मुँह बोले मामा और मॉम की चुदाई देखी

मुँह बोले मामा और मॉम की चुदाई देखी

मेरा नाम निखिल है. आज मैं अपनी आँखों देखी मॉम की चुदाई का हाल बताने जा रहा हूँ।
हम लोग गुजरात के रहने वाले हैं। मेरी मॉम का नाम चंपा है, उनकी उम्र 39 साल है। मेरी मॉम काफी सुन्दर हैं और अभी भी जवान दिखती हैं।

मेरे पापा का एक जिगरी दोस्त हैं.. उनका नाम चंदू है। वो कई साल से एक-दूसरे को पहचानते हैं.. और रिश्ते में मेरी मॉम के दूर के भाई लगते हैं। मेरी मॉम और मामाजी एक-दूसरे को भाई और बहन कह कर बुलाते हैं। हर राखी के त्यौहार पर मेरी मॉम मामाजी को राखी बांधती थीं, अब नहीं बांधती.. क्यों.. वो आपको आगे पता चलेगा।

उस वक्त मैं स्कूल में पढ़ता था, ये तब की कहानी है।

मेरी छुटियाँ चल रही थीं.. तब मामा ने हम सभी को दो दिन के लिए उनके घर बुलाया। मेरे पापा को ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली, इसलिए मैं और मॉम ही उनके घर चले गए थे। मामा खुद बाइक पर हमें लेने घर आए।

बाइक पर मामा आगे थे, पीछे मॉम और बीच में मैं बैठा था। तब मैंने देखा कि मामाजी मॉम के एक हाथ को पकड़ कर हाथ मसल रहे थे.. पर मैं तब अनजान था। मुझे कुछ पता नहीं चला कि मॉम और मामाजी के इरादे क्या थे।

हम उनके घर पहुँचे, उनकी फैमिली ने हमारा स्वागत किया। मामाजी के फैमिली में उनकी बीवी और दो बेटी हैं। रात का भोजन हमने कर लिया था अब सोने की तैयारी होने लगी।

रात को हम सब 12 बजे तक जाग कर बातें करते रहे। उनकी दोनों बेटी तो दस बजे ही सो गई थीं। हमारे सोने का बंदोबस्त मामा-मामी ने अपने बेडरूम में उनके ही साथ किया था। मामाजी के बाजू में मेरी मॉम और मेरी बाजू में मामी सो गई थीं। मामा मामी और मॉम कब सोये.. वो मुझे पता नहीं चला।
मॉम और मामाजी तो शायद सबके सोने का इंतजार कर रहे होंगे।

रात में अचानक किसी ने मेरा मुँह कम्बल से ढक दिया, मुझे मुँह ढक कर सोने की आदत नहीं है इसलिए मेरी आँख खुल गई। तब मैंने देखा कि मामाजी मेरा मुँह ढक रहे थे। मैंने मुँह ढक कर सोने का नाटक किया।

थोड़ी देर में मामाजी मेरी बाजू में से उठकर मॉम के पास गए और मॉम को हिलाते हुए जगाया।
मॉम उठ गईं तो वे मॉम के होंठों को चूमने लगे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये तो भाई-बहन हैं और ऐसा कर रहे थे।

काफी देर तक मामाजी ने मॉम के होंठों को चूमा.. मॉम भी मामाजी का साथ दे रही थीं।

बाद में मामाजी मॉम को घर के छत पर ले गए, साथ में चादर भी ले गए। तब मैं उन लोगों का इरादा समझ गया। मैंने भी उन लोगों का छुप कर पीछा किया। मैंने देखा कि मॉम और मामाजी एक-दूजे को चूम रहे थे। मामाजी मॉम के शरीर पर हाथ घुमा रहे थे। मॉम ने नाईट ड्रेस पहनी थी। कुछ ही पलों बाद मामाजी ने मॉम की नाईट ड्रेस निकाल दी। अब मॉम सिर्फ ब्रा पेंटी में थीं।

मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि ये हकीकत है।

मामाजी ने मॉम की ब्रा निकाली और मॉम बड़े-बड़े मम्मों को मसलने लगे.. और चूम भी रहे थे। मॉम के चूचे तो एकदम ताजा आम की तरह थे.. और मामाजी उन दोनों आमों को निचोड़-निचोड़ कर रस पी रहे थे।
मॉम के मुँह से निकलती कामुक सिसकारियां मुझे सुनाई दे रही थीं। मॉम को भी बड़ा मज़ा आ रहा था, मॉम अपना हाथ मामाजी के चड्डी में डाले हुए थीं। कुछ देर बाद शायद मॉम से रहा नहीं गया तो मॉम ने खुद मामाजी जी की चड्डी निकाल दी और मामाजी का लंड को हिलाकर मुँह में घुसेड़ लिया।

अब मेरी मॉम मामा जी का लंड जोर-जोर से चूसने लगीं.. जैसे प्यासे को पानी मिल गया हो।

मॉम और मामाजी बेकाबू हो रहे थे। मामाजी भी जोर-जोर से अपना लंड मॉम के मुँह में धकेल रहे थे। मॉम तो जैसे लॉलीपॉप चूस रही थीं। उनको लंड चूसने में इतना मजा आ रहा था कि वे तो मामाजी के लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थीं।

फिर मामाजी ने चादर बिछाई और मॉम को उस पर लेटा दिया। बाद में मामाजी ने मॉम की की पेंटी निकाली। मॉम मेरे सामने मामाजी के साथ पूरी नंगी पड़ी थीं। मॉम को नंगी देख कर मैं भी दंग रह गया था। मॉम एकदम सेक्स बम लग रही थीं।

मामाजी बेकाबू हो कर मॉम की टांगों के बीच में घुस कर मॉम की चूत को चाटने लगे।

मॉम जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगीं- उउस्स.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स आआअह्ह..

मामाजी कभी मॉम की चूत में उंगली डालते और कभी चूमते। मामाजी ने ऐसे करके मॉम के पूरे शरीर को अपनी जीभ से चाट लिया।

मामाजी ने चूत में घुसेड़ने के लिए लंड को हिलाया और मॉम ने भी अपनी टाँगे फैला दीं और मामाजी को लंड घुसेड़ने का सिग्नल दिया।

इस वक्त मॉम की चूत मुझे साफ़ दिख रही थी.. मेरी मॉम की चूत एकदम चिकनी थी। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. शायद वे पहले से ही चुत की शेविंग करके आई थीं। मामाजी ने चूत को चाट-चाट कर गीली कर दी थी। मामाजी मॉम के चूत पर जितना अपना लंड रगड़ रहे थे, उतनी ही मॉम बेकाबू होती जा रही थीं। फिर मामाजी ने अपना लंड मॉम के चूत में घुसेड़ दिया। मॉम के मुँह से जोर से आवाज निकल गई- आआह्ह्ह्ह..

तभी मॉम ने अपने हाथों से मुँह को बंद कर दिया। मामाजी ने अपना पूरा लंड धीरे से मॉम के चूत ने पेल दिया और मॉम के मुँह को दबा लिया ताकि चीख न निकले। अब मामाजी लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। पहले तो धीमे से ही कर रहे थे, बाद में तो जैसे घोड़ा सरपट दौड़ा दिया।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपनी मॉम की चूत चुदाई होते हुए देख रहा हूँ।

अचानक दोनों बेकाबू हो गए। मामाजी ने मॉम दोनों टाँगे कंधे पर रख लीं और जोर-जोर से चोदने लगे। मॉम भी बहुत मज़ा ले रही थीं.. मामाजी जितने जोर से अन्दर डालते उतनी ही जोर से मॉम की मुँह से सिसकारियां निकाल रही थीं ‘आह अहह आह.. आआह्ह उह्ह्ह स्स्स्स..’

मामाजी के लंड और चूत के बीच में से ‘फचक.. फचक..’ की आवाज आ रही थी। ऐसा लगता था जैसे कई दिनों से दोनों एक-दूजे के लिए प्यासे हों। काफी देर तक मामाजी मॉम को चोदते रहे और मॉम चुदवाती रहीं।

तभी मामाजी अचानक जोर-जोर से मॉम को झटका देने लगे और मॉम की चूत में लंड का सारा रस डाल दिया। मॉम भी शांत हो गई थीं।

कुछ पल बाद वे दोनों अपने कपड़े पहने बिना ही कमरे की तरफ आ रहे थे, मैं जल्दी से दौड़ कर बेड पर आया और सोने की एक्टिंग करने लगा। मैं सोच रहा था कि इन दोनों ने अभी भी कपड़े क्यों नहीं पहने हुए हैं.. चुदाई तो ख़त्म हो गई।

चुदाई का घंटा बीत गया.. रात के 3 बज गए.. मामाजी और मॉम सोए नहीं थे.. मेरी तो आँख लग गई। अचानक सिसकारियों की आवाज सुनाई दी, मैंने आँखे खोली तो देखा कि मामाजी मेरे बाजू में नहीं थे और मॉम को चूम रहे थे। तब पता चला कि दोनों ने कपड़े क्यों नहीं पहने थे। पहली चुदाई के बाद भी की दोनों को एक बार सेक्स करके प्यास नहीं बुझी थी.. वे दोनों फिर से वही कर रहे थे जो छत पर किया था। पर इस बार मॉम और मामाजी कमरे में ही थे। मामी मॉम के बाजू में ही थीं।

फिर भी बिना डरे ये दोनों चुदाई कर रहे थे। मामाजी मॉम के ऊपर आ गए और मॉम की चुदाई करने लगे और कमरा फच फच, फच, फच, आवाज से गूंज उठा। हमारा बेड भी हिल रहा था। पता नहीं मामी जी को क्यों कुछ नहीं सुनाई दे रहा था, थोड़ी देर बाद फिर से मामाजी ने अपने लंड का पानी अपने लंड का पानी चूत में डाल दिया और दोनों ठंडे हो गए। बाद में मामाजी मेरे बाजू में आकर सो गए और मॉम बाथरूम में अपनी चूत साफ करने के लिए चली गईं।

इस तरह मॉम और मुँहबोले मामाजी ने भाई-बहन के रिश्ते को तोड़ा और नाजायज़ रिश्ता जोड़ा। पर अभी भी मॉम और मामाजी एक-दूजे को सबके सामने भाई-बहन ही कहते हैं। मामाजी अक्सर मॉम को चोदने के लिए घर आया करते हैं और मॉम उनके घर जाती हैं।

मैंने आप सबको मॉम की चुदाई की सच्ची कहानी बताई है.. आप मेल लिखिएगा।
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