कमसिन चचेरी बहन की चुदाई-1

कमसिन चचेरी बहन की चुदाई-1

लड़कियाँ.. ये एक शब्द ऐसा है, जो मुझे बहुत पसंद है. दरअसल ये शब्द ही नहीं बल्कि दुनिया में सबसे प्यारी, सबसे कीमती कोई चीज मुझे लगती होगी तो वो लड़कियाँ ही हैं. एक अजीब सा नशा होता हैं लड़कियों का. सभी को न भी होता हो, पर कम से कम मुझे तो है. अक्सर हम कोई खूबसूरत चीज देखते हैं तो हम कहते हैं कि ऊपर वाले का कमाल है. इसी तरह लड़कियाँ भी ऊपर वाले की मास्टर पीस डिजायन हैं.

मैं जब भी कोई लड़की देखता हूँ तो उसका जिस्म मेरी आँखों के सामने आ जाता है और मैं सोचता हूँ कि वाह.. क्या कमाल की लड़की है. सही मानिए कि मैं सिर्फ उन्हीं लड़कियों की बात कर रहा हूँ जो सुंदर हैं, ना कि किसी रांड जैसी दिखने वाली लौंडियों की बात कही गई है.

दुनिया में कोई भी लड़की का जन्म होता हैं तो वो शुरुआत से अंत तक एक लड़की ही होती है, सिर्फ़ लड़की.

ये बहन, बीवी, माँ, साली, चाची, बुआ आदि इत्यादि रिश्ते तो इंसानों की बनाई हुई बकवास बातें हैं, जो ना मुझे पसंद हैं और ना मैं मानता हूँ. चाहे वो बहन हो या चाची, होती तो वो लड़की ही है.. और मैं लड़की के जिस्म के हर हिस्से को प्यार करता हूँ. फिर चाहे वो उसके केश हों, आँखें, होंठों, गर्दन, अंडरआर्म्स, ब्रेस्ट, निपल्स, उसकी नाभि, उसकी मुलायम जांघें और उन पर टिकी हुई सुंदर, मांसल, पर्फेक्ट गांड या.. सबसे मस्त चीज, इस दुनिया में सबसे सुंदर और प्यारी चीज, जहाँ से दुनिया जन्म लेकर बाहर आती है.. लड़की की चुत.

अगर मैं चाहूँ तो दुनिया में जितनी भी लड़कियाँ हैं.. उनकी चूतों को चूस-चूस कर खाली कर दूँ. मैं एक लड़की की असली कीमत जानता हूँ मगर फिर भी आज तक ऐसा कभी-कभार ही हुआ है कि मुझे चुत के दर्शन हो पाए हैं.

जैसे मेरे चाचा की लड़की अनुराधा, किट्टू और मेरी पहली गर्ल फ्रेंड नेहा, जिसके नाम से मैं आज भी मुठ मारता हूँ.

इस लम्बी सेक्स स्टोरी की शुरुआत में बताना चाहता हूँ कि मैं एक नॉर्मल फैमिली का मेंबर हूँ. मेरे माता-पिता एक भाई और मैं ही हूँ. मैं हमेशा एक बहन चाहता था ताकि चुदाई का सामान घर में ही मिल जाए और बाहर मुँह ना मारना पड़े.

मगर अफ़सोस कि मुझे बहन नहीं मिली है वरना आज ये सब लिख ना रहा होता बल्कि इस वक़्त उसे चोद रहा होता. खैर.. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. मुझे मेरी ना सही मेरी कज़िन अनुराधा मिल गई. मैं पूरी ज़िंदगी उसे याद रखूंगा क्योंकि मेरी देखी और फील की हुई पहली चुत अनुराधा की थी.

वो मेरे चाचा की लड़की है. चाचा को दो बेटियाँ हैं.. बड़ी वाली कुछ काम की नहीं है. वो साली मानती ही नहीं है, मगर अनुराधा मुझे बड़ा प्यार करती थी. वो अभी जवानी की दहलीज पर आई है, मगर उसका जिस्म बहुत ही गरम है. वो बेहद खूबसूरत, गोरी चिट्टी, बेहद दिलकश है जिसके जिस्म को मैंने काफ़ी चाहा था. उसके थन अभी उगने शुरू ही हुए थे. पर उसके निप्पल बड़े मस्त हैं.

अनु के निपल्लों पर मेरी नजर एक फैमिली फंक्शन में पड़ी. उसकी हाइट 5 फीट से ज़रा ही ऊपर है, उसके बाल औसत लड़कियों के जितने ही हैं. पहली सबसे नशीली चीज उसकी आँखें मेरे दिल में बैठ गई थीं और मैं ये बात भी काफी पहले ही समझ गया था कि अगर मैंने मेरी किसी कज़िन को चोदा तो वो यही होगी. क्योंकि वो जिस नजर से मेरी तरफ देखती है (आज भी देखती है) उससे मैं समझ गया था.

उसका वो होंठों को चबा कर बात करना, नजरें मटकाना. उसके बाद उसकी रसीली गांड हिलाना. हय… देख कर ऐसा लगता कि जैसे 2 लीटर वाले गुब्बारे पानी से भरे हिल रहे हों. उनको छूकर ही लंड झड़ जाए.

अनुराधा एक खाते-पीते घर की है. उसकी माँ साली रांड जैसी, बहुत खेलती है और दूसरों का खून पीती है.. खैर अभी उसकी मां को माँ चुदाने दीजिए, हम लोग अनुराधा की जवानी से ही खेलते हैं.

तो उस फैमिली फंक्शन में मैंने उसको बड़े करीब से देखा और मन बना लिया था कि इसकी गांड तो मेरी ही होगी. मैं ही उसे चोदूँगा. भले कुछ समय लग जाए लेकिन उसकी जवानी पूरी निखरने के बाद ही गांड मारी जाएगी. लेकिन इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी.

अब मैं हर ऐसे वक़्त और मौके की तलाश में होता था कि कैसे इससे अकेला पाऊं और काम शुरू करूँ.

मेरा घर दिन में खाली ही होता है क्योंकि मम्मी-पापा काम पे जाते हैं. मैंने अपनी कामक्रीड़ा का प्लान बना लिया था. मैं अनुराधा के घर गया और उसे खेलते-खेलते बातों में फुसला कर अपने घर ले आया.

अब सब कुछ इतना भी आसान नहीं था. डर था कि साली ने कहीं मुँह खोल दिया तो गांड की वाट लग जाती. मैंने सोचा इसके मुँह में लंड घुसा दूँगा तो चुप रहेगी क्योंकि वैसे भी मैं इसे अभी तो चोदने वाला था भी नहीं, बस फिलहाल ओरल सेक्स ही ठीक लग रहा था.

काफ़ी देर तक उसके साथ खेल खेलने के बाद मैंने धीरे-धीरे उसके जिस्म को टच करना स्टार्ट किया. मजाक करते हुए अपनी उंगलियों से उसके पेट के ऊपरी हिस्सों को छूने लगा. फिर मैंने उसे अपनी बांहों में लिया और उसके गालों पे किस करने लगा. फिर अपनी जीभ को कभी मैं उसके गाल तो कभी उसके गर्दन पे ले आता.
इससे वो शरमाने लगी और बोली- मुझे घर जाने दो..

मैं डर गया.. मैंने सोचा कहीं प्लान फ्लॉप न हो जाए. मैंने उससे चूमना बंद कर दिया, पर अपनी बांहों में थामे रखा और उससे बातें करने लगा, मैंने उससे कहा- तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो.
वो शर्मा गई और बोली- ये सेक्सी क्या होता है?

मुझे कुछ आसार दिखने लगे. मैंने उसे बड़े प्यार से अपनी बांहों में उठाया और अपनी गोद में इस तरह बैठाया कि उसकी नाज़ुक गांड मेरे पैरों पर आ जाए. मैं सब्र से काम लेना चाहता था, सो उसे अभी अपने लंड के स्पर्श से दूर ही रखा. अब उसकी गांड मेरे पैर पर, हाथ मेरे हाथ में और नजर मेरे चेहरे पर थी. मेरे और उसके होंठों में कुछ इंच की दूरी थी.

मैंने उससे कहा- क्या तू जानती है कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं?
हर बच्चे की तरह उसे भी बकवास बातें बताई गई थीं. वही सब उसने मुझे बताईं.
मैंने उससे कहा- ये सब झूठ है.
तो बोली- फिर कैसे?
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बताऊंगा जरूर मगर जैसा मैं कहूँगा, तुम्हें वैसे करना होगा.
वो बोली- क्या?
मैंने उस पर जोर दिया कि पहले ‘हाँ’ बोल. वो ‘हां’ करके मान गई.

मैंने अब उसे धीरे-धीरे अपनी बांहों में उठाना स्टार्ट किया और अपने लंड की तरफ उससे खींचा. फाइनली उसकी सॉफ्ट गांड मेरे लंड पर आ टिकी. मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर रखा और रूम में जाकर अपनी अंडरवियर निकाल कर सिर्फ़ पेंट पहन कर आ गया ताकि बिना अंडरवियर के मेरा लंड उसे अपनी गांड पे साफ महसूस हो.

जब मैंने उससे अपनी बांहों में उठाने की कोशिश की, तो बोली कि मैं यहीं बैठूंगी. मैंने सोचा साली नाटक कर रही है, ऐसे तो ये गांड छूने ही नहीं देगी.

मैं फिर खेल-खेल में उससे पकड़ने लगा और जितना हो सका, उसका जिस्म अपने जिस्म से दबाने लगा.

मैंने उसके हाथों को उसके सिर के ऊपर कर दिया और मेरे हाथों से उसे दबा दिया. इसी के साथ मैं मिशनरी पोज़िशन में आ गया.

वो पैर झटक रही थी. मैंने उसकी आँखों में देखा.

वो बोली- भैया, छोड़ो मुझे!
मैंने भी कहा- तुझे चोदना ही चाहता हूँ अनुराधा!
बोली- मतलब?

तब मैंने उसके टॉप की ओर देखा और फिर उसकी आँखों में देखते हुए उसे होंठों पर किस किया. मुझे सॉल्टी टेस्ट आया. वो शरम से तड़पने लगी, पर मैंने उसे दबाए रखा था.

मैंने उससे उसका प्रॉमिस याद दिलाया. उससे कहा- बच्चे जिस तरह नंगे होते हैं उसी तरह उन्हें पैदा करने वाले भी नंगे ही होने चाहिए.
फिर सीधा बता दिया कि जब लंड चुत में जाता है.. तो बच्चा पैदा होता है.
उससे लंड चुत कुछ समझ नहीं आया और पूछने लगी कि इसका मतलब क्या हुआ?
मैंने कहा- जानना चाहती हो?
वो ‘हाँ’ बोली.

उसने एक टी-शर्ट पहनी थी और नीचे स्कर्ट थी. मुझे स्कर्ट्स बहुत पसंद हैं.. क्योंकि आसानी से खेल हो जाता था.

मैंने उसे खड़ी किया और उसे नंगी करने लगा. उसकी चड्डी निकालने के बाद तो मानो मेरी साँसें ही रुक गईं. दुनिया की सबसे कीमती, सुंदर चीज पहली बार मेरे सामने थी. उसकी पिंक, सफाचट चिकनी चुत मेरी सामने थी.
मेरा जी तो किया कि अभी इसी वक़्त उसे चोद डालूँ. उसकी चुत पर एक भी झांट का बाल नहीं था. बिल्कुल कुँवारी चुत थी. और जिस बात की खुशी मुझे हुई, वो ये कि वो गीली थी.. मतलब जो भी उसके जिस्म से मैं खेल रहा था, वो खेल उसकी चुत पर असर कर रहा था.

अभी तो मैंने सिर्फ़ उसकी चड्डी निकाली थी, लेकिन वो तो भागने लगी. मैंने फिर उसे अपनी बांहों में जकड़ा और बिस्तर पर पटक दिया. उसकी शक्ल रोने जैसी हो गई थी.
मैंने फिर उसे किस किया. इस बार उसने भी किस का जवाब दिया.

अब मैं उसके सामने खड़ा हो गया. मेरा लंड पेंट में टेंट बनाए हुए था. मैंने उसे मेरा लंड पकड़ने को कहा. वो ‘ना’ कहने लगी और खुद की नंगी चुत छुपाने लगी.
मैंने उससे कहा- तूने प्रॉमिस किया था.
वो मुस्कुराई तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखवा कर घुमवाने लगा. वो शर्म से अपना हाथ पीछे लेने लगी.

मैंने उससे कहा- तू जानती है ये क्या है?
उसने बड़ी मासूमियत से कहा- गोल-गुंडा..
मैंने ये नाम पहली बार सुना था. मैंने उससे कहा- नहीं.. इससे लंड कहते हैं और ये जो तेरे पैर के बीच में है, इसे चुत कहते हैं.
‘अच्छा..!’
मैंने उससे आगे कहा- देखेगी लंड?
वो ‘ना’ कहने लगी मगर उसकी वो आँखें मेरे लंड की ओर ही देखने लगी थीं. मैं समझ गया और मैंने अपने लंड को आजाद कर दिया. उसने एक झलक देख कर अपनी आँखें बंद कर लीं.

अब उसके दोनों हाथ उसके चेहरे पर थे. उसका स्कर्ट घुटनों तक आ गया था. मैंने एक ही झटके में उसका स्कर्ट निकाल दिया. अब वो नीचे से नंगी हो गई थी.

आह.. क्या नजारा था.. उफ़फ्फ़.. मेरे लंड से तो प्रीकम निकल गया. फिर वो खड़ी हो गई और उसने अपनी टांगों को दबा कर बिस्तर पे खड़ी हो गई. मैंने उसे फिर से पकड़ा और अपने पास को लाया.

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कहानी जारी है.
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