चुदाई का असली मज़ा आंटी को दिया -1

चुदाई का असली मज़ा आंटी को दिया -1

हैलो दोस्तो, मैं आपका और सिर्फ़ आपका केके.. आपके सामने अपनी एक कहानी पेश कर रहा हूँ। मैं राजकोट (गुजरात) का रहने वाला एक सुपर सेक्सी हॉट लड़का हूँ.. जो हर वक़्त सेक्स में डूबा रहना चाहता है। मैं 20 साल का हूँ। मेरा जिस्म उन लड़कियों और भाभियों की चुदासी चूतों के एकदम फिट है जो एक मस्त लौंडे के लौड़े से चुदवाना चाहती हैं।

मेरे लंड का आकार 10 इंच है.. जो कि भारतीय लौड़ों में एक अपवाद है। अगर कोई लड़की.. आंटी.. या कोई भी भाभी मुझसे मीटर लौड़े के विषय में जानकारी लेना चाहती हो.. तो मुझे ईमेल से अपनी चुदास के विषय में लिख सकती है।
मेरा मेल एड्रेस कहानी में लिखा है।

बात उन दिनों की है.. जब मैं कॉलेज के पहले साल में था। मेरा एक दोस्त था अनिल.. मैं अक्सर उसके घर जाया करता था। अनिल की माँ जिन्हें मैं सोनम आंटी कहता था.. उनको देखकर मुझे कुछ कुछ होता था.. क्योंकि वो दिखने में गजब की थीं। थोड़ी साँवली थीं.. पर उसका फ़िगर बहुत सेक्सी और कामुक था।
उनको देखकर मानो ये लगेगा ही नहीं कि इनके 2 बच्चे हैं.. एक लड़का बिल्कुल मेरी उम्र का और एक लड़की..
वो अभी 40 साल की थीं.. पर लगती थीं सिर्फ़ 25 साल की। उनका फ़िगर क्या गजब का था.. 38 के मम्मे.. 30 की लचकदार कमर और 36 के मोटे-मोटे चूतड़.. क्या जबरदस्त माल थीं वो दोस्तो..

मैं तो हर बार जब भी उनको देखता तो सिर्फ़ उनके मम्मों को ही देखता रहता। कभी-कभी तो सोचता कि इनको किसी कोने में ले जाकर जम कर चुदाई करूँ.. पर क्या करूँ दोस्त की माँ थी और वो मुझे बहुत अच्छे से ट्रीट करती थीं.. जैसे मैं उनका ही बेटा हूँ।

तब भी मेरे मन में अनिल की माँ के साथ सेक्स करने की चाहत थी। मेरा दिल बार-बार उनके बारे में ही सोचने लगता कि कैसे इस माल का मजा लिया जाए।

अब मैं ज्यादा से ज्यादा अनिल के घर पर जाने लगा और आँखों से ही उसकी माँ के साथ सेक्स करने लगा.. और जब तो खास करके जाता जब अनिल कहीं बाहर गया होता। मैं उनके घर पर जाकर उनसे जानबूझ कर पूछता- अनिल कहाँ है?
तो अनिल की माँ सोनम आंटी कहती- वो तो बाहर गया हुआ है।
तब मैं कहता- ठीक है.. मैं यहीं बैठकर उसका वेट कर लेता हूँ।

और मैं उनके घर में ही बैठकर सोनम आंटी को घूरने लगता।
जब उनकी निगाहें मुझ पर पड़तीं.. तो मैं नजरें हटा लेता।
ऐसे ही बहुत दिनों तक चलता रहा।

फिर एक दिन ऐसे ही अनिल के घर पर बैठा था तो सोनम आंटी ने कहा- जरा सुनो.. मेरा एक काम करोगे?
मैंने झट से कहा- हाँ.. क्या काम है?
तो आंटी ने कहा- जरा पलंग सरकाने में हेल्प करोगे.. मुझे उसके नीचे की सफ़ाई करनी है। अनिल से कहती हूँ तो वो भाग जाता है।
मैंने कहा- चलिए.. किधर सरकना है?

उन्होंने मुझे बेडरूम में आने को कहा.. और मैं उनके बेडरूम में चला गया। मैं एक तरफ़ से जोर से बेड को धकेलने लगा।
मैंने कहा- आंटी आप भी धकेलिए भारी है।

तब आंटी भी धकेलने लगीं और बेड को धकेलते वक़्त आंटी का पल्लू गिर गया और उनके भारी भरकम मम्मे ब्लाउज में से जरा नजर आए.. मैं ये देखकर पागल हो गया।

हाय.. क्या मस्त मम्मे थे यार.. दिल किया कि अभी जाके दबोच लूँ और सारा रस पी जाऊँ। उन्होंने साड़ी प्रिन्ट में सफ़ेद रंग की पहनी हुई थी और ब्लाउज भी उसी रंग का था.. तो उनकी गुलाबी रंग की ब्रा साफ़ दिख रही थी। उनके मम्मों के बीच की दरार का हाय क्या कहने..!

वो मुझे पागल बना रही थीं.. साथ में मेरा लंड भी ये देखकर उछलने लगा था। बेड को धकेलने के बाद आंटी ने झाडू ली और वो वहाँ साफ़ करने लगीं। अभी भी उनका पल्लू नीचे ही गिरा हुआ था। शायद उनका ध्यान ही नहीं गया था या फ़िर मुझे अपने मम्मों का जलवा दिखाने के लिए जानबूझ कर पल्लू उठाया ही नहीं था।

मेरी भूखी नजरें उनके मम्मों पर ही टिकी हुई थीं, मुझे लग रहा था कि अभी जाकर उनको दबोच कर चुदाई कर दूँ.. पर क्या करूँ डर लग रहा था। तभी आंटी की नजरें मुझ पर पड़ीं.. फ़िर उनका ध्यान ब्लाउज पर गया.. और उन्होंने झट से पल्लू उठाकर मम्मों को ढक लिया।

तभी मैंने कहा- आंटी.. आप स्कूल के वक़्त बहुत ही खूबसूरत लगती होंगी.. नहीं..!
आंटी ने मुस्कुरा कर कहा- हाँ.. लेकिन तुम ये क्यों पूछ रहे हो?
मैंने कहा- ऐसे ही.. क्योंकि अभी भी आप बहुत ही सुंदर दिखती हो.. इसलिए कहा।

मेरा लंड तनकर टाईट हो गया था।
तभी आंटी ने कहा- जरा वो स्टूल पकड़ाना। मैं ऊपर की सफ़ाई करती हूँ।
स्टूल की हाईट ज्यादा नहीं थी।

आंटी स्टूल पर चढ़ गईं और कहा- जरा स्टूल को ठीक से पकड़ो.. कहीं मैं गिर ना जाऊँ।

अब उनकी भरी-भरी हुई पिछाड़ी के चूतड़.. मेरी आँखों के सामने थे और मेरा मन कर रहा था कि अभी उनको काट लूँ और खूब मस्ती करूँ। तभी मेरा एक हाथ.. जो स्टूल को पकड़े हुए था.. आंटी के पैर पर आ गया। मेरी तो डर के मारे जान निकल रही थी.. पर आंटी ने कुछ नहीं कहा।

फ़िर मैंने आहिस्ता से उस पैर को सहलाया। आंटी अपना काम कर रही थीं। मेरी थोड़ी सी हिम्मत और बढ़ी.. और मैंने आपनी नाक से आंटी के चूतड़ों को टच किया।

हाय.. गजब का अहसास था वो..
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तभी आंटी ने कहा- केके.. स्टूल पर से भी ऊपर की जाले निकल नहीं रही है। तो क्या करें.. बड़ा स्टूल भी तो नहीं है और तुम्हारी हाईट भी तो मेरी जितनी है। क्या करें समझ ही नहीं आ रहा है.. चलो रहने दो.. मैं बाद में बड़ा डंडा लाकर निकाल लूँगी..।
तभी मैंने कहा- आंटी.. बाद में क्यों..? अभी सफ़ाई चल ही रही है.. तो अभी निकाल लेते हैं।
आंटी ने कहा- कैसे..?
मैंने कहा- एक मिनट रूकिए।

अब मैं भी स्टूल पर चढ़ गया।

आंटी ने कहा- अरेरेरे केके.. पागल हो क्या..? दोनों गिर जाएंगे।
मैंने कहा- नहीं आंटी.. नहीं गिरेंगे.. और गिर भी गए तो बेड पर ही गिरेंगे।
आंटी ने कहा- ठीक है.. लेकिन अब क्या..? तेरा हाथ भी तो नहीं पहुँच रहा है।
मैंने कहा- मैं आपको उठा लेता हूँ। फ़िर आप साफ़ कीजिए।

और मैंने आंटी को हाथों से ऊपर उठा लिया। अब उनकी चूत मेरे सामने थी और मेरे हाथों ने उनकी चूतड़ों को कस कर पकड़ा हुआ था। तब मेरा लंड तो पैन्ट फ़ाड़कर बाहर आने को बेताब था। आंटी की चूत से ताजा चुदाई की खुश्बू आ रही थी। मुझे लगा शायद उन्होंने कल ही अंकल से चुदवाया होगा। वो मुझे मदहोश कर रही थीं। एक पल के लिए तो मैं उस खुश्बू में समा गया था.. पर फ़िर मुझे होश आ गया। मैं उस खुशबू के मजा लेने लगा।

आंटी के घुटने को मेरे लंड को टच कर रहे थे। उनको भी शायद मेरे तनाव का एहसास हो गया था। तभी मैंने आपना मुँह आंटी की चूत पर टिका दिया और साड़ी के ऊपर से ही उस खुश्बू का मजा लेने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता उनकी चूत को अपने होंठों से रगड़ने लगा। मेरा एक हाथ भी उनकी चूतड़ों को मसल रहा था।

तभी ना जाने क्या हुआ.. हम दोनों एकदम से बेड पर गिर पड़े।

तभी मैंने मौका देख कर अपना सिर जोर से उनकी जाँघों में घुसा दिया। बेड पर आंटी मेरे नीचे थीं। मेरा लंड उनके पैरों के बीच दबकर मजे ले रहा था और मेरा मुँह उनकी चूत पर था।

मुझे महसूस हो रहा था कि आंटी गरम थीं क्योंकि उनकी साँसें तेज थीं। तभी मेरे मन में आया कि यही सही मौका है इसकी खूबसूरत जवानी का पूरा मजा लूटने का।

मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया.. और हल्के से उसे मसल दिया।
आंटी भी बहुत गरम हो चुकी थीं.. क्योंकि वो एकदम शांत पड़ी हुई थीं। शायद पता नहीं.. मेरे लंड की वजह से.. क्योंकि मेरा लंड उनकी जाँघों के बीच था

आंटी के शांत होने की वजह से मेरी हिम्मत और बढ गई और मैं पूरा आंटी के ऊपर चढ़ गया।

उनकी आँखें बंद थीं और साँसें बहुत तेज हो गई थीं, मेरी भी साँसें भी तेज हो गई थीं, कान जैसे लोहे की तरह तप रहे थे। मैंने अपने एक हाथ से उनके मम्मों को साड़ी के ऊपर से हल्के से मसलना शुरु किया.. तो आंटी ‘आहें’ भरने लगीं।

फ़िर मैंने अपने दूसरे हाथ से उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके पैरों से ऊपर करने लगा। साड़ी ऊपर करके उनकी पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाने लगा।
तभी आंटी ने एक बड़ी ‘आह’ भर के कहा- केके.. ये क्या कर रहे हो?

अब मैं कुछ ऊहापोह की स्थिति में तो था.. पर मेरे सर पर चढ़ी हुई वासना की खुमारी यह कह रही थी कि सोनम आंटी भी चुदासी हो गई हैं.. और उनकी आवाज में वो विरोध नहीं है.. जो एक विरोध कहलाता है।

दोस्तो, अब मुझे उनको हर हाल में चोदना था.. क्या हुआ उनकी चुदास को मैं समझ पाया?
जानते हैं अगले भाग में.. तब तक मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए और मुझे अपने कमेंट्स ईमेल से जरूर भेजिएगा।
आपका केके..
कहानी जारी है।
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