प्यासी चूत प्यासा लण्ड

प्यासी चूत प्यासा लण्ड

मेरा नाम आलम है, मैं अलीगढ़ का रहने वाला हूँ, आपको अपनी एक सच्ची घटना के बारे में बताने वाला हूँ।

बात करीब दो महीने पुरानी है जब हम अपने नए मकान में आये थे, हमारे घर में तीन मंज़िल बनी हुई हैं और हमारे ठीक बराबर में एक परिवार रहता है जिसमें पति पत्नी और उनके दो बेटे हैं।

पति शहर की छोटी राजनीति में लगे रहते हैं और भाभी जी अक्सर घर पर ही रहती हैं।
भाभी काफी मोटी है और उनके चूतड़ तो लाजवाब हैं और अक्सर बिना दुपट्टे के ही बाहर घूमने लगती हैं तो उनके मोटे मोटे दूध अलग ही दिखाई देते हैं।

एक बार की बात है जब मैं सुबह के समय अपने घर की सबसे ऊपर वाली छत पर टहल रहा था तो भाभी सुबह में टॉयलेट से निकल रही थी और उन्होंने सलवार का नाड़ा भी नही बाँधा था, वो उसे बांधते हुए ही निकल रही थी।

उनकी सलवार के अंदर का नज़र देख कर तो मेरा लण्ड मचल गया और बस मैंने तभी मन में ठान लिया कि चाहे जो भी हो लेकिन भाभी की चूत और गांड का रस ज़रूर चखूँगा।

इतनी मोटी और उभरी हुई चूत और गांड मैंने इससे पहले कभी नही देखी थी!
धीरे धीरे मैंने उनके घर जाना शुरू किया और उनके बच्चों को पढ़ाने लगा बिना कोई फीस लिए हुए!

एक रोज़ की बात है जब पास के शहर में पार्टी की एक बड़ी रैली थी जिसमें हमारे पड़ोसी को जाना था और अगले दिन वापस आना था! बस उस रोज़ बच्चों के पढ़ाने थोड़ी देर से गया जब बच्चे भी सोने वाले थे जब मैं वहाँ पहुँचा तो बच्चे पढ़ने के मूड में नहीं थे और बच्चों को छुट्टी दे दी और उन्हें उनके कमरे में भेज दिया!

भाभी थोड़ी कम पढ़ी हुई थी और बच्चों की अंग्रेजी की किताब लेकर उसे देख रही थी। मैंने भाभी से किताब मांगी तो भाभी ने नहीं दी, मैंने थोड़ी देर बाद फिर मांगी तो फिर से नहीं दी और एक अजीब सी मुस्कराहट उनके चहरे पर थी।

बस इसी मुस्कराहट का तो मैं दीवाना था और मुझे लगा कि शायद आज काम बन जाये…
जब तीसरी बार मांगने पर भी भाभी ने किताब नहीं दी तो मैंने वो किताब उनसे ज़बरदस्ती छीनने की कोशिश की लेकिन भाभी आज मस्ती में थी और मुह लोग ज़ोर आज़माने लगे!

किताब के छीनने में कई बार मेरा हाथ भाभी के मोटे मोटे दूधों पर पड़ा और मेरे लण्ड में झनझनाहट सी हो गई और धीरे धीरे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा!

तभी भाभी का हाथ अचानक मेरे लण्ड पर लगा, मुझे थोड़ी तकलीफ हुई और मैं बहाना करके बैठ गया।

भाभी मुझसे पूछने लगी- क्या ज्यादा लगी है?
वो बोलते बोलते मेरे पास आ गई, मेरा हाथ पकड़ लिया!

मैंने बोला- बहुत गलत जगह लगी है।
तो भाभी बोली- आओ मैं मालिश कर देती हूँ…

उनकी बात सुन कर में उन्हें देखता रह गया।
वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? तुम्हें क्या लगता है कि तुम मुझे रोज़ टॉयलेट से निकलता देखते हो और मेरी चूत पर नज़र लगाये रहते हो तो मुझे पता नहीं है? मुझे सब पता है और हाँ मैं भी जान बूझ कर रोज़ सलवार बाहर आकर बांधती थी ताकि तुम मेरी चूत के दर्शन कर लो।

इतना कहना था कि मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया और भाभी को चूमने लगा और उनके दूध दबाने लगा।
भाभी के चूतड़ों पर जैसे ही मेरा हाथ गया तो भाभी बोली- तुम्हें पता है, तुम्हारे भैया का लण्ड इतना छोटा है की मेरी चूत को मज़ा नहीं पाता है!

फिर मैंने भाभी के कपड़े उतारे और भाभी ने मेरे… मैं बस भाभी की गांड में उंगली करने लगा और भाभी की चूत को चाटने लगा!
काफी देर चूत चाटने के बाद भाभी ने अपना पानी मेरे मुंह में ही छोड़ दिया और अब वो मेरा लंड चूसने लगी।

फिर मैंने भी पाना पानी भाभी के मुंह में छोड़ दिया और हम लोग शांत हो गए लेकिन मैं तब भी उनके चूतड़ों पर ही हाथ फेर रहा था और मेरा लुंड फिर से खड़ा होने लगा!

भाभी भी फिर से मस्ती के मूड में आ गई और मेरे लण्ड को सहलाने लगी और फिर उसे चूसने लगी और बोली- तुम्हारे भैया तो बाहर ही रहते हैं और थक कर सो जाते हैं लेकिन आज तुम मेरी प्यास बुझाओ!

मैंने भाभी की चूत में अपनी दो उंगली डाल दी और फिर भाभी को घोड़ी बनने को कहा।

भाभी तुरंत ही घोड़ी बन गई और मैंने मोटे लण्ड का सुपारा जैसे ही भाभी की चूत में घुसाया तो भाभी ने मेरे हाथ खींच कर उस पर काट लिया और दांत दबाने लगी।

मेरा लण्ड काफी मोटा और लम्बा था और भाभी की चूत काफी टाइट थी लेकिन मैंने धीरे धीरे धक्के लगा कर अपना पूरा लंड भाभी की चूत में घुसा दिया और अब भाभी भी मस्ती में आ रही थी और घोड़ी की तरह उछल उछल कर गांड मरा रही थी।

करीब दस मिनट के बाद मैंने जब ज़ोर के धक्के लगाये तो भाभी रोने लगी और बोली- तेज़ तेज़ कर… मज़ा और दर्द दोनों मिल रहे हैं।

और फिर मैंने रफ़्तार बढ़ा दी और उनकी चूत का बुरा हाल कर दिया।
जब मैं झड़ गया और मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत से निकाला तो भाभी से उठा भी नहीं जा रहा था और अब हम हफ्ते मैं एक बार मस्ती ज़रूर कर लेते हैं।

आपको यह कहानी कैसी लगी… ज़रूर बताना, यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर…
आलम
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