंगे और फ़िर तुम लोग चले जाना.

बहन ने ‘ठीक है..’ बोला और वो चिकन पकाने लगीं.

आधे घंटे में खाना तैयार हो गया. हम तीनों ने खाना खाया और खाने के बाद हम दोनों निकल पड़े.

कुछ देर बाद बहन और मैं बस स्टॉप पर खडे थे. कुछ देर में बस आ गई. हम लोग गाड़ी में अन्दर चले गए. बहन विंडो सीट खोज रही थीं. लेकिन ऐसी कोई सीट खाली नहीं थी. एक जगह पर विंडो के पास एक हट्टा कट्टा लड़का बैठा था. उसके बाजू में दो सीट खाली थीं. लड़के की बाजू में मैं बैठ गया और मेरी बाजू में स्वाति बहन बैठ गईं. बस चालू हो गई.

अब तक सब कुछ ठीक था. थोड़ी देर बाद अगला स्टॉप आ गया. वहाँ पर गाड़ी में गर्दी हो गई. बहन की बाजू में कुछ आवारा टाईप के लड़के आ कर रुक गए. जैसे ही गाड़ी चालू हुई, ये लड़के बहन को छेड़ने लगे. ये बात मेरी समझ में आ गई और मैंने स्वाति बहन को मेरे और मेरे बाजू वाले लड़के के बीच में बिठा दिया. ऐसे ही कुछ टाईम बीत गया

कुछ देर बाद मैंने देखा बाजूवाले लड़के का हाथ मेरी बहन के हाथ पर रखा था. मुझे लगा शायद गलती से हो गया होगा. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वैसे भी बहन को मैंने चोद कर संतुष्ट भी कर दिया था. इसलिए उन दोनों के बीच कुछ गलत होगा, ऐसा मुझे नहीं लगा.

कुछ देर बाद मैंने देखा वो लड़का मेरी बहन की जांघ पर हाथ फ़िरा रहा था और बहन मजे ले रही थीं. कुछ देर बाद बहन ने ठंडी का बहाना बना कर बैग में से शॉल निकलकर ओढ़ ली. बहन ने अपना पूरा बदन शॉल के नीचे ढक लिया.
मैंने मेरा एक हाथ शॉल में से अन्दर डाला और मेरी तरफ वाला संतरा दबाने लगा. लेकिन बहन ने जो ब्लाउज पहन रखा था वो बहुत तंग था, इसलिए मुझे बहन के मम्मे दबाने में दिक्कत हो रही थी.

यह बात बहन भी समझ रही थीं. तो बहन ने शॉल के अन्दर अपना ब्लाउज खोल दिया. अब बहन के बड़े बड़े मम्मे आजाद हो गए थे. मैं बड़े मजे से उनके मम्मे दबाने लगा. कुछ देर के बाद मैंने बहन का दूसरा मम्मा दबाने के लिए अपना हाथ बहन के दूसरे मम्मे पर ले गया तो मैंने महसूस किया कि बाजू वाला लड़का मेरी स्वाति बहन का दूसरा मम्मा दबा रहा था.

पल भर के लिए मुझे बहन पर बड़ा गुस्सा आया, लेकिन मैंने खुद पे काबू कर लिया. मेरी तरफ़ देखकर बहन मुस्कुरा रही थीं. मैंने उसे कुछ ना बोलते हुए बहन के मम्मे दबाना जारी रखा. कुछ देर बाद बहन ने अपनी टांगें ऊपर कर लीं. दोपहर में जब मैंने बहन को चोदा था, तब से ही उन्होंने पेंटी नहीं पहनी थी, ये बात मुझे मालूम थी. शॉल के अन्दर बहन ने अपनी साड़ी कमर तक ऊपर कर दी. अब बहन के मम्मे के साथ साथ चुत भी खुल गई थी और हम दोनों उसकी चुत के साथ भी खेल सकते थे.

मैंने अपना हाथ बहन की टांग पे रख दिया और एक उंगली बहन की चुत में अन्दर बाहर करने लगा. बाजू वाला लड़का भी जोश में आ गया और उसने भी अपनी उंगली बहन की चुत में घुसा दी.
अब मेरी बहन एक साथ दो उंगलियों से मजे लेने लगीं.
क्या बताऊं दोस्तो मुझे कितना मजा आ रहा था. एक चालू गाड़ी में मेरी सगी बहन के साथ मैं एक गैर लड़के के साथ बहन के चुत के मजे ले रहा था. दोस्तो ये कहानी नहीं है बल्कि ये एक सच्ची हकीकत है.

थोड़ी देर में गाड़ी में अंधेरा हो गया. पिछले आधे घंटे से हमारा खेल चालू था. अंधेरे का फ़ायदा लेते हुए मेरी बहन उस लड़के के लंड के साथ खेलने लगीं. गाड़ी के अन्दर की लाईट बंद थी ये हमारी किस्मत थी. मेरी बहन बाजू वाले लड़के के लंड के साथ मजे ले रही थीं. बहन का मुँह उसकी तरफ़ था, इस बात का फ़ायदा उठाते हुए मैंने बहन को थोड़ा टेड़ा किया और मेरा लंड पीछे से बहन की चुत में पेल दिया. इस फंसी सी स्थिति में लंड इतना अच्छा तो नहीं आ रहा था लेकिन एक चालू गाड़ी में अपनी सगी बहन को चोदने का मजा ही कुछ और था.

अब वो बाजू वाला लड़का बहन के मम्मे चूस रहा था.

तभी बहन का सारा शरीर अकड़ने लगा था. मैं समझ गया कि स्वाति बहन की चूत का पानी निकलने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी. अब उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.

बहन ने मुझे कस कर पकड़ लिया. इसी बीच मेरे लंड से भी गर्म वीर्य का लावा निकल कर उसकी चूत में भरने लगा. हम दोनों एक साथ झड़ गए.
इस तरह से मैंने अपनी बड़ी बहन को चोदा.

आपको मेरी आपबीती इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी कैसी लगी, ये बताना मत भूलना.
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