चूत शृंगार-8 – Antarvasna

चूत शृंगार-8 – Antarvasna

“तुमने गलत नहीं समझा, मैंने चोदू ही बताया था। मैं दुनिया के लिए चन्दू हूँ, तेरे लिए चोदू।”
“सच कब चोदेगा?”
“अभी आ जा।”
“ऐसे कैसे आऊँ, उसके साथ ही आऊँगी।”

“कब आएगी?”
“आज शाम को, खाने पे, कितना डिस्काउंट देगा?”
“खाना फ़्री।”
“मैं उसके साथ होऊँगी, चोदेगा कैसे?”

“अपना होटल है। कोई रास्ता निकल ही आएगा।”
“ठीक। पर मुझे चोदना जरूर। मैं खाना खाने नहीं आ रही सिर्फ चुदने आ रही हूँ।”
“फ़िक्र ना कर, ठोक-ठोक कर चोदूँगा, तेरी चूत फाड़ कर रख दूँगा।”

आज तो मैं चुद के रहूँगी, ये सोच कर मैं भैया के साथ शाम को चन्दू के होटल पहुँची। वहाँ हमने चन्दू को बुलाने के लिए संदेश भेजा और रेस्तरां की एक टेबल पर उसका इन्तज़ार करने लगे।

इसी बीच मैं शौचालय गई। वापिस आई तो चंदू भाई के साथ गपशप कर रहा था।
मुझसे बोला- कैसा लगा आपको हमारा होटल?
मैंने कहा- होटल तो अभी देखा नहीं, पर मुझे शौचालय अच्छा नहीं लगा, मैं तो बिना किए ही आ गई।
वो बोला- ओ जी, वैरी सैड जी ! आप उधर गई क्यों जी? आपके लिए तो स्पेशल शौचालय इधर है।
चन्दू भैया से बोला “ओ जी, आप बैठो कुछ नाश्ता आर्डर करो, मैं इनको शौचालय का रास्ता दिखा कर आता हूँ।

और चोदू मुझे अपने कमरे में ले गया। उसके कमरे में एक शौचालय भी था, बहुत ही साफ और पूरी दीवार पर शीशा लगा था।
मेरे मम्मे दबा कर शीशे मे देख कर बोला- क्या जोड़ी है जी हमारी। चलो आप सूसू कर लो फिर बात करते हैं।
मैंने कहा- मैं सूसू करके आई हूँ।
“ओ सच्ची?” वो बोला, “बहुत स्मार्ट हो जी, चुदने को यहाँ आई हो, तो चल नंगी हो जा।”

और उसने मेरी साड़ी खींच ली, मैंने ब्लाउज़ उतारा तो उसने मेरी कच्छी। दो पल में हम दोनों नंगे। उसने मुझे शीशे के सामने झुकाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड एक धक्के में डाल दिया।
मैं चीखी, “हाय !”
वो बोला- दर्द हुआ?
मैंने कहा- दर्द होता है, तभी तो मजा आता है।
उसने फिर निकाल कर जोर से ठोका।
मैं चिल्लाई, “हाय, मेरी चूत फट गई।”

उसने मेरे मम्मे कस कर दबाए और खींचे मेरे मम्मे में भी दर्द हुआ। मेरे मुँह से ‘सी.ई…’ निकला तो उसने फिर चूत में जोर से धक्का मारा। मुझे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था। उसका लंड मोटा भी था और लंबा भी। मोटे लंड से तो मैं पहले भी चुद चुकी हूँ, पर यह इतना लंबा था कि मेरी चूत के अंदर बच्चेदानी को भी चोट मार कर दर्द कर रहा था, पर दर्द में चुदने का मजा भी आ रहा था।

वो चोदता जा रहा था और मैं उसे और चोदने को उकसा रही थी।
“चोद ! मेरी चूत ठोक दे !”
“ठोक के मार ! मेरी चूत फाड़ दे !”

वो चोदता जा रहा था और मैं चुद गई। मेरी चूत नदी की तरह बह रही थी। उसका लंड मेरी चूत में झड़ गया। मैं खुश थी कि मैं चुद गई। वो भी मुझे चोद के खुश। मुझे ध्यान आया बहुत देर हो गई, भैया क्या सोच रहे होंगे।
मैंने उसे कहा- मेरे उनको यहीं भेज देना।

वो भाई को मेरा पति समझ रहा था। मैंने भी सोचा गलतफ़हमी बनी ही रहे तो अच्छा है। वो भाई के पास चला गया। मैंने अपनी चूत पर से उसके लंड का मसाला धोया। तब तक भाई आ गया। मैं नंगी थी।
मैंने कहा- टट्टी करते हुए साड़ी उतार दी थी कि खराब न हो जाए। जरा मदद करो।
भाई ने कहा- वो क्या सोचेगा?
मैंने कहा- परवाह मत करो, उसे लगता है तुम मेरे पति हो। बस उसके सामने मुझे दीदी मत कहना।
मैंने भैया को शीशा दिखा कर कहा- देखो इसके सामने चोदने में कितना मजा आता होगा ना।

मैं शीशे के सामने झुक के खड़ी हो गई और भैया चोदने का नाटक करने लगा। वो धक्का मारता तो मम्मे इधर-उधर झूलते। भैया को बड़ा मजा आ रहा था।
वो बोला- तू मेरी बहन नहीं होती तो आज यहाँ तुझे जरूर चोदता।

हम खाना खाकर होटल से घर लौटने के लिए चले तो चन्दू हमें गाड़ी तक छोड़ने आया। बाहर आकर देखा तो गाड़ी खराब। कार चलने का नाम ही ना ले।

चन्दू बोला- आप ही का होटल है, रात यहाँ रुकिए, सवेरा होते ही गाड़ी ठीक करा देंगे। चले जाना जल्दी क्या है?
भैया से नज़र बचा कर चन्दू ने आँख मारी तो मैं समझ गई यह इसी का किया-धरा है। मैं खुश थी कि चन्दू एक बार और चोदने का रास्ता निकाल रहा है।

मैं और भैया होटल के एक कमरे में गए।
भैया ने कहा- रात को पहनने के कपड़े तो हैं नहीं और अगर ये कपड़े पहन कर सोए तो सवेरे इन्हें पहन कर बाहर जाने लायक नहीं रहेंगे।
मैंने कहा- कपड़े पहन कर सोने की क्या ज़रूरत है। तौलिये हैं ना !
भैया नहाने गए और तौलिया बाँध कर आ गए।

फिर मैं नहाने गई। मुझे अपनी चूत पर बड़ा तरस आ रहा था बेचारी का कल श्रृंगार हुआ तो चुदी नहीं और आज चुदी तो बिना श्रृंगार के।
मैंने चूत का श्रृंगार किया। शेव किया क्रीम से नहला कर रगड़ा और उसे खूब चिकना बनाया और नहा कर नंगी ही बिना तौलिये के बाथरूम से बाहर आ गई।

मम्मे और चूत देख कर भाई बोला- क्यों, तौलिया नहीं मिला क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी तरह इतना आसान नहीं है। एक ही तौलिया है, मम्मे छुपाऊँ तो चूत नंगी और चूत छुपाऊँ तो मम्मे नंगे। तुम्हारा क्या है, एक लंड है कहीं भी छुपा लो।

और यह कह कर मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसका तौलिया गिर गया।
मैं भागने लगी तो उसने मेरे मम्मे पकड़ते हुए कहा- इतने मोटे मम्मे लेकर कहाँ भाग रही हो?

और हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। फिर हम थक कर बिस्तर पर लेट गए और वो मुझे चूमने-चाटने लगा।
अच्छी तरह सारा बदन चटवा कर मैं बोली- चोद ना !
उसने घूर कर देखा तो मैंने कहा- कल रात की तरह ऊपर-ऊपर से ! चोद ना !

और वो धक्के मारने लगा। आज वो भी नंगा था और उसका लंड कभी मेरी टांगों से, कभी मेरे पेट से टकराता। एक-दो बार चूत के आस-पास भी वार हुआ। हम दोनों मस्त होते जा रहे थे।
“और चोद !” मैं बोलती और वो और धक्के मारता। इसी तरह मस्ती करते-करते जब वो धक्के मार रहा था, तो मैंने अपनी टांगें खोलीं और उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत के अंदर।

मैंने उसे दबोच लिया और धक्का नहीं मारने दिया, मैंने कहा- कसम है तुझे, अब बाहर ना निकालना। यह तूने मेरे अंदर नहीं दिया है, भगवान की मर्ज़ी से हुआ है।
मैं उसे समझा ही रही थी कि उसने एक धक्का मारा, फिर एक और !
फिर बोला- भगवान की मर्ज़ी है तो चुद ले मेरी रानी !
और वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

वो मुझे एक सच्चे प्रेमी की तरह चोद रहा था और मैं एक सच्ची प्रेमिका की तरह चुदवा रही थी। हमारे प्रेम-आलाप से होटल के कमरे की दीवारें गूंज रही थीं।
चोद मुझे !
चुद ले मेरी रानी !
मेरी चूत के राजा !
मेरे लंड की रानी !
मेरी चूत मे लंड दे !
ले, और ले, चुद ले !
मेरी चूत का मजा ले !
मेरे लंड का मजा ले !

और मैं चुदती गई। फिर अचानक मेरी चूत की पेशियाँ खिंचने लगी और लंड को कस कर पकड़ने लगीं। लंड का धक्के मारना मुश्किल हुआ तो भैया ने और जोर लगाना शुरू कर दिया। मैं झड़ने वाली थी। मुझसे सहा नहीं जा रहा था।

मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया- हाय मैं चुद गई ! हाय मेरा पानी निकल रहा है !
हाय मैं मर जाऊँगी ! मुझे छोड़ मत ! जोर से चोद !
हाय मैं चुद गई ! चुद गई ! चुद गई ! चूऊऊऊद गआआईई !

मेरी चूत नदी की तरह बह रही थी। भैया ने धक्के मारने बन्द कर दिए और मेरे होंठ चूसने लगे। मैं ठंडी हो चुकी थी। जैसे जैसे भैया ने मुझे चूमा-चाटा और मम्मे दबाए मैं फिर से गर्म हो गई।
मैंने फिर भैया को कहा- चोद मेरी चूत को।

भैया ने फिर से मुझे चोदा। मेरी चूत फिर झड़ गई। मैं उस रात 6 बार झड़ी और 6 बार झड़ने के बाद मेरी चूत लगातार झड़ती रही। फिर भैया ने तूफान की तरह लगातार धक्के मार-मार कर चोदा और वो मेरी चूत में झड़ गया। सारी रात वो मेरे मम्मों से चिपका रहा।

सवेरे उठ कर बोला- बाथरूम में वैसा ही शीशा है जो कल तुमने उस शौचालय में दिखाया था। चल शीशे में देख-देख कर चोदते हैं।
मैंने कहा- कल तो तुम्हें शीशा देख कर इतनी उत्सुकता नहीं हो रही थी।
वो बोला- कल तक हम चोद भी नहीं रहे थे।

मैंने पूछा- आज चोदोगे?
“हाँ बहुत चोदूंगा।”
‘चूत के अंदर दोगे?’
‘चूत फाड़ के रख दूंगा।’
‘मालूम है ना मैं बहन हूँ?’
‘हाँ, मालूम है।’

‘अपनी बहन को प्यार से चोदना, ज़िंदगी भर चोदना !’
भैया ने कहा- अब बस कर, पहले नहीं चोदा उसके लिए ‘सॉरी’

और भैया मुझे गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया और मुझे शीशे के सामने खड़ा करके पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर उसने मुझे खूब चोदा। जैसे-जैसे वो धक्के मारता मेरे लटके हुए मम्मे हिलते और हिलते हुए मम्मे देख कर उसका लंड और तन जाता और वो और जोर से चोदता।
‘हाय !’ वैसी चुदाई न किसी ने की होगी, ना किसी ने कराई होगी।

मैंने ज़िंदगी में जो चाहा था, वो मुझे आज मिल गया। हम दोनों चिल्ला-चिल्ला कर चुदाई का मजा ले रहे थे:
चोद मुझे !
ले दीदी !
अपनी बहन का मजा ले !
चुद ले दीदी !
लंड दे दे !
ले चुद ले !
जोर से चोद अपनी बहन को !
हाय मेरी प्यारी दीदी भाई का लंड ले !
बहुत अच्छा है, भैया चोद अपनी दीदी को !

अच्छी तरह चोदने के बाद भैया ने मेरी चूत में ऊँगली डाल के चूत साफ़ की, चूत को धोया और पोंछा। फिर मुझे जमीन पर लिटा कर मेरी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया, जिससे चूत बिल्कुल उसकी आँखों के सामने थी।
मैंने पूछा- अब क्या करना चाहते हो?
तो उसने जवाब दिया- ‘चूत श्रृंगार !’

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