मेरी सेक्सी कहानी : जिस्म की वासना-1

मेरी सेक्सी कहानी : जिस्म की वासना-1

नमस्कार दोस्तो, मैं रवि नई सेक्सी कहानी लेकर हाज़िर हूँ.
आप सभी ने मेरी बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और मुझे ढेर सारा प्यार दिया. सभी चूत वालियों का खड़े लंड से रस टपकाता हुए धन्यवाद करता हूँ, कि अपने मेरी कहानियाँ पढ़ कर मेरे लंड को याद करके अपनी चूत की धार छोड़ी, मुझे कुछ चूत वालियों ने ये बात इ मेल करके बताई, उनकी चूतों को बार बार मेरे लंड का सलाम!
मैं लंड वालों का भी धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानियाँ पढ़ी और मुझसे बात की, और मेरे कपल दोस्त, जो हर बार मेरी कहानी को उत्साह से पढ़ते हैं, इंतज़ार करते हैं, और मेरे साथ वटसऐप पे भी जुड़े हुए हैं, और नये जुड़ रहे दोस्तों का स्वागत करता हूँ.

आपको एक बात यहाँ में बता देना चाहता हूँ कि मैं किसी का भी नाम, फ़ोन नम्बर या ईमेल आई डी किसी और को नहीं देता और बिल्कुल सेफ रखता हूँ, प्लीज़ मुझसे ऐसे किसी चीज़ की उम्मीद भी न करें.
अगर कोई दोस्त मुझसे अपनी सेक्सी कहानी लिखवाना चाहती या चाहता है तो उनका मेरी तरफ से सवागत है.

मेरी यह सेक्सी कहानी है मेरी ऑनलाइन दोस्त सुनीता की! सुनीता मेरी अन्तर्वासना सेक्सी कहानी की फैन है, और अक्सर मुझसे फ़ोन पे और चैट पे सेक्स करती है, मेरी हर कहानी पढ़ने के बाद मुझे फ़ोन करके उसकी तारीफ़ जरूर करती है. यहाँ तक कि अन्तर्वासना कहानी पढ़ने के बाद और मेरे साथ सेक्स चैट के दौरान चूत से टपक रहे चूत रस की फोटो और गीली पेंटी की फोटो वटसऐप पे भेजना कभी नहीं भूलती.
सुनीता मेरी तरह पढ़ी लिखी मैरिड लड़की है और एक ऑफिस अस्सिटेंट के तौर पे जॉब करती है. उसका साइज़ 34-30-32 है. उसके हसबैंड मुंबई में एक कम्पनी में जॉब करते हैं. हसबैंड दूर रहने के कारण सुनीता की चूत लंड की प्यासी रहती है.

वैसे वो खुले विचारों की है, उसने बताया था एक बार कि ऐसे तो उसके हसबैंड भी खुले विचारों के ही हैं, परन्तु मैं अभी तक उसके हसबैंड से मिला नहीं हूँ, और न ही कभी फोन पे बात हुई है.
सुनीता काफी देर से मुझे मिलना चाहती थी और इस बार उसने मुझे मिलने का प्रोग्राम बना ही लिया, हुआ यूँ कि सुनीता के ऑफिस में 3 दिन की लगातार छुट्टी थी और इन छुट्टियों में वो मुझे आसानी से मिल सकती थी, तो उसने मुझे कॉल की, मुझे उसने अपना प्रोग्राम बताया, तो मैंने भी यस बोल दिया.

वैसे तो सुनीता का शहर भी मेरे शहर से मात्र 50-60 km की दूरी पर ही है इसलिए हमें एक दूसरे को मिलना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं था.

सुनीता ने बताया कि वो मेरे पास सिर्फ एक दिन के लिए ही रुक सकती है तो मैंने हाँ बोल दिया. सुनीता और मैंने मिलने का स्थान और किसी शहर को चुना. मैं वहाँ पहुँच चुका था और वो भी कुछ ही देर में वहाँ पहुँच गई. वो क्या कयामत ढा रही थी, मेहरून कलर का सलवार सूट पहन कर आई थी और आँखें जैसे बस देखता ही रह जाए, और सुंदर सेक्सी जिस्म पतला शरीर और रंग बिल्कुल गोरा और ठोड़ी के नीचे काला तिल, ऐसे लग रही थी जैसे कोई अप्सरा आसमान को फाड़ कर उतर आई हो!

हम दोनों मेरी कार मैं बैठ कर वहाँ से निकल पड़े और एक होटल में एक दिन के लिए रुके, हम बाहर से थे इस लिए कोई ज्यादा पूछताछ नहीं हुई और रहने के लिए भी आसानी से हमें रूम मिल गया.
रूम में अंदर घुसते ही मैंने सुनीता को अपनी बाहों में ले लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी.

कुछ ही देर ऐसा ही करने के बाद मैंने उससे पूछा- क्या लोगी?
तो वो मुस्कराती हुई मज़ाक करती हुई कहने लगी- ये…
और साथ ही मेरे लंड की तरफ इशारा कर दिया. उसकी शरारत देख कर मैंने भी शरारत से कहा- जब ये मिला तो तुझ से झेला भी नहीं जाएगा डार्लिंग, इस लिए चाय पानी पीओ और चलती बनो!
वो भी मज़ाक में ही कहने लगी- अच्छा, अगर झेलने वाली न होती तो यहाँ न आती, और लगता है आप में दम नहीं है झेलने का, इसी लिए भेज रहे हो, चलो फिर अगर भगाना ही है तो चाय पानी को भी रहने दो, मैं ऐसे ही चली जाती हूँ.
और उठने लगी.

तभी मैंने उसके होंठों पे तीन चार लगातार किस कर दिए और प्यार से बोला- ओये होए मेरी जान, सब झेलने का पक्का मन बना कर आई है डार्लिंग!
इस तरह हम कुछ देर बातें करते रहे और बीच में मैंने चाय का आर्डर दे दिया था, कुछ ही देर मैं चाय आ गई.
चाय पीने के बाद मैंने उसके एक एक करके कपडे उतारने शुरू कर दिए. सबसे पहले मैंने उसकी कमीज़ की जिप को खोला और साथ साथ उसकी गर्दन को सहलाते हुए उसकी गाल और होंठों को चुसना शुरू किया और फिर कसमसा कर एक अंगड़ाई ली और अपनी कमीज़ को उतार दिया, वो मुझे पूरा सहयोग कर रही थी.

कमीज़ उतारने के बाद देखा कि उसने नीचे वाईट कलर की ब्रा पहनी हुई थी. मैंने ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को किस किया और कहा- वाओ, ये मस्त कबूतर तो अभी से बाहर निकलने को उतावले हैं.
कहते हुए मैंने सुनीता को पीछे को लिटाया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतारने लगा.
तभी मैंने उसके चूतड़ों से सलवार नीचे को की और फिर उसकी टांगों के रास्ते बाहर कर दी.

अब उसकी चूत पे बची थी सिर्फ एक काले रंग की पेंटी और ऊपर मम्मों पे वाईट रंग की ब्रा. मैंने अब उसकी पेंटी को बिना निकाले उसकी पेंटी के आस पास चूत के नज़दीक होंठों से किस की और अपनी गर्म साँसें छोड़ी, जिससे सुनीता की वासना की आग भड़क उठी और वो सिसकारने लगी, कहने लगी- उई उफ़ डिअर रवि जी… आह्ह आह सी सी!
मैंने फिर उसके होंठों को अपने होंठों में लिया और कहा- क्या रवि जी जान, बोल न क्या कहना चाहती है मेरी स्वीटी?

वो ज्यादा देर तक अपने ऊपर काबू न रख पाई और उसकी पेंटी गीली हो गई तो मुझे अपनी तरफ खींचने लगी. मैंने सुनीता को किस करना जारी रखा और उसकी चूत के आस पास और पेट पे, नाभि पे और मम्मों के आस पास और गर्दन पर अपनी गर्म साँस छोड़ी और किस भी की जिससे वो और गर्म हो गई.

अब मैंने अपनी कमीज़, पेंट और बनियान उतार दिए और मेरे शरीर पे सिर्फ अंडरवीयर ही बाकी था. मैंने अब अपने दोनों हाथ सुनीता के पीछे किया और उसे अपने आगोश में ले लिया और धीरे से पीछे से ब्रा की हुक खोल दी, जिससे उसकी ब्रा खुल गई, तुरंत मैंने ब्रा को सुनीता के जिस्म से अलग कर दिया और अब उसके दोनों गोरे गोरे नंगे खरबूजे जैसे मम्मे मेरे सामने थे.

‘वाओ क्या मम्मे थे!’ मैंने सुनीता की आँखों में देखा तो वासना का नशा था, मैंने तुरंत उसके दोनों मम्मों के चूचूकों पे एक एक किस की और फिर एक मम्मे को अपने होंठों में लेकर दूसरे को हाथ से दबाने लगा. मैंने कुछ देर ऐसे ही उसके मम्मों को अच्छी तरह से चूसा और फिर ऐसे ही किस करता हुआ नीचे की तरफ चला गया.

मैंने तड़प रही सुनीता की पेंटी को अपने दांतों में फंसाया, उसकी दोनों टांगों को हाथों से ऊपर उठाया और उसकी गांड को थोड़ा ऊपर करके दांतों से ही उसकी पेंटी को सुनीता के जिस्म से अलग कर दिया, शायद मेरा ऐसे करने से सुनीता को भी बहुत मजा आया.
अब सुनीता की गर्म चूत मेरे होंठों के बिल्कुल सामने थी. मैंने अपने गर्म गर्म होंठ सुनीता की तपती योनि पर रखे और उसकी दरार के अंदर अपनी जीभ डाल दी. कुछ देर तक मैंने ऐसे ही होंठों और जीभ के जोर से सुनीता की चूत को खूब चूसा और सुनीता के मुख से ‘उन्ह आह सी सी…’ निकलने लगा. अब सुनीता गांड उठा उठा कर अपनी चूत चुसाई का मजा ले रही थी और ऊपर से हाथों से मेरे सर को जोर जोर से अपनी चूत पे दबा रही थी.

कुच्छ ही देर में सुनीता की चूत से उसकी जवानी का झरना फूट पड़ा और मेरे मुंह में उसकी जवानी का जोश पानी बन कर बरसने लगा और उसने मेरा सर वहाँ पे जोर से दबा दिया, मैंने वो सारा पानी अपने मुंह में ले लिया और उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा ताकि सुनीता इन यादगारी पलों का आनन्द ले सके.
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सुनीता ने एक बार अपनी जवानी का प्याला मेरे मुंह में पिला दिया था तो अब वो अपनी चूत में लंड लेना चाहती थी.
मैंने अपना अंडरवियर उतारा और गर्म गर्म लंड सुनीता के हाथों में पकड़ा दिया, कुछ देर सुनीता लंड को सहलाती रही तो मैंने फिर सुनीता को अपनी गोद में आने का इशारा किया.

मेरा इशारा पाकर सुनीता मेरी गोद में आ गई और मेरा नंगे जिस्म से जैसे ही उसका नंगा बदन टकराया, दोनों के बदन में एक करंट सा दौड़ गया और वासना की लहर, मेरा पूरे उफान पे खड़ा तना हुआ लौड़ा सुनीता के चूत को टच कर गया, जिससे हम दोनों एक बार सिहर से गए और फिर पता ही न चला कब दो जिस्म एक जान होते चले गये.

मैंने अपना लंड सुनीता की चूत की दरार के बिल्कुल बीच सेट किया और सुनीता को धीरे धीरे ऊपर बैठने का इशारा किया. जैसे जैसे सुनीता लंड के ऊपर बैठती जा रही थी वैसे वैसे ही मेरा लौड़ा सुनीता की चूत के अंदर धंसता जा रहा था. आखिर मेरे टट्टों तक का लौड़ा सुनीता ने अपनी चूत में ले लिया और उसकी गीली चूत ऊपर नीचे होने लगी, जि से मेरा लंड सुनीता की चूत को मस्त चोदने में लगा हुआ था और सुनीता मस्त होकर सिसकारियाँ लेती हुई बोल रही थी- ‘उई..उफ़.. रवि चोद मुझे आह उई चोद सी सी सी चोद चोद गांड फाड़ दे आज अपनी सुनीता की..! आह आह उई मर गई… मज़ा… आ… सी सी सी उई!
सुनीता मेरे लंड से चुद रही थी और मजा ले रही थी. आज की चुदाई में मुझे भी असीम आनन्द आ रहा था.

तभी सुनीता जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी, मैंने अंदाजा लगा लिया कि अब सुनीता झड़ने के बहुत करीब है तो मैंने भी अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी, मैं कह रहा था ‘उई आह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी सी चुद चुद हुड साली सुनीता चुद जा, अह आह उई उई!
अब सुनीता ने जोर से चीख निकाली और मुझे कस कर पकड़लिया और मेरे लंड पे मुझे गीला गीला उसकी चूत से कुछ बहता हुआ महसूस हुआ.

मैंने अंदाजा लगया कि सुनीता झड़ चुकी है, परन्तु मेरा अभी बाकी था. मैंने कुछ देर ऐसे ही लिपटे रहने के बाद अपना लौड़ा सुनीता की चूत में अंदर बाहर किया और जब मेरा वीर्य छूटने को हुआ तो सुनीता का इशारा पाकर मैंने अपना सारा माल उसके पेट पे निकाल दिया. झड़ रहे लंड को सुनीता ने खुद हाथों में ले लिया था.

हम दोनों झड़ चुके थे और कुछ ही क्षणों में एक दूसरे से अलग हुए और बाथरूम में जाकर अपने आप को साफ़ किया..

इस तरह यह हमारी चुदाई की शुरुआत थी, और एक अच्छी शुरुआत थी.
फिर हम एक दूसरे को बाहों में लेकर नंगे ही लेट गये और सुनीता अपनी पुरानी चुदाई की सेक्सी कहानी सुनाने लगी.

मेरी सेक्सी कहानी जारी रहेगी.
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मेरी सेक्सी कहानी : जिस्म की वासना-2

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