पहली चूत चुदाई सगे भाई के साथ

पहली चूत चुदाई सगे भाई के साथ

मेरा नाम निकी है।

यह बात अजीब है.. पर सच है कि मेरा पहला अनुभव मेरे भाई के साथ ही हुआ। उस वक़्त मैं 22 साल की थी और वो 21 साल का था।
हम दोनों उस वक़्त तक बिल्कुल सामान्य भाई-बहन के जैसे ही थे।

मेरे एक भाई के सिवाए और कोई दूसरा भाई नहीं है और नहीं ही कोई बहन है.. बस हम दोनों ही हैं। हमारे माता-पिता और हम दोनों सब साथ ही रहते हैं।

बात एक साल पहले की है जब हमारे मॉम-डैड घर से बाहर किसी शादी में गए थे।
उस वक़्त घर में सिर्फ़ हम दोनों थे।

मैंने इस बात का फायदा उठाया और मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ शाम को घूमने चली गई।
क्योंकि घर पर मॉम-डैड नहीं थे तो मुझे ज़्यादा किसी से झूठ नहीं बोलना था।

मैंने भाई से कहा- मैं अपने फ्रेंड के पास नोट्स लेने जा रही हूँ।
उसने कोई बात नहीं पूछी कि किस फ्रेंड के पास जा रही हो।

इधर मैं तो अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमना चाहती थी.. लेकिन शायद उस दिन किस्मत को कुछ और ही चाहिए था। जब मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूम रही थी, तो मेरे भाई ने मुझे देख लिया।

मुझे इस बारे में नहीं पता था, तो मैंने ध्यान भी नहीं दिया। इस दिन से पहले मैंने कभी किसी को हाथ भी नहीं लगाया था।
हम दोनों अभी-अभी ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बने थे।

मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने एक सुनसान जगह पर मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे पेड़ से लगा कर किस करने लगा। मुझे भी अच्छा लग रहा था.. क्योंकि मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था।

यह मेरा पहला चुम्बन था।
हम दोनों किस आदि से आगे बढ़ते उससे पहले उसी वक़्त मेरे ब्वॉयफ्रेंड के मोबाइल पर उसके घर से बुलावा आ गया और उसको जाना पड़ा।
मुझे भी देर हो रही थी.. तो मैं भी चली गई।

लेकिन इस वक़्त तक मुझे ये नहीं पता था कि मेरा भाई मुझ पर नज़र रख रहा है।

घर पर मैंने उसे नोटिस किया कि उस दिन वो मुझे गहरी नज़र से देखने लगा.. तब भी मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और नहाने चली गई।
बाहर बारिश हो रही थी.. तो मैं भीगते हुए घर आई थी।

मेरा भाई मुझ पर अब भी नज़र रखे हुआ है.. मैं ये नहीं जान रही थी।

मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आई तो भाई मेरे कमरे में ही था, शायद वो कुछ खोज रहा था।
मैंने उससे कहा- कुछ खोज रहे हो क्या?

वो मुझे अचानक देख कर चौंक गया क्योंकि मैं सिर्फ़ तौलिये में थी।

एक पल के लिए वो मुझे बस देखता ही रह गया और जैसे ही मैंने उसे आवाज़ लगाई.. तो वो ‘सॉरी’ कहकर चला गया।
मुझे कुछ समझ नहीं आया.. पर उसे कमरे में इस तरह देख कर अजीब ज़रूर लगा।

फिर उसी रात खाने के टेबल पर वो मेरी ओर बार-बार घूरने लगा.. शायद वो मेरे दोनों निप्पल्स को देख रहा था।
काफ़ी देर तक वो इन्हें निहारता रहा था।
मैंने इस बात को अनदेखा किया और फिर खाना खा कर हम दोनों सोने चले गए।

अगले दिन सुबह मुझे अपने बाथरूम के सामने अपने भाई के होने की आहट हुई। शायद वो मुझे नहाते हुए देख रहा था.. पर मुझे पूरा यकीन नहीं था।

मैंने फिर ध्यान नहीं दिया और फिर उसी शाम को दोबारा जब मैं अपने बाथरूम में नहा रही थी, तो मैं अपने बाथरूम का दरवाज़ा लगाना भूल गई और उस दिन में पूरी तरह नंगी मतलब सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी.. वो भी वाइट ब्रा और पैन्टी जो बहुत ही माइक्रो थिन कपड़े की थी।
जिसके भीगने के बाद मेरे दोनों निप्पल दिखाई दे रहे थे और मेरी पैन्टी भी मेरी चूत से चिपक गई थी और मेरी चूत की दोनों पुत्तियाँ ऊपर से ही नुमायां हो रही थीं।

उसी वक़्त मेरा भाई मेरे कमरे में चुपचाप अन्दर आया और बाथरूम के दरवाजे से मुझे देखने लगा।
मुझे पता ही नहीं चला कि वो मुझे नहाते हुए देख रहा है।

मैं बेफिक्र नहाती रही और अचानक मुझे अपने कमर के नीचे कुछ महसूस होने लगा। मैंने पलट कर देखा तो ये मेरा भाई था, जो मुझसे सट कर खड़ा था और मुझसे लिपट रहा था।

मैंने उसे अलग किया और जाने को कहा.. पर वो नहीं गया।
उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और किस करने लगा।

मैंने उसे झटके से दूर किया.. पर वो नहीं माना, उसने और ज़ोर से मुझे पकड़ लिया और चूमने लगा।

मैं उससे अपने-आप को छुड़ाते हुए कमरे में आई.. वो वहाँ भी आ गया।

मैंने उससे कहा- ये सब ग़लत है.. हम दोनों ये सब नहीं कर सकते.. हम भाई-बहन हैं।

तो वो कहने लगा- जब से मैंने तुमको तुम्हारे ब्वॉयफ्रेंड के साथ देखा है तब से मैं पागल सा हो गया हूँ और मैं ये भी जानता हूँ कि तुमने उसके साथ क्या-क्या किया है। ये सब मैं मॉम-डैड को बता दूँगा।

मैंने उसे बताया- अरे लेकिन हम दोनों ने सिर्फ़ एक बार किस किया है।

यह सुन कर वो चुप हो गया.. पर तब भी वो ये सब बताने पर अड़ा रहा।

इस बीच वो मेरी चूची को देख रहा था।
मेरा साइज़ उस वक़्त 34-32-34 का था।
वो मुझे लगातार घूर रहा था।

वो कहने लगा- आई एम सॉरी.. मैंने आप पर शक़ किया.. पर जब से मैंने तुम्हें बिना कपड़ों के नहाते हुए देखा है.. तब से मैं अपने ख्यालों से तुम्हें बाहर नहीं निकाल पा रहा हूँ.. और मुझे तेरे सिवाए कोई नहीं दिखाई देती है।

मुझे यह सुन कर हैरानी तो हुई.. पर खुशी भी थी कि मेरा भाई मेरे बारे में ये सोचता है।
पर मैंने उससे समझाया- हम दोनों भाई- बहन हैं और हम दोनों ये नहीं कर सकते।

वो नहीं माना और फिर उसने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगा।
उसने मुझे दीवार से लगा दिया था, तो मैं कुछ नहीं कर पा रही थी।

धीरे-धीरे मुझे भी अच्छा लग रहा था। पहले किस की यादें ताज़ा हो गईं… वो भी एक दिन में यह दूसरी बार का चुम्बन मुझे अन्दर तक हिला गया।

मैंने उसे रोकना छोड़ दिया और अपने आपको उसके हवाले कर दिया।
मुझे पता था कि यह ग़लत है.. पर उस वक़्त मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर करीब दो मिनट तक किस करने के बाद मुझे अपनी पैन्टी के ऊपर कुछ कड़क सा महसूस हुआ।
मेरे भाई का लंड बड़ा हो गया था और मेरी चूत से रगड़ खा रहा था।
उसने मेरी ब्रा और पैन्टी निकाल कर फेंक दी।

अब मैं पूरी तरह से उसके सामने नंगी खड़ी थी।
मैंने भी उसके सारे कपड़े निकाल दिए।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।

इसके बाद वो मुझे और ज़ोर से किस करने लगा।
अब तो उसका तना हुआ लंड मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था।

वो मेरी चूचियों के निप्पल चूसने लगा।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसे भी ऐसे लग रहा था जैसे उसके मुँह में मेरा दूध आ रहा हो, वो दोनों हाथों से मेरे दोनों स्तनों को पकड़ कर पिए जा रहा था और खूब दबा रहा था।

फिर उसने मुझे आराम से बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझे मेरे पूरे शरीर पर चूमने लगा।
मुझे मज़ा आ रहा था.. मेरे मुँह से सिर्फ़ ‘आह..’ निकल रही थी।

उसने मेरी चूचियों को फिर से चूसना चालू कर दिया और एक हाथ से मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा।
मुझे असीम आनन्द आने लगा, मैं तो सातवें आसमान पर थी.. सिसकारियां लेने लगी थी ‘आह आईईइईए. अफ रवि प्लीज़.. आहा आह आह..’

फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाई से कहा- प्लीज़ भाई जल्दी.. अब मुझे कुछ करो प्लीज़..

तो उसने तुरंत मेरी दोनों टांगों को उठाकर मेरी चूत पर अपना बड़ा और तना हुआ लंड रख दिया और चूत की दरार पर सुपारा रख कर एक ज़ोर का झटका लगा दिया।
उसने एक ही झटके में और अपना आधा लंड मेरी चूत में डाल दिया।

मैं तो जैसे दर्द से मरने ही वाली थी.. मैंने उसे इसे निकालने को कहा।
पर उसने कहा- दर्द मुझे भी हो रहा है.. पर थोड़ी देर रुको सब ठीक हो जाएगा।

मैं चीख रही थी.. क्योंकि घर पर कोई नहीं था.. तो कोई दिक्कत नहीं थी। चीख घर के बाहर नहीं जाने वाली थी।
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फिर उसने अचानक एक और धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया।
अब तो मैं डर के मारे जोर से रोने लगी..
पर उसने मेरी एक नहीं सुनी और वो अपना लंड वहीं जमाए रहा।

कुछ देर में जब दर्द कम हुआ तो वो मुझे धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा।
अब मुझे भी मज़ा आ रहा था.. तो मैं भी उसका साथ देने लगी।

हम दोनों अब काफ़ी एंजाय कर रहे थे। उसने धक्के तेज़ कर दिए और मैंने मादक आवाजों से उसका मजा बढ़ाना शुरू कर दिया ‘आह अहहह.. आह आह.. ओह रवि.. प्लीज़.. ह्म ह्म.. आह आईईइ.. और करो ना.. हाँ.. जानू आई लव यू..’

फिर कुछ देर में ही हम दोनों चरम पर आ गए.. क्योंकि ये हम दोनों का पहली बार था, सिर्फ़ कुछ ही मिनट में ही हम दोनों ने ये सब कर लिया था।
हम दोनों झड़ने को थे, मुझे एक अजीब सी सिहरन सी होने लगी थी।

मैंने कहा- ओह रवि मुझे कुछ हो रहा है।
उसने कहा- मुझे भी कुछ हो रहा है.. तो क्या रुक जाऊँ?
मैंने कहा- नहीं.. मत रूको.. करते रहो चोदो अपनी बहन को.. तो उसने धक्के और तेज़ कर दिए।

फिर एक-दो धक्कों के बाद मैं जैसे आसमान में उड़ती चली गई.. मेरे पूरा शरीर अकड़ गया और मेरी चूत ने पहली बार अपना रस छोड़ दिया ‘उईईइ माआ आहह हा आह..’

उसी वक़्त मेरे भाई ने भी अंतिम धक्का पूरा किया और अपना सारा माल मेरी चूत में ही डाल दिया।

अब हम दोनों काफ़ी देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर मैंने अपने भाई को मुझसे अलग किया।
वो थक कर सो गया था।

मैंने उसके लंड को अपनी चूत से निकाला, अब लंड एकदम छोटा सा हो और ढीला सा हो गया था।
तभी मैंने देखा कि उस पर खून लगा है.. और मेरी चूत पर भी खून लगा था।

मैंने दोनों को कपड़े से साफ किया और फिर बाथरूम में नहाने चली गई। बिस्तर की चादर भी खराब हो गई थी.. उस पर भी खून लगा था। मैंने उसे साफ़ किया.. और अपने भाई को जाने को कहा।

वो मुझसे नज़र नहीं मिला पा रहा था। वो वहाँ से चला गया। हालांकि जो कुछ हुआ उसमें मैं भी शामिल थी.. पर शुरू तो उसने ही किया था।

फिर मैंने नहा कर दर्द की दवाई ली और एक आइपिल भी अपने भाई से मँगवा कर खा ली.. ताकि मैं प्रेगनेन्ट ना हो जाऊँ।

उस शाम को हमने दोबारा ऐसा नहीं किया.. पर चाहते थे कि मौका मिला तो दुबारा मज़ा ज़रूर लेंगे।

आगे की कहानी अगली बार लिखूंगी। आप सभी के ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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