बस में मिली भाभी के साथ ओरल सेक्स

बस में मिली भाभी के साथ ओरल सेक्स

हैलो फ्रेंड्स, मैं अपनी स्टोरी लिखने से पहले अपना परिचय देना चाहता हूँ.
मेरा नाम राज है, मैं मुंबई से हूँ. मेरी उम्र 32 साल की है. मेरे लंड का साइज़ 7.5″ इंच लंबा और 3.5″ इंच मोटा है. मैं अपनी शादीशुदा लाइफ में बहुत खुश हूँ

इस साइट पर ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. मैंने यहां की बहुत सारी सेक्स स्टोरी पढ़ीं तो मुझे लगा कि मुझे भी अपनी सेक्स स्टोरी आप लोगों के साथ शेयर करनी चाहिए. इसलिए मैं अपनी लाइफ की अनजान फीमेल के साथ चुदाई की कहानी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ.

मैं एक दिन मुंबई से अहमदाबाद स्लीपिंग क्लास की बस से सफ़र कर रहा था. मैंने बोरीवली से 1 स्लीपिंग बर्थ बुक की थी. उन दिनों अप्रैल का मौसम था. गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं. इसलिए सारी बसें फुल ही जा रही थीं.

जब मैंने एक बर्थ बुक की, तो मुझे 2 आदमी वाली बर्थ मिली. मैंने बस के कंडक्टर से पूछा तो उसने बोला कि यहां एक यात्री और आएगा.
मैंने बोला- कोई सिंगल वाली बर्थ मिलती तो अच्छा होता.
बस वाला मना करने लगा कि अभी बस यही एक बर्थ खाली है.
मैंने भी बोला- ठीक है चलेगा.

मैं 7 बजे शाम को बस में अपनी बर्थ पर बैठ गया और बस के चलने के समय मेरी सीट पर एक लेडी आकर बैठ गई. वो मुझसे पूछने लगी- क्या ये आपकी बर्थ है?

मैंने बोला- हां मैडम, इसमें एक बर्थ मेरे लिए है.
उसने समझते हुए बोला- अच्छा तो इसी में एक बर्थ मेरी होगी.

वो अपना लगेज वगैरह रखवा कर बर्थ पर बैठने आई. अब मैंने आपको उस भाभी के बारे में बता दूँ. वो भाभी दिखने में तो ठीक ठाक थी, उसने अपना फिगर काफी मेंटेन किया हुआ था. उस भाभी की फिगर 34-30-36 की रही होगी. वो इस वक्त एक ऑरेंज साड़ी में थी और मस्त माल दिख रही थी.

कुछ पल बाद उसने मुझसे पूछा- आप कहां तक जाओगे?
मैंने बोला- अहमदाबाद.
उसने हम्म कहा, तो मैंने भी पूछ लिया कि आप?
तो उसने भी अहमदाबाद बताया. फिर हम दोनों में थोड़ी बातें होती रहीं. वो अपनी सिस्टर की शादी के लिए अहमदाबाद जा रही थी.

रात को 9:30 बजे एक होटल पर बस डिनर के लिए रुकी. मैं होटल में डिनर करके वापस बस में आकर अपनी बर्थ पर लेट गया. वो भाभी घर से ही डिनर लेके आई थी.

कुछ देर बाद बस स्टार्ट हो गई. अब सब सोने लगे तो मैं भी अपनी बर्थ पर सोने लगा.

भाभी मुझसे बोली कि मुझे विंडो साइड सोने दोगे प्लीज़.
मैंने बोला- ओके.

वो विंडो साइड सो गई और मैं गैलरी साइड सो गया.

करीब 12 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो देखा भाभी के एक हाथ मेरे पर है और उनकी साड़ी का पल्लू उसकी छाती से हटा हुआ है. अब ये नज़ारा देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा.

मैं सोचने लगा कि अब क्या किया जाए. उसके उठते गिरते मम्मों की मनमोहक छटा मुझे पागल किए दे रही थी. अब तो मेरा मन उसके मम्मों को चूसने का करने लगा था. फिर मैंने धीरे से उसका हाथ हटा कर उसको सीधा लिटा दिया. इसके बाद मैं उसकी तरफ फेस करके सोने लगा. कुछ पल बाद हिम्मत बढ़ी तो और मैंने अपना लेफ्ट हाथ उसकी कमर पर रख दिया और सोने का नाटक करने लगा.

उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो फिर नींद का बहाना करते हुए मैंने धीरे धीरे अपना हाथ घुमाना शुरू किया.
भाभी को शायद अब तक कुछ पता नहीं चला था, इसलिए मैं अपने हाथ को ऊपर करते हुए उसके मम्मों के ऊपर रख दिया.

फिर कुछ पल इन्तजार किया कि कहीं रायता न फ़ैल जाए. जब कुछ नहीं हुआ तो मैं धीरे धीरे अपने हाथ से भाभी के मम्मों को प्रेस करने लगा. उसके मस्त मक्खन मम्मों को मसलने से मेरी हालत और भी खराब होने लगी थी. इस वक्त मुझमें एक डर भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए. फिर भी मैं हिम्मत करता रहा.

अगले 5 मिनट तक मैं भाभी के मम्मों को दबाता रहा. अचानक भाभी ने अपनी करवट बदली और अपनी गांड मेरी तरफ करके सो गई. जैसे ही भाभी ने करवट ली, मैंने अपना हाथ हटा लिया था.

फिर थोड़े टाइम बाद मैं उनसे और चिपक कर सो गया और मेरा लंड जो अब फुल टाइट हो गया था, वो भाभी की गांड पर चिपका कर सोने का नाटक करता रहा. दो मिनट तक मेरे लंड की नोक ने भाभी की गांड को कुरेदा. जब कोई हरकत नहीं होती दिखी तो मैं उनकी बॉडी को सहलाने लगा.

अब तक भाभी की कुछ हरकत नहीं हुई थी, तो मुझमें भी थोड़ी हिम्मत और बढ़ गई थी. मैंने हाथ को नीचे करके भाभी की साड़ी उठानी चाही, लेकिन साड़ी भाभी के पैरों में फंसी हुई थी. मैंने साड़ी के ऊपर से ही भाभी की चुत पर हाथ लगाया और धीरे धीरे सहलाना शुरू किया.

अब मुझे ऐसा लगा कि शायद भाभी की नींद खुल गई है और वो सोने का नाटक कर रही है.

मैंने फिर से साड़ी ऊपर करने की कोशिश की, तो भाभी ने अपना पैर जरा सा हटा दिया, जिससे साड़ी ऊपर करने में मुझे आसानी हो गई. मुझे लगने लगा था कि इसमें भाभी रजामंदी है. मैंने भाभी की साड़ी धीरे धीरे ऊपर करके उसकी कमर तक कर दी. फिर पेंटी के ऊपर से चुत को सहलाने लगा.

अब भाभी भी गरम होने लगी थी और मज़े ले रही थी.. लेकिन पट्ठी कुछ बोल नहीं रही थी.

मैंने अपने एक हाथ से उसके ब्लाउज के हुक को खोल दिया और उसके मम्मों को दबा दबा कर मसलने लगा. इसी के साथ मैंने अपने लंड को भी बाहर निकाल कर भाभी के हाथ पर रख दिया.

जैसे उसने मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया, तो मुझे पता चल गया कि भाभी चुत चुदाई के लिए तैयार है.

अब मैं भी खुल के शुरू हो गया, मैंने भाभी के ब्लाउज को खोल कर उसको सीधा किया और उसके मम्मों को चूसने लगा. दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने का मजा लिया. इसके बाद मैं भाभी की चुत की तरफ को बढ़ा. उसकी पेंटी निकाल कर भाभी के चुत के पास जाकर चुत पर अपनी जीभ को रख दिया. मैं भाभी की चुत को चाटने लगा.

मेरे ओरल सेक्स से भाभी पूरी गरम हो गई थी और ‘अहह उफफफफ्फ़ ह्म्म्म्म ..’ की आवाज़ निकालने लगी थी.

कुछ मिनट तक उसकी चुत को चाटने के बाद मैंने अपनी पेंट को उतार दिया और 69 पोज़िशन में आकर उसके मुँह में लंड दे दिया. हम दोनों ओरल सेक्स करते हुए एक दूसरे के आइटम को चूसने के मज़े लेते रहे. फिर मैं सीधा हुआ और भाभी पर लेट कर लंड को चुत पर रगड़ने लगा. धीरे धीरे मैं भाभी की चुत में लंड डालने लगा. जब चुत में लंड जाने का रास्ता बन गया, तब मैंने धीरे से एक झटका दिया.

मेरे लंड का टोपा घुसा ही था कि भाभी के मुँह से आवाज़ निकलने लगी- आह.. आराम से..

मैं भाभी के होंठों पर अपने होंठों को रखके उसके दर्द को भुलाने की कोशिश करने लगा. जब भाभी चुप हुई.. तो फिर से एक झटका दिया. अब मेरा लंड भाभी की चुत में आधा घुस गया था. भाभी दर्द से बिलबिला रही थी, शायद उसको बहुत दिनों से लंड नहीं मिला था और शायद मेरा लंड कुछ ज्यादा मोटा था.

आधा लंड पेल कर मैं थोड़ा रुका रहा. जब भाभी नॉर्मल हुई, तो मैं लंड को आगे पीछे करने लगा. चुत ने चिकनाई छोड़ दी थी तो मैंने लंड आगे पीछे करते करते पूरा लंड उसकी चुत में पेल दिया.

अब भाभी भी मज़ा लेने लगी थी. फिर मैंने उनको धकापेल चोदना स्टार्ट किया.

कुछ ही देर में मैंने स्पीड बढ़ा दी और भाभी की चूत दबादब चोदने लगा. साथ ही भाभी की चूचियां को भी दबाता रहा.

दस मिनट की चुदाई में मेरा पानी निकलने को हुआ, तो मैंने भाभी की चुत के ऊपर पूरा पानी गिरा दिया. भाभी भी इतनी सी चुदाई में 2 बार पानी निकाल चुकी थी.

अब मैं भाभी के ऊपर से नीचे उतर कर बाजू में लेट गया. भाभी ने मुझे किस किया और आई लव यू बोल कर कहा- राज आज तुमने मुझे खुश कर दिया.

अब तक रात के 2 बज चुके थे. कुछ देर बाद अब भाभी फिर से मेरे लंड को खड़ा करने की ट्राई करने लगी और हाथ से लंड हिलाने लगी.

भाभी की चुदास भड़क गई तो वो 69 में होकर मेरे लंड को मुँह में लेके चूसने लगी. भाभी ओरल सेक्स की शौकीन लग रही थी. करीब 10 मिनट में मेरा लंड खड़ा होने लगा और वो अब मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

मैंने भाभी को अपने ऊपर खींचा और पागलों की तरह किस करने लगा. भाभी को किस करते हुए कई मिनट तक मजा लिया और साथ ही उसके मम्मों को दबाया. फिर मैं चुत चाटने लगा और एक फिंगर भाभी के गांड में डाल के आगे पीछे करने लगा. कुछ मिनट बाद भाभी को डॉगी स्टाइल में लिटा करके पीछे से चुत में लंड डाल दिया और उसे छोड़ना चालू कर दिया.

मैं भाभी को औंधा करके रंडी की तरह चोदता रहा और उसकी चूचियां को भी दबाता रहा. दस मिनट के बाद लंड को उसकी चुत से निकाल कर गांड के छेद पर रख दिया.

भाभी की गांड टाइट थी. मैंने भाभी की गांड पर थूक लगाया और फिर लंड को टिका कर दबाव बनाता गया. थोड़े ही टाइम में पूरा लंड घुस गया. भाभी गांड मराने की अभ्यस्त लगती थी. मैं लंड आगे पीछे करने लगा. कुछ मिनट गांड मारने के बाद फिर से चुत में लंड डाल के चोदने लगा. तीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना पानी निकाल दिया. भाभी भी 3 बार पानी निकाल चुकी थी.

इसके बाद भाभी ने हैंडबैग से छोटी तौलिया निकाली और हम दोनों ने साफ होकर अपने कपड़े पहन लिए. मैं भाभी को बांहों में लेकर सो गया.

मॉर्निंग में जब बस अहमदाबाद पहुँची तो हम दोनों ने अपने अपने फोन नंबर एक्सचेंज किए और फिर वो अपने रास्ते और मैं ऑटो पकड़ कर अपनी मंज़िल की तरफ चला गया.

उसके बाद हम दोनों ने अहमदाबाद में भी एक होटल में मिल कर बहुत चुदाई के मज़े लिए.

ये थी मेरी अजनबी भाभी के साथ पहली चुदाई की कहानी.. तो दोस्तो कैसी लगी मेरी ओरल सेक्स की कहानी, ये मुझे बताने के लिए मुझे मेल करें. ये मेरी पहली रियल सेक्स कहानी है.
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