उफनती जवानी बहन की दीवानी

उफनती जवानी बहन की दीवानी

मेरा नाम अंकित है और मैं अब इक्कीस साल का हूँ। बात तब की है जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था।

तब मैं एक दुबला पतला लड़का था लेकिन मेरा लण्ड तो तब भी बलवान था, जवानी जो चढ़ रही थी।

हम नए नए जयपुर शिफ्ट हुए थे दादा-दादी, बुआ-चाचा सब शादीशुदा थे और जयपुर में ही रहते थे।

मेरे पापा सबसे बड़े भाई है, परिवार में और उनसे छोटे दो भाई और हैं, एक बुआ भी है, वो भी जयपुर में ही रहती हैं, सबके दो-दो बच्चे हैं इसलिए घर में खूब सारे बच्चे इकट्ठे हो जाते थे खेलने के लिए, बड़ा मज़ा आता था।

बुआ की शादी पहले हो गई थी इसलिए उनकी बेटी नेहा जवान हो चुकी थी, वो उन्नीस साल की हो चुकी थी और बहुत जबरदस्त माल लगती थी।
ऐसे गोल-गोल बोबे की कोई भी चूसने के सपने देखने लगे।

मेरी जवानी भी फूट ही रही थी तब इसीलिए नेहा के चूचे देखने में बड़ा मज़ा आता था।

वो खाना परोसने क लिए झुकती तो उसके बड़े-बड़े स्तन बाहर आते थे, मन होता था कि खाना छोड़ कर उसके उरोज दबा डालूँ, पर क्या कर सकता था, सब लोग आसपास ही होते थे इसलिए मन पर काबू करना पड़ता था।

रात को सभी बच्चे दादी के घर के बेसमैंट में सोते थे, देर तक बातें करते थे और खूब ऐश करते थे।

नेहा मुझे बहुत प्यार करती थी इसलिए मैं उसके पास ही सोता था।

एक बार नेहा के हाथ पर एलर्ज़ी हो गई और वो मेरे पास ही सो रही थी। रात को उसे खुजली हुई और उसने मुझे तेल लेकर मालिश करने को कहा।

मैं तेल लेकर आया और हाथ की मालिश शुरू कर दी।

थोड़ी देर में मैं उसके कन्धों तक पहुँच गया और उसे राहत मिल रही थी।

अच्छा मौका देखकर मैं उसके बोबों को भी हाथ लगाने लगा, पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।
पर मेरा लण्ड तो खड़ा हुआ जा रहा था, नेहा की गर्म साँसें मुझे और मदहोश कर रही थी।

इसी बीच मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना नेहा को इस बात का पता चल जाए कि मैं क्या महसूस कर रहा हूँ।

मैंने उसका हाथ हटाकर दूसरी जगह रखने के बहाने अपने खड़े लण्ड से छुआ दिया, नेहा एकदम से हैरान होकर बोली- अरे, यह क्या है?
मैंने धीरे से कहा- आपको तो पता ही होगा!
नेहा बोली- पता तो है, पर यह ऐसा क्यों है?

मैं कुछ शरमाया और बोला- ऐसे ही रात को सोते समय कुछ सपना आ रहा था इसीलिए तब से ऐसा ही खड़ा है।
नेहा ने मुझसे पूछा- ऐसा क्या देखा तूने सपने में?

मैं काफी देर तक कुछ नहीं बोला लेकिन फिर उसने बार-बार पूछा तो मैंने बताया कि मैंने उसे ही सपने में देखा था।

वो आगे पूछने लगी तो मैंने बताया कि मैं काफी समय से उसे नंगी देखना चाहता था और बोबे दबाना चाहता था इसीलिए ऐसे सपने मुझे कई बार आ चुके हैं।

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मैं यह बताकर बहुत घबरा गया लेकिन नेहा ने मुझे गले से लगा लिया और मुझे होठों पर चुम्बन करने लगी, मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मैं सीधे नेहा के रसीले बोबों की तरफ झपटा, रजाई ऊपर डाल ली और 5-7 मिनट तक जोर-जोर से दबाता रहा।

नेहा बोली- तू तो बड़ा हवसी हो गया है रे, बहन के पूरे मज़े ले रहा है।
मैंने कहा- पहली बार किसी लड़की को छू रहा हूँ, पूरी प्यास बुझा लेने दो।

यह सुनकर नेहा ने मेरी चड्डी में हाथ डाला और मेरा फड़कता लण्ड अपनी मुट्ठी में जोर से दबा दिया।

इतनी देर खड़े रहने की वजह से और जबरदस्त उत्तेजना के कारण मेरा मुठ निकल गया और सारा मुठ नेहा के हाथ पर लग गया।

मेरी चड्डी भी गीली हो चुकी थी इसलिए हम दोनों बाथरूम की तरफ चले गए।
वहाँ जाकर मैंने रोशनी में नेहा का नंगा बदन देखा, वो तो क़यामत बरसा रही थी।

मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और फिर से उसके पूरे बदन को चूमने लगा।

मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था और उफान मार रहा था, मैं उसकी चूत फाड़ देना चाहता था पर मुझे डर था कि कहीं नेहा प्रेग्नेंट ना हो जाए।

मैं अपना लण्ड पकड़ कर मुट्ठी मारने लगा तो नेहा ने कहा कि वो चुदवाने को तैयार है।
यह सुनकर मैंने उससे कहा- तुम प्रेग्नेंट हो गई तो?

उसने मुझे अपनी तरफ खीचकर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली कि उसका फर्टिलिटी पीरियड नहीं चल रहा और हम चुदाई कर सकते हैं।
तब जाकर मेरी जान में जान आई।

नेहा ने बताया कि वो 4-5 बार अपने बॉयफ्रेंड से बिना कंडोम के ही चुद चुकी है।

मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल कर गीला किया फिर मैंने उसकी टांगें खोल कर अपना लंड उसकी फ़ुद्दी पर टिका दिया।

पहले ही धक्के में मैंने अपना तीन इंच लंड अंदर घुसा दिया।

नेहा चीखने लगी थी, मैंने उसके लबों को अपने लबों से दबा दिया दूसरे धक्के में मैंने अपना पूरा लंड अन्दर घुसा दिया।
उसकी आँखों से आँसू आने लगे, मगर मैं लगातार धक्के लगाता रहा।

थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए और रात को अंडरग्राउंड में वापस आकर दो बार और चुदाई की।
यह थी मेरे पहले परम सुख की कहानी मेरी जुबानी…
मुझे जरूर बताइए कि आपको कहानी कैसी लगी।
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