दशहरा पर स्ट्रिप-डान्स-2 – Antarvasna

दशहरा पर स्ट्रिप-डान्स-2 – Antarvasna

Dashehra par Strip Dance-2
हमारे सभी आदरणीय पाठकों को नमस्कार। अब तक आपने पढ़ा कि मैंने रात को पूजा और उसकी सहेलियों के सामने नग्न होकर डान्स किया और फिर बाद में पूजा के साथ उसके कमरे में रह कर उसकी चूत की आग को ठंडा किया।
अब आगे।

हम लोग सुबह देर से उठे। करीब पाँच मिनट बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोनों सहेलियाँ थीं।

दोनों कमरे में अन्दर आईं और उसको रात की बात पूछने लगीं।
वे भी अपनी बात करती रहीं।
हमने आराम से नाश्ता किया।

पूजा बोली- आलोक मेरी इन दोनों सहेलियों को भी अपनी सेवा दे दो। ये तुमको पेमेंट कर देंगी।

पूजा की सहेलियाँ जिनका नाम कीर्ति और सोया था, मुझसे बोलीं- हमें चुदाई नहीं कराना है.. हाँ.. लेकिन मुँह से चुसाई और मालिश करवानी है।

मैंने बोला- चलो.. आ जाओ।

कीर्ति वहीं पूजा के बिस्तर पर लेट गई।

मैं उसके पास गया, उसकी ऊपर की कुर्ती को उतार दिया.. उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। कमर के नीचे उसने एक लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी, उसको हटा दिया। चूत पर उसने चड्डी पहनी हुई थी।

वह पीठ के बल लेट गई, मैंने तेल डाल कर उसको कंधे से मालिश देना शुरू किया और पीठ की मालिश कर दी।

फिर उसके हाथ की मालिश की, उसको बड़ा आराम मिल रहा था क्योंकि चुपचाप वह मालिश करवाए जा रही थी।

फिर उसके बाद कमर और तलुए की… मालिश दी, उसको बहुत अच्छा लगा।

फिर मैं जांघ की मालिश करने लगा, जिससे उसको गुदगुदी होने लगी, लेकिन उसको मजा भी आ रहा था।

जांघ की मालिश करने के बाद मैंने उसको पलटा दिया फिर उसकी छाती को मालिश देने लगा।

उसमें भी उसको बहुत गुदगुदी होने लगी।

उसके मम्मे ज्यादा तो नहीं फूले थे लेकिन उठे हुए थे उसके मम्मों को मस्त मालिश देने से उसके कान लाल होने लगे थे।

मैंने उसको फिर से पीठ के बल कर दिया और इस बार उसके पेट के नीचे तकिया लगा दिया, जिससे कि उसका नीचे का हिस्सा उठकर ऊपर को आ जाए।

अब मैंने उसके चूतड़ों पर तेल डाल दिया, तो उसने अपनी गांड खोल दी जिससे वह उसके छेद के अन्दर चला गया और फिर रिसता हुआ बुर पर आ गया।

मैंने पहले उसकी गांड की मालिश की, उसके अन्दर उंगली डाल कर उसकी गुदा की दीवाल की मालिश की।

उसको शायद अच्छा लग रहा था क्योंकि वह बार-बार खुद को ऊँगली की दिशा में बैठने की कोशिश करती।
फिर वहाँ से उंगली निकाल कर मैं बुर पर गया, उसकी बुर तेल से भीगी हुई थी, साथ में उसका पानी भी निकल रहा था।

उसकी बुर के दाने के ऊपर से मैंने मालिश करना जो शुरू की तो वह गनगना गई।

मैंने उसके दाने को मसला उसकी फांकों के नीचे उंगली चलाई।

उसकी बुर को ऊपर की तरफ उठने लगी तो उसको खूब अच्छे से मालिश दी। अब मैंने उसकी फलकों को तेल लगा कर मालिश दी।

मैंने उसके काले फलक को एक हाथ से पकड़ा और दूसरे से उसको रगड़ने लगा।

उसकी चूत में इतना पानी था कि मेरा हाथ फिसल जाता था।

इस वजह से उसको बार-बार पोंछना पड़ा। उसको यह अहसास मजा दे रहा था।

इस बाद दूसरे फलक को मालिश देने के बाद बुर के अन्दर ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करना जो शुरू किया.. तो वह बिल्कुल से तड़फ कर अपना पानी छोड़ने लगी क्योंकि अब मेरी ऊँगलियाँ उसके अन्दर के भगनासे को मसल रही थीं।

उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो बोली- अब जरा जुबान से मालिश दो ना..

मैंने उसका बुर कपड़े से पोंछा और उसकी बुर पर अपना जुबान सटा दी, ऊँगली बुर के अन्दर डाल दी।

उसको जो मजा लेना था वो उसने पाया और कुछ ही देर में उसने अपना पानी गिरा दिया।
उसका सारा पानी मेरे मुँह में आ गया।
वह चुपचाप लेटी हुई हांफती रही।

अब दूसरी सहेली सोया का नंबर लगा।

मैं जरा थक गया था, मैंने उसको बोला- थोड़ा आराम किया जाए।

लेकिन वह बोली- नहीं मुझको तुरंत चाहिए।

मैं जानता था क्योंकि अपनी सहेली कीर्ति का कारनामा देख कर वह गर्म हो गई थी।
वो तो पहले से ही अपने कपड़े निकाल कर लेट गई।

मैंने उसको वही सब दिया लेकिन जब मुँह से देने की बारी आई तो वो मुझे रोक कर बोली- आलोक, आप लेट जाओ और मैं आपके मुँह पर बैठूंगी… आपको तब चटाई करनी होगी।

मुझे क्या दिक्कत थी, मैं लेट गया।

उसने मेरे मुँह पर अपनी बुर फैला कर बैठ गई, साथ में अपनी उंगली बुर के अन्दर डाल कर खुद को मजा देने लगी।

कुछ ही देर में उसकी बुर पानी गिराने लगी, जो सीधा मेरे मुँह में गिरता था। उसको जब इत्मीनान हो गया, तब उतरी फिर हम लोग थोड़ा आराम करने लगे।

फिर खाना खाकर मैं अपने रास्ते निकल लिया।

आप सब पाठकों को मेरी कहानी कैसी लगी जरूर लिखें।

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