एक परी से मुलाकात और प्यार

एक परी से मुलाकात और प्यार

नमस्कार दोस्तो, मैं सचिन शर्मा.. आप सब कैसे हैं..
मित्रो, यह मेरी पहली कहानी है.. उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी।

वैसे देखा जाए तो यह कोई कहानी नहीं, हकीकत है.. जो मेरी जिन्दगी में हो चुका है.. और हाँ.. यह कहानी उन लोगों के लिए नहीं है.. जो जल्दी ही कुछ मसालेदार पढ़ना चाहते हैं।

मेरा नाम सचिन है.. मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से जिले का निवासी हूँ। मेरे पिता जी एक सरकारी अधिकारी हैं और मैं उनकी इकलौती औलाद हूँ.. हम लोगों को रहने के लिए एक सरकारी कालोनी में मकान मिला हुआ था। कुछ समय के बाद पिताजी का स्थानान्तरण दूसरे शहर में हो गया।

उस शहर में हम किसी को नहीं जानते थे। जब वहाँ पहली बार जाना हुआ तो पापा के अधीनस्थ बाबू.. जिनका नाम कमलेश वर्मा था.. उन्होंने हमारे परिवार का स्वागत किया। वो पापा के ही विभाग में बाबू थे। आइए उनके परिवार की पहचान आप सभी से करवाता हूँ।

उनकी पत्नी नीता थीं.. जो उस समय कुछ 35 साल की थीं.. और उनकी बेटियों में सबसे बड़ी बेटी.. जिसका नाम था रानी, परी, नेहा और सबसे छोटा भाई था।

जब पहली बार उन लोगों ने हमारा स्वागत किया.. तब मैं भी किशोरवय ही था। स्वागत में मेरी नजर परी पर पड़ी.. जो कि कोई गुड़िया की तरह सुन्दर थी.. एकदम गोरी-चिट्टी और बहुत ही प्यारी सी थी।

फिर दिन साधारण तरीके से गुजरने लगे। मेरी और परी की दोस्ती हो गई क्योंकि हम दोनों साथ में एक ही क्लास में ही पढ़ते थे। इस तरह जीवन चक्र चलता रहा।

अब हम दोनों 10 वीं कक्षा में आ चुके थे.. शारीरिक परिर्वतन होना स्वभाविक था। जहाँ मैं जिम और खेलकूद के कारण 5 फुट 11 इंच का लड़का बन गया था.. वहीं परी भी एक 5 फुट 6 इंच की सुन्दर फिगर वाली मस्त लड़की बन चुकी थी।
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बाहरी दुनिया से दूरी बनी होने कारण हम दोनों साधारण दोस्त थे.. पर स्कूल में दोस्तों के द्वारा बार-बार बोलने पर मुझे भी लगने लगा कि यार ये तो मेरी गर्लफ्रेन्ड है। काफी सोचने के बाद मैंने उसे प्रपोज करने का सोचा। वैसे तो हम दोनों हमेशा साथ ही होते थे.. चाहे वह क्लास हो.. या घर.. हम दोनों साथ ही पढ़ते थे।

प्यार करने वालों का दिन यानि कि वैलेनटाइन डे आया.. सारी तैयारी के साथ आज हम एक आइसक्रीम पार्लर में गए। वहाँ पर मैंने उसे प्रपोज किया.. उसकी जो प्रतिक्रिया हुई मैं हैरान हो गया। मैंने जैसी ही उसे प्रपोज करते हुए ‘आई लव यू’ कहा.. उसने एक थप्पड़ मुझे रसीद किया और कहा- सचिन तुमसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

सचिन- सॉरी यार मुझे पता नहीं था कि तुम किसी और को पसंद करती हो।
परी- अरे नहीं मेरे भोलू राम.. मैं तो पिछले काफी सालों से इस दिन का इंतजार कर रही थी।
सचिन- फिर मारा क्यों?

परी- तुमने मुझे इतना तड़पाया और इतना टाईम लगाया.. इसलिए।
सचिन- चलो अब तो बोल दिया ना..!
परी- आई लव यू टू.. मेरे भोलू राम..
फिर मेरे उसे गिफ्ट दिया और वो खुश हो गई।

उस दिन के बाद हम दोनों एक-दूसरे का ख्याल रखने लगे पर हम दोनों ने एक-दूसरे को कभी छुआ भी नहीं था। वो शुरूआत होना अभी बाकी था।
जो कुछ हुआ.. एग्जाम के बाद.. जब हम दोनों अच्छे अंकों से पास हो गए।

गर्मियों के मौसम में परी का जन्मदिन आता था।
मई माह में 14 तारीख को परी के जन्मदिन पर मैंने उसे गिफ्ट में एक शानदार सूट दिया.. जो उसे काफी पसंद आया। जन्मदिन की पार्टी परिवार वालों के और कुछ आसपास के लोगों के साथ उसके घर पर ही मनाई गई।

हमारी कालोनी शहर से थोड़ी दूर थी.. जहाँ पर किसी का आना-जाना नहीं होता था.. वो चारों और से घिरी हुई थी। कुछ सरकारी मकान बने थे और बाकी की जगह में गार्डन और खेल का मैदान बना था।

पार्टी के बाद परी ने कहा- सचिन आज मैं तुम्हें रिर्टन गिफ्ट देना चाहती हूँ.. चलो घूमने चलते हैं।

पार्टी के बाद हम हमारी ही कालोनी में कुछ सुनसान सी जगह थी। उस वक्त रात के कुछ 9 बज रहे होंगे। हम दोनों गार्डन में घूमने निकल लिए.. कुछ दूर चलने के बाद सुनसान सी जगह देख कर परी ने कहा- मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे किस करो।

कभी इस प्रकार के काम न करने के कारण मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था कि ये प्यारी सी लड़की.. जो कि बचपन से मेरे साथ है.. आज इसे ये क्या हो गया है कि मुझे किस करने को बोल रही है। पर करता क्या.. जो होना था वो तो होना ही था। मैंने काफी डरने के बाद उसके गाल पर एक चुम्बन किया।

आह्ह.. क्या मुलायम और प्यारे गाल थे.. मुझे तो जैसे किसी कश्मीरी सेब की तरह मजा आ गया।
अंजान और गैर अनुभवी के लिए तो यह ही काफी था।
परी का चेहरा देखने लायक था।

उसने मुझे गुस्से से देखा.. मुझे लगा मैं तो गया.. यार ये मैंने क्या कर दिया।
परी- अरे मेरे भोलू राम.. ये तुमने क्या किया?
मैंने बड़ा गर्व अनुभव करते हुए कहा- किस किया और क्या?
परी- इसे किस करना कहते हैं?
मैं- और क्या?
परी- लगता है तुमने आज तक कुछ भी नहीं सीखा.. लगता है मुझे ही सिखाना होगा।

बस परी वहीं पास के पेड़ों के पास जा कर बैठ गई और मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया।
उसने कहा- यहाँ तुम मेरी गोद में सर रख के लेट जाओ।
मैंने वैसा ही किया।

परी- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
सचिन- परी मैंने आज तक तुम्हारे जैसी सुन्दर और प्यारी लड़की नहीं देखी.. लगता है कि कोई परी आसमान से उतर कर.. मेरे लिए ही इस धरती पर आई है।
परी- सच में.. मैं तुम्हें दिल से प्यार करती हूँ और चाहती हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ रहो।

फिर हम एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे और हमारे लबों का मिलन हो गया। ये एक ऐसा अहसास है.. जो कि शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।

फिर भी हम एक-दूसरे की साँसों की गर्मी को महसूस कर सकते थे.. हम दोनों के दिलों की धड़कनें तेज थीं और एक प्यारा सा अहसास हो रहा था।

मैं इस काम में नया खिलाड़ी था और धीरे-धीरे किस कर रहा था.. पर परी को देख कर लग रहा था कि वो इस काम को काफी बार कर चुकी है। वो मेरे होंठों को लगातार चूस रही थी और कुछ अजीब सी आवाज निकाल रही थी।
मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था.. पर लग कुछ यूँ रहा था कि मैं उसका नहीं वो मेरा किस ले रही है।

कुछ 10 मिनट के बाद हम दोनों की साँसें फूलने लगीं.. और हम अलग हुए। हम दोनों ने अपनी आँखें खोलीं.. और एक-दूसरे की ओर देखा.. परी थोड़ा शरमा रही थी।
मेरे नीचे यानि कि मेरे लण्ड पर कुछ हो रहा था.. पर डर के कारण मैंने कुछ कहा नहीं।

वो किस मेरी लाईफ का पहला किस था। बस वही सब करने का बन कर रहा था। फिर हमने कुछ और बातें की और घर की ओर चल दिए।

यहाँ मेरी पहली कहानी समाप्त होती है.. वैसे ये मेरी नई आई हुई जवानी की उम्र का किस्सा है और आगे क्या किया.. इसके लिए समझ सकते हैं.. कि आगे हम दोनों ने एक-दूसरे के जिस्मों को एक साथ किस तरह से चुदाई से जोड़ा.. उसको अन्तर्वासना की कई कहानियों में लिखा जाता है.. आप सब भी मेरे प्यार का मुकाम उन कहानियों में पा सकते हैं।

मेरी लाईफ में जो कुछ भी हुआ वो भी काफी बड़ा और सेक्स से भरपूर था।

आपकी ईमेल के इंतजार में आपका अपना सचिन शर्मा
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