रोनी का राज-3 – Antarvasna

रोनी का राज-3 – Antarvasna

एक रोज रवि ने कहा- चल यार, तेरी शादी पक्की हो गई, एक पार्टी हो जाये !

तो उसने खाने और पीने का सामान लेकर पैक करवाया और मेरे को लेकर अपने फार्म हॉउस ले गया ! दो पेग के बाद कुछ सुरूर सा होने लगा तो रवि ने कहा- रोनी, मैं तुमसे एक काम के लिए कहना चाहता हूँ, उम्मीद है तुम मना नहीं करोगे।

मैंने कहा- आज तक तेरी कोई बात को मना किया रोनी ने, यार मेरी जान भी मांग कर देख, मैं हंस कर दे दूंगा !

रवि बोला- रोनी मैं चाहता हूँ की तुम कुछ ऐसा करो की डॉली गर्भवती हो जाये !

मैंने कहा- क्या मतलब?

रवि- रोनी, मैं कहना चाहता हूँ इस बार डॉली के माहवारी के अनुसार गर्भ धारण के दिन कल से शुरू होकर दो तीन दिन रहेंगे। कल माँ और बाबूजी एक शादी में तीन दिन के लिए जा रहे हैं, घर में कोई नहीं रहेगा, मैं चाहता हूँ इन दिनों में तुम डॉली से सम्भोग करके उसे गर्भवती कर दो तो तुम्हारा अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा !

रवि का इतना कहना था कि मैंने जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया उसके हाथ से शराब का गिलास छिटक कर दूर जा गिरा !

मैं बोला- मेरी परीक्षा ले रहा है? एक भाई जैसे दोस्त की परीक्षा लेता है तू? तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की? जिस भाभी ने बहन और माँ जैसा प्यार दिया मुझे उसके लिए इतनी घटिया सोच तेरे दिमाग में आई कैसे? जिस परिवार ने मेरे को हर कदम पर सहारा देते हुए अपने घर का एक सदस्य जैसा रखा तुम उस परिवार से दगा करने को कह रहे हो?

रवि की आँखों में आँसू आ गए, बोला– भाई तुम्हारे अलावा किसी और से तो यह बात कह भी नहीं सकता। तुमसे कहने से पहले मैंने इस बारे में बहुत सोच विचार भी किया है, हर पहलू पर सोचने के बाद ही तुमसे यह बात कहने की हिम्मत जुटा पाया हूँ ! अभी मैंने इस सम्बन्ध में डॉली से बात नहीं की, फिर बच्चा मेरा हो या तुम्हारा मेरे लिए तो अपना ही होगा, तुम्हें कभी अपने से अलग नहीं समझा, रोनी तुम्हें मेरा यह काम करना ही है अब तुम मना नहीं करना !

‘लेकिन रवि, तुम इतना घटिया प्रस्ताव भाभी के सामने कैसे रखोगे? कैसे इतनी हिम्मत जुटा सकोगे? इस कृत्य के लिए भाभी कभी तैयार नहीं हो सकती, फिर मैं उनके सामने भी ऐसे कुत्सित विचार लेकर जा ही नहीं सकता, मैं कैसे उनके साथ… ! मैं तो कभी उनसे तो क्या तुमसे भी नजरे नहीं मिला पाऊँगा, मेरा जमीर जिंदगी भर मुझे धिक्कारेगा इस दोगली हरकत पर ! मेरे और भाभी के आज तक के पवित्र रिश्ते को बदलकर रख देना चाहते हो कलंकित करना चाहते हो?’

रवि– मेरे को मालूम था कि तुम यही कहोगे उसके लिए भी मैंने एक योजना बनाई है कि डॉली को कभी भी पता नहीं चलेगा कि रोनी ने उसके साथ ऐसा कुछ किया है, बस तुम हाँ कह दो ! मेरी योजनानुसार तुम रात को मेरे घर रुक जाना क्यूंकि हम दोनों की हेल्थ हाईट और बालों का स्टाइल एक जैसे ही है मैं अपने कमरे की बिजली को पूरी तरह से काट दूंगा, डॉली से यह कह दूँगा कि कमरे की बिजली ख़राब हो गई है, कल सुधारवा दूँगा। फिर रात को साथ मैं सोने जाऊँगा, लेकिन कुछ करने से पहले बाथरूम जाने का कहकर तुम्हारे पास आ जाऊँगा और मेरी जगह तुम जाकर उसके पास सो जाना और सम्भोग के बाद तुम आ जाना तो मैं वापस उसके पास जाकर सो जाऊँगा ! इस तरह डॉली को कभी इस बात का पता भी नहीं चल पायेगा !

मैं- रवि यह तुम्हारी योजना है पर मुझे बहुत डर लग रहा है, यह सब ठीक नहीं है !

रवि बोला- अब कोई बहाना नहीं, बाकि मैं संभाल लूँगा !

नियत समय पर मैं रवि के घर पहुँच गया, मेरी आत्मा घबरा रही थी पर दिल बेईमान होने जा रहा था वो भी मेरी मर्जी के खिलाफ ! कैसा संयोग था चूत का पुजारी रोनी सलूजा चूत मारने में संकोच कर रहा था, रिश्ते ही कुछ ऐसे उलझ से गए थे ! जिस रवि से मुझे डर था कि कभी भाभी को लेकर मुझ पर शक न करने लगे, वही अपनी फूल सी कोमल, हिरणी सी चंचल, यौवन से परिपूर्ण हुस्न की मलिका को मेरे पहलू में धकेल रहा था कि इसकी चुदाई करके गर्भवती बना दो !

मेरी स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी दोस्त का आदेश और आग्रह के आगे मैं मजबूर हो गया था।

हम दोनों को भाभी ने खाना खिलाया ! खाना परोसती भाभी की खूबसूरती को देखने की हिम्मत भी नहीं हुई मेरी ! तभी रवि ने भाभी को सुनाते हुए जोर से कहा- रोनी, माँ और बाबूजी शादी में गए हैं, तुम आज यहीं रुक जाओ !

तो मैंने थोड़ा न नुकुर के बाद हाँ बोल दिया !

रवि ने मेरे को अपने बेडरूम में ले जाकर बेडरूम का भूगोल समझा दिया फिर बाहर गेलरी में बना लेटबाथ दिखाया, ठीक उसके बाजु वाले कमरे में ले जाकर लुँगी देकर कहा- कपड़े बदल लो और आराम करो !

मैंने पैंट-शर्ट उतार दिया और लुंगी लगा ली। फिर रवि ने अपने बेडरूम की बिजली के तार काट दिए और कपड़े बदलकर लुंगी लगाकर आ गया। दोनों ही लुंगी बनियान में बैठे टी वी देखने लगे। फिर रात दस बजे मेरे से ये बोलकर कि रोनी तुम सो मत जाना पान की पुड़िया से दो सुगन्धित पान निकाले, एक मुझे दिया, एक उसने खुद खा लिया !

उसके बाद डॉली भाभी के पीछे अपने कमरे में चला गया !

भाभी ने बिजली के बारे में पूछा तो उसने कह दिया- कल सुधारवा लूँगा, आज ऐसे ही सो जाते हैं।

आधे घंटे बाद दरवाजे पर हुई आहट से मेरा दिल धक् हो गया मेरा रक्तचाप बढ़ गया ! रवि ने आ कर अपने गले की सोने की मोटी चैन मेरे गले में डाल दी, बोला- वो इस चैन से अक्सर खेलती रहती है, इसलिए इसे पहन लो और तुम अपना अपने दायें पैर से उसकी पिण्डलियों को सहलाते रहना जैसा कि मैं करता रहता हूँ फिर मुझे अपने कमरे के दरवाजे की ओर धकेल दिया !

मैंने अन्दर जाकर कमरे का दरवाजा लगाया और अँधेरे में कांपते कदमों से बिस्तर की ओर बढ़ चला, घुटनों पर पलंग महसूस कर पलंग पर बैठ गया। यह अनुमान लगाना कठिन हो रहा था कि मेरी तरफ भाभी की पीठ है या चेहरा ! फिर अपने पैर ऊपर कर लिए और लेट गया अब उनकी स्थिति देखने के लिए मैंने अपने दाये हाथ को उनके कंधे पर रख दिया तो मेरे को 440 वोल्ट का करेंट लगा क्यूंकि हाथ तो कंधे पर ही था पर वहाँ से ब्लाउज नदारद था, भाभी चित्त लेटी हुई थी।

भाभी ने अपने बायें हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया उनकी मक्खन सी हथेली के स्पर्श ने मेरे तनमन में सिहरन उत्पन्न कर दी, फिर मेरे हाथ को अपने स्तन पर रख लिया और अपने हाथ से मेरे सीने को सहलाने लगी !

मेरा हाथ स्तन पर रखा कांप रहा था ब्रा के ऊपर से ही मैंने अपने हाथ को धीरे धीरे स्तनों को सहलाने और मसलने में लगा दिया। कितने कड़क और गठे हुए बड़े बड़े स्तन जिन्हें बीच बीच में दबाते हुए भाभी का चेहरा देखने का असफल प्रयास कर रहा था पर अँधेरे की वजह से कुछ नहीं देख पा रहा था !

फिर मैंने अपना दांया पैर उनकी टांगों पर रख दिया और अपने पैर से उनकी मखमली पिण्डलियों को सहलाते हुए पैर को जांघों की ओर लाया तो अहसास हुआ कि उनका पेटीकोट जाँघों के ऊपर था, जांघें केले के तने की तरह बिल्कुल चिकनी, मांसल और कसी हुई थी जिन्हें भाभी ने ढीला छोड़ रखा था ! अपने पैर को थोड़ा और ऊपर ले गया तो मेरे घुटने पर मुलायम बालों का अहसास हुआ यानि कि रवि ने मेरी सुविधा हेतु उसके ब्लाउस और पेंटी पहले ही निकाल दिए थे !

जैसे ही घुटना थोड़ा सा ऊपर किया तो भाभी की चूत मेरे घुटने से लग गई मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए ! अब भाभी ने अपने हाथ को मेरी लुंगी में से चड्डी में डालकर मेरे लंड को थामकर सहलाना शुरू कर दिया। अब मेरा हाथ उनके पेट पर सरकते हुए नाभि को कुरेदने लगा, फिर मैं उनकी योनि को बालों सहित सहलाने लगा, मेरे ऊपर वासना सवार होती जा रही थी, मेरी इच्छा हुई कि योनि में अंगुली डालकर सहलाते हुए दाने को रगड़ दूँ, मुझे विश्वास हो चला था कि डॉली भाभी को कुछ भी पता नहीं चल पाया है, रवि की योजना कामयाब हो रही है !

मैं अपनी अंगुली योनिद्वार पर रखकर अन्दर डालने की चेष्टा करता, तभी भाभी ने मेरे लंड को छोड़ कर मेरे गले में पड़ी सोने की चैन अपनी अंगुली में लपेटते हुए बोली– रवि आप इतना गुमसुम और तनावग्रस्त क्यों रहते हो, आपने हमें सब कुछ तो दिया है ! एक औलाद के खातिर इतना परेशान मत रहा करो, भगवान जब चाहेगा हमें औलाद भी हो जाएगी, तुम्हारी चिंता देख कर मुझे बहुत दुःख होता है। फिर डॉक्टर ने भी तो कहा है कि समय लग सकता है हम इंतजार कर लेंगे !

मेरे सक्रिय हाथ और पैर वहीं थम गए ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

भाभी बोली- क्या कमी है इस घर में, कभी मेरे को मम्मी पापा की कमी नहीं महसूस होने दी माँ बाबूजी ने ! कितना ध्यान रखते हैं वो हमारा ! फिर रोनी भैया को देखो, मेरे को कितना हंसाते रहते हैं ! उनके घर में आ जाने से मेरे को कभी भाई की कमी का अहसास नहीं होता ! वो तो मेरे भाई से भी बढ़कर है मेरे लिए, कितना ख्याल रखते हैं मेरा और पिछले कई दिनों से तो वो मेरे से ऐसे बात करते है जैसे मेरा देवर न हो मेरा बेटा हो ! जिसके घर में इतने अच्छे लोग हो, उसे भला किसी बात की क्या कमी हो सकती है !भाभी जज्बाती हो रही थी उनकी आँखों से शायद आंसू भी बह रहे थे जो मेरे बाजु तक बह कर आ रहे थे !

उसके सभी अंगों पर से मेरी पकड़ ढीली होती जा रही थी, उसके जबाब में मैंने शायद एक दो बार हूँ या हाँ की इससे ज्यादा बोल भी नहीं सकता था !

डॉली भाभी बोली– रवि कुछ ही दिनों में हमारे रोनी भैया की शादी हो जाएगी, फिर उनके यहाँ बच्चा होगा तो हम उसे गोद ले लेंगे, मुझे विश्वास है वो कभी मना नहीं करेंगे !

मैंने एक एक करके उनके अंगों पर से अपने हाथ पैर को धीरे धीरे उठा लिया था, अब मुझे घुटन हो रही थी, मैंने अपना एक हाथ भाभी के माथे पर रखकर उन्हें माथे से सिर तक सहलाने लगा। उनकी आँखे शायद बंद थी, भाभी ने मेरे से कहा- ज्यादा मत सोचो इस बारे में..

शायद वो नींद के आगोश में जा रही थी, मुझे पता नहीं कितनी देर में उनका सिर सहलाता रहा मेरी आँखों में कुछ नमी सी आ गई थी ! रिश्तों ने एक बार फिर करवट बदल ली मेरे हाथ पाँव शिथिल पड़ गए, शरीर सुन्न सा होने लगा, अब किसी दूसरे रिश्ते से भाभी के सिर को सहला रहा था। जब यकीं हो गया कि वो सो गई तो उनका हाथ अपने सीने से उठा कर अलग किया ! फिर धीरे से पलंग से उठकर कमरे से बाहर आ गया।

रवि दूसरे कमरे में अब भी टीवी देख रहा था। मुझे देख खुश हो गया, उसने मेरे से कुछ भी नहीं पूछा, लेकिन मैंने उसे बताया- मैं तेरी मदद नहीं कर सका !

रवि– क्यों क्या बात हो गई? क्या डॉली ने तुम्हें पहचान लिया?

मैं बोला- यह बात नहीं !

फिर भाभी ने मेरे को रवि समझकर जो भी बोला था, सारी बात रवि को बता दी, फिर रवि से कहा- रवि, आइन्दा कभी भी ऐसा आग्रह मेरे से मत करना, चाहो तो मेरे से दोस्ती ख़त्म कर लेना !

रवि की आँखों से आँसू आ गए, बोला- मुझे माफ़ कर दे यार ! अब मुझे भी औलाद की कोई चाह नहीं जो ईश्वर को चाहेगा वही होगा ! हम दोनों को इस राज को अपने अपने सीने में दफ़न करना होगा !

फिर मेरे साथ ही लेट गया मेरी नींद लग गई सुबह उठा तो ऐसा लगा जैसे वो रात भर सोया ना हो !

उसके बाद कुछ दिनों तक रवि मेरे से नजर नहीं मिलाता था। फिर मेरी भी शादी हो गई रवि और डॉली भाभी ने तो मेरी शादी में धूम ही मचा दी थी !

फिर मेरी शादी के कुछ ही महीनों बाद रवि ने खुशखबरी दी- रोनी, मैं बाप बनने वाला हूँ और तू चाचा बनने वाला है।मैं तो ख़ुशी से झूम उठा ! फिर तो रोज ही पार्टियों के दौर चलने लगे इसके बाद कई साल देखते देखते गुजर गए, आज रवि दो बच्चों का बाप है !

भाभी को आज भी इस राज की कोई भनक नहीं है जो हमारे सीनों में दफ़न है।

इस सत्य कहानी के पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं !
आपके विचार जानने के लिए प्रतीक्षारत !
रोनी सलूजा
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