चुदवा ही लिया भाभी ने

चुदवा ही लिया भाभी ने

मेरा नाम सुनील कुमार है। आज मैं आपको अपने जीवन की एक ऐसी घटना बताने जा रहा हूँ जिसके बारे में सोचकर मैं आज भी मस्ती और उन्माद से भर जाता हूँ और पूरी उम्मीद करता हूँ कि वो मस्ती आप तक भी पहुँचा सकूँ।
मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में काफ़ी सारे लोग रहते हैं, मेरे चाचा के बड़े लड़के की पत्नी जिसका नाम कमलेश है, वो मुझे शुरू से ही बहुत ज़्यादा हॉट लगती थी, जब मैं 18 साल का था तभी से मेरा दिल उन पर आया हुआ था।
एक बार रविवार के दिन मैं उनके घर पर बैठा था, भाभी अपने कमरे में चोटी बना रही थी। दोपहर का समय था। मैं कई बार भाभी के पास आने की कोशिश कर चुका था और आज मुझे वो मौका मिल रहा था।
मैं भाभी के पास बेड पर आकर बैठ गया और भाभी से इधर उधर की बातें करने लगा, भाभी भी बातों में घुलमिल गई।
मैंने तभी मौका देखकर अपना हाथ भाभी की जांघों के उपर रखना चाहा लेकिन भाभी ने तभी मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बोलने लगी- क्या तुम्हें ज़रा सी भी तमीज़ नहीं है, अगर आगे से ये सब किया तो तुम्हारे भैया को बोल दूँगी।
उस दिन मैंने भाभी को कुछ नहीं कहा और उठकर वहाँ से चला आया पर मैं अंदर ही अंदर काफ़ी डर गया था।
फिर उस दिन के बाद मैं कई दिनों तक भाभी के सामने नहीं गया। बस उस दिन के बाद मैंने कभी कोई और कोशिश नहीं की और दो साल बाद नौकरी के लिए दिल्ली आ गया।
अब आपको अपनी भाभी के बारे मैं बताता हूँ।
उनकी उमर 26 साल थी उनका फिगर उस समय करीब 36-28-38 का रहा होगा।
अब इस बात को करीब 9 साल हो गये थे मेरी उमर अब 27 साल है और भाभी की करीब 35 साल। समय के साथ साथ भाभी भी पुरानी बातों को भूल गई और मैं भी उनसे फिर घुलमिल कर बातें करने लगा।
मेरे मन में जो सेक्स की इच्छा होती थी उसे मैंने दिल्ली आकर पूरी तरह शांत किया। यहाँ पर मैंने ना जाने कितनी बार और कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया।
पर जो मज़ा मुझे सितम्बर 2012 में आया वो मैं चाहकर भी नहीं भूल पा रहा हूँ और उसी मज़े ने मुझे यह कहानी लिखने पर मज़बूर किया।
मैं अक्सर 3 या 4 महीनों के अंदर दिल्ली से अपने घर आता रहता हूँ। और जब भी घर आता हूँ अपने भैया के यहाँ (यही कमलेश भाभी) के यहाँ ज़रूर जाता हूँ।
यूँ तो कई बार से (लगभग दो साल से) कमलेश भाभी पर मेरा मन फिर से आ रहा था और अब मेरा डर भी ख़त्म हो गया था।
मैं कई बार भाभी के साथ अज़ीब तरह के मज़ाक जानबूझ कर कर देता था और भाभी भी उनमें खूब हंसती थी।
इन्ही बातों ने मेरी हिम्मत और भाभी की तरफ मेरा लगाव फिर से बढ़ा दिया और उसका नतीज़ा यह हुआ कि दो महीने पहले वो हुआ जिसके बारे में मैंने सोचना सालों पहले छोड़ दिया था।
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उस दिन दोपहर का समय था, मैं भाभी के घर पर बैठा था। घर पर उनकी बेटी स्कूल गई हुई थी और भैया काम पर थे।
मैं उनके घर पर टीवी देख रहा था और भाभी घर का काम कर रही थी, कभी कभी वो टीवी वाले कमरे में भी आ जा रही थी।
मेरे दिल ने धड़कनों ने बढ़ना शुरू कर दिया, पता नहीं क्यों !
पिछले दो तीन दिन से मैं भाभी के साथ अपने हाथ से भी मज़ाक कर चुका था। जैसे एक दिन मैंने बातों बातों में उनकी कमर में चुटकी काट ली थी और वो हँसने लगी थी। बस मेरी हिम्मत बढ़ने लगी।
दिल्ली मैं ना जाने लड़कियों को बातों में लेकर उनके साथ सेक्स किया था पर ना जाने आज क्यों डर रहा था।
तभी भाभी कमरे में आई और मैंने जानबूझ कर अपना हाथ भाभी के चूतड़ पर लगा दिया, उन्होंने इस बार कुछ नहीं कहा, वो बाहर चली गई और मैं उनके दोबारा अंदर आने का इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद भाभी फिर अंदर आई, मेरे दिल की धड़कन जोरों से चल रही थी।
तभी मैंने भाभी से कहा- …भाभी मुझे आप से कुछ बात करनी है।
भाभी बोली- बोलो, क्या कहना है?
मैंने कहा- भाभी मैं आपसे पहले ही माफी माँग लेता हूँ कि कहीं आपको मेरी बात बुरी ना लग जाए।
भाभी बोली- बोलो भी, क्या बात है, मुझे अभी काम भी ख़त्म करना है।
मैंने कहा- भाभी, आप मुझे बहुत मस्त लगती हो !
इतना कहकर मैं ना जाने क्यों कांपने लगा।
भाभी हल्के से हंसी और बोली- ऐसा क्यूँ लगता है तुम्हें?
“बस ऐसे ही !” मैंने कहा।
भाभी इतना सुनकर कमरे से जाने लगी तो मैंने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और भाभी का हाथ पकड़ लिया।
‘अब तुम्हारी बात सुन तो ली, अब क्या चाहिए?’ भाभी ने कहा।
मेरे साँसें तेज़ चल रही थी, मैंने कहा- आपने सुनकर कुछ कहा नहीं !
भाभी बोली- अभी मैं काम कर रही हूँ, ज़रा मैं नहा लूँ, फिर आकर आपकी खबर लेती हूँ, अब जाके टीवी देखो और अगर कुछ खाना है तो बताओ !
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मैं बैठकर टीवी देखने लगा और इसी तरह करीब एक घंटा निकल गया।
फिर भाभी बाथरूम से नहा कर निकली और उन्होंने एक बहुत ही प्यारा सूट पहन रखा था। इस सूट में उनका पिछवाड़ा बहुत मस्त लग रहा था।
मेरे लण्ड का बुरा हाल हो रहा था, मेरी बेचैनी बढ़ने लगी।
वो मेरे तरफ देखकर मुस्कुराने लगी, मैं बेड पर बैठ गया।
वो अंदर आई और बोली- अब बताओ, क्या बकवास कर रहे थे?
मैंने कहा- क्यों आप भूल गई क्या?
‘भूलने के बच्चे… अगर मैं तुम्हें मस्त लग रही होती तो तुम मुझे यूँ एक घंटे तक फ्री नहीं छोड़ते !’ वो बोली।
और इतना कहकर उन्होंने मेरे गाल पर चूंटी काट ली।
मैं तो पता नहीं पागल सा होने लगा था, मैंने झट से उन्हें कमर से पकड़ कर अपनी बाहों में खींच लिया।
हम दोनो की साँसें तेज़ हो रही थी।
तभी भाभी मेरे गाल पर किस करने लगी, मैंने भी अपने हाथ उनकी चूचियों पर रखकर उन्हें हल्का हल्का मसलना शुरू किया।
भाभी के अंदर से एक अजीब से महक आ रही थी जो मैंने पहले कभी भी महसूस नहीं की।
तभी भाभी का हाथ धीरे धीरे मेरी जीन्स की तरफ बढ़ने लगा, तो मैंने कहा- इतनी भी क्या जल्दी है, ज़रा सी देर अपने हुस्न का मज़ा तो लेने दो।
भाभी बोली- ज़रा मैं भी तो देखूँ कि मुझे जन्नत की सैर करने वाले के क्या हाल हैं?
मैंने खड़े होकर अपनी जीन्स उतारी और अब मैं केवल एक शर्ट और अंडरवीयर में खड़ा था।
भाभी ने धीरे से मेरे अण्डरवीयर में हाथ डालकर मेरे लण्ड को छुआ, तो मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
उसके बाद भाभी ने हल्का सा मेरे लण्ड को अपने हाथ से आगे पीछे करना शुरू किया।
और तभी वो हुआ जो मैंने भी नहीं सोचा था, भाभी के हाथों में आते ही मेरे लण्ड के आते ही मैं झड़ गया, मुझे इतना ज़्यादा आनन्द आ रहा था कि मैं यही भूल गया कि भाभी मेरे सामने है और मैं अपनी कमर को हिला हिला कर झड़ने का मज़ा लेने लगा।
मेरे लण्ड के पानी को हाथ से साफ करते हुआ भाभी बोली- क्यों मेरे राजा, इतनी जल्दी मैदान से भाग गये? तुम्हारा घोड़ा तो मेरे हाथ के दो झटके भी नहीं झेल पाया और झड़ गया।
‘अभी तो मैंने अपने हाथों से ही मालिश की थी अगर कहीं और से मालिश कर देती तो तुम्हारा क्या होता?’
मुझे बहुत शर्म आ रही थी, मैंने कहा- भाभी, इतने लम्बे समय से आपके बारे में सोच रहा था तभी आपके सामने आते ही मैदान से भाग गया, वर्ना मेरे घोड़े को हराना इतना आसान नहीं है।
और इतना कहकर मैंने भाभी के होंठ अपने होठों के बीच दबा लिए और उनका रस पीने लगा।
भाभी पर धीरे धीरे मस्ती छाने लगी और उन्होंने मदहोश होना शुरु कर दिया।
मैंने भाभी को अपनी गोद में उठाया और बेड पर सीधा लिटा दिया।
अब वो मुझे बहुत मस्त लग रही थी।
मैंने धीरे से अपने दांत उनकी सलवार के नाड़े पर जड़ दिए और उसे खींच दिया, फिर मैंने भाभी की सलवार को नीचे निकाल कर अलग कर दिया।
उनकी चूत पे हल्के हल्के बाल थे, लगता था उन्होंने जल्दी ही सफाई की थी।
मैंने आराम से अपनी जीभ उन बालों में घुमानी शुरू कर दी।
बस फिर क्या था, भाभी ने अपनी आँखें बंद कर ली, मैंने एक हाथ उनकी चूचियों पर रखा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सहलाने लगा।
और फ़िर उनकी चूत के दाने को छेड़ना शुरू किया। बस भाभी शुरू हो गई, उन्होंने अपने दोनों जांघों से मेरे सर को दबाया और मीठी मीठी सिसकारियाँ भरने लगी।
बस इतनी देर में मेरा लंड भी दुबारा तैयार हो गया।
अब भाभी ने अपनी गांड को हल्का सा ऊपर की तरफ करना शुरू किया और अपने हाथ को मेरे लंड की तरफ बढ़ाने लगी।
मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बोली- जरा अपने घोड़े को बोलना कि मेरे गली में जाकर उसकी खुजली मिटाए। यह तो आग की तरह तप रहा है।
मैंने कहा- भाभी, इतनी भी जल्दी क्या है, जितना मैं आपके लिए तरसा हूँ, पहले उसका बदला तो लेने दो।
भाभी ने अपनी आँखें बंद कर ली और सिसकारियाँ लेने लगी, पूरे कमरे में उनकी आहों की आवाजें आ रही थी।
मैंने घड़ी की तरफ देखा, दोपहर के ढाई बजे थे।
तभी भाभी ने बोलना शुरू कर दिया- सुनील अब आ जाओ, वर्ना मैं ऐसे ही मर जाऊँगी।
मैंने अपनी जीभ तेज कर दी।
भाभी चिल्लाने लगी- सुनील, क्या कर रहे हो, मैं झड़ने वाली हूँ।
यह कहकर भाभी जोर जोर से अपने कूल्हे हिलाने लगी।
मुझे लग गया कि अब भाभी पूरी तरह गर्म है, पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार है।
मैंने भाभी के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर रखा और उनकी चूत पर अपना लंड रखकर अन्दर की तरफ झटका मार दिया।
पूरा लण्ड एक ही धक्के में अन्दर समां गया।
‘शाबाश मेरे राजा, अब लग जा काम पर ! और लेकर चल मुझे स्वर्ग की सैर पर !’
इतना कहकर भाभी ने अपने पैर मेरे कन्धों से हटा कर मेरी कमर पर कस दिए।
मैंने हल्के हल्के धक्के मारने शुरू किये और भाभी ने नीचे से मेरा साथ देना शुरू किया।
यह सब करीब 10 मिनट तक चला और अचानक भाभी पर मस्ती सवार होने लगी और मुझे अपनी बाँहों में कसकर वो झड़ गई।
मैंने कहा- भाभी, ये क्या, मुझे रास्ते में ही छोड़कर कर आप वापस जा रही हो?
भाभी बोली- पागल… तो आगे चल और ऐसे ही धक्के मार, मैं बस तेरे पीछे पीछे ही आ रही हूँ।
और इतना कहकर उन्होंने मेरे होंटों को चूम लिया।
मैंने अपने धक्के चालू रखे और मैं बस दो ही मिनट धक्के मर पाया हूँगा कि भाभी अपने आप बोलने लगी- क्या कर रहा है, अगर इस तरह मुझे चोदेगा तो कल तक भी मुझे नहीं झाड़ पायेगा, चल थोड़ा जोर दिखा।
अब मैंने अपनी रफ़्तार पकड़नी शुरू की।
“शाबाश राजा, थोड़ा जमा जमा कर धक्के मार… आआआआ मज़ा आ रहा है… अब रुकना मत !’
मैं भी पूरे जोश में भाभी को चोद रहा था कि तभी भाभी ने बोलने लगी- अबे क्या चोद रहा है मादरचोद। कह रही हूँ कि जमा जमा कर धक्के लगा, सुन नहीं रहा क्या?
मैंने कहा- सब सुन रहा हूँ मेरी रानी, अब बस तैयार रहो स्वर्ग चलने के लिए… ये लो… आआआअ आआआआ और लो मेरी जान !
भाभी बोली- ईईईईई मर गई… क्या कर रहा है… और जोरों से चोद… आआअ आआ… ईईईई ऊऊऊऊउ थोड़ा और तेज़, थोड़ा सा और… बस मैं आयाआआआईईईई… हाय मेरे राजा, मैं आने वाली हूँ।
मैंने भी भाभी की चुदाई में पूरी जान लगा दी।
भाभी ने नीचे से अपने जबरदस्त तरीकों से तेज़ कर दिए… पूरे कमरे में अब आहों की बजाये फच फच फच की आवाजें आ रही थी।
भाभी ने मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया- सुनील, मैं गई… ह्ह्ह्हाआय्य्य  ह्ह्ह्हाय्य्य मैं झड़ी…मैं झड़ गई रे… हाय रे सुनील… मेरे राजा तूने तो मेरा बैंड ही बजा दिया !
और इतना कहकर भाभी बिस्तर के ऊपर ही फुदक फुदक कर झड़ने लगी।
अब मैं भी किनारे पर खड़ा था, चार पांच झटके मारने के बाद मुझे भी मंजिल मिल गई और मैं भाभी की चूत के अन्दर ही छुट गया। मैं इतनी बार झड़ा हूँ पर उस दिन जो मैं भाभी की चूत के अन्दर झड़ा, वो मज़ा मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकता।
भाभी की चूत में मेरी पिचकारी तीन बार छूटी।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।
3 बज गये थे, फिर हम अलग हुए और भाभी ने मेरे लिए चाय बनाई।
फिर उसके बाद मैं घर आ गया।
हाँ अब जब भी उनके घर जाऊँगा, अपनी कमलेश भाभी की चुदाई पक्की है।
धन्यवाद।
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