बुआ की जवान बेटी को चोदा

बुआ की जवान बेटी को चोदा

मैं रॉकी पटना बिहार का रहने वाला हूँ. यह मेरे और मेरी फुफेरी बहन के बीच देसी इंडियन सेक्स की कहानी है. मेरा लंड 6 इंच लम्बा है, लेकिन मोटा बहुत है.

हुआ यूं कि मैं इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए पटना गया. वहां मेरा रहना, खाना-पीना मेरी बुआ के यहां ही होता था. बुआ की बस दो बेटी थीं, बेटा न था. बड़ी वाली का नाम खुशबू और छोटी वाली का नाम पूजा था. खुशबू मुझसे एक साल छोटी थी और पूजा 3 साल.
खुशबू देखने में एकदम मस्त माल थी, भरा पूरा गदराया शरीर, चुचे तो ऐसे कि दोनों हाथ मिल कर एक चुचे पकड़ पाएं. एकदम हंसमुख थी वो… और एकदम देसी इंडियन ब्यूटी… मैं वहां रोज क्लास के बाद जाता था.

एक दिन बुआ ने बोला कि जब तुम यहाँ हो ही तो इन दोनों को भी पढ़ा दिया करो, तो मैंने भी हामी भर दी.
अगले दिन से मैं रोज क्लास करके आने के बाद उन दोनों को भी पढ़ाने लगा. अब ये मेरा रोज का रूटीन हो गया था.

एक दिन ऐसे ही पढ़ाने वक़्त मेरा हाथ खुशबू के जाँघ से छू गया, तो उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी, बस मुस्कुरा दी. मैंने भी इसके बारे में उतना नहीं सोचा और पढ़ाने में लग गया. धीरे धीरे हम तीनों लोग फ्रैंक होने लग गए.

एक दिन ऐसे ही मैं छत पे बैठा था, तभी पूजा आई और मेरे से बात करने लग गई.
वो अचानक से बोली कि खुशबू आपको पसंद करती है और आपसे प्यार करती है.

इतना बोल कर वो तुरंत दौड़ कर नीचे अपने कमरे में चली गई. मेरे दिमाग में खुशबू के लिए अभी तक कुछ गलत सोच नहीं था लेकिन अब उसके बारे में सोचकर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा था.

अगले दिन पूजा बाज़ार चली गई थी तो केवल खुशबू पढ़ने के लिए बैठी. उस समय जब मैंने इस बात पर पूछा तो वो बस मुस्कुरा दी.

मैंने भी हामी भरते हुए उसका हाथ पकड़ लिया, वो तो बस मुस्कुराए जा रही थी. मैंने उससे पूछा- क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?
उसने सर झुका लिया मैंने उससे फिर पूछा- बताओ?
उसने हामी भरते हुए मुझसे अपने प्यार की रजामंदी दे दी.
वो बहुत शर्मीली थी, लेकिन बड़ी प्यारी थी.

अब हम दोनों को एक दूसरे का देखने का नजरिया बदल गया था. हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे. मैं पढ़ाते वक्त उसका हाथ सहलाता रहता था.

कुछ ही दिनों में वो भी मुझसे खुलने लगी थी और मुझसे सट कर बैठने लगी थी. जब भी वो ऐसा करती तो उसकी छोटी बहन मुस्कुराते हुए उधर से उठ कर चली जाती थी. उसकी छोटी बहन के जाते ही वो अपने हाथ को मुझसे रगड़वाने लगती थी. मुझे मालूम था कि इधर इससे ज्यादा कुछ भी नहीं हो सकता था. वो मेरे बहुत करीब होकर और झुक कर कुछ कुछ पढ़ाई के बारे में पूछती थी तो मुझे उसकी देसी जवानी की झलक मिल जाती थी.

मैंने उससे हंसी मजाक करना भी शुरू कर दिया था.

एक दिन जब घर में कोई नहीं था तो मैंने उसको पीछे से पकड़ कर उसके गालों पर चुम्मी ले ली, वो तो बेचारी शर्मा कर भाग गई. इसके आगे हम दोनों नहीं बढ़ पाए, सिर्फ चुम्बन तक ही बात सीमित था.

यह खेल एक महीने तक ऐसे ही चलता रहा. मुझे अब उसके बिना चैन नहीं मिलता था. मैंने उससे कहा कि मुझे तुमसे खुल कर करने वाला प्यार करना है.
उसने कहा- हां, मुझे भी तुमसे खुल कर प्यार करने का मन है.

अब कुछ यों होने लगा कि जब मैं उसको पढ़ाने बैठता तो छोटी को कुछ सवाल देकर बाहर भेज देता था. उससे यह कह देता था कि मुझे जरूरी विषय सिखाना है तुम बाहर बैठो कोई आए तो आवाज से इशारा कर देना.

वो मुस्कुरा कर समझ गई थी और बाहर जाकर बैठने लगी थी. इस तरह से हम दोनों को अकेले में लिपटने और चूमने का अवसर मिल जाता था. मैं उसके बड़े मम्मों को खूब मसल कर मजा लेने लगा था. हालांकि इससे हमारी आग बहुत बढ़ जाती थी लेकिन इससे अधिक और कुछ हो भी नहीं सकता था.

हम दोनों अब अकेले में सेक्स की, असली चुदाई की सोचने लगे थे. उसका मन भी मुझ में खो जाने का होने लगा था.
जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है.

हमारे बिहार में छठ पूजा का त्यौहार बहुत अच्छे से मनाया जाता है और बुआ के यहां भी ये पूजा होती है.

मैं और खुशबू छत वाले कमरे की सफाई कर रहे थे और सभी लोग नीचे थे. मुझे शरारत सूझी, मैं खुशबू की कमर को पकड़ कर उसके गर्दन और गालों पर किस करने लगा और वो भी नटखटी भाव से मुझे धक्का देने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. लेकिन अब मैंने उसको जोर से पकड़ लिया और उसे बेताहाशा सभी जगह चूमने लगा. कुछ ही देर में वो भी धीरे धीरे गरम होने लगी और उसने भी मेरे होंठों पे अपने होंठ लगा दिए. वो मुझे इतनी जोर से स्मूच करने लगी कि मैं क्या बताऊं.

हम दोनों में चुदास भड़कने लगी. इतने दिनों की अकेले में मिलने की चाहत रंग लेने लगी. उसके चेहरे पर चुदास साफ़ दिख रही थी. मैंने पीछे से उसके सूट के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा. वो पूरी तरह से गरम हो गई थी और किस करते हुए अपनी जीभ मेरी जीभ ले लड़ा रही थी और चूस रही थी.

मैंने आज मौक़ा समझ लिया और जल्दी से जाकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और कमरे में एक चादर बिछा कर उस पे खुशबू को लिटा कर खुद उसके ऊपर चढ़ गया. वो अपने दोनों हाथों को मेरे गले में डालकर अपनी ओर खींचने लगी. मैंने भी उसके गालों पर, गर्दन पर और चूची पे ऊपर से ही किस करना शुरू कर दिया. कुछ देर की चूमा चाटी के बाद मैं अपने दोनों हाथों से उसका कुर्ता निकालने लगा, उसने भी थोड़ा ऊपर को उठकर कुर्ता निकालने में मेरी मदद की.

अगले ही पल वो ऊपर सिर्फ ब्रा में रह गई थी, लेकिन अभी भी वो देसी इंडियन लड़की थी तो थोड़ा थोड़ा शर्मा रही थी. मैंने उसका हाथ हटाया और उसकी आंखों में देखने लगा. उसने आंखें बंद कर लीं.
मैंने उसके सपाट पेट पर किस करना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से उसकी चुची को दबा दबा कर मसलना शुरू कर दिया. वो भी मेरा सहयोग कर रही थी. मैंने धीरे धीरे नीचे आकर मुँह से ही उसके पजामे की डोरी को खोल कर पूरा निकाल दिया.

अब वो सिर्फ ब्रा और लाल रंग की पैंटी में थी और जोर जोर से ‘आह आह उह उह…’ करने लगी. वो इतनी गरम हो गई थी कि उसने मुझे नीचे धक्का दिया और मेरे ऊपर आकर मेरी टी शर्ट खोल दी और जोर जोर से पूरे शरीर पर चूमने लगी. मैं भी उसका बराबरी से साथ दे रहा था. मैं नीचे दबा था तो मैंने उसकी पैंटी को अपने हाथों से नीचे कर दिया और बहन की चुत और चुत के आसपास के जगह को सहलाने लगा.

इसका नतीजा यह हुआ कि अब उसने मेरा लंड जोर से पकड़ लिया जो कि पूरे विशालकाय रूप में आ चुका था. उसकी चुदास देख कर मैंने खुशबू को नीचे कर दिया और उसकी जाँघ को किस करते हुए उसकी चुत को चूमने लगा.

क्या मस्त स्वाद था उसकी इंडियन चुत का… एकदम नमकीन, मन तो कर रहा था कि उसकी चुत को खा जाऊं.

वो मेरा सिर पकड़ कर जोर से अपनी चुत पर दबा रही थी और जोर जोर से चिल्ला रही थी. मैंने उसके चुत के पूरे अन्दर जीभ को घुसा दिया. फिर अचानक उसकी चुत से रस की धारा निकल पड़ी, मैं उसका पूरा पानी पी गया और पूरी तरह से चाट चाट कर साफ कर दिया.

इसके बाद वो थोड़ी शांत हो गई थी. मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया और अपना 6 इंच लम्बा और 3.5 इंच मोटा लंड उसके मुँह के सामने निकाल दिया. वो मेरे लंड को गौर से देखने लगी.

मैंने अपना लंड उसके होंठों से टच करवा दिया और खुद हाथों से उसकी चुत को रगड़ने लगा. वो अब फिर से धीरे धीरे गरम होने लगी और मेरे लंड पे किस करने लगी.

मैंने एक उंगली उसकी चुत में डाल दी. उसकी चुत बहुत टाइट थी. उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वो मेरे लंड को पकड़ कर अपने चुत की तरफ खींच रही थी. बर्दाश्त तो मेरे से भी नहीं हो रहा था, तो मैंने उसकी दोनों टांगें फैलाईं और खुद उसके बीच में आकर लंड को चुत पर रगड़ने लगा. उसने अपनी आंखें बंद कर ली थीं, तभी मैंने एक जोर का झटका उसकी चुत पर मारा. लेकिन लंड चुत में घुसने के बजाय फिसलकर उसकी गांड की तरफ चला गया और वो हंसने लगी.

मुझे बहुत गुस्सा आया, मैंने फिर से लंड उसकी देसी चुत पे रखा और पूरी ताकत लगाकर इतनी जोर से धक्का लगाया कि मेरा पूरा लंड उसके चुत को चीरते हुए अन्दर घुस गया. वो बहुत जोर से चिल्लाई उम्म्ह… अहह… हय… याह… लेकिन छत पर कोई ना होने की वजह से कोई सुन नहीं पाया. उसकी आँखें तो जैसे पूरी बाहर आ गई थीं, उसकी चुत से खून निकल कर चादर में सन रहा था.

मैंने अपने आप को थोड़ा एडजस्ट किया और वैसे ही पड़ा रहा. लगभग दो मिनट के बाद उसके शरीर में फिर से हलचल होने लगी और वो अपनी गांड हिलाने लगी. मैं भी अपना लंड धीरे धीरे उसकी चुत में डालने और निकालने लगा. मतलब यार… सेक्स करने लगा, बहन की चुदाई करने लगा. उसकी चुत ने रस छोड़ दिया तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसकी चुत पर थप थप लंड मारने लगा. वो अपने दोनों हाथ मेरे पीठ पर लाकर नाखून गड़ा रही थी और अपने दांत से मेरे कंधे को काट रही थी.

मैं उसके चूचे को अपने मुँह से चूसते हुए उसकी चुत चोद रहा था. वो भी खूब मस्ती से अपने दूध चुसवाते हुए मेरे लंड का मजा ले रही थी. वो नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर लंड से टक्कर ले रही थी. मैंने उसको देर तक चोदने का सोचा और उससे कहा. मगर वो बोली कि ये सब अभी मत करो.. कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी, अभी तो अपनी आग शांत करने का समय है. अगली बार सब मस्ती से करने की सोचेंगे.

मुझे उसकी बात ठीक लगी और मैंने उसकी चुत के चिथड़े उड़ाने शुरू कर दिए. उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों से जितना मसल सकता था, खूब मींजा और लंड को उसकी चुत के संग कबड्डी खेलने की छूट दे दी. उसकी चुत ने भी मेरे लंड से दोस्ती कर ली थी और वो भी हचक कर चुदाई का मजा लेने लगी. हम दोनों पसीने से लथपथ होने लगे थे, मगर कोई भी एक दूसरे से हार मारने को तैयार न था. मैंने उसके मुँह से मुँह लगा दिया और जीभ चूसते हुए चुदाई करने लगा.

करीब 10 मिनट पूरी रफ्तार से चुदाई के बाद वो अपनी गांड पूरा ऊपर उठाने लगी और मुझे कस कर पकड़ते हुए उसने अपनी चुत धारा फिर से छोड़ दी. मैं भी उसकी चुत की गर्मी को सहन नहीं कर पाया और उसकी चुत में ही झड़ गया.

उसकी चुत ने जकड़ कर मेरे लंड के रस की एक एक बूंद अपने अन्दर खींच ली.. और हम दोनों एक दूसरे को जकड़े हुए पड़े रहे. हम दोनों को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला.

नींद तो तब टूटी जब मेरा मोबाइल बजने लगा, शायद किसी का कॉल आया था. तब मैंने तुरंत खुशबू को जगाया और उसे पहले नीचे जाने के लिए बोला. उसने मेरे होंठों पर एक कसकर चुम्मी दी और नीचे अपने कमरे में चली गई. मैंने देखा उसको चलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी.

आज के लिए बस इतना ही मेरे दोस्त, फिर मिलेंगे.. मेरी देसी इंडियन सेक्स स्टोरी पर मुझे आप लोगों के प्रति उत्तर का इंतज़ार रहेगा.
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