मार्केटिंग-एग्ज़ीक्यूटिव – Antarvasna

मार्केटिंग-एग्ज़ीक्यूटिव – Antarvasna

नाम: राज वर्मा

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार ! आशा करता हूँ कि मेरी पहली कहानी पढ़कर सभी लड़कों के लण्ड खड़े हो जाएंगे और लड़कियों की चूत फड़क उठेगी।

बात कुछ दिन पहले की है, करीब दो महीने पहले की !

मैं गुडगाँव में जॉब करता हूँ और साथ एक जिगोलो भी बन चुका हूँ जिसका एक अनुभव आपको बताने जा रहा हूँ।

मैं मार्केटिंग में हूँ इसिलए अक्सर कहीं न कहीं घूमना होता ही रहता है ! ऐसे ही अपने टूर के चलते में इन्दौर में आया हुआ था। पता चला अयोध्या का फैसला होना है तो यहाँ बंद पड़ा है। मैं रात में पहुँचा तब तक सब बंद हो चुका था !

होटल में सामान रख कर मैं खाने के लिए निकल गया। मुझे काफी दूर चलकर एक ढाबा दिखा। ढाबा थोड़ा गन्दा था लेकिन बहुत भूख लगने के कारण मैं घुस गया।रात के 11 बज रहे होंगे, मैं खाना खाकर बाहर आया तो देखा बिल्कुल सन्नाटा पड़ा था। होटल के लिए मुझे पैदल ही जाना था तो मैं जल्दी-जल्दी चलने लगा।

अचानक से मुझे लगा कि कोई मेरे पीछे है। मुड़कर देखा तो एक एस्टीम बिलकुल मुझे पीछे से ठोकने ही वाली थी !

मैं जल्दी से एक तरफ़ कूद गया और उठते ही दरवाजे पर गाली देते हुए हाथ मारा।

गाड़ी का शीशा खुला तो मेरा गुस्सा ठंडा हो गया। अन्दर से एक पतली आवाज़ वाली कोई ३०-३५ साल की एक लेडी निकली, काफ़ी सेक्सी दिख रही थी यार !

गहरे लार रंग की लिपस्टिक से मुझे उसके होठ ही दिख रहे थे।

एक बार को डर भी लगा कि इतनी रात यह यहाँ ? कुछ गड़बड़ है !

इसीलिए निकल लेना ठीक समझा। मेरे चलते ही उसने अपनी पतली आवाज़ में कहा- आई ऍम वैरी सॉरी !

अब भला ऐसी आवाज़ सुनकर कोई लड़का कभी जा पाया है, मेरे बोल निकले- इट्स ओके मिस !

वो हंस पड़ी, बोली- मैं तुम्हें मिस लग रही हूँ?

मैंने कहा- हाँ ! क्यूँ आप नहीं हैं?

उसने सिर्फ मुस्करा कर बात टाल दी।

मैंने पूछा- इतनी रात आप यहाँ क्या कर रही हैँ?

वो बोली- पास के क्लब में अपने पति के साथ आई थी, पति किसी काम से चले गए और मुझे कार के साथ घर जाने को कह दिया। लेकिन मुझे कार चलाना अच्छे से नहीं आता ! क्या तुम मेरी थोड़ी सी मदद कर दोगे प्लीज़?

अब कोई धाकड़ सेक्सी लेडी आपके सामने इतने प्यार से बोले तो भाई आपका तो नहीं पता मैं तो कुछ भी कर दूँ ! मैंने कह दिया- येस ! श्योर ! बताएँ !

वो बोली- कार मेरे घर पर ड्रॉप करवा दो प्लीज़ !

मैं तुरंत उसकी कार में बैठ गया, स्टार्ट करके रास्ता पूछा और हम चल पड़े !

आधे रास्ते ही आये होंगे, वो एकदम से मेरी टांगों के बीच में झुकी और मेरे सीट के पीछे हाथ ले जाकर बोली- तुमने सीट बेल्ट क्यूँ नहीं लगाई? लाओ, मैं लगा देती हूँ !

उसके बस इतना भर करने से मेरी साँसें तेज़ हो गई और लंड में हलकी सी हरकत होने लगी और वो उठने लगा !

जैसे ही वो पीछे हटी उसका हाथ मेरे लंड पर छू गया !

वो हंस पड़ी, बोली- क्या हुआ तुम्हें?

मैंने कहा- कुछ नहीं ! क्यूँ ?

मेरे लोअर के ऊपर से मेरे लंड को पकड़कर बोली- कुछ नहीं तो यह क्या है?

मैंने एकदम ब्रेक लगाये और गाड़ी से बाहर आकर बोला- यह क्या कर रही हैं आप?

चाहे मन मन में मैं भी वही चाहता था लेकिन क्या करें, मान-मर्यादा का सवाल है बॉस !

वो बोली- क्यूँ इतने नादान बनते हो? चलो गाड़ी में बैठो, अपनी फीस ले लेना और जल्दी मेरी गेम बजाओ !

भगवान की कसम ! ऐसी फाड़ू लौंडिया नहीं देखी थी, मैंने कहा- क्या है ये सब?

वो बोली- पहले गाड़ी में बैठ कर ढंग की जगह लेकर चलो, नहीं तो पुलिस को फ़ोन कर दूंगी !

मैंने डर कर जल्दी से कार में बैठ कर स्टार्ट कर दी।

वो बोली- अब ज्यादा हिलना मत !

और मेरे लोअर को नीचे करने लगी।

मै बोला- मैडम, स्टीयरिंग टेढ़ा हो जायगा तो दोनों राम को प्यारे हो जाएँगे !

लेकिन एकदम से मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा। देखा तो मेरा आधा लंड उसके मुँह में था और वो तो उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।

मैंने कार हल्की कर दी, मुझे भी मजा आ रहा था !

मैंने दायाँ हाथ स्टीयरिंग पर और बायाँ हाथ उसके सर पर रखा और दबाने लगा। मेरा लंड पूरा सात इंच खड़ा हो गया, पहले कभी इतना मोटा नहीं लगा था !

उसके चूसने के ढंग से लग रहा था कि पता नहीं कितने लौड़े मुँह में ले जा चुकी है !

अब मेरा सब्र टूट गया, मैंने कार का एक अँधेरी गली में लगा दी और अपना पूरा लोअर उतार कर बाहर खड़ा हो गया। वो अन्दर से ही उसे चूसने में मस्त थी !

मैंने झटके से उसके अपर में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए लेकिन उसमें मज़ा नहीं आ रहा था तो मैंने उसका पूरा टॉप ही उतार दिया !

पता चला कि साली ने ब्रा ही नहीं पहनी थी।

मन ही मन गाली निकाली- रांड चुदने निकली थी !

लेकिन मुझे क्या भाई ! लगी थाली है ! खा ले बेटा राज !

फिर मैंने उसे बहार निकाल लिया और पीठ के बल कार की सीट पर लेटा दिया !

उसकी जींस का हुक खोल कर उसे पैंटी के साथ ही ऐसे उतारा कि जैसे उसने पहनी ही नहीं हो !

वो देख कर बोली- पहले भी कई उतारी हैं ! लगता है !

मैंने मुस्करा कर उसे धक्का दिया और अपनी जीभ से उसकी चूत को हल्के-हल्के चाटना शुरु किया !

पहली बार जीभ लगते ही उसकी ऐसी आवाज़ निकली कि मुझे और जोश आ गया, मैंने अपने होंठ भी उसकी लाल चूत पर गड़ा दिए और उन्ही से उसे काटने लगा !

वो बोली- प्लीज़, अब मत तड़पाओ !

पर मै तो लगा रहा !

उसने फिर कहा- प्लीज़, डबल फीस ले लेना ! बस अब डाल दो !

मेरे दिमाग में कहानी कुछ-कुछ समझ आने लगी ! मैने सोचा- बेटा, किस्मत बदल रही है ! तो कर दे, जो कह रही है !

मैंने उसकी गोल सफ़ेद गांड सीट के किनारे लाकर अपने लंड को उसकी चूत की लाइन पर सिर्फ रगड़ना शुरु किया। अचानक वो अपने लम्बे-लम्बे नाखून मेरे गांड में गड़ाने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और लंड रगड़ना चालू रखा वो पागल होना शुरू हो गई। उसने अपनी टाँगे मेरे कूल्हों के चारों तरफ बांधी और मुझे अपनी तरफ खींचने लगी।

मैंने उसके हाथ छोड़ कर उसके कन्धे पर अपना दायाँ हाथ रख कर एक तेज झटके में लंड अन्दर कर दिया !

उसके मुँह से हल्की सी चीख निकली तब उसने मेरे कूल्हे कसकर अपनी तरफ खींच लिए! मैं हल्के-हल्के झटके मारने लगा। उसने मेरा पूरा साथ दिया ! उसकी आह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह ऊऊह्ह्ह की आवाज़ें मेरे जोश को बहुत बढ़ा रही थी !

मैंने अपने झटके और तेज कर दिए। चूंकि वो काफी अनुभवी थी इसलिए मैं जल्दी झड़ने वाला था। मैंने लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह के पास लगा दिया। उसने मुँह में लेकर मुझे अच्छे से झाड़ा। मैं गर्म होकर उस पर लेट गया।

इतनी देर में तब पहली बार मैंने उसे ढंग से चूमा। वो एक प्यारी सी मुस्कुराहट देकर बोली- अन्दर आ जाओ ! नंगे रहोगे तो ठण्ड लग जाएगी !

मैं हंस कर एकदम अन्दर घुस गया और हम दरवाज़ा बंद करके एक दूसरे के बारे में बात करने लगे ! उसने बताया की वो हर सोमवार और शुक्रवार को यहाँ आकर ज़िगोलो को ले जाती है !

मुझे ६००० रुपए देकर उसने मेरा नंबर ले लिया, बोली- अब आगे सिर्फ तुम ही मेरे स्थाई जिगोलो रहोगे !

मैं कुछ बोल ही नहीं पाया बस देखता ही रह गया !

बस इसी तरह मैं मार्केटिंग-एग्ज़ीक्यूटिव-कम-जिगोलो बन गया !

आपको कहानी कैसी लगी, इसका जवाब मुझे इस आईडी पर दें।

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