आपने बुलाया और हम चले आये-2

आपने बुलाया और हम चले आये-2

उसके पैर चूमते हुए उसकी साड़ी ऊपर करते हुए, उसकी नरम जाँघों तक आ गया। क्या खूबसूरत मखमली जांघें थीं। मैं दोनों जाँघों पर अपने होंठ से उसको मदहोश कर रहा था। वो अपना सिर जोर जोर से आजू-बाजू घुमा रही थी, अपने होंठ, दाँतों से चबा रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जाँघों पर से सरकाते हुए, उसकी पैन्टी को पकड़ा और नीचे खींच दिया।

मैं दोनों जाँघों पर अपने होंठ से उसको मदहोश कर रहा था। वो अपना सिर जोर जोर से आजू- बाजू घुमा रही थी। अपने होंठ, दाँतों से चबा रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जाँघों पर से सरकाते हुए, उसकी पैन्टी को पकड़ा और नीचे खींच दिया।

मेरी इस हरकत से वो चिहुंक उठी और दोनों हाथ से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया। उसकी चूत बहुत ही मस्त थी, बिल्कुल मलाई की तरह, पाव की तरह फूली हुई, बिल्कुल साफ, एक भी बाल नहीं था और महक भी आ रही थी।

मैंने अपना काम शुरू कर दिया, अपने दोनों हाथों से उसके कूल्हों को सहलाते हुए उसकी चूत चाटने लगा।

वो अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से ऊपर को उछालने लगी।

कमरे में उसके मुख से कामवासना युक्त ‘ओ… सी.. ह.. हा… सी..उ..ऊ’ की आवाजें गूँजनें लगीं।

करीब 15 मिनट तक चूत चाटने में, उसने तीन बार अपना पानी छोड़ा, उसे बहुत आनन्द आ रहा था।

फिर मैं अलग हुआ, तो वो भी बैठ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। मैंने अपनी पैंट खोलनी शुरू की, उसने शर्ट उतारने के बाद मेरे सीने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा और अपने होंठ मेरे सीने से लगा दिए और ज़ोर ज़ोर से मेरे सीने पर होंठ फेरने लगी।

मैं पैंट उतार चुका था, मैंने उसकी ब्रा अलग की तो उसके कबूतर उछल कर ऐसे बाहर आ गए जैसे उनको पिंजरे से आजाद कर दिया हो। इतने बड़े और सुन्दर उरोज देख कर मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया, जिससे उसके मम्मे मेरे सीने से दब जायें।

इससे उसे और मुझे भी अच्छा लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसके नाभि के नीचे साड़ी के अन्दर अपना हाथ डाल दिया। वो मुझे देखने लगी कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैं मुस्कुराया और मैंने अन्दर से उसकी साड़ी का तह किया हुआ हिस्सा पकड़ा और बाहर खींच लिया, जिससे एक ही झटके में साड़ी बिल्कुल खुल गई।

वो हँसने लगी। मैंने साड़ी अलग की अब वो पेटिकोट में थी। पेटिकोट में से ही उसकी चूत का आकार देख कर मैं पागल हो रहा था।

उसकी पिछाड़ी की गोलाइयाँ ऊपर को उठी हुई थी और उसके नितम्ब बड़े थे। मुझे साड़ी में चूत देखना बहुत पसंद है। अच्छे से उभरी हुई चूत ऊपर से आभास दे जाए तो लण्ड तभी झटके से खड़ा हो जाता है। प्रिया की ऐसी ही चूत थी, जिसे देख कर मेरा लौड़ा और क़ठोर हो गया था।

मैंने उसका पेटिकोट उतार दिया, अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैंने उसकी गान्ड को खूब प्यार से सहलाया, चूमा और उसने भी मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ लिया। मैं अभी भी पूरी तरह से नग्न नहीं था, वो ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबा रही थी। फिर अचानक उसने मेरी चड्डी नीचे खींच दी। मैंने खुद उसको अपनी टांगों से बाहर निकाल दिया।

वो बोली- प्लीज़, अब कब तक तड़फाओगे, जल्दी अन्दर डालो ना प्लीज़।

मैंने भी उसके दोनों पैर अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपने लण्ड को रख दिया उसने आँखे बंद कर लीं। पहले मैंने अपना लण्ड उसकी कुँवारी चूत पर रगड़ा, फिर धीरे से अन्दर डाला मुझे झट से पता चल गया कि अभी कि वो कुँवारी है, मेरा लवड़ा थोड़ा सा ही अन्दर गया था पर वो बेकाबू होने लगी।

अभी उसे दर्द का अहसास नहीं था क्योंकि मैंने अभी सिर्फ सुपारा ही उसके दाने पर रगड़ा था। थोड़ा सा ही चूत के अन्दर किया था, पर वो इतनी मचल रही थी कि अचानक उसने अपने दोनों पैर से मुझे जोर से जकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका कर अपनी कमर को ज़ोरदार झटका देकर मेरे लण्ड पर भरपूर वार कर दिया।

मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर चढ़ गई थी। मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं चीख पड़ा। मेरे साथ वो भी चीख पड़ी क्योंकि उसे भी बहुत दर्द हो रहा था। मेरा लण्ड का उसकी चूत से स्पर्श होते वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसने अधिक उत्तेजनावश ऐसा कर दिया।

खैर अब हम कुछ देर रुक गए।

मेरा लण्ड उसकी चूत में ही था। कुछ देर बाद दर्द कम होने पर मैंने अपने लण्ड को आगे पीछे किया। अब उसे भी कुछ अच्छा लगने लगा था। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई तो उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।

20 मिनट तक मैंने कई तरह से उसकी चुदाई की। इतने समय में ना जाने वो कितनी बार झड़ चुकी थी।

वो बोली- अब बस रोहित, तुम अपना पूरा कर लो, अब मुझसे और सहन नहीं हो रहा है। तुमने मुझे जीते जी स्वर्ग की सैर करा दी है।मेरी आत्मा न जाने कब से प्यासी थी, हाँ मैं जब दसवीं क्लास में पढ़ती थी, तब से ही लंड की प्यासी थी और अब 29 साल की उम्र में मैंने इसे पाया है। रोहित, मैं तुम्हारी बहुत अहसानमंद हूँ।

यह कहकर उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, करीब दस मिनट और करने के बाद भी जब मेरा नहीं निकला, तो वो बोली- निकाल क्यों नहीं रहे हो? रोहित प्लीज़, अब मेरी कमर दर्द कर रही है।

मैं मुस्कुराया क्योंकि मैं उनको तो संतुष्ट कर चुका था, पर मैं भी सतुंष्ट होना चाहता था, मैंने कहा- अच्छा, तुम मेरे ऊपर आओ।

वो बोली- ठीक है, पर जल्दी कर देना।

मैंने कहा- ठीक है।

वो मेरे ऊपर आई तो मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार मेरे लौड़े पर रख दिया। वो कुछ आगे पीछे हुई। मुझे अच्छा लगने लगा, फिर मैंने अचानक उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया जिससे अब उसका भार उसके ही दोनों घुटनों पर था। अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टिका कर अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर अपने लौड़े से ठाप लगाने लगा।

मुझे कुछ परेशानी हुई तो, मैं एक पल के लिये रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फिर शुरू हो गया। मैं सौ की स्पीड से उसे चोद रहा था। वो भी मथानी की तरह हिल रही थी। करीब दस मिनट तक लगातार करने के बाद मैंने उसकी चूत में सारा पानी न डालते हुये बाहर निकाल दिया।

अब मैं उसके ऊपर आ गया और करीब 15 मिनट तक हम लोग यूँ ही लेटे रहे, फिर हम दोनों अलग हुए और बाथरूम गए, हमने अपने आप को साफ किया, हम दोनों ही नंगे थे, हमारे शरीर पसीने से लथ पथ हो रहे, तो मैंने पानी का फव्वारा खोल दिया। दोनों उसके नीचे खड़े थे। उसका गीला बदन देख कर मैं फिर उत्तेजित हो गया।

हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए, हमारे ऊपर पानी लगातार गिर रहा था। हम 15 मिनट तक एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे। फिर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ झुका दिया और अपना लण्ड पीछे से उसकी गाण्ड में डालना चाहा तो उसने मना कर दिया। मैं भी मान गया, फिर मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।

वो झुकी हुई थी और अपने दोनों हाथों से नल पकड़े हुए थी। मैंने अपने लौड़े को आगे पीछे करना शुरू किया तो उसे भी मज़ा आने लगा, वो भी अपनी गाण्ड को आगे पीछे कर रही थी।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, मेरे दोनों हाथ उसके नितम्बों को पकड़े हुए थे। दस मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो बोली- मेरी कमर दर्द कर रही है, प्लीज़ रोहित, अब मुझे छोड़ दो।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए और ज़ोर ज़ोर से धक्के मार कर अपना पानी निकाल दिया। फव्वारे का पानी हमारे ऊपर लगातार गिर रहा था। गिरते पानी में चुदाई का, क्या आनन्द आता है, ये वही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो।

हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाहों में भर कर खूब प्यार किया।

रात के 2 बज रहे थे और हम बाथरूम में नहा रहे थे। नहा कर कपड़े पहन कर, हम लोग बाहर आए। प्रिया बहुत खुश थी, मैं भी निकलने के लिए तैयार हो गया।

प्रिया ने अपने बैग में से रुपये निकाल कर मुझे दे दिए और बोली- थैंक्स रोहित, तुम ना होते तो मैं, जीवन के इस सुख से ना जाने कब तक महरूम रहती।

यह कहकर वो फिर मुझसे लिपट गई और बोली- तुम्हें जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है रोहित।

मैंने उसे चूमा और कहा- अगर फिर मेरी याद आए तो मुझे कॉल कर लेना। अपना ख्याल रखना, ठीक है, अब मैं चलता हूँ।

वो बोली- रूको, पहले मैं बाहर देखती हूँ, कोई है तो नहीं।

मैंने कहा- ठीक है।

उसने दरवाजा खोला और बाहर से लॉक करके चली गई। वो दो मिनट में ही वापस आ गई और बोली- सब कार्यक्रम हो चुके हैं। अब विदाई हो रही है, सब लोग उधर ही हैं, तुम निकल जाओ।

मैं उसके साथ बाहर आ गया और शादी में आये हुये लोगों की भीड़ में शामिल होता हुआ बाहर की तरफ निकलने लगा। प्रिया भी अपनी सहेलियों के साथ शामिल हो गई थी और वो मुझे लगातार देखे जा रही थी, मैंने मुड़ कर देखा, तो प्रिया की आँखों में आँसू थे।

मैंने उसे एक हल्की मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया।

तो दोस्तो मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करना!
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