खूबसूरत पड़ोसन की चूत की आग

खूबसूरत पड़ोसन की चूत की आग

बात उन दिनों की है.. जब मैं 19 साल का था और दिल्ली में डीयू के एक कॉलेज में पढ़ता था। उन दिनों मेरा लंड बहुत उठता था.. तब मैं किसी ना किसी को चोदने की फिराक में रहता था।
मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं.. जिनका नाम सरला था। उनकी खूबसूरती उनके बदन से ऊपर से झलकती थी, मानो कोई अप्सरा आपके सामने खड़ी हो।

मुझे हरदम लगता था कि वो ही एक ऐसा आइटम हैं.. जो मेरी सेक्स की प्यास बुझा सकती हैं। उनकी एक दो साल की लड़की भी है.. वो अपने घर में अकेले ही रहती थीं।

अब आप सोच रहे होंगे कि उनके पति कहाँ गए। दरअसल उनके पति एक ट्रक ड्राइवर हैं और महीने-महीने घर नहीं आते हैं।
मैं आपको उनके घर के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ। उनका घर मेरे घर के ठीक बाजू में है, उनके घर का बाथरूम बिल्कुल मेरे घर के बाथरूम से लगा हुआ है.. उनका बाथरूम कच्ची ईटों का बना हुआ है और उनके घर के ठीक पिछले हिस्से में है।

दोपहर का वक़्त था। मैं अपने बिस्तर पर सो रहा था। तभी आंटी शक्कर मांगने के लिए आईं।

उस वक्त मेरे घर में किसी के भी ना होने के वजह से वो सीधे मेरे कमरे में आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गईं और मेरे बालों के ऊपर हाथ घुमाने लगीं।

मैंने किसी का स्पर्श पाकर एकदम से अपनी आँखें खोलीं.. तो देखा कि उनकी गाण्ड मेरे चेहरे के सामने थी। मैंने धीरे से उनकी गाण्ड को चूम लिया और उन्हें पता भी नहीं चला।

उन्होंने मुझे जगा हुआ पाकर मुझसे शक्कर मांगी। मैंने बिस्तर से उठकर उन्हें शक्कर दी.. तब उन्होंने मेरे गाल पर किस किया और ‘थैंक यू’ कहा और घर चली गईं।

मेरे लंड ने भी अन्दर ही अन्दर उनको सलामी कर दी। उस रात को मैंने एक प्लान बनाया और दूसरे दिन प्लान के मुताबिक मैंने उनके बाथरूम की एक आधी ईंट का टुकड़ा निकाल दिया। अब जैसे ही वो नहाने अन्दर गईं.. मैंने अपनी आँखें उस छेद पर चिपका दीं। वो धीरे-धीरे अपने एक-एक करके कपड़े उतार रही थीं।

कुछ ही पलों में वो ब्रा और पैन्टी में ही मेरी आँखों के सामने खड़ी थीं।
उनके ठोस चूचों को देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो गया, उसके बाद जो हुआ उसको देख कर तो मैं दंग ही रह गया।

वो अपनी ब्रा खोल कर दोनों हाथों से अपने मम्मों को दबाने लगीं और आहें भरने लगीं।
‘आआहह.. उउउहह..’
फिर उन्होंने अपनी पैन्टी को निकाल फेंका।

मैं बता नहीं सकता.. मेरा हाल क्या हो रहा था। यूं समझ लीजिए कि किसी भूखे शेर को अपना शिकार दिख गया हो। ऐसी हालत मेरे लंड की हो रही थी।
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फिर उन्होंने अपनी एक हाथ की दो उंगलियाँ अपनी चूत में डाल लीं और अन्दर-बाहर करने लगीं। इसी के साथ वो और एक हाथ से अपने मम्मों को भी दबाती रहीं।

इस नज़ारे को देख कर मुझे ऐसा लगा कि शायद उन्होंने भी बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया होगा।
मैंने सोच लिया कि आंटी की इस काम में मैं मदद ज़रूर करूँगा।

उसी रात को काफ़ी बदल गरज रहे थे.. बिजलियाँ कड़क रही थीं और हल्की सी बारिश हो रही थी इसलिए वो डर गई थीं और उन्होंने मुझे अपने घर में सोने के लिए बुलाया।
मैं अन्दर से बहुत खुश हो गया था। मैं अपने घर से परमीशन लेकर आंटी के घर सोने चला गया।

आंटी मूवी देख रही थीं.. मैं भी कुर्सी पर बैठ कर मूवी देखने लगा। उसी वक़्त उनकी 2 साल की बेटी रोने लगी। आंटी उसको गोद में लेकर उसे दूध पिलाने लगीं।

जैसे ही उन्होंने अपना कड़क चूचा बाहर निकाला.. मैं तो देखते ही रह गया। जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ देखा.. मैं मूवी देखने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर बाद उन्होंने अपने बेटी को सुला दिया और एक गोली खा ली।

मैंने जब उनसे गोली के बारे में पूछा.. तो उन्होंने कहा- ये नींद की गोली है.. इसके बिना मुझे नींद नहीं आती।
वो दोनों माँ-बेटी बिस्तर पर सो गईं और मैं सोफे पर लेट गया।

मैंने देखा कि वो गहरी नींद में सो रही थीं.. लेकिन मुझे नींद कहाँ आ रही थी। मेरे सामने तो वो बाथरूम वाली नंगी सरला आंटी ही घूम रही थीं।

मैंने हिम्मत जुटाई और उनके बाजू में जा कर बैठ गया। फिर बड़ी हिम्मत से मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके मम्मों को सहलाया.. पर जब उनका कोई विरोध नहीं हुआ तो मैं जरा बिन्दास हो गया। अब मैं धीरे से उनकी नाभि को चूमने लगा। एक हाथ से उनकी साड़ी को ऊपर करके उसके पटों को.. जाँघों को सहलाने लगा.. कोई भी प्रतिरोध न पाकर मैं उन्हें चूमने भी लगा।

फिर मैंने एक हाथ उनकी पैन्टी में डाल दिया और पैन्टी को नीचे खींच दिया। अब मेरे सामने वो ही चूत थी.. जो आज सुबह मैं दो फुट की दूरी से देख रहा था।
मैं उनकी चूत को नजदीक से सूंघने लगा और चूत की महक ने मुझे दीवाना कर दिया.. तो मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। चूत का टेस्ट कमाल का था।

मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी रसीली चूत में पेल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा। काम में थोड़ा तेजी लाते हुए मैं अपने एक हाथ से उनके ब्लाउज के बटन खोल कर उनके मम्मों को दबाने लगा।
कुछ देर तक ये चलता रहा.. तभी मुझे ऐसा लगा कि वो जागने वाली हैं.. तो मैं तुरंत सोफे पर जा कर सो गया।

जब सुबह मैं जगा.. तो उन्होंने मेरे बालों पर से हाथ घुमा कर एक हल्की सी स्माइल दी। मैं समझ नहीं पाया कि इस का मतलब क्या था।

मैं अपने घर आकर सोचने लगा कि शायद उनको ये बात पता तो नहीं चल गई कि कल रात को मैंने उनके साथ छेड़छाड़ की थी। उनकी वो कातिल सी मुस्कान शायद इस बात की गवाही दे रही थी कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती हैं।

ये सब सोच कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने सोच लिया कि आज रात मैं उनकी जम कर चुदाई करूँगा। अब तो मैं सिर्फ़ रात होने का इंतजार कर रहा था।
मैंने उनसे जानबूझ कर पूछा और उनकी ‘हाँ’ मिलते ही कल की तरह मैं आज भी आंटी के घर में सोने चला गया।

वो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देख रही थीं। मैं भी कुर्सी की बजाय आज उनके बाजू में बैठ कर टीवी देखने लगा।

उनकी बेटी सो रही थी.. करीबन रात के 11 बज रहे होंगे और तभी बारिश भी जोरों से चालू हो गई। अचानक एक बिजली चमकी और वो डर के मारे मुझसे लिपट गईं, मैंने उनके जिस्म का पहला सुख लिया।

फिर हम दोनों वापस से टीवी देखने लगे.. तो उन्होंने मुझसे कहा- विक्की कल रात को मेरे ब्लाउज के बटन तुमने ही खोले थे ना?
मैंने कहा- हाँ आंटी.. मैंने ही खोले थे.. और मैं जानता हूँ कि आप भी सेक्स की भूखी हो.. प्लीज़ आंटी आप मुझसे चुदवा लो।

यह कहते ही उन्होंने मुझे एक ज़ोरदार चुम्बन किया, मैंने भी अपने होंठों को उनके होंठों से जोड़ दिया।

बड़ी देर तक वो मेरे होंठों को चूसती रहीं। मैंने कामुक अंदाज से उनको देखा और कहा कहा- आंटी..
उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा- मुझे सिर्फ़ सरला कहो।

मैं मुस्कुरा उठा तभी उन्होंने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी शर्ट को निकाल कर मेरे सीने को चूमने लगीं। वो मुझे चूमते-चूमते मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को चूमने लगीं।

मैं बहुत उत्तेजित होने लगा। मैंने आंटी को कहा- क्या आप मेरे लंड के दर्शन नहीं करना चाहोगी?
तो वो शर्मा गईं.. मैंने अपनी पैन्ट उतार दी।

वो मेरा तना हुआ लंड देख कर हैरान हो गईं और कहने लगीं- इतना बड़ा लंड तो मेरे पति का भी नहीं है।
यह कह कर वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगीं और चूसने लगीं।

अब मैं पूरा नंगा हो गया था.. पर अभी भी वो पूरे कपड़ों में थीं।
मैंने उनकी साड़ी निकाल दी और उनकी पीठ के पीछे जा कर उनके मम्मों को दबाने लगा। फिर मैंने उनका ब्लाउज उतार कर दूर फेंक दिया और उनको बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया।

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी पीठ को चूमने लगा। मेरा लंड उनके पेटीकोट में मानो छेद करके उनकी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा था।

फिर मैंने ज़रा सी भी देर ना करते हुए उनका पेटीकोट निकाल दिया।
वो गुलाबी पैन्टी और काली ब्रा पहने हुई थीं।

अब मुझे मेरे लंड को रोकना मुश्किल हो गया। मैं उन्हें पागलों की तरह चूमने लगा.. वो मदहोश हो रही थीं।

मैं उन्हें पूरा नंगा देखना चाहता था। मैंने उनके दोनों मम्मों के बीच में अपना हाथ डाला और उनकी ब्रा खींच कर फेंक दी और साथ में उनकी पैन्टी को भी फाड़ कर फेंक दी। मैं नंगी सरला आंटी की गोरी चूत को चूमने लगा..

वो गर्म हो चुकी थीं, उनकी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, वो मेरे बालों के ऊपर से हाथ घुमा कर बोल रही थीं- अब देर मत करो.. मैं तुम्हारी रंडी बनने के लिए बेताब हो रही हूँ मेरे विक्की राजा।

यह कहते ही वो झड़ गईं।

उनकी कामुक बातों को सुन कर मेरा लंड आसमान की ओर देखने लगा, मैं अपने लंड को उनकी गाण्ड पर रख कर रगड़ने लगा।
वो बोलीं- विक्की आज तक मेरी गाण्ड किसी ने नहीं मारी.. तुम ही इसका उद्घाटन कर दो और इसे फोड़ कर रख दो।

ये सुनकर हम दोनों ही कुत्ता-कुतिया की स्टायल में आ गए और शॉट लगाने की पोजीशन में आ गए।
मैंने अपना लौड़ा उनकी गाण्ड में पेल दिया वो तड़फ उठी पर मैं हचक कर उनकी गाण्ड मारने लगा।

काफी देर तक लगातार उसकी गाण्ड मारने के बाद मैंने उनकी गाण्ड पूरी तरह से लाल कर दी। वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी- आहह.. आहह.. उई.. माँ मर गई.. फोड़ दी मेरी गाण्ड.. अब निकाल लो इसे..

मैंने कहा- बस थोड़ी देर रुक जाओ.. अब मैं झड़ने ही वाला हूँ।
कुछ धक्कों के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से बाहर निकाल कर चादर से पोंछ कर उनके मुँह की तरफ बढ़ाया तो उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा का सारा रस पी गईं।

अब हम दोनों एक-एक बार झड़ चुके थे। और दोनों ही बिस्तर पर लेटे हुए थे।

उसी वक़्त मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रख कर उन्हें मसलने लगा।
मैंने उनसे बोला- सरला.. मुझे तुम्हारे आम चूसना है..
वो बोलीं- हाँ.. लो चूसो मेरे राजा.. ये तुम्हारे ही तो हैं।

फिर मैं मदहोश हो कर उनके दुधारू चूचों को चूसने लगा।

वो बोलीं- इस तरह से मेरे मम्मों को आज तक किसी ने नहीं चूसा.. तुमने तो मुझे जन्नत का मज़ा दे दिया।
मैंने कहा- अभी तो जन्नत का मज़ा बाकी है..

तभी उनके मम्मों में से दूध बाहर आने लगा था.. तो मैंने सरला से पूछा- इस दूध का क्या करूँ?
वो बोलीं- इस दूध को अपने लंड पर लगा कर.. अपने लंड को चिकना कर लो और घुसा दो मेरी चूत में।

फिर हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चोदने की कोशिश करने लगा और वो भी मेरे लंड को चूसने लगी थीं।

अब उनकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने उन्हें बेड के ऊपर लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धों के ऊपर रख लिया और अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया।

जब मेरा लम्बा और मोटा लंड उनकी चूत में गया.. तो वो चिल्लाने लगीं ‘उउऊईई.. म्माआ.. मर गई..’

देर तक की चुदाई के बाद मैं झड़ गया था और इतने में वो भी 2 बार झड़ चुकी थीं।

वो हाँफते हुए बोल रही थीं- विक्की आज तुमने तो मुझे सच में जन्नत मज़ा दे दिया है। मैं तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलूँगी।
हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।

मैं सुबह करीब 8 बजे उठा.. वो चाय बना रही थीं, मैं उठ कर किचन में गया वो उस वक्त गाउन में थीं, मैंने गाउन को ऊपर करके अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया और कुछ देर तक चूत मारने के बाद उनकी चूत में पेल दिया।

इस तरह से मैंने उनकी धकापेल चुदाई की।

यह मेरी चुदाई की मजेदार दास्तान थी.. जो मैंने आप सभी से साझा की.. आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे ईमेल करें।
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