तेरहवीं का चाँद : भाभी की चुदाई

तेरहवीं का चाँद : भाभी की चुदाई

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त अमन एक नयी कहानी लेकर आपके सामने आया हूँ, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आयेगी।
मैं मुंबई के ठाणे शहर में रहता हूँ और एम बी ए की पढ़ाई कर रहा हूँ, मैं दिखने में ठीक ठाक हूँ और मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।

आप यह सोच रहे होंगे कि मैंने कहानी का नाम तेरहवीं का चाँद क्यों रखा है जबकि असल में ये चौदहवीं का चाँद होता है?
लेकिन जब आप मेरी यह कहानी पढ़ेंगे तब आपको पता चल जाएगा कि मेरी इस कहानी का यह नाम क्यों है।
तो कहानी कुछ ऐसी है दोस्तो कि हम एक बिल्डिंग में रहते हैं और मेरे घर से बिल्कुल सट कर ही एक भाभी रहती हैं जो पुणे की रहने वाली थी और कुछ महीने पहले ही यहाँ रहने आई हैं, सांवला सा रंग है उनका, उनकी चूचियां 30 इंच की और उनका पिछवाड़ा 32 इंच का होगा. देखने में तो वो सामान्य महिला जैसी है लेकिन उनकी आवाज़ बहुत ही मादक है जिसे सुन कर ही लंड खड़ा हो जाता है। उनके घर में भाभी के अलावा उनके बूढ़े पापा जी ही थे. वो उनको पापा जी कहती थी, अब मुझे नहीं पता कि वे उनके पापा थे या ससुर…
भाभी के पति सेना में थे और उनकी ड्यूटी किसी ऐसी जगह पर लगी हुई थी कि जल्दी से छुट्टी भी नहीं मिलती थी.

एक बार की बात है कि उनके पापा का एक्सिडेंट हो गया था और वो कोमा में चले गए. भाभी ने उनकी बहुत सेवा की लेकिन उनको जरा भी आराम नहीं हुआ और इस वजह से वो बहुत दुखी रहने लगी.
मैं रोज उनके घर जाता और उनकी हिम्मत बढ़ाने की कोशिश करता और इस वजह से मेरे और भाभी के बीच बहुत ही गहरी दोस्ती हो गयी थी और हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे. मैं उनकी छोटे मोटे कामों में मदद भी कर देता था और वो अक्सर कहती थी- यार तू मेरा दुख का सबसे बड़ा साथी है, हमेशा मेरी मदद करता है और तेरी वजह से मैं इस मुश्किल समय में इतना सब कर पा रही हूँ।

इसी तरह 4 महीने बीत गए लेकिन भाभी के पापा को कोई आराम नहीं मिल रहा था और उनकी हालत वैसी की वैसी ही रही.
एक दिन मैं उनके घर गया तो देखा वो रो रही थी तो मैंने पूछा- भाभी, क्या हुआ? रो क्यों रही हो?
तो उन्होंने कहा- यार अमन, अब मुझसे पापा की हालत देखी नहीं जा रही है और मैं उनकी सेवा कर कर के थक गयी हूँ, और अब नहीं कर सकती, मैं चाहती हूँ कि पापा को अब मौत आ जाए और सबको उनके दुख से निजात मिल जाए।
मैंने कहा- भाभी जी, आप चिंता मत करिए, सब ठीक हो जाएगा!

और कुछ दिन बाद सच में उनके पापा की मौत हो गयी. भाभी दुखी तो थी लेकिन अब वो सुकून महसूस कर रही थी कि पापा को और सबको राहत मिल गयी। अब पापा के क्रियाकर्म की रस्म शुरू हो गयी और मैं दिन भर भाभी के घर ही रहता, खाता पीता, सब काम करता और कभी कभी वहीं सो जाता.
भाभी भी मेरे खाने पीने और सोने का सब इंतजाम कर देती.

उस दिन भाभी के पापा की तेरहवीं थी, जिस दिन आस पास के गाँव के लोग खाना खाने को आते हैं और घर के लोगों को बहुत काम करना पड़ता है।
सबने मिल कर पूरा काम निपटाया और रात हो गयी.
दिन भर गधा मजदूरी करने के बाद रात को किसी को होश ही नहीं आया, जो जहां जगह पा रहा था, सो जा रहा था।

मैं छत पर चला गया जहाँ कोई नहीं था, मैंने अकेले ही अपना बिस्तर लगाया और लेट गया लेकिन पैरों में बहुत दर्द हो रहा था और नींद नहीं आ रही थी.
तभी मैंने किसी के आने की आहट सुनी, पलट कर देखा तो भाभी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ? आप यहाँ क्या कर रही हैं?
भाभी- घर में कही भी जगह नहीं है सोने के लिए… तो मैं यहां आ गयी।
और मेरे बगल में आकर लेट गयी और बोली- क्या हुआ? तुम्हे नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने कहा- नहीं भाभी, आज की भाग दौड़ की वजह से मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोली- लाओ, मैं मालिश कर देती हूँ, तूने बहुत काम किया है।

मैं मना करता रहा लेकिन भाभी मेरे पैरों को दबाने लगी और मुझे बड़ा अजीब महसूस हो रहा था और उनके छूने से मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी और मेरा सोया लंड दहाड़ मारने लगा और मैं बहुत असहज महसूस करने लगा और अपने लंड को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा जो भाभी ने देख लिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली और मेरे बगल में आकर लेट गयी।

मैं आंखें बंद करके लेटा था, भाभी आई और मेरे होंठों पे एक किस्सी कर दी और मैं चौंक गया.
तो भाभी हंस दी.
मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उनके नर्म नर्म होंठों को चूसने लगा। भाभी भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों बराबर एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

फिर मैंने धीरे से अपने हाथ को भाभी के कपड़े के अंदर डाल कर उनकी चूचियों को सहलाने लगा और उनके ब्लाऊज और ब्रा को निकाल दिया।
चाँदनी रात में भाभी को पूरा बदन दूधिया रंग में चमक रहा था और मुझे वो गाना याद आ गया “चौदहवीं का चाँद हो या…” लेकिन आज उनके पापा की तेरहवीं थी तो मैंने सोचा क्यों न इस गाने को तेरहवीं का चाँद बना दूँ?
मैंने भाभी की चूचियों को मुख में लिया और उनका स्तनपान शुरू कर दिया और बीच बीच में उनको कस कर अपने दाँतों से दबा लेता और भाभी की सीत्कार निकाल जाती और मुझे बड़ा मजा आता।

मैंने उनकी दोनों चूचियों को चूस कर लाल कर दिया, उनकी चूचियों को चूसते चूसते मैं उनकी पैंटी के अंदर हाथ डाल उनकी चुत में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा और भाभी ज़ोर ज़ोर से सीत्कार लेने लगी और मुझे यहाँ वहाँ रगड़ने लगी।
जब भाभी की चुत पानी पानी हो गयी तो मैंने उनकी चूचियों को छोड़ कर उनकी चुत की तरफ हमला किया और चाटने लगा।
भाभी बोली- तू तो मेरी चाट रहा है… चल तेरा लंड दे मुझे!

तो हम लोगों ने अपनी पोजीशन को बदला और 69 की हालत में आ गए।
मैं भाभी की चुत में अपनी जीभ डाल कर चाटने चूसने चोदने लगा और और कभी कभी अपने हाथों से उनकी चुत की फाँकों को अलग करता और चाटने लगता.
और दूसरी तरफ से भाभी भी मुझे भरपूर मजा दे रही थी और मेरे लंड के चमड़े को पीछे खिसका कर आइसक्रीम की तरह सपर सपर करके चाट रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूँ.

और तभी भाभी मेरे लंड को कस कर पकड़ कर चाटने लगी, मैं समझ गया कि भाभी झड़ने वाली हैं और मैंने उनकी चुत को चाटने का काम जारी रखा और भाभी मेरे मुख में ही झड़ गयी. मैंने उनकी चुत का नमकीन पानी गटक लिया और भाभी की पकड़ ढीली पड़ने लगी.
तभी मुझे भी लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने भाभी की गांड को ज़ोर से भींच लिया और चाटने लगा और भाभी के मुख में ही झड़ गया और भाभी ने सब गटक लिया।
अब हम शांत हो गए और फिर से बिस्तर पर आकर लेट गए।

भाभी का सिर मेरे सीने पर था और मैं उनके सिर को सहला रहा था और वो मेरे लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे कर रही थी. 5 मिनट के बाद ही मेरा लंड फिर फुफकारने लगा और भाभी बोली- बहुत गरम हो यार तुम तो? इतनी जल्दी फिर से मूड में आ गए?
मैंने कहा- भाभी, अभी असली काम करना तो बाकी है ना तो गर्म तो होना ही था.

और मैं पलट कर भाभी के ऊपर हो गया और उनको अपने नीचे कर लिया और उनकी चूचियों को फिर से काटने लगा।
मेरा लंड एक बार झड़ चुका था और बुर पाने की ललक में और फूल गया था और लाल हो गया था।
भाभी बोली- आ जा फिर मेरे देवर!
और उन्होंने मेरे लंड को अपनी गीली नंगी चूत की दिशा दिखाई और मैंने धीरे से बल लगाया और लंड ने अपना रास्ता ढूंढ लिया और धीरे धीरे भाभी की चूत के अंदर सरकने लगा। चुत पूरी गीली थी तो लंड सरसराता अंदर चला जा रहा था और भाभी के मुख से सीत्कार निकल रही थी और अपने पैरों को फैला कर लंड का रास्ता आसान कर रही थी.

मैंने लंड को उनकी चुत के जड़ तक पेल दिया और भाभी कसमसाने लगी, शायद उनको दर्द हो रहा था।
मैंने कहा- भाभी, दर्द हो रहा है तो लंड निकाल लूँ क्या?
तो वो बोली- एक बार लंड अंदर डालने के बाद निकालना नहीं चाहिए, चाहे कितना भी दर्द हो, चुत हर तरह के लंड को अपने में समा लेती है।

मैं भाभी की चूचियों को चाट रहा था और दूसरी तरफ उनको चोद रहा था और भाभी मुझे यहाँ वहाँ सहला रही थी। मैंने भाभी को उल्टा किया और उनको कुतिया बना कर चोदने लगा और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. भाभी ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जिससे मैं और जोश में आ रहा था।
हम बेफिकर होकर चुदाई का खेल खेल रहे थे क्योंकि वहा पर किसी के आने को कोई डर नहीं था।

अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ लेकिन मैं अभी इस खेल को रोकने के मूड में नहीं था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और भाभी को किस करने लगा और अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी।
कुछ देर तक किस करने के बाद मेरा लंड कुछ शांत हो गया, झड़ने का वक्त अब आगे सरक गया था, मैंने अब फिर से भाभी की चुदाई का काम शुरू किया।

इस बार मैंने भाभी को अपने सामने बिठाया और उनके पैरों को अपने कंधे पर रखा और उनको अपने पास सटा कर अपना लंड भाभी की चूत में सामने से घुसा कर चोदने लगा. भाभी चीख रही थी और मैं उन पर रहम करना नहीं चाहता था।
और फिर मैंने उनको छोड़ा और उनको बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी कमर के नीचे एक तकिया रखा जिससे उनकी चुत खुल कर मेरे सामने आ गयी, मैंने एक बार में ही लंड उनकी चुत में पेल दिया, भाभी की तो जैसे जान ही निकल गयी, बोली- अबे साले, तू आदमी है या शैतान? रहम नाम की चीज नहीं है क्या? मैं भी इंसान हूँ, मुझे भी दर्द होता है. तू तो मुझे ऐसे चोद रहा है जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ।

मैंने भाभी को आँख मारी और उनके ऊपर लेट गया और धक्के लगाने लगा.
अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बेतहाशा चोदने लगा।
मैंने कहा- मेरी प्यारी भाभी, अब मेरा माल निकलने वाला है, आप बताओ कहाँ निकालूँ?
वो बोली- डाल दे अंदर ही!
मैंने अपना वीर्य भाभी की गरम चुत में ही उड़ेल दिया।

हम दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे।

मैंने समय देखा तो रात के 3 बज रहे थे, मैंने भाभी को बगल में लिटाया और चादर ओढ़ कर दोनों नंगे ही सो गए।
मैंने 4 बजे का अलार्म लगाया ताकि उनकी गांड भी मार सकूँ लेकिन मैंने भाभी को नहीं बताया।
चार बजे के अलार्म से हम दोनों की नींद खुल गयी और मैंने भाभी की गांड भी मारी.
भाभी की जम कर चूत चुदाई की सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा। अपने सुझाव मुझे मेल करें [email protected] पर।

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