योग की अदायें- 1

योग की अदायें- 1

लेखक : जो हन्टर

मैं योग का शिक्षक हूँ। मैंने योग के द्वारा कई व्याधियां दूर की हैं। यह बात ओर है कि मेरी कमजोरी मध्यम उम्र की औरतें रही है। कितनी ही बार मैं वासना का शिकार हो कर फ़िसल जाता हूँ, पर इसमे मेरा दोष कम होता है, महिलाओं का अधिक होता है। मैं उन्हें सेक्सी लगता हूँ।

मेरे पड़ोस में आभा आण्टी रहती है। उन्हें कम उम्र में ही डायबिटीज हो गई थी। उदर सम्बन्धी अन्य शिकायतें भी थी। प्रायः सभी पाठकगण भी जानते हैं कि प्राणायाम और अन्य सरल आसनों से हम सब ये ठीक कर सकते हैं। जी हां खाने पर थोड़ा कन्ट्रोल तो करना ही पड़ता है। आभा आण्टी ने मुझे योग द्वारा उपचार करने को कहा, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मेरी आभा आण्टी में खास रुचि भी थी, क्योंकि आरम्भ से ही मैं उन्हें अपने विचारों में चोदने की कोशिश करता था और मुठ मार कर वीर्य निकाल देता था। उनका हुस्न मुझे भाता है, खास करके उनके चूतड़ बहुत ही टाईट और उत्तेजक लगते हैं। उनके चेहरे पर एक सेक्सी सी मुस्कान हमेशा रहती है। मुझे नहीं पता था कि आभा मेरे बारे में क्या सोचती थी।

मैंने आभा को बताया कि सवेरे पांच बजे का समय उत्तम रहता है, मुझे पता था कि उसका पति यानि अंकल जी रात को देर से आते हैं और सवेरे सात बजे पहले नहीं उठते। गर्मी का मौसम था सो हम तीसरी मंजिल की छत पर चले आये।

उन्हें हल्के कपड़े पहनने थे, जिसमें उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। एक हल्का पजामा और और एक हल्का टॉप…. । पहले एक सप्ताह के प्रायाणाम से डायबिटीज पर अच्छा असर हुआ….। अब मैंने उन्हें कुछ आसन भी करवाने आरम्भ कर दिये और मैं उसके जिस्म के कटाव और उभारों को मन में बसा लेता था।

मेरे मन में अब उसे भोगने का लालच बढ़ता गया। फ़लस्वरूप मैं अब उसके जिस्म को भी छूने लगा था। अभ्यास के दौरान मैं उसके प्यारे से गोल गोल कसे हुये स्तनों को छू लेता था…. उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर कर उसे उत्तेजित करने का प्रयत्न करता था। उसके जिस्म की कंपकंपाहट मुझे भी महसूस होती थी। पर उसने कभी भी इसका विरोध नहीं किया। एक बार सर्वांग आसन कराते समय मैंने उसके चूतड़ों को भी सहलाया और दबाया भी। उसके चूत का गीलापन भी मुझे दिखाई दे जाता था…. सो मुझे ये पता चल गया था कि अब वो उत्तेजित हो जाती है और शायद गीलापन उसकी चुदने की चाहत की निशानी थी।

यही सोच मेरे मस्तिष्क में थी। मेरी एक बार कोशिश करने की इच्छा प्रबल हो उठी। मैंने सर्वांग आसन के दौरान उसकी चूत जो गीली थी, उसे सहला दिया….

उसने अपने पांव नीचे कर लिये और शरमा गई।

“आकाश जी, यह आप क्या कर रहे थे….”

“सॉरी आभा, आपकी ये मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने उसे छू लिया…. गीली भी थी ना !” मैंने हिम्मत करके उसे उकसाया।

“गीली…. आप तो मस्ती करने लगे…. उससे हो गई होगी….!” अब उसकी नजर भी मेरे उठे हुये लण्ड पर थी। उसका इशारा भी उसी ओर था। मैंने उसकी बांह थामते हुये उसके नजदीक आने की कोशिश की, पर वो समझ गई थी।

“अब योग समाप्त करते हैं और नीचे चलते हैं!” कह कर वह सीढ़ियों पर आ गई। मुझे तनिक निराशा सा हुई। मैं भी उसके पीछे पीछे सीढ़ियों पर आ गया। यहां से बाहर नहीं नजर आता था। मैंने मौका देख कर उसे अपने बाहों में लपेट लिया।

थोड़ी सी ना नुकुर के बाद उसने कोई विरोध नहीं किया। बस उसकी बाहें मेरी कमर से लिपट गई। उसके तने हुये स्तन मेरी छाती से रगड़ खाने लगे। मेरे जिस्म में सनसनाहट होने लगी, लण्ड फ़डफ़डा गया, खड़ा हो कर नीचे ठोकरें मारने लगा और कुछ ढूंढने लगा। उसकी चूत का दबाव भी मेरे लण्ड पर बढ़ गया और वो धीरे धीरे ऊपर नीचे उसे मेरे लण्ड पर घिसने लगी। आभा के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी। उसके कांपते होंठ मेरी ओर उठ गये…. मैंने झुक कर धीरे से उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिये और अधरों का रसपान करते हुये हमारे बदन एक दूसरे को रगड़ने लगे। दोनों के जिस्मों में वासना का उफ़ान भर गया था। लण्ड और चूत एक दूसरे में घुसने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे। मेरे हाथ उसके स्तनों को बेदर्दी से मसल रहे थे, उसकी निपल को घुमा कर खींच रहे थे। उसका हाथ मेरे लण्ड पर आ गया। उसने मुझे धक्का दे कर दीवार से लगा दिया और जैसे बेतहाशा लिपट गई।

“आ….आ…. आभा जी…. अब पजामा नीचे कर लो….अपनी मुनिया के दर्शन तो करा दो ….लण्ड….तो कड़क….”

उसने मेरे होंठों पर अंगुली रख दी और लण्ड पर मुठ मारने लग़ी। मैंने भी उसकी चूत दबा दी। हमें असीम आनन्द आने लगा था। एक दूसरे को हम बुरी तरह से दबा रहे थे। उसकी चूत जैसे लण्ड निगल लेना चाहती थी। दोनों की रगड़ जबरदस्त थी। दोनों के मुख से सिसकारी निकल पड़ी और गंगा जमुना हमारे अंगों से फ़ूट पड़ी। दोनों ही सिसकारियां भरते हुये अपना यौवन रस छोड़ चुके थे। आभा का पजामा नीचे से भीग उठा था और मेरे नीले पजामे में भी एक काला सा गीला धब्बा उभर आया था। मुझे अपने पांव पर अपना वीर्य बहता सा लगा। हम दोनों का जोश ठण्डा हो चुका था। आभा के चहरे पर शरम की झलक उभर आई थी। उसकी नजरें नीचे झुक गई थी। उसने मुस्काते हुये अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया।

फिर मुझे तिरछी नजरों से देखती हुई सीढ़ियां उतर कर चली गई। आज तो उसने मुझे चाय को भी नहीं पूछा…. मैंने भी अपना सर झटका और तेजी से सीढ़ियां उतरता हुआ अपने घर आ गया।

दिन भर इस घटना को याद करके मुझ में उत्तेजना भरती रही…. इतनी सी देर में जाने क्या से क्या हो गया। आभा को चोदने की ललक मुझमें बढ़ने लगी। इतना कुछ होने के बाद चुदाई में देरी क्यूं करूं…. सब कुछ तो खुल चुका था। सारा दिन जैसे एक साल की तरह निकला। सवेरे होते ही हम दोनों एक बार फिर तीसरी मंजिल की छत पर थे। आभा को मैंने पहले पूरा योग कराया फिर हल्का व्यायाम कराया। इस बीच उसने कोई भी ऐसा संकेत नहीं दिया कि बीते हुये दिन हम दोनों के बीच क्या हुआ था। बातों में भी ये नहीं लगा कि जैसे कल कुछ हुआ था। पर मैंने कल की तरह आज भी सीढ़ियों के समीप उसे जा दबोचा। उसके मम्मे धीरे धीरे खूब सहलाये। उसने भी मेरा लण्ड खूब दबाया और मसला। अन्त में हम दोनों एक दूसरे के अंगों में अपने लण्ड और चूत को रगड़ते हुये झड़ गये। वह शरमा कर फिर भाग गई।

मुझे तो अब उसे चोदने की लग रही थी, पर शायद उसे लग रहा थी कि उसके लिये इतना ही बहुत था। मैंने दबी जबान से उससे पूछा भी था, तो उसका जवाब था कि जब अपन दोनों को इसमें ही इतना मजा आता है तो चोदना क्या जरूरी है। उसकी इच्छा के विरुद्ध तो मैं वैसे भी कुछ नहीं करना नहीं चाहता था। पर हां उसने आज उसने मुझे चाय नाश्ता कराया था। पर मैंने आज एक करामात दिखा थी। उसने गलती से अपना पजामा वहीं डाल दिया था। मैंने तुरन्त एक ब्लेड से पजामे मे उसकी चूत के स्थान पर तीन चार टांके काट दिये। मेरा ये तरीका काम दे गया।

सवेरे योगाभ्यास कराने के बाद हम दोनों सीढ़ियों के पास फिर से लिपटे हुये थे। मैं उसके स्तनो को प्यार से सहला और दबा रहा था। वह भी आज खुल कर खेल रही थी। मेरे लण्ड को बाहर निकाल कर मुठ मार रही थी और मेरे गोल गोल कड़े और बंधे हुये चूतड़ों को दबा रही थी। उसका पजामा चूत के पास से गीला हो चुका था। उसने मेरा नंगा लण्ड हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया। मैंने भी उसे लिपटा लिया। उसके पजामे के ऊपर से लण्ड का सुपाड़ा रगड़ खा कर लाल हो गया था। अचानक ही उस कटे हुये पजामे में मेरा लण्ड घुस गया।

आभा के लण्ड को चूत में रगड़ने से लण्ड उसकी चूत के अन्दर रगड़ खा कर बाहर आ जाता था। पर इस बार लण्ड जैसे ही चूत के द्वार पर लगा, मैंने उसका हाथ छुड़ा कर अलग कर दिया और लण्ड चूत में उतरता चला गया। जैसे उसके मुख से एक मस्ती की किलकारी निकल पड़ी। उसकी चूत ने जोर लगा कर मेरा पूरा लण्ड अपनी गहराईयों में समेट लिया। मुझे एक नरम सा, गरम सा चूत की दीवारों का मधुर सा घर्षण महसूस हुआ। उसने मुझे दीवार के पास टिका दिया और अपना पूरा जोर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसका धक्का मुझे बहुत प्यारा लगा। अब वह मेरे चेहरे के पास अपना सर झुका कर नीचे धक्के पर धक्का मारने लगी। मेरे कूल्हे भी हिल हिल कर उसकी सहायता कर रहे थे। वहां एक मधुर सा सुहावना एवं मस्ती भरा समां सा बंध गया था। दोनों की मधुर सिसकारियां सीढ़ियों पर गूंजने लग गई थी। आभा अब अपनी शरम छोड़ चुकी थी। चुदते चुदते भी आगे की चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी।

“आप तो मेरे गुरू हो ना…. सवेरे दस बजे इनके जाने के बाद मुझे कमरे ही जम के चोदना…. वहां मजा आयेगा !”

“बस कुछ मत कहो मेरी आभा…. आपको चोदने में मस्त मजा आ रहा है। “

हम दोनों चुदाई की चरमसीमा पर पहुंच चुके थे और दोनों के कलपुर्जे किसी इंजन की भांति तेजी से चल रहे थे…. कितना ही बचने की कोशिश करो…. एक सीमा के बाद आंखों के आगे मस्ती के सितारे चमक उठते हैं…. और झर झर करके रति-रस छलक पड़ता है। आभा ने मेरे लण्ड पर जोर लगाया और उसकी चूत लपलपा उठी। लहरें उठने लगी…. और चूत का गीलापन बढ़ गया…. तभी मेरे लण्ड ने भी बाहर आ कर अपनी फ़ुहारे छोड़ दी…. हम दोनों एक दूसरे से लिपट पड़े। दोनों की बाहें कस गई। काम रस चूत के द्वार से पांव के सहारे नीचे बह चला। मैं आभा के गालों और होंठो को चाटने लगा। उसके मुझे झटके दे कर दूर किया।

“आपके लण्ड में जोर है …. देखो तो मेरा पजामा फ़ाड कर चूत में घुस गया !” आभा ने शरमाते हुये कहा।

“नहीं आभाजी, मुझे तो आप को चोदना था इसलिये मैंने कल आपके पजामे के तीन-चार टांके ब्लेड से काट दिये थे !”

“क्याऽऽऽऽऽऽऽ? शरारती कहीं के…. मैं तो खुद ही आज आपसे चुदवा लेती…. पर इस तरीके से मुझे अधिक मजा आया…. सुनिये ! मेरी एक सहेली है मिनी, उसे भी ये योगा सिखा दो ना…. बस योगा ही….”

“जरूर , पर देखो सीखना तो पूरा ही होगा …. ये इफ़ और बट नही चलेगा !”

“नहीं तुम सिर्फ़ मुझे ही चोदोगे…. वर्ना सब केन्सल….!”

“यह तो ठीक नहीं है …. प्लीज…. देखो ये सुन कर मेरा लण्ड तो खड़ा होने लगा है !”

“यदि आपने ये सब किया तो फिर चोद लेना मुझे ?…. बड़े आये लण्ड वाले !”

आभा की सहेली मिनी बहुत ही सेक्सी थी, कैसे उसने मुझे बुला कर अपनी अदम्य-वासना तृप्त की…. उसने आभा से छुप कर मेरे साथ क्या क्या किया । ये सब अगले भाग में ….

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