दीदी की चूत चोदने के बाद गांड भी मारी

दीदी की चूत चोदने के बाद गांड भी मारी

मेरे घर में 5 लोग रहते हैं। मॉम-डैड, दीदी, मेरा छोटा भाई और मैं। मेरे डैड एक बिजनेसमैन हैं, हमारा कॉटन मिल है। मेरी मॉम हाउसवाइफ हैं। दीदी का अभी MBA कंप्लीट हुआ है और उसकी शादी की तय हो चुकी है। मैं BA कर रहा हूँ।

मेरी दीदी विभा मुझसे 4 साल बड़ी हैं, दीदी की उम्र 26 साल है। मेरी दीदी का फिगर बड़ा ही कमाल का है, उनकी गांड तो ऐसी उठी हुई है.. जो किसी का भी दिल जीत ले।
मैं उन्हें हमेशा से पसंद करता था, उन्हें हवस की नज़रों से देखता था, मैंने कई बार उनके नाम की मुठ भी मारी है।

बात पिछले साल जून की है.. जब मेरे पेरेंट्स शादी के लिए इंदौर गए थे, घर पर बस मैं मेरी दीदी और छोटा भाई ही थे।
दीदी को शायद पता था कि मैं उसे हवस की निगाहों से देखता हूँ लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं कहती थीं।

एक दिन मौसम बड़ा खराब था.. दीदी बाहर गई थीं। शायद उस साल की वो पहली बारिश थी। समय यही कोई 9 बजे रात का हो चुका था। उतने में दीदी का कॉल आया कि उसकी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी। उसने मुझे उसकी फ्रेंड के घर लेने के लिए बुलाया।

मैंने अपने छोटे भाई बबलू से कहा- मैं दीदी को लेने जा रहा हूँ.. तू खाना खा कर सो जाना।
मैंने बाइक निकाली और उसकी फ्रेंड ऋतु के घर चला गया।
उनकी फ्रेंड ऋतु ने कहा- आज रात यहीं रुक जाओ.. मौसम खराब है।

लेकिन मैंने कहा- मेरा छोटा भाई घर पर अकेला है। हम दोनों को घर जाना ही चाहिए।

बारिश फिर से शुरु हो चुकी थी, मैं और दीदी बाइक पर निकल पड़े।
थोड़ी ही देर में जोरों की बारिश होने लगी तो दीदी और मैं एक जगह रुक गए।

समय लगभग 10:30 के करीब हो रहा था, बारिश कम हो गई तो दीदी ने कहा- मैं बाइक चलाना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुम चला लोगी?
दीदी- अरे हाँ यार चला लूँगी.. तू पीछे बैठ।
बारिश के कारण हम पूरे गीले हो चुके थे, दीदी क्या कमाल लग रही थीं।

अब दीदी बाइक चलाने लगीं और मैं पीछे चिपक कर बैठ गया। मेरा लंड दीदी की गांड को छू रहा था, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और शायद दीदी को भी।
पीछे से दीदी की ब्रा नज़र आ रही थी।
मैंने सोच लिया कि आज दीदी की चुदाई का अच्छा मौका है।

थोड़ी ही देर में हम घर पहुँच गए।
दीदी की गीली गांड देखकर मेरा बुरा हाल हो रहा था।

थोड़ी देर में दीदी फ्रेश होने गईं और नाइट गाउन पहनकर आ गईं। ये मेरे लिए एक अजरज की बात थी क्योंकि साधारणतया दीदी कभी गाउन नहीं पहनती थीं।

दीदी ने कहा- जा.. फ्रेश हो जा.. फिर खाना खाते हैं।

मैं फ्रेश हो कर आया और छोटे भाई के कमरे में गया.. तो वो सो रहा था।
फिर मैं और दीदी खाना खाने लगे।
दीदी को ठंड लग रही थी।
खाना ख़ाने के बाद मैं और दीदी, दीदी के कमरे में ही बैठ कर बातें करने लगे।

दीदी ने कहा- आज तू रात यहीं सो जा, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है।
मैं खुश हो गया। मैंने बॉक्सर और टी-शर्ट पहना हुआ था।

हम सोने की तैयारी करने लगे। शायद दीदी आज चुदाई के मूड में थीं।
दीदी- यार मुझे सर दर्द हो रहा.. तू प्लीज़ मुझे सर में बाम लगा दे।
मैं- हाँ क्यों नहीं अभी लो।

मैं उसके सिर पर बाम लगाने लगा।
मुझे पीछे से उसके मम्मे नज़र आ रहे थे, वो गाउन के अन्दर ब्रा नहीं पहने थीं।
मेरा लंड खड़ा होने लगा।

‘यार थोड़ा पीठ पर भी लगा दे.. इससे थोड़ी राहत मिलेगी।’

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। दीदी उल्टी लेट गईं.. और मैंने उसके गाउन की चैन नीचे कर दी.. अब उनकी चिकनी पीठ मेरे सामने थी.. मैं बाम लगाने लगा।

दीदी- पूरी पीठ पर मल दे।
मैं पूरी पीठ पर बाम लगाने लगा।

मैंने कहा- दीदी मैं ठीक से लगा नहीं पा रहा हूँ.. क्या मैं आपकी जाँघों पर बैठ कर लगा दूँ?

उन्होंने एक मिनट सोचा और कहा- ओके।

अब मैं उनकी जाँघों पर बैठ कर बाम लगा रहा था। मेरा 6 इंच लंबा लंड दीदी की गांड को छूने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने दीदी से कहा- यू आर सो ब्यूटीफुल योर फिगर इज टू गुड..
दीदी शायद मेरे इरादे समझ गई थीं- चल बहुत लगा दी.. अब सो जाने दे।

लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। मेरा खड़ा लंड दीदी की गांड मारने को बेताब था।
मैंने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे से उसके मम्मों पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसका पेट सहलाने लगा।

मेरे ऐसा करने से दीदी पूरी गरम हो उठीं और अपने एक हाथ से चूत सहलाने लगीं।
ऐसा लगभग 5 मिनट तक चलता रहा।
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फिर मैंने दीदी का हाथ उनकी चूत से हटाया और और मैंने अपना हाथ रख दिया और अब मैं उनकी चूत को सहलाने लगा।

अब तक मैंने अपना लंड भी बॉक्सर के बाहर निकाल लिया था।
अब दीदी से रहा नहीं गया और उन्होंने मेरी तरफ मुँह किया और मुझे किस करने लगीं।

मैंने दीदी को 5 मिनट तक किस किया और उनका गाउन उतार दिया, अब दीदी पूरी नंगी थीं, उनका गोरा बदन देखकर मुझे रहा नहीं जा रहा था।

अपने सारे कपड़े मैंने भी उतार दिए, अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
मैंने दीदी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत चाटने लगा और साथ ही मैं उनकी गांड से भी खेल रहा था।
दीदी की चूत पर एकदम बारीक-बारीक से बाल थे। मानो उन्होंने 8 दिन पहले शेव की हो।

मैंने उन्हें उल्टा किया और उनकी गांड चाटने लगा। दीदी ज़ोर-ज़ोर से कामुक सिसकारियां ले रही थीं। मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो दरवाजा बंद नहीं था। मैं उठा और दरवाजे और खिडकियों को बंद कर दिया।

अब मैंने दीदी से कहा- दीदी मेरा लंड चूसो ना।

दीदी ने मना किया लेकिन मैं उनसे लौड़ा चूसने की रिक्वेस्ट करने लगा। फिर वो मान गईं.. और मेरा लंड चूसने लगीं। मेरा लंड का अगला सिरा उनकी गले तक जा रहा था।

फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए। अब दीदी मेरा लंड चूस रही थीं और मैं उनकी छूट व गांड चूस रहा था। इस चुसाई से हम दोनों एक-एक बार झड़ चुके थे।

अब मैंने दीदी की टाँगें फैलाईं और मेरा लंड दीदी की चूत पर रगड़ने लगा। मैंने अपना टोपा दीदी की चूत में उतार दिया।
उन्होंने अपने होंठों को दाँतों से दबा लिया।
उनकी चूत टाइट थी, उन्होंने कहा- थोड़ा दर्द हो रहा है।

मैंने लंड बाहर खींचा.. उस पर थूक लगाया और दोबारा से लंड को उनकी चूत में पेल दिया।

मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया था। कुछ ही देर में उन्हें भी मज़ा आने लगा था।
वो कह रही थीं- आराम-आराम से चोदो..

मैंने आराम-आराम से पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया.. और धक्के मारने लगा। अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनन्द लेने लगे।

दीदी अकड़ते हुए झड़ गईं और उनके कुछ बाद मैं भी उनके पेट पर झड़ गया।

अब मैंने टाइम देखा तो रात के 12:45 हो रहे थे।
थोड़ी देर में दीदी फ्रेश होने बाथरूम चली गईं, मैं भी उनके पीछे-पीछे बाथरूम चला गया।

उधर दीदी की गांड देख़कर मुझे जोश चढ़ने लगा। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने दीदी को पीछे से हग किया और कहा- दीदी मैं आपकी गांड मारना चाहता हूँ।
दीदी- नहीं गांड मारने में बहुत दर्द होता है।
मैंने कहा- दीदी मैं बड़े आराम से करूँगा और अगर फिर भी दर्द होता है तो हम नहीं करेंगे।

वो राजी हो गईं। मैंने उन्हें उठाया और बिस्तर पर लाकर उल्टा लिटा दिया, उनके पेट के नीचे एक तकिया भी रख दिया।
मैं बाथरूम में जाकर साबुन ले आया और साबुन को उनकी गांड पर लगाने लगा।

थोड़ा साबुन मैंने अपने लंड पर भी लगा लिया, इससे उनकी गांड और मेरा लंड एकदम चिकने हो गए थे।

मैंने अपना लंड उनकी गांड पर टिकाया और धक्का मारा, मेरा लंड उनकी गांड में चला गया.. वो चिल्ला पड़ीं- आराम से..

मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, जब वो नॉर्मल हुईं तो मैं धक्के मारने लगा।
अब मैंने पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया, उन्हें भी मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर में ही मैं उनकी गांड में झड़ गया।

अब हम दोनों नंगे ही सोने लगे।
दीदी ने कहा- आई लव यू भाई.. तूने मुझे जन्नत की सैर कराई है।
मैं- आई लव यू टू दीदी।

हम रात को 2 बजे तक बात करने के बाद सो गए।

सुबह दीदी से ठीक से चला नहीं जा रहा था।

उसके बाद मैंने कई बार दीदी की चुदाई की.. अब उसकी शादी हो चुकी है। फिर भी मौका मिलते ही मैं उनकी चुदाई कर लेता हूँ।
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