मेरी तो लाटरी निकल पड़ी

मेरी तो लाटरी निकल पड़ी

ऑफिस वाली को नये तरीके से चुदने की चाहत

आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं बैंक में क्लर्क के पद पर कार्यरत हूँ. यह बात आज से तकरीबन तीन साल पहले की है. बैंक में मेरी पहली जॉब और ये पहली पोस्टिंग थी. मेरे बैंक की शाखा छोटी थी और इसमें दो ही क्लर्क होते थे, एक मैं था, दूसरी निर्मला जी थीं. हम सभी स्टाफ में अच्छी दोस्ती थी और हमारे ब्रांच मैंनेजर भी बहुत अच्छे थे. आप सभी ने बैंक में देखा होगा कि कैश काउंटर पास पास होते हैं, इस वजह से मेरी और निर्मला जी में अच्छी दोस्ती हो गई थी. हम लोग बहुत अच्छे दोस्त थे, किसी के मन में कोई गलत भाव नहीं था.

अब मैं आपको निर्मला जी के बारे बता दूँ. वो 34 साल की महिला हैं और बहुत ही आकर्षक हैं. उनका फिगर भी बहुत अच्छा है, उनके दो बच्चे हैं. उनके पति दिल्ली नगर निगम में काम करते हैं.
हमें साथ काम करते हुए तकरीबन 10 महीने हो गए थे..

मेरी कहानी की एक मुख्य पात्र और भी हैं.. जय लक्ष्मी जी, जो हमारे बैंक में एक महीने के लिए इंटर्न के लिए आई थी मतलब पोस्टिंग से पहले ट्रेनिंग के लिए.
उसका विवाह कुछ समय पहले ही हुआ था, वो महिला होने के नाते निर्मला जी से जल्दी ही क्लोज हो गई और महिलाओं की बातें तो आप जानते ही हैं. मेरे पास होने की वजह से वो लोग धीरे धीरे अपनी पर्सनल बातें करते थे.

इसी दौरान जय लक्ष्मी ने अपनी सेक्स लाइफ निर्मला को बताया होगा. शुरू शुरू में जोश तो रहता ही है, उसकी नई नई शादी थी और उसने हर तरीके से सेक्स एन्जॉय किया था. जबकि निर्मला जी ने नार्मल तरीके से ही सेक्स किया था.

जहां तक महिलाओं का सवाल है, बच्चे हो जाने के बाद जिम्मेदारियों की वजह से उनका धीरे धीरे सेक्स से लगाव कम हो जाता है. जय लक्ष्मी ने उन्हें बताया डिफरेंट स्टाइल के बारे में, ज्यादा मजा आता है, मेरा मतलब आजकल सेक्स के बारे में.

एक महीने बाद ट्रेनिंग खत्म होने के बाद जय लक्ष्मी चली गई. अब निर्मला जी और मैं अब वापस उसी तरह काम पे लग गए. लेकिन मैंने देखा निर्मला जी मेरे से ज्यादा अन्तरंग बातें करने लगी थीं, लेकिन हद में थीं. जैसे- अतुल आप शादी कर लो.. या फिर गर्लफ्रेंड के बारे में पूछतीं कि कोई है कि नहीं. मतलब अब वो मेरे साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करने लगीं.

आप सबको पता होगा पहले शनिवार को बैंक में हाफ डे हुआ करता था. दो बजे छुट्टी के बाद मैं निकल रहा था कि निर्मला जी ने आवाज दी- अतुल रुको, मुझे कमला मार्केट जाना है कुछ सामान लेना है, मैं स्कूटी नहीं लाई हूँ, तुम अपनी गाड़ी से ले चलो.
मुझे कोई काम नहीं था और उन्होंने पहली बार कुछ काम के लिए बोला था तो मैंने हां कर दी.

हम दोनों चले गए.. उन्होंने शॉपिंग कर ली. वहां पे बहुत भीड़ थी, मुझे सिगरेट पीने की बहुत आदत है तो मैंने उन्हें बोला- मैं आता हूँ.

वो समझ गई और बोलीं- चलो कॉफी पीते है.. तुम भी सिगरेट पी लेना.
कॉफी पीते पीते बोलीं- अतुल, कुछ कपड़े लेना छूट गए हैं, आप सिगरेट पी लो फिर दस मिनट में कपड़े ले कर चलते हैं.

मैंने सर हिला दिया. फिर वो मेरे सामने अंडरगार्मेंट्स लेने लगीं. मुझे अजीब सा लगा तो मैं उन्हें वहीं छोड़ कर पार्किंग में आ गया और सिगरेट पीने लगा. कुछ समय बाद वो आईं. हम दोनों में कोई बात नहीं हुई. बस गाड़ी में बैठे और चल दिए.

मेरे घर से उनका घर तकरीबन दो किलोमीटर आगे पड़ता है. निर्मला जी ने बोला- आप अपने घर चले जाओ, मैं ऑटो ले लूँगी.
मैंने कहा- ठीक है.

क्योंकि शाम के 6 बज गए थे, मुझे भी खाना बनाना था. तभी उनके हस्बैंड का फ़ोन आया कि कब तक आ रही हो?
निर्मला जी ने झूठ बोला- अभी मार्केट में हूँ.. टाइम लगेगा.

सच बताऊं.. मुझे तब तक समझ कुछ नहीं आया था.

तभी निर्मला जी ने बोला कि उन्हें वाशरूम जाना है, फिर बोलीं आपके घर से फ्रेश होकर घर के लिए ऑटो ले लूंगी.
मैंने कहा- जैसा आप चाहें.

मैंने घर के नीचे गाड़ी खड़ी करके निर्मला जी को घर की चाभी दी और फ्लैट नंबर बता दिया, क्योंकि वो पहली बार घर आई थीं. मैं दूध का पैकेट लेने चला गया, क्योंकि मैं अकेला रहता हूँ और चाय के लिए दूध चाहिए था.

मैंने दूध लिया, सिगरेट पी और ऊपर आया तो गेट खुला था. मैं किचन में चला गया. चाय बना कर बाहर आया था तो देखा निर्मला जी ट्रांसपरेंट गाउन पहन कर सोफे पर बैठी थीं. शायद यही गाउन निर्मला ने अभी बाज़ार से खरीदा होगा.
उनको देखने के चक्कर में मुझसे चाय चाय भी छलक गई.

दोस्तो, सही बताऊं तो वो क्या मस्त माल लग रही थीं. वो तुरंत उठ कर आईं और पूछा कि चाय गिरने से कहीं मैं जला तो नहीं हूँ.
मैंने कहा- शायद कुछ..
दरअसल मैं उनकी जवानी देख कर हल्का सा सुलग गया था. बच्चा मैं भी नहीं था वो भी नहीं थीं.

फिर भी मैं बोला- निर्मला, आप ऐसे कपड़ों में मेरे घर में मेरे सामने?
वो बोली- कैसी लग रही हूँ मैं?
मैंने कहा- मैं क्या बताऊँ कि आप कैसी लग रही हैं.
फिर मैंने कहा- आप बहुत अच्छी लग रही हैं… सेक्सी!
जैसे ही मानी उन्हें सेक्सी कहा, उन्होंने सीधे सीधे बोला- मुझे आपके साथ सेक्स करना है.

मेरी तो लाटरी निकल पड़ी… मैं बोला- अंधे को क्या चाहिए दो आँखें.

लेकिन वो फिर बोलीं- लेकिन मेरी एक शर्त है.
मैंने कहा- बोलो क्या शर्त है?
तो फिर वो हिचकते हुए बोलीं- मैं तुम्हारे ऊपर रहूंगी.. फिर झुक कर करना, चाटना है.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने पूछा- क्या आपके पति आपके साथ इस तरह से सेक्स नहीं करते हैं?
उन्होंने बोला- सेक्स तो वीक में एक दो बार हो जाता है.. और जय लक्ष्मी ने बताया था कि ऐसे करो तो ज्यादा मजा आता है. मैंने अपनी पति के साथ ट्राय किया, लेकिन उन्होंने मेरी चूत नहीं चाटी और एक मिनट बाद ही मेरे ऊपर लेट के नार्मल तरीके से चोद कर सो गए.

दोस्तो, निर्मला का गाउन निकलने के बाद मेरी आँखें फटने को हो गईं. मेरी तो फिर से लाटरी निकल पड़ी… उसका फिगर क्या मस्त था, बस पेट पर दो ऑपरेशन के निशान थे, बच्चे हुए थे उनके. बाकी उनके चूचे बिना ब्रा के भी टाइट थे. नीचे चूत पर हल्के बाल थे. उनके चूतड़ तो फ्रंट से भी शानदार थे, हल्का निकला हुआ पिछवाड़ा क्या गजब माल दिख रहा था.

मैंने दिल्ली आने के बाद से ही चुदाई नहीं की थी, तकरीबन एक साल हो गया था.

अब मैं और निर्मला जी लिप किस कर रहे थे. मेरा लंड उनकी चूत से सटा हुआ था. दो मिनट में ही बिना कुछ किये मेरा पानी निकल गया, तो निर्मला ने बोला- क्या यार? बिना कुछ किये ही तुम्हारा तो माल निकल गया, अब मुझे चोद पाओगे या नहीं?

मैंने कुछ नहीं कहा, बस निर्मला को अपनी बांहों में लेकर फिर से किस करने लगा. फिर हम दोनों फ्रेंच किस में लग गए. जैसा जैसा मैं करता, निर्मला वैसा वैसा करती रहीं. निर्मला ने किस के बाद ही बोला- थैंक्स अतुल, बहुत अच्छा लगा मुझे!

फिर मैं उनके मम्मों को चूसने लगा और वो मेरे लंड से खेलने लगीं. दो बच्चों की माँ हो कर भी वो 18 साल की लड़की की तरह मजा दे रही थीं.
मैं धीरे धीरे उनके पेट को चाटते हुए उनकी नाभि पर आया, नाभि में जीभ घुसा कर कहता तो उनको मजा आया. अब मैं निर्मला की चूत में हाथ फिराने लगा, चूत की दरार को एक उंगली से सहलाने लगा. निर्मला के मुख से सिसकारियां फूटने लगी थी.
निर्मला अब मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी थी, मतलब साफ़ था कि वो ओरल सेक्स यानि अपनी चूत मुझसे चटवाना चाहती थी.
लेकिन मैंने उनकी चूत नहीं चाटी.

मैंने 69 की अवस्था में होते हुए अपना लंड उनके मुख के पास किया और उसे उनके होंठों से छुआ दिया. थोड़ी सी हिचकिचाहट के बाद निर्मला ने अपने होंठ थोड़े से खोले और ज़रा सा सुपारा होंठों में दबा कर उसे प्यार करने लगी.

अब मैंने निर्मला की चूत में अपनी पूरी उंगली घुसेड़ दी तो आनन्द वश उनके मुख से आह निकली और उनका मुख जैसे ही पूरा खुला. मैंने अपना लंड उनके मुंह में घुसेड़ दिया. अब वो मेरा लैंड चूसने लगी और मैंने धीरे धीरे उनकी चूत चाटनी शुरू की. शायद वो पहली बार लंड चूस रही थी और पहली बार ही चूत चटवा रही थी. वो पहली बार ओरल सेक्स का मजा ले रही थी.
मैंने उनकी चूत और चूत का दाना चूस चूस कर उनका एक बार पानी निकलवा दिया. जब उनकी कामवासना चरम पर थी तो वो पूरे जोश से मेरा लंड चूसने लगी थी लेकिन एक बार झड़ने के बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुख से निकाल दिया.

ओरल सेक्स करने के बाद उनकी चुदाई शुरू हुई. उससे पहले निर्मला का पानी दो बार निकाल चुकी थीं.

चूंकि निर्मला को डॉगी स्टाइल पसंद था तो उनकी चूत पर पीछे से लंड सैट करके डाला, तो आराम से अन्दर घुस गया. वो लंड कहते समय थोड़ा सा उचक गईं लेकिन 10 मिनट की चुदाई में मेरा माल निकल गया.

सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ था, मेरा पास कंडोम भी नहीं था.
निर्मला जी बोलीं- अभी और करना है.. मेरा नहीं हुआ.
मैंने बोला- मैं एक साल बाद सेक्स कर रहा हूँ.. थोड़ा टाइम दो.

मैंने पानी पिया और निर्मला की चूत में फिंगरिंग करने लगा. वो मेरा लंड चूसने लगीं. पहली बार की अपेक्षा इस बार अच्छे से चूस रही थीं. फिंगरिंग करते हुए ही निर्मला का सारा माल निकल गया और वो ठंडी पड़ गई और उन्होंने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया.
लेकिन मेरा लंड खड़ा हो गया था, निर्मला बोलीं- बाद में चोद लेना.. अब थक गई हूँ.
पर मैंने उन्हें घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया. वे बोलीं- ऐसे नहीं, मैं बिस्तर पर लेट जाती हूँ, तुम मेरे ऊपर आकर चुदाई कर लो.

मैंने ऐसे ही किया और निर्मला की टांगें ऊपर उठा कर अपना लंड उनकी गीली चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा. तकरीबन 15 मिनट बाद मेरा माल निकल गया. निर्मला बहुत खुश हो गई थीं.

फिर हम दोनों ने साथ में स्नान किया, कपड़े पहनते पहनते उन्होंने इच्छा जाहिर की- अब से हम दोनों हर शनिवार को सेक्स किया करेंगे. बोलो मंजूर है?
मुझे क्या आपत्ति होनी थी, मैंने उनकी पेशकश सहर्ष स्वीकार कर ली.

दोस्तो, निर्मला सेक्स में हर तरीके से जितना सपोर्ट करती हैं, ऐसा कम लोग कर पाते हैं.

निर्मला के न चाहते हुए मैंने उसकी गांड भी मारी और हम लोगों के बीच में आगे बहुत कुछ हुआ. अगर इन कम शब्दों में कहूँ कि लव, सेक्स और धोखा का मामला बन गया था.

आज भी हम एक ही बैंक में काम करते हैं, आज मैं असिस्टेंट बैंक मैनेजर हूँ और वो उसी पद पर हैं. अभी भी हमारे शारीरिक रिश्ते कायम हैं.

आप अपने कीमती सुझावों को भेज सकते हैं. ईमेल करें- [email protected]
आपका अतुल शर्मा

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