चूत एक पहेली -44 – Antarvasna

चूत एक पहेली -44 – Antarvasna

अब तक आपने पढ़ा..

पायल- अरे नहीं भाई.. मैं तो शुरू से ही ऐसी हूँ.. बस मुझ पर आपकी नज़र नहीं गई।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. तो तू भी पहले कहाँ ऐसे कपड़ों में मेरे सामने आई है।
पायल- अब आपने अपनी पसन्द के कपड़े आज ही दिलाए हैं. ऐसे पहले दिला देते.. तो पहले पहन लेती..
पुनीत- अरे मेरी पसन्द का क्या मतलब है.. तुम्हें लेने थे.. मैंने तो बस कलर बताए तुम्हें..
पुनीत उसकी ब्रा की स्ट्रिप को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ बोला।

अब आगे..

पायल- ओह्ह.. अच्छा बस कलर बताए यानि आपकी पसन्द का कोई खास कलर नहीं था.. बस ऐसे ही सब कलर बता दिए थे आपने.. क्यूँ?
पुनीत- और नहीं तो क्या..
पायल- ओहो.. तो तब शॉप में ऐसा क्यों कहा था कि रेड कलर होता तो अच्छा रहता.. और अभी मैंने कपड़े माँगे.. तब भी अपने लाल रंग के कपड़े ही दिए.. इसका क्या मतलब समझूँ मैं..? सच बताना.. आपको मेरी कसम है..
पुनीत- अरे यार.. इसमें कसम देने की क्या जरूरत है.. ऐसे ही पूछ ले।
पायल- कसम इसलिए दी.. ताकि आप मुझसे झूठ ना बोलो.. समझे..
पुनीत- ओके सुन.. रेड और ब्लैक मेरा पसंदीदा कलर है.. और खास कर तुम्हारे गोरे जिस्म पर ये बहुत जंचेगा.. बस मैंने यही सोचा था।

पायल की नज़र उसकी पैन्ट में बने तंबू पर गई.. तो वो मुस्कुराने लगी।
पायल- अच्छा तो ये बात है भाई.. इसका मतलब आपके दिल में ये भी होगा कि लाल रंग के सैट में आप मुझे देखना चाहते हो।
पुनीत- क्क्क..क्या पागल हो गई है क्या.. कुछ भी बोल रही है।
पायल- जस्ट चिल भाई.. मजाक कर रही हूँ.. वैसे इसमें बुराई भी क्या है.. स्विम सूट में भी तो अपने एक बार मुझे देखा है।
पुनीत- वो बहुत पहले की बात है.. अब तू बड़ी हो गई है।

पायल- ओह्ह.. अच्छा.. मैं ‘बड़ी’ हो गई हूँ.. इसलिए नहीं देखना चाहते.. वैसे दिल में तो है कि काश एक बार देखने को मिल जाए.. क्यों सच कहा ना?
पुनीत- पायल प्लीज़ चुप रहो.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम अपने कमरे में जाओ.. मुझे बाथरूम जाना है।
पायल- भाई आप भी मिडल क्लास लोगों की तरह बात करने लग गए हो.. जस्ट चिल.. ये सब नॉर्मल है। हम हाइ क्लास फैमिली से हैं, ये सब चलता है यार..

पायल की सेक्सी बातें और उसकी क़ातिल अदाएं पुनीत को पागल बना रही थीं.. अफ़सोस इस बात का है कि पुनीत जैसा ठरकी लड़का इतना कंट्रोल कैसे कर रहा था।
इसकी दो वजह हो सकती हैं. या तो उनके बीच भाई और बहन का रिश्ता है.. वो उसे रोक रहा था.. या फिर मौके की नजाकत उसे रोक रही थी। क्योंकि यह दिन का समय था.. कोई भी किसी भी पल आ सकता था।
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अब वजह चाहे कुछ भी हो.. पुनीत तो काबू में था.. मगर पायल पर तो ड्रग्स का नशा छाया हुआ था। वो कहाँ मानने वाली थी।

पुनीत- अरे इसमें लो और हाई की बात कहाँ से बीच में आ गई। अब मुझे बाथरूम जाना है.. तो जा ना..इ
पायल- भाई आप टॉपिक चेंज कर रहे हो.. सच बताओ मुझे 2 पीस में देखने का आपका मन है या नहीं?

पायल तो ड्रग्स के नशे में ये सब बोल रही थी.. मगर अब पुनीत पर पायल की सेक्सी बातों का.. उसकी क़ातिल अदाओं का नशा चढ़ गया था.. जिसे उतारना किसी के बस में नहीं है.. ये आप अच्छी तरह जानते हो।

पुनीत अब उस नशे के वश में हो गया था.. कामवासना का नशा कुछ होता ही ऐसा है।
पुनीत नशीले अंदाज में बोला- हाँ देखना चाहता हूँ.. मगर तुम मेरी बहन हो ये सब ठीक नहीं होगा।

पायल- अरे भाई.. देखने में कोई बुराई नहीं है.. जो लड़कियाँ मॉडलिंग करती हैं उनके भी तो घर वाले उनको देखते हैं ना.. ये सब चलता है। आप अपने मन को क्यों दुखी करते हो.. मैं अभी आपको दिखा देती हूँ।

पुनीत कुछ बोल पाता.. उसके पहले पायल ने नाईटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी। उसका कसा हुआ जिस्म.. लाल ब्रा-पैन्टी में कयामत लग रहा था।
पुनीत की आँखें फट गईं.. ऐसा लाजबाव हुस्न देख कर उसके मुँह से लार टपकने लगी।
पायल- भाई देखो.. आपकी बहन किसी एक्ट्रेस से कम है क्या..
पुनीत- वाउ पायल.. रियली यू आर ए हॉट गर्ल.. बम्ब हो यार.. बिल्कुल.. अगर तुम मेरी बहन ना होती ना.. तो..

यकायक पुनीत चुप हो गया।
पायल- हा हा हा… क्या हुआ.. बोलो.. बोलो.. अगर बहन ना होती तो.. तो क्या करते..? बोलो ना भाई?
पुनीत- कुछ नहीं अब नाईटी पहन लो कोई आ रहा है। जल्दी करो.. मैं बाथरूम जाता हूँ ओके..

पुनीत की हालत पायल से छुपी नहीं थी वो नाईटी उठाने गई तो गाण्ड को मटका कर चलने लगी.. जिसे देख कर पुनीत का लौड़ा बेकाबू हो गया। वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।

पायल- भाई.. होता है.. होता है.. जाओ आराम से करना.. ओके हा हा हा हा..
पुनीत- ओह्ह.. क्या होता है.. और क्या करना.. हाँ त..त.. तू कहना क्या चाहती है.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा।
पायल- अब इतने भी भोले मत बनो भाई.. आपकी पैन्ट आपके दिल का हाल सुना रही है.. हा हा हा हा..
इतना बोलकर पायल ने जल्दी से नाईटी पहनी और वहाँ से भाग कर अपने कमरे में चली गई।
पुनीत बड़बड़ाता हुआ बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।

पुनीत- ये पायल को क्या हो गया है.. ऐसी सेक्सी बातें क्यों कर रही है.. कहीं इसकी जवानी जोश तो नहीं खा रही.. उफ्फ.. अब क्या करूँ साली मेरी बहन ना होती.. तो अब तक कब का इसको ठंडा कर देता.. मगर इसका कुछ सोचना तो पड़ेगा। फिलहाल लौड़े को ठंडा करता हूँ… साला बहुत अकड़ रहा है।

पुनीत बाथरूम में चला गया और लौड़े को सहलाने लगा.. उसके जेहन में बस पायल ही घूम रही थी। ना चाहते हुए भी उसने पायल के नाम की मुठ्ठ मारी और सुकून की सांस ली। उसके बाद वो नहाने में मस्त हो गया..

उधर संजय जब बाहर आया.. तो सुनीता आराम से लेटी हुई थी..
संजय- मेरी जानेमन.. क्या बात है नींद आ रही है क्या?
सुनीता- नहीं.. नींद तो नहीं आ रही.. बस पुरानी बातें सोच रही थी।
संजय- कौन सी पुरानी बातें.. मेरी जान.. जरा मुझे भी बताओ?
सुनीता- कुछ नहीं.. जाने दो.. अब आपका क्या इरादा है.. वो भी बता दो.. और हाँ मुझे जो सज़ा देने वाले थे.. उसके बारे में कुछ सोचा क्या?
संजय- इरादे तो बहुत नेक हैं और सज़ा भी दूँगा..

संजय आगे कुछ बोलता.. उसके पहले उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने फ़ोन उठाया दो मिनट बात की और काट दिया और जल्दी से अपने बैग में कुछ ढूँढ़ने लगा।

सुनीता- अरे क्या हुआ.. किसका फ़ोन था..? ऐसे जल्दी में क्या देख रहे हो?
संजय ने उसको बताया- जिस काम के लिए हम यहाँ आए हैं वो आदमी आ गया है और मैं उससे मिलने अभी जा रहा हूँ।

सुनीता समझ गई कि उसको क्या चाहिए। उसने जल्दी से एक फाइल संजय को दी.. जो उसके बैग में थी। उसके बाद संजय रेडी होकर वहाँ से चला गया।

सुनीता वापस अपने ख्यालों में खो गई.. वही पुरानी बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगीं..
दोस्तो, इन दोनों की बातों से ये तो पता लग गया कि सुनीता के साथ कुछ गलत हुआ है.. मगर ये सब हुआ कैसे.. ये आपका जानना जरूरी है.. तो जानते हैं।

सुनीता अपने समय की एक बेहद खूबसूरत लड़की थी.. दरअसल ये मॉडल बनना चाहती थी.. इसकी कदकाठी.. इसका फिगर.. सब एकदम दुरुस्त था.. लेकिन इसका ये सपना साकार होता.. इसके पहले घर वालों ने इसकी शादी आकाश से कर दी और ये अपने शादीशुदा जीवन में सब भूल गई।

संजय शुरू से इस पर गंदी नियत रखता था, किसी ना किसी बहाने से इसे छूना उसकी आदत बन गई थी। अपने छोटे भाई के घर जाना.. अब उसका रोज का काम हो गया था।
कुछ सालों तक ये चलता रहा। इस दौरान रॉनी पैदा हो गया और वक़्त धीरे-धीरे गुज़रता रहा।
एक दिन कार दुर्घटना में आकाश की मौत हो गई और सुनीता की दुनिया उजड़ गई।

कुछ दिन बाद संजय सुनीता और रॉनी को अपने साथ घर ले आया। उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा रॉनी को मिला.. तो बाकी दो पुनीत और पायल के थे।
सुनीता को नीचे का कमरा दिया गया।
कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे।
एक रात अनुराधा जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो संजय चुपके से सुनीता के कमरे में गया, उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।

सुनीता ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।
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