लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग- 45

लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग- 45

तभी मोबाईल बजने लगा।
जब तक मैं फोन को पिक करती, तब तक पापा ने फोन उठा लिया, फोन रितेश का था।
पापा ने तुरन्त ही मोबाईल को स्पीकर मोड पर कर दिया, पापा के हैलो बोलते ही रितेश हॉल चाल पूछने लगा, पापा ने कल रात मुझे हुए फीवर के बारे में बता दिया।
जैसे ही मेरे फीवर के बारे में रितेश को पता चला, वो चिन्तित हो गया और मुझे फोन देने के लिये कहा।

ससुर के सामने पति से चूत चुदाई की बातें

पापा ने मुझे फोन पकड़ा दिया और मेरे पीठ को अपनी बांहों का घेरा बना कर मुझे अपने से चिपका दिया।
रितेश मेरा हाल चाल लेने लगा, फिर बोला- अगर पापा तुम्हारे पास हों तो थोड़ा उनसे दूर होकर बात करो।
मैं उठकर जाने लगी तो पापा ने मोबाईल को कस कर अपने हाथों में जकड़ लिया और मेरे कान में बोले- यहीं मेरे पास रहकर बात कर लो, मैं भी सुनना चाहता हूँ कि मेरा बेटा मेरी इस प्यारी बहू को कितना प्यार करता है।

मुझे कोई तकलीफ नहीं थी, मैं पापाजी की बांहों में ही रहकर रितेश से बात करने लगी।
जैसे ही रितेश को यह विश्वास हो गया कि वो केवल मुझसे बात कर रहा है तो बोला- यार, मेरे लंड की मेरी चूत रानी, तेरी चूत का क्या हाल चाल है?
मैं भी बिंदास बोली- कुछ खास नहीं यार, बस तेरे लौड़े की याद आ रही है तो उसका पानी टप टप कर रहा है।

‘किसी से चुदवाने की इच्छा हो तो वही ऑफिस में देख… कोई जवान मर्द मिल जायेगा।’
जब रितेश ने यह बात बोली तो मैं थोड़ा शर्मा गई, पापा जी भी मेरी तरफ देख रहे थे, मैंने बात को खत्म करने के लिये बाद में बात करने की कही और फोन काट दिया।

पापाजी बोले- मतलब तुम लोग??
फिर पापा जी को मैंने पूरी कहानी बताई।

कहानी सुनने के बाद बोले- यार, मुझे पता नहीं था कि मेरा बेटा और बहू बहुत ही एडवांस हैं, अगर मुझे मालूम होता तो मैं शराफत की चादर ट्रेन में ही छोड़ देता और फिर हम दोनों खूब मजे करते हुए यहां तक आते।
मैं बोली- चलिये पापा जी, अभी भी आप खूब मजे ले सकते हैं।

पापा जी मुझसे वापस रितेश को फोन लगाने के लिये बोले और रितेश को कहने के लिये बोले कि ‘लंड का तो इंतजाम है लेकिन तुम्हारे बाप का है! देखो क्या कहता है?’
मैंने फोन लगाया तो जैसा पापा जी ने रितेश को बोलने के लिये बोला, वैसा ही मैंने रितेश को कहा।
मेरी बात को सुनने के बाद रितेश बोला- यार लंड तो लंड होता है। अगर तेरी चूत को इस समय मेरे बाप के लंड से शांति मिल सकती है तो उन्हीं से चुदवा लो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

बात सुनने के बाद मैं बोल पड़ी- यार भोंसड़ी के, तेरा बाप है और तुम कह रहे हो कि मैं उनसे चुदवा लूं?
रितेश मुझे समझाते हुए बोला- यार तुम और मैं, जैसा भी मौका मिला, लंड और चूत से खेल चुके हैं। तो अब क्या शर्माना, वैसे भी हमारी बात जब तक हम किसी को न बताये तो कैसे पता चलेगा।

मेरे पति ने मेरी मां चोद दी

फिर उसके बाद रितेश जो बोला, सुन कर मैं भी अचम्भित हो गई और पापा जी माथा पकड़ कर बैठ गये।
रितेश बोला- मैं अगर तुमसे बोल रहा हूँ कि तुम मेरे बाप से चुदवा लो तो इसका मतलब मैं भी तुम्हारी किसी प्यारी चीज की चूत पर हाथ साफ कर रहा हूँ।

मैं समझी कि सुनिधि होगी। पर जब वो बोला कि तुम मेरे बाप से चुदवा और मैं तेरी मां को चोद रहा हूँ तो मेरा माथा ठनका और मेरे ससुर जी माथा पकड़ कर बैठ गये।
मैं कुछ न तो कह सकती थी और न ही कर सकती थी।
अगर वो मेरी माँ को चोद रहा है तो इसका मतलब मेरी माँ की रजामंद होगी।
और मैं खुद उसके बाप से चुदने को तैयार थी।

मैं पापा जी की बांहो में थी और पापाजी मेरी चूची को सहलाते जा रहे थे, फिर एकाएक बोले- मेरे ही घर में कामदेव और कामदेवी है और मैं मजे के लिये तरसता रहा।
फिर बोले- कोई बात नहीं, वहाँ तुम्हारी मां चुद रही है तो तुम यहाँ मुझसे चुद कर मजा लो। अब तो मैं खुल कर तुमको चोदूंगा और तुम्हारे साथ मजा करूंगा।

मेरा दिमाग उड़ चुका था, मैं अहसास नहीं कर पा रही थी कि मैं क्या करूँ, वैसे भी मेरी मां 40 से थोड़ी ही ज्यादा की थी और उसका भी जिस्म भरा हुआ था।

तभी झकझोरते हुए पापा जी बोले- क्या सोचने लगी?
‘कुछ नहीं!
‘अरे आकांक्षा, तुम दोनों एक दूसरे के साथ कितनी सच्चाई से रहते हो। कम से कम किसी बात का पछतावा तो नहीं है।’ कहते हुए मेरी गर्दन चूमने लगे।

लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था, मैं पापा से बोली, तो वो बोले- कोई बात नहीं, जब तुम्हारी इच्छा तब हम मजे करेंगे।
फिर वो मुझे मेरा कपड़ा पहनाकर अपने कपड़े को पहन लिये।

कपड़े पहनने के बाद पापा बोले- तुम शायद इस समय अकेले रहना चाहती हो, तो मैं तब तक बाहर घूम आता हूँ।
मैंने भी हां में सर को हिला दिया।

पापाजी के बाहर जाते ही मैं लेट गई और दिमाग थका होने के कारण मुझे नींद भी आ गई।
करीब दो घंटे के बाद पापाजी वापस आये, उनके हाथ में एक बहुत ही बड़ा से केरी बैग था, कमरे में आकर मुझे जगाया।
जब मैं जागी तो मैं अपने आप को काफी फ्रेश महसूस कर रही थी।

पापाजी ने वही मेरे सामने अपने सब कपड़े उतारे और केवल लुंगी को पहन लिया। इस समय भी पापा जी का मुरझाया हुआ लंड काफी बड़ा लग रहा था।

ससुर जी ने मुझे पेशाब करवाया

मैं पेशाब करने के लिये बाथरूम की तरफ चल दी, मैं अपनी सलवार का नाड़ा खोल ही रही थी कि पापा जी भी अन्दर आ गये और अपनी लुंगी हटा के लंड को हाथ में लिये और मूतने लगे।
जैसे ही मैं अपनी सलवार को उतार कर खड़ी हुई, पापा जी ने अपने लंड को मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
अचानक लंड हाथ में आने से मेरा हाथ गीला हो गया।

जब पापाजी मूत चुके तो उन्होंने मेरी पैन्टी उतारी और मुझे पीछे से पकड़ कर इस तरह से उठा लिया जैसे किसी छोटे बच्चे को मूतने या पॉटी कराने के लिये माँ उठाती हो और जब तक मैं पूरी तरह से मूत न ली मुझे पापाजी इसी तरह से पकड़े रहे।
फिर मुझे गोदी में ही उठा कर बेड तक लाये और बैठा दिया और केरी बैग से खाने का कुछ सामान और दो बियर की केन निकाल कर मेरे सामने रख दी।

धीरे धीरे मैं एक बार फिर अपने पूरे रंगत में आ चुकी थी और भूल चुकी थी कि रितेश और मेरी मां साथ साथ हैं। मैंने पापा द्वारा लाई हुई स्नेक्स खाना शुरू किया।
पापा ने बियर की केन खोलते हुए एक खुद ली और एक मुझे दी। जानबूझ कर मैंने थोड़ी न नुकुर की लेकिन पापा जी के कहने पर ले ली।

ससुर के हाथ बहू के बदन पर

पापा जी वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गये और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया, मैं अर्द्धनग्न ही पापा की गोदी में बैठ गई।
अब हम दोनों ससुर बहू साथ साथ स्नेक्स खाने और बीयर पीने का मजा ले रहे थे।
पापा बीच बीच में मेरी चूची को दबा देते।

अब मुझे मेरे जिस्म पर पड़ा हुआ कपड़ा भारी लगने लगा। मैं चाह रही थी कि मैं पूरी नंगी ही पापा जी के गोदी में बैठ जाऊँ और वो मुझे रौंदने लगे लेकिन पापाजी का हौले हौले मेरे जिस्म को सहलाना भी मुझे बहुत मस्त कर रहा था और मैं मस्ती में कामलोक पहुंच चुकी थी।
पापाजी कभी मेरी पीठ सहलाते तो कभी मेरी कांख को सहलाते तो कभी मेरी जांघ में हाथ फेरते, कभी मेरी नाभि के अन्दर भी उंगली कर देते थे। उंगली क्या करते थे जैसे किसी परत को खरोंच कर निकाला जाता है उसी तरह पापाजी भी मेरी नाभि के अन्दर खरोंच रहे थे।

बियर पीने और पापा जी का हाथ जो मेरे जिस्म पर चल रहा था, उससे मुझे और खुमारी बढ़ती जा रही थी।
सच कहूँ मेरी चूत की आग बढ़ती जा रही थी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मैं चाह रही थी कि पापा जी मुझे पटक दें और मुझे चोदना शुरू कर दें।

तभी पापा जी अपने बियर के कन्टेनर को एक किनारे रखते हुए और अपने दोनों हाथों को मेरे कुरते के अन्दर डाल कर बोबे दबाने लगे और मेरी गर्दन को चूमते हुए बोले- आकांक्षा!
मैं मदहोशी के आलम में बोली- हूँ?

मेरी चूत और गांड चुदाई की कहानी

तो पापा जी बोले- यह बताओ तुमने अभी तक कितने मर्दों अपनी चूत और गांड चुदवाई है?
मैं उनके इस प्रश्न को सुनकर चुप हो गई, लेकिन पापा जी बताने के लिये फोर्स किये ही जा रहे थे।

उनके बार- बार पूछने से मैंने बस इतना ही बताया कि पता नहीं मेरी चूत गांड का कितने मर्दों ने मजा लिया होगा।
‘थोड़ा खुल कर बताओ?’
बस पापा जी का इतना बोलना था कि मैं घूमी और पापा जी के लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और उनकी आँखों में आँखें डाल कर बोली- मैं सच कह रही हूँ कि कितने मर्दों के लंड से मेरी चूत चुद चुकी है या कितने मर्दों ने मेरी गांड का बाजा बजाया है, मुझे अब सच में कुछ याद नहीं है। हाँ, जो भी मर्द मुझसे अपनी प्यास बुझाने की चाहत रखता है, मैं उसकी प्यास बुझा देती हूँ।

रितेश को कब पता चला कि उसके अलावा तुम औरों से भी चुदती हो और उसका क्या रिऐक्शन था?
पापाजी की बात सुनकर मैं हँसी।
मुझे हँसती हुई देख कर पूछने लगे- हँस क्यो रही हो?
मैंने बताया- रितेश ने ही मुझे सिखाया है कि चूत का मजा कैसे लिया जाता है। मैं रितेश को बहुत प्यार करती थी और आज भी करती हूँ और उसके प्यार के कारण ही मैंने ये सब किया है।

कहकर रितेश से पहली मुलाकात से लेकर जो जो कहानी घटी थी, सब मैं पापाजी को सुनाने लगी।
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बहू की गांड में ससुर की उंगली

मेरी कहानी सुनकर उनका लंड मेरी चूत के अन्दर ही उबाल मार रहा था। मेरी कहानी सुनने के साथ साथ वो मेरी चूत की चुदाई भी कर रहे थे और उनकी उंगली मेरी गांड के अन्दर तक धंसी हुई थी।

फिर अचानक मुझे रोकते हुए बोले- इसका मतलब तुम बहुत खुलकर और गन्दा से गन्दा चुदाई का खेल खेलती हो?
‘हां, अगर पार्टनर को पसन्द हो! मैं कभी भी किसी को किसी बात के लिये मना नहीं करती!’
‘हम्म, सही बताओ, क्या तुम टोनी और दूसरे मर्दो के सामने टट्टी कर चुकी हो और उन लोगों ने तुम्हारी गांड साफ की है?’
‘हां बिल्कुल वैसे ही जैसे आपने मेरी गांड साफ की थी।’
‘इसका मतलब कोई भी तुम्हारे जिस्म से कुछ भी करे, तुम उसे मना नहीं करती?
‘बिल्कुल नहीं, बल्कि मुझे भी इसमें खूब मजा मिलता है और मैं खूब उत्तेजित हो जाती हूँ।’

मेरे इतना कहते ही पापा ने अपनी उंगली मेरी गांड से निकाली और उसको अपने मुंह में रखकर चूसते हुए बोले- मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी गांड चाटो।
उनके इतना कहते ही मैं उनके ऊपर से उतर गई और उनका हाथ पकड़ कर बोली- आईये, बेड पर उल्टे लेट जाईये। हां एक बात बताईये, मैं आपके साथ कुछ भी करूंगी आप बुरा तो नहीं मानोगे?
‘बिल्कुल नहीं!’ छूटते ही बोले- बस मुझे मजा आना चाहिए।

‘तब ठीक है, आप बिस्तर पर ऐसे लेटो कि आपका कमर के ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर हो और गांड आपकी बिस्तर से बाहर हो।’
पापाजी मेरे कहे अनुसार लेट गये, मैंने तुरन्त अपने उस कपड़े को उतार फेंका जो मेरे जिस्म पर बोझ बना हुआ था, फिर मैंने दो तेज चपट पापा के चूतड़ों को लगाये और फिर उनके उभारों को फैलाते हुए उनके छेद पर अपनी जीभ चलाने लगी और उनके लंड को पकड़ कर इस तरह से सहलाने लगी, जैसे ग्वाला किसी भैंस से दूध निकालने के लिये भैंस का थन सहलाता हो।

पापा जी के मुंह से आवाजें निकलनी शुरू हो चुकी थी।

मैं उनके सुपारे को अपने नाखूनों से कुरेदती और बीच बीच में गांड चाटने के साथ साथ उनके लंड पर अपनी जीभ फेर लेती।
मेरे ससुर की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी, वो बोले जा रहे थे- आकांक्षा, अब मेरी गांड और लंड चाटना छोड़ो, अपनी योनि में मेरा लिंग ले लो, नहीं तो मेरा माल निकल कर जमीन पर गिर जायेगा।

‘क्या पापाजी?’ मैं बोली- लिंग और योनि में अटके हो आप? चूत और लंड बोलो न… मेरे कानों को यही अच्छा लगता है।
‘ठीक है, मेरा लंड अपनी चूत में ले लो, नहीं तो मेरा वीर्य जमीन में गिर जायेगा।’
‘नहीं गिरेगा, और न मैं गिरने दूंगी आपके लंड से निकलते हुए वीर्य को!’

‘मेरा निकलने वाला है आकांक्षा… उनके शब्द मेरे कानों में पड़ रहे थे और मैं लगातार उनके लंड पर अपनी जीभ चलाये जा रही थी ताकि उनका माल निकले तो सीधा मेरे मुंह में जाये।
उधर पापा जी भी दबी आवाज में चिल्ला रहे थे- आकांक्षा मेरा निकल॰॰॰॰ रहा है!

बस इतना ही कह पाये थे और उनके लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, इतना कहने के साथ ही एक हारे हुए जुआरी की तरह वो धम्म से बिस्तर पर लुढ़क गये और उनके लंड से तेज धार से निकलता हुए वीर्य मेरे मुंह के अन्दर से होता हुआ, मेरी ठुड्डी से बाहर निकल कर मेरे चूचियों से होता हुआ नीचे पेट की तरफ बढ़ रहा था।

मैंने जल्दी से पापा जी के पानी चूस कर साफ किया और खड़ी होकर पापा जी के वीर्य को एक उंगली से रोककर अपनी जीभ से उसका स्वाद चख रही थी कि पापा जी पलटे और मुझे उनका वीर्य इस तरह चाटते देखकर बड़ी आँख करते हुए बोले- आकांक्षा, तुमने तो मेरा पूरा वीर्य चाट लिया।

मैं वीर्य की अन्तिम बूंद को भी चाटते हुए बोली- तो क्या हुआ पापा जी, आपके सभी लड़कों का भी वीर्य मेरे इस मुंह ने चखा है और उन सभी ने मेरी चूत के माल का स्वाद लिया है। लेकिन अब समस्या यह है कि मेरी चूत में जो खुजली हो रही वो अब कैसे मिटेगी?

पापा जी ने मुझे अपनी गोदी में फिर से बैठाया और बोले- देखो, मैंने तो पहले ही कहा था कि मुझे अपनी चूत में मेरा लंड डालने दो, लेकिन तुम मानी नहीं और अब इसे खड़ा होने में कम से कम आधा घंटा लगेगा। तुम मेरी बात उसी समय मान लेती तो तुम्हारी चूत की खुजली भी मिट चुकी होती।

कहानी जारी रहेगी।
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