पड़ोसन भाभी संग दारू पार्टी और चुत चुदाई

पड़ोसन भाभी संग दारू पार्टी और चुत चुदाई

दोस्तो नमस्कार.. मैं सागर 26 साल का, दिल्ली के करोलबाग से हूँ.. दिखने में स्मार्ट हूँ और मेरी हाइट 5 फुट 6 इंच है और मेरे लंड का साइज़ 3 इंच मोटा और 7.3 लंबा है।

बात अभी 3 महीने पहले की बात है, मैंने नया रूम चेंज किया। मेरे इस नए फ्लैट के बगल में एक फैमिली रहती थी, जिसमें एक भाभी और उनके पति रहते हैं।

जब मैंने पहली बार भाभी के हुस्न को देखा तो मैं उन्हें देखता ही रह गया था। सच में बनाने वाले ने कितनी फ़ुर्सत से बनाया होगा.. उनका 32-34-36 का क्या मस्त फिगर था, एकदम अप्सरा लग रही थीं। वे एकदम गोरी थीं.. मैं तो उनका दीवाना सा हो गया।

अब जब भी मुझे टाइम मिलता.. तो मैं उन्हें ज़रूर देखता था और इसी बीच धीरे-धीरे मेरी और उनके पति की अच्छी जान पहचान हो गई। मैं उनके घर आने-जाने लगा और वो भी मेरे घर आने लगीं।

भाभी से भी मेरी खुल कर बात होने लगी। इसी बीच भाभी के पति को कंपनी के काम से एक महीने के लिए बाहर जाना था।

उस समय मैं उनके घर पर ही था। भैया ने भाभी से कहा कि तुमको कोई ज़रूरी काम हो तो सागर से करा लेना और उन्होंने मुझे भी कह दिया कि तेरी भाभी को यदि कोई काम हो.. तो कर देना।
मैं बोला- ओके!

इसके बाद मैं और भाभी भैया को एयरपोर्ट छोड़ने गए। वो चले गए और हम लोग वापिस आने लगे.. तो रास्ते में ही हम दोनों ने एक होटल में खाना खाया और इसी बीच बात होने लगीं।
मैंने भाभी को कामुक भाव से भरपूर देखा।
भाभी ने मुझसे खुलते हुए बताया कि उनकी शादी हुए 2 साल हो गए हैं और इसके बाद की वैवाहिक जीवन की और भी बहुत सी बातें मुझसे शेयर कीं।

फिर भाभी ने मुझसे पूछा तो मैंने भी अपनी जिन्दगी के बारे में बताया।
इस तरह इस वक्त ऐसा लगा जैसे हम दोनों भैया के जाने के बाद कुछ अधिक ही खुल गए हैं। हम लोगों में इधर-उधर की बातें भी होने लगीं और कुछ देर बाद हम दोनों घर वापस आ गए।

रात ज्यादा हो रही थी तो मैंने भाभी से बोला- भाभी मैं जा रहा हूँ.. रात में कोई दिक्कत हो तो मुझे फोन कर देना।
भाभी ने अब तक मुझे कभी फोन नहीं किया था तो उनके पास मेरा नम्बर नहीं था। उनके नम्बर मांगने पर मैंने उन्हें अपना नम्बर दे दिया।

इसके बाद मैं उनको बाय बोल कर अपने कमरे में आ गया।

जैसे ही मैं रूम में आया तो मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया। मैंने रिप्लाइ में पूछा- आप कौन?
भाभी बोलीं- पहचानो।
मैं बोला- सॉरी आप कौन? आपसे पहले कभी फोन पर बात ही नहीं हुई तो मैं आपका नम्बर नहीं पहचान पाया।
तो उन्होंने लिखा- नहीं पहचाना.. लेकिन मैं आपको जानती हूँ?
मुझे लगा पता नहीं कौन सी लड़की है, मैंने पूछा- आप कौन हैं?

बहुत देर तक भाभी नाटक करती रहीं, उसके बाद उन्होंने बताया कि मैं भाभी हूँ.. तूने क्या समझा कोई लड़की है क्या?
‘हाँ भाभी मैं तो यही सोच रहा था।’
तो भाभी बोलीं- मैं भी किसी लड़की से कम नहीं हूँ।
मैं बोला- जी भाभी.. आप काफ़ी स्मार्ट लगती हैं।
अब रात में भाभी से बातें होने लगीं तो मैंने पूछा- भाभी आज नींद नहीं आ रही है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैं बोला- लेकिन अब मैं सोने जा रहा हूँ.. सुबह मुझे जल्दी उठना है।

अगले दिन जब मैं ऑफिस से लौट कर आया और फ्रेश हुआ और भाभी के यहाँ चला गया।

वहां जो देखा.. तो मैं देखते ही रह गया। भाभी इस वक्त कयामत लग रही थीं। उन्होंने टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था।
मुझे देखते ही बोलीं- अरे आ गए.. बैठो.. क्या पियोगे?
मैंने मज़ाक में बोल दिया- जो पिलाना हो पिला दो।
वो बोलीं- ड्रिंक करते हो क्या?
मैं बोला- हाँ..
तो वो बोलीं- मैं तो मज़ाक कर रही थी.. चाय बनाती हूँ।
मैं बोला- ओके..

भाभी चाय बना कर लाईं, हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे।
भाभी ने मुझसे पूछा- आपकी कोई गर्ल फ्रेंड है?
तो मैंने बोला- नहीं है।
वो बोलीं- सही बताओ ना!
मैं- नहीं है..
तो वो बोलीं- बना लेना चाहिए ना।
मैं बोला- कोई बनती ही नहीं।
‘क्यों?’
मैं बोला- आप ही बन जाओ ना।
तो वो मना करने लगीं- अरे मैं कैसे बन जाऊं.. मैं तो शादीशुदा हूँ।
मैं बोला- तो क्या हुआ?
वो बोलीं- अच्छा देखती हूँ।
मैं बोला- इस बात पर तो आज पार्टी हो जाना चाहिए।
बोलीं- ठीक है.. पर कैसी पार्टी?
मैं बोला- जैसे होती है।
भाभी ने आँख मटका कर पूछा- कैसी वाली पार्टी?
मैंने पूछा- आप ड्रिंक करती हैं?
वो बोलीं- हाँ..
मैंने कहा- ओके.. मैं सामान लेकर आता हूँ।
भाभी ने हामी भर दी।

मैं सामान लेने मार्केट गया था, सारा सामान लेकर वापस आया, तब तक रात के 9 बज चुके थे। मैं भाभी से बोला- शुरू करें पार्टी?
भाभी ने मुस्कुरा कर अंगड़ाई लेते हुए कहा- मैं तो कब से इन्तजार कर रही हूँ।
उनकी इस अदा को देख कर मैंने कहा- बस एक मिनट में मैं अपने कपड़े बदल लूँ.. फिर शुरू करते हैं।
‘ओके मैं भी अपने कपड़े चेंज करके आती हूँ।’

मैंने भी अपने कपड़े बदले और वो भी एक मस्त नाइटी पहन कर आ गईं।

हम दोनों लोग एक ही साथ बैठ गए और सारा सामान सामने रख लिया। मैंने भाभी से बोला- ये शुभ काम आप के हाथ से शुरू हो तो ठीक रहेगा।
भाभी ने ‘हाँ’ कह कर पैग बनाए, हम लोगों ने चियर्स किया गिलास गटकने लगे।

जैसे ही पहला पैग अन्दर गया.. हम लोग खुल कर बातें करने लगे। बातों ही बातों में मैं भाभी की जांघ में हाथ मार देता और वो कुछ नहीं बोलतीं।

फिर एक-एक और पैग पिया तो धीरे-धीरे नशा होने लगा। वो भी कभी अपने चूची को आगे करतीं तो मैं जानबूझ कर उनके मम्मे को टच कर देता। वो इतने पर भी मुझसे कुछ नहीं बोल रही थीं।

अब मैं समझ गया और मैंने भाभी को अपनी तरफ खींच लिया और खुल कर उनके दूध दबाने लगा, वो भी मुझे चूमते हुए मेरा साथ देने लगीं।

मैंने धीरे-धीरे करके भाभी की नाइटी को उतार दिए.. वो सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में रह गई थीं। भाभी ने भी मेरे कपड़े उतार दिए और मेरे खड़े लंड को देखा तो भाभी देखते ही रह गईं।
वो नशे की टुन्नी में बोलीं- हाय इतना बड़ा है आपका..!
यह कहते हुए भाभी मेरे लंड से खेलने लगीं।

कुछ ही पलों बाद मैंने लंड चूसने का इशारा किया तो भाभी ने मेरे लंड के ऊपर दारू डाल दी और उसे चूसने लगीं, लंड चूसते हुए भाभी बोल रही थीं- उम्माह.. कितना मोटा केला है।
मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैंने खुद भाभी के पूरे बदन को चूम डाला।

अब वो तड़पने लगी थीं और चुत पर हाथ फेरते हुए मुझे इशारा कर रही थीं। मैं समझ गया कि अब भाभी की चुदाई का समय आ गया है।

जैसे ही मैंने उन्हें पूरी नंगी किया.. और भाभी की चिकनी और सफाचट चुत देखी तो चुत देखते ही रह गया। भाभी की बुर एकदम गोरी थी। मैंने हल्के से भाभी की चुत पे हाथ लगाया, तो वो तड़फ़ उठीं। मैंने उनको चित्त लिटा दिया और अपने मुँह से उनकी चुत को खूब चूसा।

कुछ ही पलों भाभी चुत उठा कर चिल्लाने लगी थीं- अह.. और चाटो..
भाभी मेरे सिर को अपनी चुत पर दबा रही थीं। कुछ मिनट तक ऐसे ही चुत चटाई का सिलसिला चला।
भाभी चिल्लाए जा रही थीं- अह.. आज तो फाड़ दो मेरी चुत को..

मैं कहाँ भाभी की कुछ सुनने वाला था, मैं तो एकदम मूड में था।

इसी बीच भाभी ने भी 69 में होकर मेरे लंड को खूब चूसा।

भाभी बोल रही थीं- जानू पेल भी दो ना अपना हथियार.. अब नहीं रहा जाता यार।

मैंने सोचा कि ये सही टाइम है। मैंने अपना लंड को पहले उनकी चुत के ऊपर रगड़ा तो वो तड़फ़ने लगीं और चिल्लाने लगीं- उउह.. मत सता साले.. पेल भी दे ना.. जल्दी डाल दो.. मुझसे अब नहीं रहा जा रहा है।

मैंने एक ही झटके में ही अपना पूरा लंड पेलने की कोशिश की.. पर मेरे पहले झटके में मेरा पूरा लंड भाभी की चुत के अन्दर नहीं गया, उलटे भाभी दर्द से चिल्लाने और लगीं।
मैंने उनका मुँह दबा लिया।
वो बोल रही थीं- यार बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बाहर निकाल लो।
मैं रुक गया और उनको चूमने लगा।

थोड़ी ही देर में भाभी कुछ शांत हुईं.. तो मैंने एक और जोर का झटका मारा, अब मेरा लंड भाभी की चुत में पूरा अन्दर घुस गया था।
भाभी फिर से चिल्लाने लगीं- ओह.. मैं मर जाऊंगी.. निकालो साले मादरचोद.. मेरी चुत फाड़ दी।
मैं फिर से रुक गया।

थोड़ी देर बाद जब भाभी को कुछ आराम लगा तो मैंने उनको चोदने लगा।

अब वो मजा लेते हुए कहे जा रही थीं- उओह.. मजा आ गया.. आज फाड़ ही दो मेरी चुत को ओह ओह और जोर से डालो ना.. मादरचोद आज मैं तो तेरे लिए रंडी हूँ.. जितना चोदना है.. चोद ले।

मैं भाभी की चुत को धकापेल चोदे जा रहा था। इस बीच भाभी दो बार झड़ चुकी थीं।

मैं भी कुछ मिनट बाद भाभी की चुत में ही गिरने वाला था, मैंने पूछा- कहा निकालूँ डार्लिंग?
वो बोलीं- आज तो मेरी चुत के अन्दर ही अपने लंड का रस डाल दो।

मैंने जबरदस्त धक्के मारे और भाभी की चुत में गिर गया। इसके बाद दस मिनट तक हम दोनों वैसे ही लिपटे हुए लेटे रहे।

उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जा के एक-दूसरे को खूब नहलाया। तभी मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

मैंने इस बार में बोला- भाभी, मुझे आपकी गांड मारनी है।
तो भाभी मुझे मना करने लगीं। फिर ज्यादा जोर देने पर राजी हो गईं।

मैं अपने लंड को हाथ में लेकर उनको गरम करने लगा.. तो वो मेरे लंड को हाथ में ले कर खड़ा करने लगीं।

मैंने उन्हें घोड़ी बनने को बोला और वो बन गईं। मैंने थोड़ा सा आयिल अपने लंड पे लगाया और उनकी गांड में हल्का सा डाल दिया तो भाभी को डर सा हुआ।

मैंने कुछ नहीं सुना.. इस बार में कहाँ रुकने वाला था।

मैंने एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया और वो गाली देने लगीं। मैंने भाभी की ‘चिल्ल-पों’ को नजरंदाज किया और उनकी गुलाबी गांड को धकापेल मारे जा रहा था।

थोड़ी देर बाद भाभी सामन्य हुईं और मैंने उनकी चूचियां मसकता हुए लगभग 15 मिनट तक भाभी की गांड की चुदाई की।

अब मेरा माल निकलने वाला था तो वो बोलीं- मेरी गांड के अन्दर ही अपना गरम रस निकाल देना.. थोड़ी सिकाई हो जाएगी।

मैंने वही किया और थोड़ी देर बाद हम दोनों सामान्य हो कर नहा कर कमरे में आकर लेट गए। लेटते ही कब सो गए.. कुछ पता ही नहीं चला।

जब मेरी नींद खुली तो देखा सुबह के 7 बज रहे थे भाभी उठ कर जा चुकी थीं।

मैंने अपने कपड़े पहने तभी भाभी मुस्कुराती हुई चाय लेकर आ गईं। हम दोनों ने चाय पी और मैं चलने लगा। मैंने जाते समय भाभी को एक किस किया तो भाभी मुझसे जोर से लिपट गईं।
उसके बाद तो मैंने कई बार उनकी चुदाई की है।

दोस्तो आप को मेरी भाभी की चुत और गांड की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. ज़रूर मेल करें।
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