मुंबई में मेरे लण्ड की किस्मत खुल गई

मुंबई में मेरे लण्ड की किस्मत खुल गई

दोस्तो… अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.. खास कर मेरी प्यारी भाभियों और आंटियों को मेरा दिल से हैलो..

मैंने अन्तर्वासना की काफ़ी कहानियां पढ़ी हैं.. कुछ मुझे अच्छी लगीं.. कुछ तो बनावटी सी भी लगीं.. पर अन्तर्वासना तो पक्के में जाग जाती है। मैं भी अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूँ.. इसे पढ़ कर आप खुद तय करना कि क्या मैं सच्चा हूँ या झूठा..

तो अब दोस्तो, अब सीधे कहानी पर आता हूँ। मैं राजवीर चौहान.. दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं एक अच्छी फैमिली से हूँ.. मेरी उम्र 22 साल है.. मैंने बी.टेक. किया है। मेरी हाइट 5 फिट 8 इंच है.. मैं दिखने में कैसा हूँ.. अपने मुँह से क्या बोलूँ.. वो आप मुझे मेल करके मुझसे बात करके देख सकते हैं। मेरा लण्ड 8 इंच लम्बा है और 3 इंच मोटा है.. कुछ आंटियों और भाभियों को यकीन नहीं होगा.. पर मेरा नापा हुआ है।

चलिए, यह तो हो गया मेरे बारे में.. अब कहानी पर आता हूँ।
बात आज से 2 महीने पहले की है जब में बी.टेक. कंप्लीट करके घर आया था। मैंने घर पर 2 -3 महीने रुकने के बाद सोचा कि मामी-मामा के यहाँ हो आऊँ.. सो मैंने मम्मी से उधर जाने के पूछा.. वो बोलीं- ओके.. हो आओ..

अगले दिन मैंने सामान पैक किया और ट्रेन से मुंबई के लिए रवाना हो गया। लगभग 24-25 घन्टे के लंबे सफ़र के बाद मैं मुंबई पहुँचा.. वहाँ मामी मुझे रिसीव करने आई थीं.. मामा भी थे और मेरे 2 छोटे भाई भी साथ में थे।

मैं उन सबके मिला और साथ घर आ गया। मामा-मामी मेरे आने से बहुत खुश थे.. मुझे भी मुंबई में काफ़ी अच्छा लग रहा था। उस दिन थका होने के कारण मैं शाम को जल्दी ही सो गया।

अगले दिन मैं उठा तो बालकनी में आया.. तो देखा सामने एक लेडी थी.. जो अपने गार्डन में बैठी थी। मैंने सोचा यह उसका घर है.. सो बैठी होगी.. मुझे क्या.. मैंने वहाँ खड़े होकर ताज़ी हवा ली और फिर फ्रेश होने चला गया।

जब मैं फ्रेश होकर नाश्ते के लिए नीचे आया.. तो देखा वो लेडी मामी के साथ बैठी बात कर रही थी। मामी ने मेरा उनसे परिचय करवाया.. बोलीं- राज (मामी मुझे प्यार से राज ही बोलती हैं).. ये नेहा है.. मेरी फ्रेण्ड.. और नेहा.. ये राज है.. मेरा भांजा.. दिल्ली में रहता है.. बी.टेक.. 80% से पास किया है।

मैंने उससे हाथ मिलाया फिर नाश्ता करने लगा।

पर दोस्तो, क्या बताऊँ.. वो लेडी नहीं एक मस्त लड़की लग रही थी.. उसकी उम्र करीब 25 साल होगी.. पर फिगर तो इतना मस्त कि पूछो मत.. 32-28-34 का मेन्टेन फिगर..
उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी उसका रस किसी ने पिया ही नहीं हो।
वो ब्लू साड़ी में क्या कमाल लग रही थी.. मैं तो देखता ही रह गया।

मैंने उससे पूछा- आप क्या करती हो?
वो बोली- कुछ नहीं.. घर पर ही रहती हूँ.. जब बोर होने लगती हूँ.. तो तुम्हारी मामी के पास आ जाती हूँ।
मैंने कहा- ओके.. अच्छा करती हो।

मैंने नाश्ता खत्म किया और तभी मामी का बेटा मुझसे बोला- भैया मुझे घुमाने ले चलो..

मैं उसे घुमाने ले गया.. जब वापस आया तो वो जा चुकी थी।
मैं अब रोज बालकनी से उसे देखने लगा था.. वो मुझे पसंद आ गई थी। वो भी जब तक मैं उधर बालकनी में रहता.. यूँ ही बैठी रहती। फिर जब मैं फ्रेश होकर नीचे आता तो मुझे मामी के साथ मिलती।

ऐसे ही 5 दिन तक चलता रहा। मैंने अब तय कर लिया था कि आज पूछ ही लूँगा।
मैं बालकनी में नहीं गया.. सीधे फ्रेश हुआ.. नहा-धो कर नीचे आया.. तो देखा वो आज नहीं थी.. शायद अभी मेरा वेट कर थी गार्डन में..
मैं मामी से बोला- आज आपकी सहेली नहीं आई.. क्या बात है?
वो बोलीं- पता नहीं..

मैंने ‘ओके..’ कहा और नाश्ता किया और मामी से बोला- मैं बाहर घूम आऊँ?
वो बोलीं- हाँ ठीक है.. जाओ..

मैं साइड में उसके गार्डन में पहुँचा.. वो अब भी मेरी बालकनी की तरफ देख रही थी.. मैं गया और बोला- नेहा भाभी.. क्या देख रही हो?
वो अचकचा कर बोली- राज.. तुम यहाँ!
मैंने कहा- हाँ क्यों.. नहीं आ सकता?
वो बोली- ऐसा नहीं है.. आज सुबह कहाँ थे?
मैंने कहा- घर..
वो बोली- ओके..

मैंने कहा- भाभी मुझे आपसे कुछ कहना है।
वो बोली- ओके.. बोलो?
मैंने कहा- आप प्रॉमिस करो.. मामी से कुछ नहीं बोलोगी?
बोली- ओके.. प्रॉमिस..
मैंने कहा- भाभी मैं आपको लाइक करता हूँ.. आपको प्यार करने लगा हूँ।

वो चुप होकर मुझे देखने लगी..
मैंने सोचा.. बेटा राज तू तो गया आज..

पर मुझे उम्मीद नहीं थी.. उन्होंने मुझे गले लगा लिया और बोली- राज आई लव यू टू.. थैंक्स तुमने पहले बोल दिया.. वरना मैं नहीं बोल पाती।

फिर क्या था दोस्तो.. मेरे मज़े ही मज़े हो गए थे.. अब तो रोज हम घन्टों फोन पर बात करते और बालकनी से उसको मैं देखता।

ऐसे ही और एक हफ़्ता निकल गया। अब हम दोनों के बीच में हर तरह की बातें होने लगीं.. यहाँ तक रात को उसके पति के सोने के बाद हम भी घन्टों बातें करते..

एक दिन ऐसे ही हम दोनों बातें कर रहे थे.. तो वो बोली- राज.. तुम बहुत अच्छे हो.. मेरा कितना ध्यान रखते हो.. तुम्हारी गर्लफ्रेण्ड कितनी लकी होगी।
मैंने कहा- मेरी कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है।
तो वो बोली- झूठे.. अब मैं तुम्हारी ही हूँ गुस्सा नहीं होऊँगी.. सच बोलो।
मैंने कहा- सच्ची में मेरी कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है।

तो बोली- अच्छा तो जनाब अभी तक कुंवारे हैं.. तब तो आपसे अकेले में मिलना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ अब आपका ही हूँ.. फिर हमारी खुली बातें हुईं..
वो बोली- राज मुझे तुम्हारा हमेशा साथ चाहिए।
मैंने कहा- हमेशा साथ दूँगा मेरी जान..

फिर एक दिन उसके पति को ऑफिस के काम से कोलकाता जाना पड़ा.. वो बहुत खुश थी.. उनके जाने के बाद शाम को वो मामी के पास आई।
बोली- यार नीतू.. मैं घर पर अकेली हूँ.. राज को भेज दोगी.. रात को मुझे अकेले डर लगता है।

मामी ने मेरी ओर देखा.. मैंने हाँ का इशारा करते हुए इशारे में ही कहा- मैं नहीं जानता.. आप जैसा ठीक समझो।

मामी बोलीं- ओके.. भेज दूँगी।
वो बोली- जल्दी भेज देना.. मैं डिनर बना कर रखूँगी।

मैं उसके घर शाम को 7:30 बजे पहुँच गया, वो उस समय पिंक गाउन पहने हुए थी, उसके झीने से गाउन में से उसकी ब्रा की धारियां साफ़-साफ़ दिख रही थीं.. सिल्की गाउन होने के कारण उसकी छोटी सी ब्रा एकदम साफ़ समझ आ रही थी। ब्रा में फंसे उसके मस्त खरबूजों को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

उसने मेरा आइटम खड़ा होते हुए देख लिया.. और आँख मारते हुए बोली- राज अभी से.. तुम तो बहुत तेज हो।
मैंने खुल कर लौड़े पर हाथ फेरते हुए नशीले अंदाज में कहा- जान.. इसमें तेज क्या.. इसे तेज बनाने का कारण तो तुम्हारे बूब और ब्रा है.. जो इसको खड़ा कर दिया।

तो बोली- अभी खाना खा लो.. पूरी रात पड़ी है.. मैंने तुम्हें बुलाया ही इसी लिए की तुम्हारा कुंवारापन और अपनी प्यास बुझा पाऊँ.. राज सच में मैं बहुत प्यासी हूँ.. तेरे भैया तो मुझे टाइम ही नहीं देते हैं.. बोल मैं क्या करूँ।
मैंने कहा- भाभी मैं हूँ ना..
‘हाँ.. मेरे राज.. तुम आ गए हो.. तभी तो खुश हूँ..’

मैंने देखा उसने खास मेरे लिए मेरी पसंद का डिनर बनाया था, शायद मामी से मेरी पसन्द पूछ ली होगी।
मैंने डिनर किया और फिर उसके कमरे में आ गया।
भाभी बोली- बस दो मिनट में आई..

दस मिनट का वेट करने के बाद वो आई.. ओये होए..दोस्तो.. क्या बताऊँ.. आप कल्पना नहीं कर सकते हो.. क्या माल लग रही थी वो.. उसने लाइट ग्रीन की नेट वाली साड़ी पहनी थी.. और लो कट ब्लाउज.. उउउफफफ्फ़.. मेरा तो लण्ड खड़ा होकर फुँफकारने लगा।

उसको तुरंत अपनी गोद में उठा कर मैं उसे चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी.. मैं उसके होंठों को चूमे जा रहा था.. वो भी पागल सी हो गई थी।
मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया.. फिर से किस करने लगा उसके होंठों को.. कान को.. गाल को.. गर्दन को.. मैं लगातार चूमे जा रहा था।

वो बोल रही थी- आआ आआहह.. राज आज मेरी प्यास बुझा दो.. मुझे माँ बना दो.. अपने बच्चे की.. प्लीज़ राज..
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मैं उसको पागलों की तरह किस किए जा रहा था.. वो भी मुझे पागलों की तरह चूमे जा रही थी।
मैंने अब उसके मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलना स्टार्ट कर दिया.. वो सिसकारियाँ लेने लगी ‘उ..उफ फफ्फ़.. आआआआआहह.. राज..’

मैं उसे मसले जा रहा था। फिर मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा के ऊपर से उसके चूचों को दबाने लगा और उसके होंठों को चूस रहा था।
वो मदहोश हो रही थी.. ‘बस डार्लिंग.. आहह ऱाज.. उफ्फ़..’ आवाज़ निकाले जा रही थी।

मैंने अब उसकी ब्रा खींच कर फेंक दी और उसके उछलते हुए मम्मों को मुँह में लेकर चूमने लगा.. कभी एक बोबे को मुँह में लेता.. कभी दूसरा चूसने लगता.. बीच-बीच में दांतों से उसके मम्मों के अंगूरों को काट लेता था.. तो वो उछल पड़ती थी।

काफ़ी देर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उसकी साड़ी उतार दी। अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी.. वो लाजवश मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी।
मैंने बोला- जान.. मैं तुम्हारा हूँ शरमाओ मत..

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी उसने खुद को मेरी बाँहों में ढीला छोड़ते हुए मानो पूरी तरह से समर्पित कर दिया हो।
फिर मैंने धीरे-धीरे उसके पेटीकोट को निकाला और पैन्टी के ऊपर से उसकी फूली हुई चूत को मसलने लगा।
वो गर्म हो उठी थी.. उसकी चूत पहले से ही गीली थी।

वो बोली- राज प्लीज़.. और ना तड़पाओ.. डाल दो अब अपना..
मैंने कहा- अभी रुक जाओ मेरी जान..
मैं उसकी चूत को चूसने लगा.. वो पागल हुए जा रही थी।
करीब 10 मिनट चूत चूसने के बाद वो झड़ने लगी, उसका पानी मेरे मुँह में आ गया।

फिर वो उठी.. और उसने मुझे नीचे लिटा दिया। मेरी टी-शर्ट उतार फेकी और मुझे चूमने लगी। उसका हाथ मेरे लोवर पर घूम रहा था.. तभी उसने एक झटके से मेरा लोवर नीचे सरका दिया। मैंने भी अपने पैरों से अपना पजामा निकाल दिया।

अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था। वो मेरे लण्ड के उभार को देखे जा रही थी.. जैसे ही अंडरवियर हटाई.. लौड़ा सख्ती से हवा में झूलने लगा.. वो बोली- ओह माय गॉड..
मैंने कहा- क्या हुआ जान..
वो बोली- राज 22 साल की उम्र में.. इतना बड़ा और मोटा.. क्या बात है।

वो तुरंत लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं पहले से ही बहुत गरम था.. जैसा आप लोग जानते ही हो कि पहले राउंड में आदमी जल्दी झड़ जाता है। मैं भी 10 मिनट में उसके चूसते ही उसके मुँह में ही झड़ गया। वो सारा का सारा माल पी गई अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए कुछ ही देर फिर से चुसाई करने के बाद हम दोनों बहुत गरम हो चुके थे।

वो बोली- राज अब बस.. और ना तड़पाओ.. डाल दो.. चोद दो अपनी भाभी को.. बना लो अपनी वाइफ..

मैंने ‘ओके.. जान..’ कहा और उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसकी टाँगें फैला कर अपना कड़क लण्ड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक धक्का लगा दिया। उसकी चूत वाकयी बहुत टाइट थी.. लौड़ा फिसल गया.. अन्दर जा ही नहीं रहा था।

मैंने कहा- जान.. तेल कहाँ है?
वो बोली- बेड के बगल की दराज में है।

मैंने तेल निकाला और अपने लण्ड और उसकी चूत पर लगा दिया फिर तेल से उसकी चूत के छेद मालिश की.. उंगली में तेल लेकर चूत के अन्दर भी लगाया..।

उसने भी चूत फैला कर ढंग से छेद चिकना करवा लिया।
अब मैंने लण्ड को टिका कर.. सुपारा फंसाया और एक धक्का मारा.. वो दर्द से उछल पड़ी.. रोने लगी.. उसकी आँखों से आंसू आने लगे।
जबकि अभी सिर्फ़ मेरा लण्ड का सुपारा ही अन्दर गया था.. अभी पूरा लण्ड बाकी था।

मैंने उसको चूमना शुरू किया और हल्के से एक धक्का मारा.. थोड़ा और अन्दर गया। फिर शांत होकर एक मिनट तक उसके होंठों को चूसा.. फिर एक धक्का ज़ोर का लगा दिया।
अब आधे से ज़्यादा अन्दर चला गया था, वो इस बार दर्द से बिलबिला उठी.. उसकी आँखों से आँसू ही आंसू आ रहे थे.. चेहरा पूरा लाल हो गया था.. दर्द साफ़ दिख रहा था।

मैंने उसको किस करना चालू रखा.. वो भी साथ दे रही थी।
दो मिनट बाद एक और शॉट लगाया.. अब पूरा अन्दर हो गया था।
वो एकदम से आँखें फाड़ कर हलक से निकलती चीख को मानो खो बैठी हो।

कुछ पलों तक लौड़े ने हरकत नहीं कि अपना स्थान सैट किया और तब तक मेरे होंठों ने उसको चुम्बन सुख दिया।
फिर भाभी को दर्द कुछ कम हुआ.. अब जैसे-जैसे दर्द कम होता गया.. मेरी स्पीड बढ़ती गई.. मैं उसको चोदता रहा।

कुछ देर की ठुकाई के बाद वो मस्त हो गई और अकड़ सी गई.. बोली- आहह.. मेरे राजा.. मेरा बाबू.. मेरा राज.. आज मुझे माँ बना दे.. अपना पानी मेरी चूत में निकाल दे..
मैंने हचक कर पेलते हुए कहा- ठीक है मेरी जान.. ले..

काफ़ी देर तक चली मदमस्त चुदाई में वो 3 बार झड़ी.. फिर मैंने उसकी चूत में अपना पानी निकाल दिया।
वो अब खुश थी… फिर मैंने उसकी 7 दिन में गाण्ड भी मारी.. और कैसे उन्हें माँ बनाया.. अगली कहानी में.. डिटेल के साथ पूरा सच्चा वाकिया लिखूँगा।

दोस्तो.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ मुझे मेल करके ज़रूर बताना.. मुझे आपके और मेरी प्यारी भाभियों और आंटियों के मेल का वेट रहेगा.. अगर आपका प्यार मिला तो जल्दी ही आगे की कहानी भी लिखूंगा!
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