गणित का प्राध्यापक

गणित का प्राध्यापक

प्रेषिका : नेहा शर्मा

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नेहा शर्मा है, मैं अन्तर्वासना की बहुत पुरानी पाठक हूँ। यह मेरी पहली कहानी है। मैं एयर-होस्टेस हूँ किंगफिशर एरलाइन्स में, मेरा कद 5 फुट 7 इंच है, उम्र 23 साल है और अब तक अविवाहित हूँ।

और तन-आकृति की बात करूँ तो 35-29-34 है और रंग गोरा है। वैसे आप सोच सकते हैं कि किंगफिशर की एयर होस्टेस हूँ तो कैसी दिखती हूँगी। मेरे पापा आइ ए एस ऑफीसर हैं, घर में पैसे की कोई कमी नही है। मुझे बचपन से ही एयर हॉस्टेस बनने का चाव था तो पहले मैंने फ़्रैंक्फ़िन से ट्रेनिंग ली ओर पापा की जान पहचान के कारण आसानी से जॉब मिल गई। बहुत हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रही हूँ, आशा है कि आप सबको कहानी पसंद आएगी।

यह बात तब की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी। उस वक़्त मैं पूरी जवान हो चुकी थी, मेरा बदन तब 33-28-32 था, रंग तो बचपन से गोरा था ही।

स्कूल में मेरे बहुत आशिक़ थे पर मैंने उनको ज़्यादा घास नहीं डाली क्योंकि एक भी लड़का ऐसा नहीं था जो मेरे लायक हो या मुझे पसंद हो। बारहवीं कक्षा में मैं और मेरी दो सहेलियाँ गणित की ट्यूशन पढ़ने एक प्राध्यापक अजय के घर जाती थी, वो आई आई टी से स्नातक था और शादीशुदा था। उसकी उम्र करीब तीस साल थी। वो एक कोचिंग में पढ़ाता था और दिखने में काफ़ी स्मार्ट था। उसको देख कर मैं सोचती थी कि ऐसे लड़के स्कूल में क्यों नहीं हैं।

एक दिन पता नहीं किस्मत को क्या मंजूर था, मेरी दो सहेलियों में से एक की तबीयत खराब हो गई और दूसरी के परिवार में शादी थी तो वो वहाँ चली गई।

प्री-बोर्ड परीक्षा सर पर थी तो मैं ट्यूशन छोड़ भी नहीं सकती थी तो मैं अकेली ही चली गई उनके घर पढ़ने।

उसके घर पहुँची तो पता चला कि उसकी बीवी भी अपनी मायके गई हुई है। वो घर पर अकेला था, उसको यह पता था कि मेरी वो दोनों सहेलियाँ नहीं आएँगी तो उसने सोचा कि मैं भी नहीं जाऊँगी।

जब मैंने दरवाजे की घण्टी बजाई तो वो सिर्फ़ तौलिया लपेटे दरवाजे पर आया और मुझे देख कर चौंक गया, वो बोला- मुझे लगा तुम भी नहीं आओगी।

मैने कहा- सर, कुछ सवाल हल नहीं हो रहे हैं।

उसने मुझे बैठने के लिए कहा और खुद अंदर चला गया। मैं किताब खोल कर बैठ गई और सवाल देखने लग गई। मैने उस दिन कसी नीली जीन्स और सफ़ेद कसा टॉप पहन रखा था।

थोड़ी देर बाद वो कपड़े पहन कर आया और मेरे पास बैठ गया। उसने मुझे एक बार और सवाल हल करने की कोशिश करने के लिए कहा। मैं सवाल निकालने लग गई लेकिन वो मेरी तरफ देखे जा रहा था।

मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और चुपचाप अपना काम करती रही। फिर वो अचानक मेरे करीब आ गया और मेरा चेहरा अपनी ओर घुमा कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे बाल पीछे से पकड़ लिए और करीब दस सेकेंड तक मुझे चूमता रहा। मैं घबरा गई और काँपने लगी। फिर मैंने जल्दी से अपना बैग उठाया और बाहर गेट की तरफ जाने लगी। गेट अंदर से बंद था। जैसे ही मैं खोलने लगी तो उसने ज़ोर से मेरे बाल पकड़ लिए और बोला- साली, आज मौका मिला है तुझे चोदने का, कहाँ जा रही है?

वह मेरे बाल पकड़े हुए ही वो मुझे बेडरूम में ले आया और ज़ोर से मुझे बिस्तर पर पटक दिया। मैं इतनी घबरा गई थी कि डर के मारे मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था। उसने मुझे बिस्तर पर सीधी लेटाया और खुद मेरे ऊपर लेट गया। वो मेरे गालों को बुरी तरह चूमने लगा और जीभ से चाटने लगा। वो मेरी चूचियों और मेरे कूल्हों को कपड़ों के ऊपर से दबाने लगा। उसका एक हाथ मेरे वक्ष को मसल ही रहा था और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था।

फिर उसने मेरी जीन्स का बटन खोल कर उसने मेरी पेंटी में हाथ डाला और मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैं भी धीरे धीरे गर्म होने लगी थी और धीरे-धीरे मेरी घबराहट भी कम होने लगी थी। फिर वो रुक गया और मुझसे बोला- अगर तेरा मन नहीं कर रहा तो चली जा अपने घर, मैं और कुछ नहीं करूँगा।

मैंने कहा- तुमने जो आग लगाई है, वो तुम्हें ही बुझानी पड़ेगी।

इतना सुन कर वो खुश हो गया और बोला- मेरी रानी, आज तुझे जन्नत की सैर नहीं करवाई तो मैं भी जाट नहीं !

मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं अपनी चूत में नहीं घुसने दूँगी तेरा लण्ड।

उसने कहा- क्यों मेरी जान?

मैंने कहा- मेरी मर्ज़ी !

उसने कहा- ठीक है।

फिर उसने मुझे बाहों में भर लिया और फिर से मेरे शरीर को मसलने और दबाने लगा। फिर उसने एक एक करके मेरे कपड़े उतारे और मुझे पूरी नंगी कर दिया। मैं पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी हुई थी, फिर वो भी नंगा हो गया और अपना लण्ड मुझे चूसने के लिए बोला।

उसका लण्ड देख कर मेरी गाण्ड फट गई, 8 इंच लंबा था, मैं उसका लण्ड चूसने लगी और करीब पाँच मिनट तक लगातार चूसती रही। उसके बाद उसने मेरे मुँह में ही अपना सारा पानी छोड़ दिया। मुझे उस पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा, मैंने उसका पूरा पानी चाट लिया।

अब मेरी शर्म पूरी तरह खुल चुकी थी और मैं उसके साथ सेक्स का पूरा मज़ा लेना चाहती थी। मैंने उसको कहा- अब तुझे भी मेरी चूत चाटनी पड़ेगी।

उसने कहा- चूत चाटने में तो मुझे महारत हासिल है।

फिर मैं अपनी पीठ के बल अपनी टाँगें खोल कर लेट गई और उसके सिर को अपनी चूत की ओर दबाने लगी।

अजय ने अपनी जीभ मेरी टांगों के ऊपर फेरनी शुरू कर दी और मैं सिहर उठी- ओह हहह अजय बहुत अच्छा लग रहा है, रुकना नहीं ! बस ऐसे ही चाटते रहो ! मैंने कहा।

वह मेरी चूत के आसपास चाटता रहा और बीच बीच में मेरी जांघें भी चाट लेता था, धीरे धीरे उसकी जीभ मेरी चूत के होठों पर पहुँच गई।

और जैसे ही उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई, जोर से उसका सिर अपनी जांघों के बीच दबा लिया और जैसे ज्वालामुखी फटता है वैसे ही अपना पानी छोड़ने लगी।

मैं एकदम गर्म थी और जोर जोर से चुदना चाहती थी।

उसने कहा- चलो, अब कुतिया बन जाओ, मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।

फिर मैंने सोचा कि गाण्ड तो गाण्डू मरवाते हैं, मैं लड़की हूँ और अपनी चूत मरवा कर ही सेक्स का मज़ा लूँगी।

लेकिन फिर मैंने सोचा कि इस गाण्डू को क्यों अपनी सील तोड़ने दूँ, यह तो मैं अपने किसी प्रेमी के लिए बचाकर रखूँगी।

फिर मैं उल्टी हो लेट गई और वो मेरी गाण्ड को थपथपाने लगा, उसने अपनी एक अंगुली मेरी गाण्ड के छेद सभी घुसा दी। मैं दर्द से तड़प उठी, उसने अंगुली को गाण्ड में घुसाना जारी रखा। उसने ढेर सारी क्रीम मेरी गाण्ड में लगाई और लण्ड एक झटके से घुसेड़ दिया।

मैं दर्द के मारे जोर से चिल्लाई- मर गई बहनचोद ! बाहर निकाल ! फाड़ दी तूने मेरी गाण्ड …..!!!!

लेकिन अजय ने एक नहीं सुनी, उसने पूरा लौड़ा गाण्ड में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। करीब 15 मिनट बाद उसने अपना सारा पानी मेरी गाण्ड में छोड़ दिया…

उसका गर्म पानी मेरी गांड में घुसते ही मुझे जन्नत नसीब हो गई। फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे ही पड़े रहे। फिर उसने मुझे धीरे-धीरे से फिर चूमना चालू कर दिया लेकिन मैंने कहा- घर जाना है, देर हो रही है, फिर कभी करेंगे…

उसने कहा- ठीक है…

फिर मैने अपनी ब्रा पेंटी पहनी और फिर अपने कपड़े पहने और बाल ठीक किए और घर चली गई…

उसके बाद मैंने अपनी ट्रेनिंग के वक़्त कैसे अपनी सील तुड़वाई…. अपनी अगली कहानी में लिखूँगी।

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