कैसे बन गया गाण्डू

कैसे बन गया गाण्डू

कैसे बना मैं एक चुदक्कड़ गाँडू

दोस्तों मेरा नाम सनी है। मैंने अन्तर्वासना में पहले भी अपनी एक चुदाई के बारे में लिखा था।

मुझे बचपन से ही लड़कियों का साथ पसंद था, लड़को में कम बैठता था। मैं बहुत चिकना हूं और मेरे शरीर पर बाल नहीं हैं, मेरी गोल मोल गाण्ड है गुलाबी होंठ ! लड़की से ज्यादा मटक के चलता हूँ।

अब पिछ्ले भाग से आगे :

अगले दिन मम्मी पापा दिल्ली गए थे, घर मैं दादा-दादी और छोटी बहन थी।

मैंने कहा- आज मैं प्रीत के घर नोट्स बनाऊंगा, कल सुबह आ जाऊंगा।

मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया तो अन्दर वो दूसरा बंदा था, उसने मुझे पकड़ कर खींच लिया, मैं डर सा गया।

वो बोला- डरता क्यूँ है? मैं ही हूँ !

उसने अपना पाजामा उतार फेंका और सिर्फ़ कच्छे और शर्ट में उसने झट से मेरी पैन्ट खोल कर घुटनों तक सरका दी और मेरा कच्छा भी उतार दिया और हाथ मेरी गोल गाण्ड पे फेरता हुआ बोला- क्या मस्त गाण्ड है ! क्या चिकनी जांघें हैं !

मैंने कहा- मुझे जाने दो !

वो बोला- साले एक बार मजा ले ! फ़िर तू ख़ुद मरवाने आया करेगा !

मैंने कहा- नहीं !

उसने मुझे नीचे पड़े कम्बल पिर पटक दिया मेरे पास आ कर मेरी शर्ट उतार कर मेरे मम्मों को दबाने लगा। मेरी छाती मर्द नहीं औरत जैसे कूली-फ़ूली है।

प्लीज़ छोड़ दो !

उसने अपना कच्छा उतार दिया, उसका काला लण्ड देख मेरी फट गई। उसका ख़ुद का रंग भी काला ही था, बिहारी था, पंजाब में काम करने आया था।

उसने सर से दबाते हुए मेरे मुहं में अपना लण्ड ठूंस दिया। मैं भी चूसने लगा। उसका लण्ड मोटा कम लंबा ज्यादा था इस लिए मुझे चूसने में आसानी लगी।

वो मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा और उसमें ऊँगलीबाज़ी करने लगा, थूक लगा के उसने मेरी गाण्ड खुली की।

तब मैंने सोचा- सनी ! आज चुदा ही ले !

मैंने ख़ुद को डीला छोड़ विरोध करना छोड़ दिया।

उसके बाद उसने मुझे सीधा ही लिटा के बीच में बैठ तकिया मेरे कूल्हों के नीचे रख उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पे रख दिया और मेरे निपल चूसने लगा, कभी होंठ चूसता !

उसने एक धक्का मारा और लण्ड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। मेरी तो जान ही निकाल दी उसने !

मैं बोला- छोड़ !

वो बोला- कोई नहीं सुनेगा !

उसने मुझे पहले ही कस लिया था, दूसरे झटके में आधा लण्ड घुस गया, मैं रोने लगा उसको दया न आई और उसने २ धक्के और मार अन्दर तक पेल डाला। मेरी गाण्ड फट गई।

उसने एकदम सारा लण्ड निकाल लिया और कपड़े से खून साफ़ करके पास पड़ा सरसों का तेल लगा फ़िर घुसा दिया। अब उसने दो मिनट रुकते हुए धक्के मारने चालू किए। उसकी रगड़ से मुझे मस्ती मिलने लगी और ख़ुद उकसाने लगा। तेल की वजह से उसने अब मुझे जन्नत दिखा दी, उसकी हर रगड़ से मुझे लगता कि मैं हवा में उड़ रहा हूँ।

साथ मैं वो मेरे निपल चुटकी से मसल देता !

हाय ! चोद मुझे और चोद ! फाड़ दे बाकी बची गाण्ड !

हाय ! साला गाण्डू ! इतने दिन से तड़फा रहा था ! इतनी मस्त चीज़ निकलेगा, पता होता तो कब से चोद देता तु्झे ले खा लण्ड खा लण्ड !

हाय डालता जा !

वो बोला- रांड खाती जा !

फाड़ डाल हां !

बोला- घोड़ी बन जा, असली मुद्रा में डालता हूँ !

पीछे से डालते हुए वो सुपर फास्ट ट्रेन की तरह पेलने लगा।

अचानक से उसने स्पीड और तेज कर दी। स्पीड तेज करते ही वो ढीला सा पड़ गया, उसका माल- गरम माल मेरी गाण्ड में गिरता साफ़ पता चल रहा था। सारा दर्द-खुजली उसने मिटा डाली। हम एक दूसरे की बाँहों में लेट गए।

कुछ देर में मैंने ख़ुद उसका लण्ड मुँह में ले खड़ा कर दिया और खूब चूसने के बाद मैं घोड़ी बन गया। उसने डाल दिया और अब वो जल्दी झड़ने वाला कहाँ था मैं उसके ऊपर बैठ उछलने लगा, चुदने लगा।

पूरी रात अलग अलग तरीकों से चोदता गया। उसने ४ बार मेरी गाण्ड में पानी छोड़ा, गाण्ड का भुरता बना डाला लेकिन इतना मजा आया।

उसकी बात सच निकली कि एक बार गाण्ड मरवा ! ख़ुद कहेगा !

सुबह होने को थी, वो बोला- अब न सो गाण्डू ! आंख लग गई तो लेट हो जाएगा साले !

मैं रौशनी होने की इन्तज़ार करता हुआ उसके लण्ड को लुंगी से निकाल उसकी जांघों पे सर रख चूसने लगा।

उसका लण्ड फ़िर से ऐंठने लगा तो वो बोला- मत जगा इसको ! वरना तेरी सूजी गाण्ड मैं फ़िर डाल दूंगा !

मैं न रुका और चूसता रहा। उसके सुपाड़े को होंठों में अटका कर मजे लेने लगा। मस्ती में उसने थोड़ी गाण्ड नंगी कर छेद पे रखा, फ़िर पेल दिया। कपड़े पहने ही उसने मुझे १० मिनट की चुदाई दी। उसका झड़ा नहीं। मैं ख़ुद हट गया और चलने लगा।

उसने कहा- अब कब आयेगा?

मैंने कहा- शाम को !

वो बोला- आज शाम को उसका एक साथी भी होगा, उसकी शिफ्ट बदल रही है !

मैंने उसकी यह बात सुनी नहीं, निकल आया और किसी कारण शाम को मैं नहीं जा पाया।

उसके बाद एक हफ्ता मैं उस से नहीं मिला।

एक दिन मैं वापिस आते उसके कमरे में चला गया। मैं सीधा अन्दर गया। वहाँ उसका दोस्त भी था तो मैं वापिस चलने लगा।

तभी उसने दोस्त से कहा- यह गाण्डू है, मरवाता है, चूसता भी बहुत है !

दोनों ने मुझे रोक लिया और फ़िर क्या हुआ अगली बार लिखूंगा किस तरह मैं गाण्डू बन गया। अब तक मैं आठ मर्दों के लण्ड ले चुका हूँ।

अगर मेरी चुदाई अन्तर्वासना ने छाप दी तो मैं आपको अपने लिए हर लण्ड के बारे में लिखूंगा।

प्लीज़ ! मेरी विनती है कि मेरी चुदाई ज़रूर छाप देना। बड़ी मेहनत से टाइप करनी पड़ती है।

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