मस्त आंटी की चुदास-2 – Antarvasna

मस्त आंटी की चुदास-2 – Antarvasna

दोस्तो, पिछले भाग में आपने जाना कि कैसे मैंने आंटी को पटाया और चोदा।
किसी ने सच ही कहा है कि लत बहुत बुरी चीज है चाहे वो किसी चीज की हो।

आदमी पहली बार जब तक चुदाई से बचा रहता है, तब तक ठीक रहता है, अगर उसने एक बार चुदाई कर ली.. तब तो समझ लीजिए उसे चोदने की लत लग गई।

पहली बार की चुदाई के बाद अक्सर हम तीनों चुदाई करने लगे।
करीब एक महीने तक जी भर के चुदाई की गई।

अंकल की पहली बीवी से तीन बच्चे थे, जो अपने नाना के घर रहते थे।

बड़ा लड़का जिसका नाम सुनील था और लगभग मेरी ही उम्र का था, अंकल के यहाँ आया।
हमउम्र होने के कारण जल्दी ही हम लोग घुल मिल गए।
उसके आ जाने से अब हमें चुदाई करने में दिक्कत होने लगी।

मैंने आंटी से कहा- उसको भी इस खेल में सम्मिलित कर लेते हैं।

तो आंटी ने मना कर दिया, आंटी ने कहा- अगर वो नहीं माना और किसी से कह दिया तो हमारा भांडा फ़ूट जाएगा।

मैंने कहा- इसकी जिम्मेदारी मेरी है।

अक्सर वो हमारे कमरे में आता और बातें करता।
मैंने एक दिन उसको ब्लू-फ़िल्म दिखा दी। उसके बाद तो वो भी हम लोगों से खुल गया। बातों ही बातों में कहता- यार कोई माल मिल जाता तो चोद देता।

दो दिनों बाद आंटी ने बताया- सुनील काफ़ी बदला-बदला सा नज़र आ रहा है, अब वो मुझे बहुत घूर-घूर कर देखता है, अभी कल ही जब मैं गुसलखाने में नहा रही थी, तो वो दरार में से झांक रहा था।

मैंने कहा- आंटी मुबारक हो, नया लंड शामिल होने वाला है।

शाम को सुनील मुझे बुलाकर छत पर ले गया और मोबाइल मांगकर ब्लू-फ़िल्म देखने लगा।
फ़िल्म देखते-देखते वो पूरी तरह गर्म हो गया और कहा- यार, चुदाई करने का बहुत मन कर रहा है।

मैं तो जान ही गया था कि उसका नज़रिया अपनी सौतेली मम्मी के प्रति बदल चुका है, बस केवल उकसाना बाकी है।

मैंने उससे कहा- क्यों नहीं अपनी सौतेली मम्मी को पटा कर चोद देते? मैं तुम्हारी जगह होता तो कब का चोद दिया होता।

मेरी बात सुनकर बोला- यार तुमने तो मेरी मन की बात कह दी लेकिन डर लगता है कि कहीं वो गुस्सा होकर पापा से ना कह दे।

मैंने कहा- क्या तुम सच में अपनी मम्मी को चोदना चाहते हो?

उसने कहा- हाँ।

तब मैंने उसे पूरी बात बताई कि कैसे हम लोग चुदाई करते हैं।

उसने कहा- यार तुम्हें पहले ही बताना चाहिए था, मैं दो सालों से उसे चोदने के सपने देख रहा हूँ।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, सपना अब पूरा कर लो। कल सुबह जब तुम्हारे पापा ड्यूटी पर चले जायेंगे.. तब हम सब नीचे हमारे कमरे में मिलते हैं।

मैंने रात में आंटी को फ़ोन करके बता दिया कि सुनील मान गया है, कल वो भी तुम्हें चोदेगा।

रात भर सौतेले मां-बेटे की चुदाई के बारे में सोच-सोच कर मन पुलकित होता रहा।

अगले दिन सुबह अंकल सात बजे काम पर चले गए।
मैंने आंटी को नीचे बुलाकर ब्लू-फ़िल्म देखने के लिये मोबाईल दे दिया।

करीब 15 मिनट बाद आंटी गर्म होकर अपने आप नीचे आ गईं।

मैं और पार्टनर आंटी पर टूट पड़े। एक-दूसरे के कपड़े उतार कर हम तीनों नंगे हो चुके थे।

आंटी को बिस्तर पर लिटा कर पार्टनर चूत चाटने लगा और मैं चूचियों पर टूट पड़ा।

चूचियां रगड़-रगड़ कर लाल हो चुकी थीं। अब मैं उठ कर आंटी के ऊपर घुटनों के सहारे बैठ गया और लौड़ा मुँह में डाल दिया।

आंटी बड़े प्यार से लौड़ा चूसने लगीं। उधर पार्टनर ने चूत चाट कर आंटी को बेहाल कर दिया था।
आंटी मजे में बड़बड़ा रही थी- मुझे चोदो.. फ़ाड़ दो मेरी चूत.. साली बहुत लपलप कर रही है।

पार्टनर ने अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया, आंटी मजे से सीत्कार उठीं।

अब मुझे याद आया कि सुनील अभी नहीं आया है, मैंने सुनील को फ़ोन लगाया और जल्दी से नीचे आने को कहा।

करीब 4-5 मिनट बाद पार्टनर झड़ गया, अब मैं अपना लंड चूत में डाल कर पेलने लगा।

हम दोनों उत्तेजना से सीत्कारने लगे।

अब मैंने आंटी को कुतिया बना दिया और पेलने लगा।
पीछे से चूचियाँ पकड़कर शाट मारने का अलग ही मज़ा है।

सुनील भी आकर के दरवाजे पर खड़ा होकर लौड़ा हाथ में लेकर हिला रहा था। मैंने उसे इशारे से पास बुलाया और लौड़ा आंटी के मुँह में देने के लिए कहा।
वह आकर आंटी के पास खड़ा हो गया। आंटी ने सर ऊपर उठा कर देखा और उसका लौड़ा हाथ में पकड़कर हिलाने लगीं, मारे उत्तेजना के सुनील कांपने लगा।

उसने आंटी का सर पकड़ कर लौड़ा मुँह में धकेल दिया और जोर-जोर से पेलने लगा।

इधर पेलते-पेलते मैं भी झड़ गया। अब केवल सुनील बचा था, आंटी ने पूरा जोर लगा दिया, अतिउत्तेजना से सुनील भी झड़ने लगा और पूरा का पूरा माल आंटी के मुँह में निचोड़ दिया।

अब हम चारों बिस्तर पर लेट गए। आंटी और सुनील आंखें नहीं मिला पा रहे थे, तब पार्टनर ने सुनील से पूछा- कैसा लगा?

वो सर नीचे करके मुस्कुराने लगा।

आंटी ने कहा- सुनील तुम तो पूरे जवान हो गए हो, मैं तो तुम्हे बच्चा समझ रही थी।

सुनील बोला- डार्लिंग, मैं तो कब का जवान हो चुका हूँ, दो सालों से आपको चोदने के बारे में सोच-सोच कर मुठ मार रहा हूँ।

आंटी ने कहा- तो मादरचोद.. तुम्हें कहना चाहिए था न.. कि मम्मी मैं आपको चोदना चाहता हूँ… मैं तो कब से चाह रही थी कि कोई मुझे चोदे, तेरा बाप तो साला गांडू है.. साले के पास लंड नहीं नूनी है, पता नहीं कैसे उसने तुम तीन भाईयों को पैदा किया, साले का लंड खड़ा ही नहीं होता है। अगर उस दिन विशाल ने तुम्हारे नामर्द पापा को मुझे पेलते हुये नहीं देखा होता तो पता नहीं कब तक मैं प्यासी ही रहती।

मैंने कहा- जानेमन, अगर उस दिन मैंने तुम लोगों को नहीं देखा होता तो किसी और तरीके से तुमको पटाया होता.. लेकिन चोदता जरूर, आखिर तुमको चोदने के लिये ही तो यह कमरा लिया था।

बात करते-करते माँ और बेटे के बीच की झिझक खत्म हो गई।
मेरा और पार्टनर का दोबारा चोदने का मन नहीं था और हम दोनों सुनील की मदद करने लगे, आखिर उसका यह पहली बार का चोदन था।

आंटी बातों ही बातों में सुनील को उकसा रही थीं, सुनील भी जोश में आ चुका था, वो चूचियों को रगड़ने लगा और मुँह लगा कर पीने लगा।

आंटी भी उसका लंड मसलने लगीं और एक हाथ से चूत रगड़ने लगीं।
फ़िर क्या था दोनों में गुत्थम-गुत्थी होने लगे..
मां और बेटे की चुदाई को देखकर मन रोमान्चित होने लगा। चाहे सौतेले ही हों।

मैंने सुनील को इशारा कहा कि चूत को चाटो तो वो चूत पर टूट पड़ा, आंटी मस्ती से बल खाने लगीं।
भले ही कुछ देर पहले मेरा चुदाई करने का बिल्कुल भी मन नहीं था लेकिन उन दोनों की चुदाई देखकर मेरा भी फ़िर से ईमान डोलने लगा, मैं भी आंटी पर टूट पड़ा, अपना लन्ड आंटी के मुँह में पेल दिया।

उधर सुनील ने भी पता नहीं कब चूत चाटते-चाटते चोदना शुरू कर दिया था।

आंटी ने चूस-चूस कर मेरे लौड़े का पानी निकाल दिया और पूरा का पूरा माल गटक गईं।

सुनील भी जल्दी ही चरम सीमा पर पहुँच गया और चूत में ही झड़ गया।

सभी लोग थक चुके थे, आंटी और सुनील ऊपर अपने कमरे पर चले गए और हम दोनों नहाने चल दिए।

अब सुनील और हम तीनों के बीच का भेद खत्म हो चुका था, इसलिए अब बेधड़क जब भी मन होता चुदाई का खेल शुरू हो जाता।

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