पुत्र वधू की सुहागरात-1 – Antarvasna

पुत्र वधू की सुहागरात-1 – Antarvasna

मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम नरेंद्र जैन है, मेरी आयु 47 साल है, मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ, अच्छा वेतन पाता हूँ. मेरा ऑफिस घर के पास ही है.

मेरी बीवी का नाम निधि जैन था, लेकिन दो तीन साल तक काफी बीमार रही और उसके बाद दो वर्ष पूर्व वो इस धरती लोक को त्याग कर ऊपर वाले के पास चली गयी. उस समय मेरा एकमात्र पुत्र अंकुश केवल बाईस साल का था, वह अपनी बी टेक की पढ़ाई पूरी कर चुका था और एक स्थानीय आई टी कम्पनी में ही जॉब कर रहा था.

प्रिय पाठको, अब मैं आपको अपनी जिन्दगी की वो सच्चाई वो कहानी बताने जा रहा हूँ जो शायद कोई किसी को नहीं बताएगा लेकिन अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ कर मुझे लगा कि यहाँ पर मुझे अपनी सत्य कहानी भेजनी चाहिए.

तो पाठको, एक अचंभित कर देने वाली कहानी पढ़ने के लिए तैयार हो जाएँ, मेरे साथ जो कुछ हुआ, शायद ही ऐसा किसी व्यक्ति के साथ हुआ हो.

जब मेरी पत्नी की मृत्यु हुई तो उस समय मेरा बेटा 22 वर्ष का था। अब घर संभालने के लिए घर में कोई नारी नहीं थी और नारी बिना घर तो जैसे शमशान होता है.
मेरे कुछ रिश्तेदारों ने तो कहा कि दूसरी शादी कर लो, घर संभल जाएगा. लेकिन मुझे यह सही नहीं लगा क्योंकि मेरा पुत्र ही शादी योग्य हो रहा है तो मैंने अपनी दूसरी शादी का विचार पहली बार में ही रद्द कर दिया और मैंने तय किया कि मैं अपने बेटे का विवाह करूंगा. इससे मेरे सूने घर में एक नारी घर को सम्भालने वाली आ जायेगी. इसी में मेरा और मेरे कुछ का बड़प्पन है. इस उम्र में दूसरी शादी का मतलब जगहंसाई.. और अगर मैं दूसरी शादी कर भी लूं तो पता नहीं कि वो कैसी होगी? मेरे बेटे को मां का प्यार दे पायेगी या नहीं? मेरा बेटा उसे अपनी माँ के रूप में स्वीकार करेगा या नहीं!

मैंने अपने पुत्र अंकुश से बात की उसकी शादी के बारे में तो वह विवाह के लिये मान ही नहीं रहा था। फिर भी मैंने येन केन प्रकारेण अंकुश को शादी के लिए मनाया और पत्नी की बरसी के तुरंत बाद उसका विवाह एक अति सुन्दर लड़की पूजा से करवा दिया। पूजा एक संभ्रात कुल की सुशील लड़की थी जो बी ए तक पढ़ी थी.
अपने बेटे के विवाह से मैं बहुत खुश था कि चलो घर में एक बेटे के साथ एक बेटी भी आ गयी.

बहू मेरा बहुत आदर करती थी, मेरा ख्याल रखती थी.

अपने ऑफिस से मैं छह साढ़े छह तक घर पर आता था और मेरा बेटा अंकुश करीब 7 बजे घर आता था।

तो हुआ यों कि लगभग छः महीने पूर्व एक दिन मैं अपने दफ्तर से दोपहर तीन बजे घर आ गया. घर की एक चाबी मेरे पास और एक चबी मेरे बेटे अंकुश के पास रहती थी. तो मैं उस चाबी घर का मुख्य दरवाजा खोल कर घर के अंदर आ गया।

मैं अपने कमरे में जा रहा था कि मैं अपने बेटे के कमरे के सामने से निकला तो मैंने अन्दर देखा कि मेरी पुत्रवधू पूजा बिस्तर पर पड़ी हुई थी. वह उस समय पूर्ण नग्न थी और गहरी नींद में सो रही लग रही थी. पूजा के वस्त्र, उस की साड़ी, ब्लाउज पेटीकोट, बरा पेंटी सब बिस्तर पर उसके सिराहने ही रखे हुए थे, पूजा पूरी नंगी थी तो उसकी चूत भी एकदम नंगी थी, मेरी आँखों के सामने थी. पूजा की चूत घनी झांटों से घिरी हुई थी, लग रहा था कि जैसे पूजा ने लम्बे अरसे से झांट के बाल साफ़ ही ना किये हों.

तभी मेरी नजर पड़ी मेरी बहू की चूत के पास पड़ी एक लम्बी मोटी गाजर पर… मैंने अनुमान लगाया पूजा उस गाजर को अपनी योनि में घुसा कर सेक्स का मजा ले रही होगी, अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश कर रही होगी.
ये सब देखकर मैं तो जैसे सकते में आ गया, मैं जडवत हो गया कि मैंने ये क्या देख लिया. ये तो पाप है.

फिर मैं सोचने लगा कि मेरी बहू पूजा को ऐसा करने की क्यों आवश्यकता पड़ी. अब मैं पूजा के पूरे नंगे बदन को देखने लगा, मेरी बहू बहुत खूबसूरत है, गोरी है, चिकना बदन है, उसकी चूचियां सामान्य आकार की शायद 32 इंच की होंगी, सांची के स्तूप की भान्ति या ताजमहल के गुम्बद की तरह से तनी खड़ी थी. उसकी नाभि गहरी थी जैसे किसी नदी में कोई भंवर हो… पूजा के होंठ थोड़े से खुले हुए थे. और मुख से थोड़ी लार बाहर बह कर सूख चुकी थी. मेरी पुत्रवधू के लंबे बाल तकिये पर बिखरे पड़े थे.

ऐसे खूबसूरत जवान नग्न बदन को देख कर किसी की भी कामवासना जागृत हो जाए. मुझे कोई चूत चोदे तीन चार साल हो चुके थे. नंगी बहू को देखकर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. क्यों ना हो… हूँ तो मैं भी एक इन्सान.. एक मर्द… जिसकी अपनी कुछ जरूरतें हैं. एक बारगी मैंने सोचा कि बहू के सेक्सी बदना को ज़रा छू कर देखूँ लेकिन हिम्मत नहीं हुई अपने संस्कारों के चलते अपनी बहू को छूने की।

मैं अपने कमरे में गया और घरेलू कपड़े पहनकर हॉल में आ गया, टीवी चला कर सोफे पर बैठ गया और अपने ताने हुए लन्ड को हल्के हल्के से सहलाने लगा।

शायद टीवी की आवाज सुन करके पूजा जाग गयी, उसे किंचित मात्र भी आभास नहीं होगा कि घर में कोई हो सकता है, वह हड़बड़ाहट वैसे ही पूरी नंगी हॉल में आ गई.

जैसे ही उसने मुझे हॉल में सोफे पर बैठे देखा, वह चौंक गई, घबरा गई, लेकिन उसकी नजर मेरे हाथ पर पड़ गयी थी जो लन्ड को सहला रहा था. पूजा एकदम घबरा कर वापिस अपने कमरे में भाग गई और पूरे कपड़े पहनकर वापस लौटी।

फिर वो खुद को संयत करती हुई मुझसे बोली- पापाजी, आज आप इतनी जल्दी कैसे आ गए? आपकी तबीयत तो ठीक है?
मैंने बहू को अपने जल्दी आने की वजह बताई।

तब पूजा ने पूछा- पापाजी, आपके लिए मैं चाय बना लाऊँ?
मैंने बहू से कहा- नहीं बेटी, अभी रहने दो, तुम मेरे पास आकर बैठो, मुझे तुमसे बात करनी है।
तो पूजा घबरा गई और बोली- क्या बात है पापाजी? बोलिए?
मैंने अपनी पुत्रवधू से पूछा- पूजा बेटी, तुम अपनी शादी के बाद खुश तो हो ना?

मेरी इतनी बात सुनते ही पूजा का चेहरा उतर गया, वो उदास हो गई, मुझे लगा कि जैसे पूजा अभी रो पड़ेगी।
अब मुझे लगाने लगा कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है।
मैंने बहू से पूछा- बेटा, क्या अंकुश से कोई दिक्कत है?
पूजा एकदम बोली- पापा, आज आपने मुझे जिस अवस्था में देखा है, इसलिए आप ये पूछ रहे हैं ना?
तब पूजा आगे बोली- पापाजी, अब आपने पूछा है तो मैं आपको सारी बात बता देती हूँ सारी बात… अगर मेरी सासू मां होती तो मैं उनसे ये बातें काफी पहले ही बता देती. कोई बहू ऎसी बाते अपने ससुर से नहीं बता सकती लेकिन अब तो आप ही मेरी सास हैं, आप ही ससुर आप ही मेरे मां बाप है, आपको सुनकर विश्वास नहीं होगा, आपके बेटे अंकुश को लड़की में कोई दिलचस्पी ही नहीं है।

तो मैं कुछ समझ नहीं पाया, पूछा- बहू रानी, थोड़ा खोल कर बताओ मुझे।
बहू बताने लगी- अंकुश उसको केवल लड़कों में ही रुचि है, हम दोनों अंकुश और मैं हनीमून पर अकेले नहीं गये थे बल्कि अंकुश के दो दोस्त भी हमारे साथ गये थे. इस बात का पता तो मुझको वहाँ पहुँच कर ही लगा था। उन दोनों का रूम हमारे रूम के समीप ही था। अंकुश तो पूरा दिन उन्हीं के संग उनके रूम में रहता था।

अब मैंने फिर पूछा- बेटी, मैं कुछ समझा नहीं? पूरी बात थोड़ा और विस्तार से बताओ।

तो पूजा बोली:
हाँ पापाजी, मैं भी खुलकर ही सारी बात बताना चाहती हूँ. अंकुश अपने दोस्तों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करता है, अंकुश अपने दोस्तों का चूसता है और वे दोस्त अंकुश का अंग चूसते हैं। मैंने अंकुश से कहा भी कि अपने रूम में चलो, आप जैसा कहोगे, मैं वैसे ही करूँगी। तो अंकुश मुझसे बोला कि पूजा आप अपने रूम में जाओ और रेस्ट करो हमारा मजा खराब ना करो, मुझे और मेरे इन दोस्तों को लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर आप पूर्ण नग्न भी हो जाओ मेरे सामने या मेरे दोस्तों के सामने… तो भी मैं या मेरे दोस्त भी आपको नहीं छुएंगे।

यह सुन कर मैं उन तीनों के समक्ष नंगी भी हो गई, लेकिन उन में से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा, वे तीनों आपस में ही एक दूसरे का अंग चूसना और गुदा-सेक्स करते रहे।
फिर मैंने अंकुश से पूछा कि अगर आप समलैंगिक सेक्स पसंद करते थे तो आपने मुझसे विवाह ही क्यों किया? और मैं अपनी जवानी का, कामवासना का क्या करूँ? तो अंकुश बोले कि मुझे तो पापाजी ने परेशान करके रखा हुआ था इसीलिए मुझे आप से विवाह करना पड़ा, अब आप चाहो जिस किसी के साथ, जो आपका मन करे वो करो, मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है. यहाँ होटल में ही किसी को पटा लो, और कोई ना पटे तो यहाँ के स्टाफ के किसी लड़के के साथ अपनी प्यास बुझा लो!

तब अंकुश के एक मित्र ने मुझे कहा कि भाभी आप खीरा, गाजर, मूली या केला लेकर उससे अपनी कामुकता को शांत कर लो।

तब मैं पूरी नग्न थी लेकिन जैसे उन तीनों दोस्तों के लिये तो मेरा कोई वजूद ही नहीं था वहां… इससे अधिक मेरा अपमान और क्या हो सकता था. तब मैं भाग कर अपने रूम में गई और नंगी ही बिस्तर पर लेट कर जोर जोर से रोने लगी।

यह सब देखकर सहकर मेरे मन में उसी दिन से अपने बाक़ी जीवन को लेकर तरह तरह के विचार घूम रहे हैं, एक तो कि मैं अंकुश से अलग हो कर दूसरा विवाह कर लूँ. लेकिन अब डर लगने लगा है कि दूसरा पति भी अगर मुझे ऐसा ही मिला तो? दूसरी बात यह कि मैं यहीं इसी घर में रहकर किसी गैर लड़के को पटा कर अपनी यौनवासना ठंडी कर लूं लेकिन इसमें बदनाम हो सकती हूँ और कोई लड़का मुझे ब्लैकमेल भी कर सकता है. तीसरा विकल्प है आत्महत्या… ऐसा करना कायरता है। आखिर मज़बूरी में मैं किसी भी तारीके से खुद को बहला रही हूँ, परन्तु ऐसा मैं कब तब करूंगी? क्या विवाह का सुख इतना ही होता है? पापाजी, अब आप ही बताइये कि मैं क्या करूँ?

पूजा की बातें सुनकर मुझे अपने बेटे अंकुश पर बड़ा गुस्सा आ रहा था. फिर मैंने काफी सोचा कि बहू की यौन तृप्ति का क्या साधन हो सकता है. अंत में मुझे यही सही लगा कि अपनी बहू पूजा को मुझे खुद ही चोद कर उसे खुश करना चाहिये, नहीं तो घर की इज़्ज़त बाहर लुटेगी.

यह तय करके मैंने पूजा से खुली बातें करना शुरु किया ताकि अगर उसका मन मेरे साथ चुदवाने का हो तो मुझे भी एक लम्बे अरसे के बाद चूत चुदाई का सुख मिल जायेगा और पूजा भी कहीं बाहर किसी और से चुदवाने का नहीं सोचे.
मैं बोला- नहीं पूजा बेटी, तुम घर की इज़्ज़त को बाहर मत लुटाओ. पूजा, अगर तुम्हें सही लगे तो क्या हम एक दूसरे के काम आ सकते हैं?
पूजा बोली-पापा जी, मैं कुछ समझी नहीं?

ससुर बहू की कामुकता और चुदाई की हिन्दी सेक्स कहानी जारी रहेगी.
आपको मेरी सेक्सी कहानी कैसी लग रही है, मुझे इमेल करके अपने विचार मुझ तक अवश्य पहुंचायें!
धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: पुत्र वधू की सुहागरात-2

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