जीजा साली गुपचुप चुदाई-2 ऑडियो सेक्स स्टोरी

जीजा साली गुपचुप चुदाई-2 ऑडियो सेक्स स्टोरी

कहानी का पिछ्ला भाग: जीजा साली गुपचुप चुदाई-1

रात को जीजू की बात को सोचती रही। फिर मैं उठी और तेल ले कर अपनी गाण्ड के आस पास लगाने लगी। अपनी अंगुली को गाण्ड के छेद पर दबाने लगी।

मुझे गुदगुदी सी हुई। फिर एक अंगुली गाण्ड की छेद में घुसा कर अन्दर भी तेल लगाने लगी। पर ऐसा करने से मुझे बड़ी उत्तेजना हुई। चूत में पानी तक उतर आया, यह एक अलग तरह का ही मजा था।

मैंने मन में सोचा कि यदि ऐसे इतना मजा आता है तो फिर जब लण्ड जायेगा तो कितना मजा आयेगा।

सुबह उठ कर भी मैंने गाण्ड में फिर से तेल लगाया। गाण्ड के छेद को दबाया और मस्ती ली। फिर गाण्ड में अंगुली डाल कर तेल लगाया और दो अंगुलियो से उसमें घुसा कर छेद बड़ा करने के लिये घुमाया भी।

इन्हीं दिनों मुझे जीजू ने एक डिल्डो लाकर दिया। उससे मैं अब मैं गाण्ड के छेद को चौड़ा करने कोशिश करती थी।

बहुत दिन हो गये गाण्ड चुदाई का मौका ही नहीं मिला, पर इतने दिनों में मैं अपने आप को गाण्ड मरवाने लायक बना चुकी थी। मेरी गाण्ड में एक डिल्डो आराम से चला जाता था। मैं धीरे धीरे उससे अपना अच्छा अभ्यास कर लेती थी।

एक दिन हमें मौका आखिर मिल ही गया। एक दिन सवेरे ही जीजू ने मुझे बताया कि रेशू की एक सहेली आई है वो उससे मिलने जायेगी। मतलब मुझे रेशू दीदी से पहले निकल जाना था। मैंने अपनी स्कूटी उठाई और अपनी सहेली के यहाँ चली गई। कुछ ही देर में जीजू का मिसकॉल आ गया। मैं जल्दी से घर पहुंच गई।

‘आज तो बहुत समय मिलेगा, रेशू तो दिन को लंच के बाद आयेगी!’ जीजू ने खुश होते हुये कहा।

‘आज गाण्ड मार कर मुझे मस्त कर देना जीजू राम… ये देखो मेरी गाण्ड कितनी चमकदार और मस्त हो गई है।’ मैंने अपनी पैन्ट उतार कर गाण्ड दिखाई।

जीजू भी अपने कपड़े उतार कर तैयार हो गए। मैंने भी अपना टॉप उतार दिया। जीजू ने मुझ प्यार से बिस्तर पर बैठा दिया और मुझे अपनी बाहों में कस लिया। उनके अधर मेरे अधरों को चूमने लगे।

मर्द का स्पर्श मुझे इतने दिनों बाद मिला था, सो मैं तो आनन्द में खो सी गई। मेरी चूचियाँ कड़ी हो गई थी, चुचूक फ़ूल कर कड़े हो गये थे। उनके हाथों ने मेरे जिस्म के उभारों को दबाना और मसलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत पानी से तर हो उठी।

जीजू ने मुझे बिस्तर पर सबसे आसान आसन यानी चूतड़ों को ऊपर उठा कर नीचे झुक जाना… यानि कुतिया स्टाईल बना दिया।

मेरे चूतड़ के दोनों पट खिल गये… अन्दर गुलाब का फूल जो बंद था, जीजू को नजर आ रहा था।

जीजू ने अपनी एक अंगुली से गुलाब को सहलाया और धीरे धीरे दबाव भी डाला। मुझे मर्दों के हाथ वाली गुदगुदी हुई। पास पड़ा तेल लेकर जीजू ने गुलाब के फूल पर लगाया… और फिर से दबाव बनाते हुये अंगुली अन्दर घुसा दी।

मुझे छेद के आस पास बहुत ही मजा आया। यह मर्द का स्पर्श था… सुहाना और उत्तेजना से भरा हुआ। एक बारगी तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर मैंने उसे ढीला छोड़ दिया।

जीजू की अंगुली और आगे बढ़ गई। अब जीजू ने अपनी अंगुली मेरी गाण्ड के छेद को बड़ा करने के घुमाई तो गाण्ड बड़े आराम से खुल गई… जीजू घुटने के ऊपर बैठ गये और चूतड़ों के गालों को अलग करते हुये अपने लण्ड का निशाना बनाया और गुलाब पर रख दिया।

छेद तो पहले ही खुला हुआ था। सुपारा उसमें आराम से चला गया।

‘नीलू, तुमने अपनी गाण्ड खूबसूरती से तराशी है… पर अब धीरे धीरे गाण्ड मारेंगे… जीजू का लौड़ा जोर लगाने से अन्दर घुसने लगा।

टाईट छेद का असर था… जीजू को मजा आने लगा था। मुझे भी अभ्यास के कारण अन्दर उनके कसते हुये लण्ड का मजा आ रहा था।

अब जीजू ने धीरे से अपनी दो अंगुलियों को मेरी चूत में घुस दिया। मैं आह कर उठी। उन्होंने अपने हाथों से मेरे दाने की कली को सहलाना आरम्भ कर दिया। अब जीजू ने मेरी गाण्ड में नपे तुले अन्दाज में लण्ड अन्दर बाहर करना चालू कर दिया।

‘मुझे आज मार डलोगे क्या… इतना मजा तो चुदने भी नहीं आया था… हाय राम रे…!’

‘यह अभ्यास का मजा है… सोच समझ कर चुदाई की है… मजा तो खूब आयेगा।’

मर्द से गाण्ड मराने का मजा डिल्डो से कहीं प्यारा होता है… यह मुझे आज पता चला। मेरी कसी हुई गाण्ड जीजू को असीम आनन्द दे रही थी। उनका लण्ड कड़क हो कर आराम से मेरी गाण्ड चोद रहा था। कोई दर्द नहीं, कोई खतरा नहीं, बस मजा ही मजा।

कुछ देर तक तो जीजू ने मेरी गाण्ड मारने का मजा लिया फिर उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और एक मुझे अजीब लगने वाली बात कह दी।

‘नीलू, तेरी दीदी की गाण्ड मैंने आज तक नहीं मारी, वो मुझे मारने ही नहीं देती है।’

‘हाय जीजू, सच में बडा मजा आता है रे… दीदी की जबरदस्ती मार देना…’

इसी कहानी को लड़की की मधुर आवाज में सुनें…


जीजू हंस दिया फिर बोला- नीलू, वो डिल्डो से अब मेरी गाण्ड मार दे… मुझे भी मजा लेने दे…
मेरी आंखे आश्चर्य से फ़ैल गई- जीजू आप ठीक तो हैं ना… आप मर्द हो कर…?

‘अरे हूँ तो इन्सान ही ना… मुझे भी तो मजा लेने का हक है…!’ उनकी आवाज में कसक भरी थी।
‘अरे चलो, डोगी बनो… वाह मेरे दिल की कर दी यार… मेरे दिल में भी आपको डिल्डो से चोदने का ख्याल आता था… चलो चलो हाय रे जीजू… मुझे तो मजा आ जायेगा आपको चोद कर…’

ज़ीजू बिस्तर पर डोगी बन गए और अपनी गाण्ड ऊपर उभार ली। इतनी सुन्दर और गोल गाण्ड, एक भी बाल नहीं, चिकनी और दोनों चूतडों की दरार के बीच एक चमकता हुआ काला फूल…

मैंने तेल लगा कर उसके छेद के आस पास अंगुली को स्पर्श किया और घुमाती रही। फिर और तेल लेकर उस फ़ूल में अंगुली रगड़ने लगी, वो आह भरने लगा।

‘जीजू, आपको भी मजा आता है इसमें…’
‘हाँ बहुत ही… सभी मर्दों को आता है…’

मेरी अंगुली जीजू की गाण्ड के छेद में घुस गई। उसका छेद तो ढीला था, लगता था कि वो डिल्डो से गाण्ड मार लिया करते थे। मैंने डिल्डो को तेल से भिगा दिया और उनकी गाण्ड के काले फ़ूल पर रख कर दबा दिया। वो आराम से अन्दर घुस गया।

उन्हें बहुत मजा आया।

मैंने उनकी गाण्ड में डिल्डो पूरा घुसा दिया। उसका लण्ड नीचे उत्तेजना से फ़ूल उठा। जैसे जैसे डिल्डो गाण्ड में चलता उसका लण्ड कड़कता जाता। मैंने उनके लण्ड का यह हाल देख कर उसे दूसरे हाथ से थाम लिया। सच में लण्ड की उत्तेजना असाधारण थी। लण्ड और मोटा हो गया था, फ़ूल गया था…

मैं उनके लण्ड को धीरे धीरे हाथ से आगे पीछे करने लगी।

‘नीलू… साली जोर से कर यार… मुझे बहुत ही आनन्द आ रहा है… रगड़ यार जोर से…’ वो लगभग चीख से उठे। ये आनन्द लण्ड का था या गाण्ड का… जो भी हो मेरे हाथ डिल्डो पर भी तेजी से चल रहे थे और अब लण्ड पर भी जोर आजमा रहे थे…’

‘मर गया रे… साली नीलू… मेरी माँ चोद देगी क्या… अरे मरा रे… मेर निकला, जोर से मुठ मार… साले को मरोड़ दे… उखाड़ दे यार… मैं गया…!’

उनका लण्ड बुरी तरह कड़क रहा था। मैंने ज्योंही उनके लौड़े को घुमा कर पूरा दम लगा कर खींचा, तभी उनका ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा।

मैंने पूरी कोशिश की कि पूरा ही पी जाऊँ पर हाय री किस्मत पिचकारी लम्बी और जबरदस्त तेज थी। फिर भी जो मेरे मुँह में आया वो भी बहुत सारा था। उसका मोटा लण्ड फूलता पिचकता रहा और वीर्य की धार पेशाब की तरह निकाल रहा था।

जब पूरा निकल गया तब उसे मेरी सुध आई, मैं अभी तक नहीं झड़ी थी।

उन्होंने मुझे फिर से कुतिया की तरह झुकाया और अपनी जीभ से मेरा गुलाबी फ़ूल चाटने लगा मुझे फिर से तरावट आने लगी।

जीभ को मेरी गाण्ड का छेद खोल कर अन्दर भी डाल देता था। उसके हाथ की दो अंगुलियाँ मेरे दाने को सहला रही थी फिर चूत की गहराइयों में भी उतर जाती थी।

दाना रगड़ने से और गाण्ड की मीठी गुदगुदी ने मुझे जल्दी ही सीमा पार करा दी। मेरी चूत को जोर से दबाते ही मेरा भी वही हाल हुआ जो जीजू का हुआ था। मेरा रस निकल पड़ा और ढेर सारा रस निकला। मेरी चूत से जैसे पानी टपकने लगा।

जीजू नीचे लेट गये और मेरी चूत से उनका मुख चिपक गया। मुझे लगा कि मेरी चूत में जैसे चूसने से एक वेक्यूम पैदा हो गया हो। मैं झड़ती जा रही थी और सारा रस जैसे जीजू खींच कर पी रहे थे। मैं एक अजीब सी संतुष्टि महसूस कर रही थी। चुदाई का यह पहलू मेरे लिये एक दम नया था।

‘जीजूराम, ये इतना सारा माल कैसे निकला…?’
‘पीछे से करने से औरत हो या मर्द, डोगी स्टाईल में, लण्ड भी खूब तन्नायेगा और फिर माल भी ढेर सारा निकलेगा, ऐसा ही तुम्हारा माल भी खूब निकला है ना…’

‘जीजूराम, इतना प्यारा सुख मिला… प्लीज दीदी को भी बताओ ना… उन्हें भी ऐसा ही सुख दो!’
‘अरे बाप रे… तेरी दीदी… भाग… तू कॉलेज जा… वर्ना तेरी दीदी को कौन समझायेगा कि मैंने तुझे नहीं चोदा…’ जीजू को एक दम रेशू का ख्याल आ गया।

मैं मुस्कराई- तो आपने मुझे चोदा ही कहाँ था… सच बोल देना… कि नहीं चोदा यार… बस जम कर गाण्ड ही मारी थी… अब शक मत कर!’ और हंस कर तैयार होने लगी।

कुछ ही क्षणों में मैं घर के बाहर थी। अपनी स्कूटी उठाई और कॉलेज रवाना हो गई।
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