चूत एक पहेली -33 – Antarvasna

चूत एक पहेली -33 – Antarvasna

अब तक आपने पढ़ा..

पायल- बस करो.. नहीं मैं कुछ कर बैठूंगी.. अपनी बकवास बन्द रखो और जाओ यहाँ से!
सुनीता- पायल मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ.. तुम कभी मेरी बात ही नहीं सुनती..
पायल- तुम नहीं जाओगी.. मुझे ही जाना होगा यहाँ से… नहीं तुम्हारी मनहूस शक्ल देखते रहना पड़ेगा।

पायल गुस्से में वहाँ से अपने कमरे में चली गई और कुछ देर बाद संजय और सुनीता वहाँ से निकल गए। हाँ जाने के पहले संजय गुड्डी से मिलकर गया और उसका मूड खराब देख कर कुछ ज़्यादा नहीं कहा।

अब आगे..

उनके जाने के बाद रॉनी ने पुनीत को इशारा किया और वो सीधा पायल के कमरे के पास गया।
दरवाजे पर उसने दस्तक दी तो पायल ने कहा- दरवाजा खुला है आ जाओ..
पुनीत- अरे गुड्डी क्या हो गया.. इतनी गुस्सा क्यों हो तुम?
पायल- कुछ नहीं भाई.. बस ऐसे ही मूड थोड़ा खराब है..
पुनीत- अरे कितने टाइम बाद आई हो.. चलो आज कहीं बाहर घूमने चलते हैं मज़ा आएगा..
पायल- नहीं भाई.. आज मन नहीं है.. कल जाएँगे.. आज रहने दो..
पुनीत- अरे चल ना.. तू कभी मेरे साथ बाहर नहीं गई ना.. तो तुझे पता नहीं बहुत मज़ा आता है..

पायल- ओके ठीक है.. लेकिन जाना कहाँ है.. यह तो बताओ आप..?
पुनीत- मूवी देखने चलते हैं।
पायल- नहीं मूवी का मूड नहीं है.. भाई घर में ही कुछ एन्जॉय करते है ना..
पुनीत- ये तो और भी अच्छा आइडिया है बोल क्या करें.. कोई गेम खेलें?

पायल कुछ कहती.. तभी दरवाजे पर रॉनी उसको दिखाई दिया.. उसके हाथ में तीन कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल थीं।
पायल ने कहा- वहाँ क्यों खड़े हो.. यहाँ हमारे पास आ जाओ।
पुनीत- वाह.. यह काम अच्छा किया तूने.. ला पिला.. मेरा कब से गला सूख सा गया था।

रॉनी ने दोनों को बोतल दीं.. जिसमें स्ट्रा लगा हुआ था और खुद भी पीने लगा। अब पुनीत की नज़र पायल पर थी कि वो क्या कहेगी..
मगर रॉनी बोला- मैंने सब सुन लिया.. तुम दोनों कोई गेम खेलने की बात कर रहे थे।
पायल- हाँ भाई.. एक बड़ा मजेदार गेम है.. वही खेलेंगे..
पुनीत- कौन सा गेम.. मेरी प्यारी गुड्डी.. बता तो हमें…

पायल- भाई वहाँ हॉस्टल में अक्सर हम ये गेम खेलते हैं.. बड़ा मज़ा आता है और आपको भी वो सब पसन्द है। जाओ अपने कमरे से कार्ड लेकर आ जाओ.. आज हम कार्ड गेम खेलेंगे और मज़ा करेंगे।

कार्ड का नाम सुनकर दोनों की गाण्ड फट गई… पायल को इस गेम के बारे में कैसे पता.. कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हो गई।
पुनीत- क्या बोल रही है तू.. कार्ड का कौन सा गेम है और मेरे पास कहाँ कार्ड-वार्ड हैं..
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पायल- अरे भाई झूठ मत बोलो.. मुझे आपके सब राज पता हैं.. आपके कमरे में कार्ड हैं और ये बड़ा मजेदार गेम होता है। आप कार्ड तो लाओ.. मैं सब समझा दूँगी..
पुनीत- मेरे कमरे में कार्ड हैं.. ये तुझे किसने कहा?
पायल- ये भी बता दूँगी.. पहले आप कमरे में चलो.. वहीं जाकर सब बता भी दूँगी और वहीं हम खेलेंगे भी.. यहाँ का एसी सही से काम नहीं कर रहा है।

पायल आगे-आगे चलने लगी तो पीछे पुनीत ने रॉनी से बात की- ये क्या मामला है.. गुड्डी को कैसे पता लगा इस सब के बारे में?
रॉनी- मुझे क्या पता.. अब चलो वहीं जाकर पता लगेगा.. अब ये क्या धमाका करने वाली है।
पुनीत- हाँ चलो.. ये सही रहेगा.. वहाँ जाकर ही देखते हैं.. मगर जब तक गुड्डी खुद से कुछ ना कहे.. हम कुछ नहीं बोलेंगे..
रॉनी- हाँ भाई सही है.. अब चलो..

दोस्तो, ये कमरे तक पहुँच जाएँ तो वहाँ का नया ट्विस्ट आपके सामने आए.. उसके पहले ज़रा पीछे जाकर कुछ पुराने राज पर से परदा उठा देती हूँ.. ताकि आपकी उलझन कुछ कम हो जाए।

शाम को पायल से मिलने के बाद जब संजय गाड़ी में बैठा तो सुनीता को घूरने लगा।
सुनीता- क्या हुआ.. आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

संजय- तुमने पायल से क्या कह दिया.. वो कितना गुस्सा है.. मुझसे भी ठीक से बात नहीं की उसने?
सुनीता- मैंने क्या कहा.. बस उसको समझाने की कोशिश की.. मगर वो बात सुनने को तैयार ही नहीं है।
संजय- क्या समझाना चाहती हो तुम उसे? हाँ क्या बताओगी तुम उसको?

सुनीता- सब कुछ बता दूँगी.. जब मेरा कोई कसूर ही नहीं.. तो क्यों मैं उसके तीखे शब्द सुनूँ.. हाँ अब मुझसे उसकी नाराज़गी देखी नहीं जाती.. दीदी तो सब जानती हैं.. मगर फिर भी उसको कुछ नहीं बताती.. अब मुझसे ये सब देखा नहीं जाता है।
संजय- अपनी बकवास बन्द करो.. ये जो ऐशो आराम की जिंदगी गुजार रही है ना.. सब ख़त्म हो जाएगा.. समझी..
सुनीता- ये तेवर अपने पास रखो.. अब मैं पहले वाली सुनीता नहीं हूँ.. जो सब कुछ चुपचाप सह लूँगी.. सारी दुनिया को बता दूँगी कि संजय खन्ना की औकात क्या है.. समझे..!

संजय- अरे नाराज़ क्यों होती हो.. इस बारे में बाद में बात करते हैं ना.. ये जगह ऐसी बातों के लिए नहीं है।

ड्राइवर के सामने संजय ज़्यादा कुछ बोलना नहीं चाहता था.. इसलिए उसने सुनीता को भी चुप करा दिया.. मगर यहाँ दाल में कुछ कला तो जरूर है.. जो आपको बाद में पता चल ही जाएगा। अभी इनको जाने दो.. अब तक तो वो तीनों कमरे में पहुँच गए होंगे।

तीनों पुनीत के कमरे में आ गए और पायल ने टेबल की दराज से कार्ड निकाल कर रॉनी को दे दिए।
पुनीत- गुड्डी बता ना.. ये कार्ड का तुझे कैसे पता चला?

पायल- ओह.. भाई.. आप भी ना शाम को आप बाहर गए थे.. तब मैं आपके कमरे में आई थी। बस ऐसे ही किसी वजह से यहाँ देखा.. तो ये कार्ड मिल गए और वैसे भी मुझे कार्ड गेम पसन्द है। मैंने बताया था ना.. वहाँ हम अक्सर खेलते हैं।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. चलो अब गेम के बारे में भी बता दो।

पायल- देखो भाई.. ये कार्ड में से सबको एक-एक कार्ड दिया जाएगा और जिसका कार्ड का नंबर सबसे छोटा होगा.. वो हार जाएगा और जीतने वाला उसको कोई काम बोलेगा.. जो उसको करना होगा जैसे कोई गाना गाना या डान्स करना.. कुछ भी.. ओके?

पायल की बात सुनकर दोनों की जान में जान आई.. वो तो कुछ और ही समझ बैठे थे।
रॉनी- अरे ये गेम तो हमें अच्छे से आता है.. आज तो गुड्डी तुम ही हारोगी.. हर बार देखना..
पायल- अच्छा.. इतना घमण्ड.. तो लो आप ही कार्ड को बाँटो.. पता चल जाएगा कौन हारता है।

रॉनी ने कार्ड सबको दिए और खोलने पर रॉनी ही हार गया.. उसके पास सबसे छोटा पत्ता आया था।
पायल- हा हा हा.. देखा.. कैसे सेखी बघार रहे थे.. अब हार गए ना.. तो चलो लड़की की तरह चलकर दिखाओ।
रॉनी ने नानुकुर की.. मगर पायल के आगे उसकी एक ना चली और वो ठुमक-ठुमक कर चलने लगा।

पुनीत और पायल ने उसका बहुत मजाक बनाया.. ऐसे ही कभी पुनीत हारा.. तो कभी पायल.. काफ़ी देर तक ये खेल चलता रहा।
रॉनी- बस यार गुड्डी.. मैं तो थक गया हूँ.. मुझे नींद भी आ रही है.. तुम दोनों खेलो.. मैं तो चला सोने..
पुनीत ने कहा- ठीक है तुम जाओ.. मुझे भी अब नींद आने लगी है..

रॉनी और पायल वहाँ से चले गए.. तो पुनीत ने अपने कपड़े निकाले और बस एक बरमूडा पहन के लेट गया।

पायल अपने कमरे में गई.. उसने एक सफ़ेद टी-शर्ट और शॉर्ट निक्कर पहनी और बिस्तर पर लेट गई.. मगर उसको अजीब सी बेचैनी सी होने लगी.. उसके जिस्म में सुईयाँ जैसी चुभने लगीं और नींद का नामो-निशान उसकी आँखों में नहीं था।

कुछ देर बाद वो उठी और पुनीत के कमरे के पास जाकर आवाज़ दी।
पुनीत- अरे गुड्डी.. तुम क्या हुआ.. आ जाओ लॉक नहीं है।
पायल- भाई मेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा है.. नींद ही नहीं आ रही है मुझे।
पुनीत- ओह.. कल ठीक करवा दूँगा.. तुम ऐसा करो मॉम के पास चली जाओ..
पायल- नहीं मॉम सुबह जल्दी उठ कर पूजा करेगी और मुझे इतनी जल्दी नहीं उठना है।
पुनीत- अरे तो मॉम पूजा करेगी तुम्हें क्या.. तुम सोती रहना..
पायल- नहीं भाई.. आपको पता नहीं मॉम कमरे में बैठकर ही ज़ोर-ज़ोर से आरती करती हैं।

पुनीत- अरे तो मेरी प्यारी बहना.. यहाँ मेरे कमरे में सो जाओ.. वैसे भी ये बिस्तर बहुत बड़ा है.. दोनों आराम से सो जाएँगे।
पायल ने कुछ सोचा और ‘हाँ’ कह दी।

पुनीत ने चादर अपने ऊपर डाल ली और करवट लेकर सो गया। पायल भी दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई और कुछ सोचने लगी। अचानक उसे पूजा की कहानी याद आई कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके साथ सब किया था..
यह सोचकर वो थोड़ी डर गई और जल्दी से पुनीत की तरफ़ करवट ले ली..

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।
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