डर के आगे चूत है

डर के आगे चूत है

डर के आगे चूत है? आप सोच रहे होंगे कि मैंने गलत लिख दिया क्योंकि कहावत तो यह है कि ‘डर के आगे जीत है’
लेकिन मेरी यह कहानी पढ़ कर आप समझ जायेंगे कि ‘डर के आगे चूत है’

दोस्तो! यह मेरी पहली कहानी है आशा करता हूँ कि आप सब को ज़रूर पसंद आएगी।

मेरा नाम शिवम है और मैं यूपी का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 18 साल और मैं एक मस्त पर्सनालिटी वाला लड़का हूँ।
यह बात अभी 3 महीने पहले की है।
मेरी आंटी जो की मेरे घर के पड़ोस में ही रहती हैं दिखने में एकदम मस्त हैं, बॉडी फिगर 34-30-34 होगा। मैं हमेशा से ही उनको चोदने के बारे में सोचा करता था। आंटी का स्वाभाव एकदम सीधा था।

एक दिन की बात है मैं उनके घर गया, आंटी चुप चाप बैठी हुई थी, आंटी शायद अकेली थी फिर भी मैंने औपचारिकता में पूछा- आंटी, चाचा नहीं हैं क्या?”

आंटी ने कहा- नहीं, वो बाहर काम से गए हैं।

मैंने कहा- कोई बात नहीं।
और उनसे इधर उधर की बातें करने लगा।

हम लगभग आध घंटे यूं ही बात करते रहे। तभी आंटी उठी और कहा कि मुझे खिड़की में अखबार लगाना है क्योंकि कमरे में धूप बहुत आती है।
वो अन्दर गई और अखबार लाकर खिड़की पर लगाने लगी।
जब अखबार लग गया तो आंटी ने मुझसे कहा- देख सही लगाया ना?

मैं चारपाई पर बैठा था, मैं उठा और जाकर आंटी के पीछे खड़ा हो गया और कहा- हाँ आंटी, एकदम ठीक लगाया।

और धीरे धीरे थोड़ा और आगे बढ़ गया जिससे मेरा शरीर उनके जिस्म से छू गया। वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर पीछे घूम गई।
मैंने भी सोचा कि मौका अच्छा है, क्यों न फायदा उठाया जाये!
फिर भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी आंटी से कुछ कहने की… मेरी साँसें और धड़कनें दोनों तेज़ हो रही थीं, मैंने हिम्मत बाँधी और मैंने आंटी से कहा- आंटी, एक बात कहूँ पर किसी से कहना मत और नाराज़ भी मत होना।

आंटी ने कहा- बोलो, क्या बात है?

मैंने फिर आंटी से हामी भरवाई। फिर मैंने आंटी के दूध की तरफ इशारा करते हुए कहा- क्या मैं आपके ये देख सकता हूँ/

इतना कहते ही मेरी तो फट गई लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी, आंटी ने कहा- देख लो।

मुझे विश्वास नहीं हुआ कि वो इतनी जल्दी और आसानी से तैयार हो जाएँगी। ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था इसीलिए मैं बहुत ही जल्दी और जोश में था, खड़े-खड़े ही मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए।
हुक खोलते ही उनके सावले रंग के स्तन बाहर लटक गए, मैंने तुरंत ही उनको मुँह में लेकर पीना शुरू कर दिया।
पहली बार जन्नत का एहसास धरती पर हुआ।

पीने के बाद मैंने उनके रसकलशों को हाथ में लिया और मसलना शुरू किया, दबाने से उनके दूधों में दर्द हो रहा था इसलिए वो थोड़ा विरोध कर रही थी फिर भी मैं उन पर ज्यादा ही हावी था।
अब मैं नीचे झुका और उनकी साड़ी ऊपर उठा दी जिससे उनका लंड प्रवेश द्वार यानि की चूत साफ़ दिखने लगी, उनकी चूत पर हल्के काले बाल थे।
मैंने पहली बार किसी की बुर देखी थी, मैंने तुरंत उनकी बुर में एक ऊँगली खोंस दी। तभी आंटी ने साड़ी नीचे कर ली और जाकर बिस्तर पर लेट गई।
मैं भी जाकर बिसर पर बैठ गया उअर आंटी की साड़ी उनके पेट तक उठा दी जिससे उनकी सांवली चूत साफ़ दिखाई देने लगी।

दोस्तो, वो भी क्या नज़ारा था… पेट तक उठी साड़ी ब्लाउज के खुले हुक… एक दूध इधर और दूसरा उधर लटक रहा था।

पहली बार होने के कारण मैं बहुत जल्दी में था इसलिए मैंने तुरन्त अपनी पैन्ट उतारी और फिर निक्कर ने उतारते ही मेरा साढ़े छः इंच लम्बा काला भुजंग पेड़ में लड़के बैंगन की तरह लटक गया।

तुरन्त ही आंटी ने उसे अपने हाथों में ले लिया और आगे पीछे करने लगी।
मैंने भी समय का ध्यान करते हुए अपना लंड उनके हाथों से छुड़ाया और उनको पीने के लिए कहा, उन्होंने मना कर दिया, बोली कि मुझे उलटी आ जाती है।
मैंने भी जोर जबरदस्ती नहीं की।

अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था, मैंने अपना लौड़ा उनकी सांवली चूत पर टिका दिया और एक जोर का धक्का मारा, मेरा लंड अन्दर चला गया था और मैं धक्के मारने लगा लेकिन यह मेरा वहम था कि मेरा लौड़ा उनकी चूत में है, अभी मेरा लौड़ा फिसलकर उनकी जांघ के किनारे पर बैठ गया था।
मेरे साथ ये सब पहली बार हो रहा था इसीलिए मुझे अनुभव नहीं था।

फिर आंटी ने मेरा लौड़ा अपना हाथ में पकड़ा और उसका गुलाबी सुपाड़ा अपनी बुर पर रखा और धक्का मारने को बोली। मैंने भी एक जोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। मुझे भी बड़ी जल्दी थी चुदाई की, इसलिए मैं आधे घुसे लंड से ही धक्के मारने लगा।

15-20 झटकों के बाद मेरा लण्ड झटकों के दौरान ही उनकी बुर में पूरा घुस गया। अब मैं और जोर जोर से झटके मारने लगा। उनके मुख से कामुक सिसकारियां निकल रही थी- आह आआह ऊउह आह स्स्स्स हम्म।
ये मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। आंटी भी अपनी गांड उठा-उठा कर चुद रही थी। चुदाई के दौरान झटके मारते मारते उनकी चूत इतनी आग हो गई थी कि अगर मैं कंडोम लगाता तो शायद वो भी फट जाता।
चूत की गर्मी से मेरा लंड और ज्यादा फूल सिकुड़ रहा था, ऐसा लगता था कि कहीं मेरा लंड चूत के अन्दर फट के विस्फोट ना कर दे।
चुदाई के दौरान मैंने आंटी से पूछा कि मेरा छोटा तो नहीं है? मज़ा तो आ रहा है ना?
वो मुस्कुरा दी।
मैं भी झटके मारे जा रहा था।

लगभग दस मिनट बाद आंटी ढीली पड़ गई मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी हैं।
बस फिर कुछ देर बाद मेरा भी झड़ने वाला हुआ, मैंने कहा- आंटी, मेरा आने वाला है, कहाँ निकालूँ?
आंटी ने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दे।

दो चार झटकों के बाद जब मेरा निकलने वाला हुआ तो मैं आहिस्ता-आहिस्ता मजे-मजे से अन्दर बाहर करने लगा और फिर फच्च से मेरा रस उनकी चूत में भर गया।
जब मेरा रस निकला तब मुझे कैसा और कितना मज़ा आया मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
अब मैंने अपना भुजंग बुर से बहार निकाला तो उसकी सूरत देखने वाली थी। लौड़े का पूरा मांसल हिस्सा खून सा लाल हो गया था और लंड में हल्का सा दर्द भी हो रहा था। शायद पहली बार था मेरा… इसलिए?

आंटी उठी और मुझे एक पुराना कपड़ा दिया, मैंने उससे अपना लंड पोंछकर साफ किया और अपने कपड़े पहन लिए।
आंटी ने भी अपनी चूत पोंछी और अपनी साड़ी नीचे कर ली और ब्लाउज के हुक बंद कर लिए।

अब मेरे भी बदन में जान नहीं बची थी। आंटी ने फैन चलाया और हम ठन्डे हुए।

फिर मैं उठकर अपने घर चला गया बिना आंटी से कुछ कहे क्योंकि मुझे बहुत अजीब लग रहा था शायद पहली बार था इसलिए।

खैर बाद में सब सही हो गया और अब जब भी मौका मिलता है तो मैं उनकी फुददी ज़रूर सुजाता हूँ।
मेरी कहानी आप सबको कैसी लगी, ज़रूर बताइयेगा।

 

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