सहकर्मी आंटी को गांड मरवाने का शौक था

सहकर्मी आंटी को गांड मरवाने का शौक था

हैलो फ्रेंड्स, यह सेक्स स्टोरी आज से 6 महीने पहले की है।

मैं विक्रम कुमार जयपुर से हूँ, मेरी उम्र 26 साल है और कद 5 फीट 8 इंच है। मेरे लंड का साइज़ भी किसी अफ्रीकन जैसा लम्बा और मोटा है। आम तौर पर भारत में मेरे जैसे लंड मिलना दुर्लभ है।

अभी मैं जोधपुर के एक होटल में काम करता हूँ, इस होटल एक आंटी भी काम करती हैं.. उनका नाम सविता है। उनकी राखी नाम की एक बेटी भी है। सविता आंटी की उम्र 45 साल की है लेकिन आंटी की उम्र दिखने में 30 साल से ज़्यादा की नहीं लगती थी। उनकी बेटी की उम्र 19 साल की है। उनकी बेटी हैदराबाद से बी.टेक. कर रही है। आंटी यहीं होटल में ही रहती हैं.. उनके पति की 2009 में एक रोड एक्सिडेंट में मौत हो गई थी, तब से वो इस होटल में काम करती हैं।

आंटी का फिगर साइज़ 40-38-42 का बड़ा ही मादक है.. जब वो चलती हैं, तो उनकी गांड बड़ी ही कामुकता से हिलती है। आंटी के चूचे इतने टाइट हैं कि बिल्कुल सामने को निकल भागने की फिराक में रहते हैं।

एक दिन आंटी ने एक ड्रेस पहना हुआ था.. वो बिल्कुल ट्रांसपेरेंट था। जैसे ही मेरी नज़र आंटी पर पड़ी.. मैं उन्हें ही देखता रह गया। मैं उनके कामुक शरीर को देखने में इतना खो गया था.. कि आंटी ने मुझे कई बार आवाज़ लगाई और मैं सुन ही नहीं पाया।

फिर आंटी ने मुझे एक हल्का सी चपत मारी तो मुझे होश आया।
आंटी बोलीं- ऐसे क्या टुकुर-टुकुर कर क्या देख रहा है.. कभी कोई औरत नहीं देखी क्या?
मैं बिल्कुल चुप रहा।

फिर आंटी ने मुझसे रूम्स की डीटेल्स माँगी और हम रोज की तरह काम करने लगे। लंच टाइम में मैं अपने कमरे में चला गया।
फिर आंटी ने मुझे बुलाया और कहा- आज कुछ स्पेशल बना है.. साथ में खाएंगे।
मैंने ‘हाँ’ कहा और आंटी से बोला- मैं 10 मिनट में आता हूँ।

मैं फिर अपने कमरे में चला गया और मैंने टॉयलेट में जाकर अपने लंड को मुठ मार कर शांत करने लगा।

मुझे मुठ मारते समय आंटी का वो सीन बार-बार दिख रहा था.. जिससे मैं मेरे लंड को शांत नहीं करवा पा रहा था। मैं जोर से लंड हिलाने लगा.. वक़्त का पता ही नहीं चला। मैं आंटी के कामुक शरीर की याद में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब आंटी मेरे कमरे में आ गईं और मुझे देखने लगीं। जल्दीबाजी में मैं टॉयलेट का दरवाजा बंद करना भी भूल गया था।

फिर मुझे कुछ आवाज़ें आने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने पलट कर देखा कि आंटी ने अपनी जींस खोल कर अपनी चुत में उंगलियां घुसा रही थीं।

मैं आंटी के पास गया तो आंटी ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और कहने लगीं- आज के लिए मैं तुम्हारी रानी हूँ.. तुम जो चाहो वो कर सकते हो। मुझे चुदे 12 साल हो गए हैं। मैं बहुत प्यासी हूँ.. मुझे चोद दो मेरे राजा.. मुझे चोद दो प्लीज़।

फिर वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं और मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने भी आंटी को कसके पकड़ा और उन्हें किस करने लगा।

तभी अचानक से मेरे कमरे की बेल बजी तो मैंने फटाफट कपड़े पहने और दरवाजा खोलने लगा, तब तक आंटी बाथरूम में चली गईं।

गेट पर हमारे होटल के स्टाफ का एक मेंबर आया था और उसने कहा- मेम को सर ने बुलाया है।
मैं बोला- मेम अभी खाना खा रही हैं.. वो थोड़ी देर में आ जाएंगी।
स्टाफ का वो आदमी चला गया।

फिर मैंने गेट बंद किया और अन्दर आ गया।
आंटी बोलीं- राजा अपनी रानी को कपड़े पहना दो।
मैं आंटी को कपड़े पहनाना शुरू किया।

आंटी इस समय बिल्कुल नंगी थीं और उनकी चुत भी क्लीन शेव्ड थी। आंटी ऐसा गोरा-चिट्टा रंग कि पूछो ही मत।

मैंने पहले आंटी को पेंटी पहना दी। पेंटी ब्राउन कलर की थी और पेंटी में चुत के ऊपर वाले हिस्से में नेट लगा हुआ था। अब ब्रा पहनाने की बारी आई। आंटी की ब्रा भी ब्राउन कलर की थी और मम्मों के निप्पलों के ऊपर के हिस्से से ब्रा में भी नेट लगा हुआ था।

जैसे ही मैंने ब्रा पहनाई.. तो आंटी के चूचे आपस में ऐसे चिपक गए कि वो फिर से आजादी माँग रहे हों।

अब मैं थोड़ी से शैतानी पर आ गया और आंटी के एक दूध के निप्पल को मुँह में लेने लगा और दूसरे को उंगलियों से दबाने लगा।
लेकिन आंटी ने मुझे रोक दिया और कहने लगीं- बॉस बुला रहे हैं.. अभी नहीं बाद में करेंगे।
मैंने ‘ओके’ कहा।

अब आंटी टॉप और जीन्स पहनने लगीं।

हम लोग बाहर चले गए.. मैं रिसेप्शन पर और आंटी बॉस के केबिन में चली गईं। थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझे बुलाया.. मैं डर गया कि कहीं आंटी ने बॉस को कुछ बता तो नहीं दिया।

अब मैं डरता-डरता बॉस के केबिन में चला गया।

बॉस ने मुझसे कहा- तुम्हें और सविता जी को हमारे उदयपुर वाले होटल को संभालना है.. और आप दोनों के लिए वहाँ एक घर भी है। आप वहाँ भी रह सकते हैं और होटल में भी रह सकते हैं, ये आप दोनों की इच्छा पर निर्भर होगा।
मैंने खुश होकर ‘हाँ’ कर दी और हम दोनों उदयपुर जाने की तैयारी करने लगे।

डिनर के वक़्त आंटी मेरे पास आईं और मुझे आँख मारकर बोलने लगीं- अब मैं और तुम और सेक्स ही सेक्स बस..

आंटी के चेहरे की खुशी और दिनों की खुशी से अलग थी.. इसलिए मुझे भी इस सबमें कुछ बुरा नहीं लगा। वैसे भी मुझे कहीं भी भेजा जा सकता था क्योंकि मैं अकेला ही था.. मेरे पेरेंट्स नहीं हैं।

हम दोनों लोग उदयपुर के लिए रवाना हो गए। रास्ते में आंटी मुझसे और ज़्यादा घुलमिल गईं और अब हम हर टाइप की बातें करने लगे।

उदयपुर पहुँचने के बाद आंटी और मैं सीधे हमारे होटल में गए और एक कमरे में सामान रख कर होटल का सर्वे करने लगे, उधर का एक सीनियर स्टाफ हमारे साथ हो गया।

हम लोग बहुत थक गए थे और भूख भी लग रही थी।
खाना ख़ाकर मैं थोड़ा टहलने जाने लगा.. तो आंटी भी मेरे साथ आ गईं।

फिर हम मार्केट की तरफ निकल गए। रास्ते में एक दुकान पर लिंगरीज का सैट बाहर डेमो पर लगा हुआ था, आंटी को पसंद आ गया और आंटी मुझे दुकान के अन्दर ले गईं.. उन्होंने और भी सैट देखे फिर एक खरीद लिया.. और फिर वापस होटल में आकर सो गए।
होटल में 3 कमरे वहाँ के रूम सर्विस स्टाफ के लिए थे।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.. उस सीनियर स्टाफ के कारण आंटी की चुत नहीं चोद पा रहा था।

अब हम लोग उस घर में चले गए, जो सर ने हमें रहने के लिए दिया था। घर होटल से 10 मिनट की दूरी पर ही था। यहाँ शिफ्ट होने में हमें 3-4 दिन लग गए।

इन दिनों हम लोग बिल्कुल फ्री थे.. तो हम लोग भी उदयपुर घूमने लगे। सुबह घूमने निकल जाते और रात को थके-हारे वापस आते। शहर को 2-3 दिन में हम लोगों ने पूरा घूम लिया था।

अब सुबह मैं और आंटी होटल चले जाते और शाम को जल्दी आ जाते मगर इन दिनों आंटी की मासिक साइकिल शुरू हो गई थी तो कुछ भी जुगाड़ नहीं बन रहा था।

पांच दिन बाद मासिक खत्म होने के बाद शाम को आंटी बाथरूम में गईं.. बहुत देर तक नहीं आईं तो मुझे टेन्शन हुई। मैंने बाथरूम के की-होल से देखा, आंटी अपनी चुत में उंगली कर रही थीं।

मैं ये देख कर अपने लंड को हिलाने लगा और पूरी तरह से मदहोश हो गया।

आंटी को भी पता लग चल गया था.. तो उन्होंने गेट खोल दिया और कहा- राजा, आज रानी की चुदाई करोगे!
मैंने खुश होकर कहा- हाँ आंटी ज़रूर.. आपका ये राजा तैयार है।

बस आंटी मुझसे लिपट गईं।

कुछ देर चूमाचाटी के बाद हम दोनों अलग हुए और खाना आदि खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि कुछ देर मुझे कमरे में अलग छोड़ दो मुझे कुछ काम है।

मैं छत पर घूमने चला गया.. आंटी कमरे में घुस गईं। कुछ देर बाद जब मैं रूम में आया.. तो मैंने देखा कि रूम ऐसा लग रहा है जैसे किसी की सुहागरात हो।

आंटी बिस्तर पर दुल्हन के लिबास में बैठी थीं। आंटी ने मुझे देखा तो शर्माते हुए कहने लगीं- राजा आपका ही इन्तजार था.. मेरे करीब आ जाओ।

मैं आंटी के पास जाकर उनका घूँघट उठाया और उनके होंठों पर किस करने लगा। कुछ मिनट तक मैंने किस किया तो आंटी के शरीर में अजीब किस्म की कंपन सी होने लगी।

अब मैंने अपने कपड़े उतारे और आंटी के पूरे शरीर को चूमने लगा।

मैंने आंटी के ब्लाउज का हुक खोल दिया आज आंटी ने अन्दर फुल नेट की ब्रा पहन रखी थी.. वो भी ब्लैक कलर की। इसमें आंटी बड़ी हॉट और सेक्सी लग रही थीं।

अब मैं उनकी नाभि को किस करने लगा और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा।

आंटी पूरी तरह से गर्म होने लगीं और अपने पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चुत को रगड़ने लगीं।

अब मैंने आंटी का पेटीकोट भी अलग कर दिया। आंटी ने ब्लैक कलर की नेट वाली पेंटी पहन रखी थी।
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आंटी बार-बार मेरे लंड को छूने की कोशिश करने लगी। फिर मैंने उनके हाथ बाँध दिए और उनकी तड़प को बढ़ाने लगा। काफी देर तक मैं अपनी उंगली और जीभ से ही उनकी चुत और नाभि को चूमता और चूसता रहा।
कुछ मिनट में आंटी का माल निकल गया.. आंटी झड़ चुकी थीं।

अब मेरा लंड भी आंटी की चुत में जाने के लिए तड़प रहा था। लेकिन अभी आंटी के मुँह में लंड को देने की बारी थी, मैंने अपना लंड आंटी के मुँह में दे दिया। चूँकि आज मैं फर्स्ट टाइम किसी के साथ सेक्स कर रहा था, इसलिए कुछ ही देर में मैं भी झड़ गया। आंटी का पूरा मुँह मेरे माल से भर गया था।

अब मैंने आंटी के हाथ खोल दिए.. और आंटी की चुत को किस करके अपने लंड को उनकी चुत पर लगा दिया। लंड के स्पर्श से आंटी ने चुत और खोल दी। मैंने पहला धक्का दिया तो थोड़ा सा लंड अन्दर घुस गया।
आंटी के मुँह से जोर से आवाज़ आई- अह.. मर गई.. फाड़ ही देगा क्या.. तेरा बहुत बड़ा है.. छोड़.. मुझे नहीं चुदना!
लेकिन मैं नहीं माना और मैंने फिर से एक जोर से धक्का लगा दिया।
आंटी तड़फ कर छटपटा उठीं, पर मेरी मजबूत पकड़ से छूट नहीं पाईं।

इस बार मेरा पूरा लंड आंटी की चुत में जा चुका था और आंटी की चुत लगभग फट चुकी थी। आंटी की चुत से खून निकल आया था और आंटी भी बेहोश हो गई थीं।

मैं थोड़ा डर गया था.. लेकिन मैंने अपना लंड नहीं निकाला और आंटी के ऊपर ही लेट गया।

कुछ देर बाद आंटी को होश आया और मैं फिर से शुरू हो गया। अब आंटी भी सपोर्ट करने लगीं। शुरू में तो मैं धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा और फिर मैं स्पीड में आ गया।

चुदाई के साथ साथ मैं आंटी को किस कर रहा था और उनकी चूचियों को पिए जा रहा था। आंटी की चूत की प्यास भी बुझने लगी थी।

करीब 15 मिनट बाद आंटी अपने उफान पर आ गई थीं। अगले दो धक्कों में आंटी का रस निकल गया। वो झड़ कर एकदम निढाल हो गई थीं।
अब वो मुझे रोक रही थीं- अब मेरे बस की नहीं है.. तुम बस करो..!

लेकिन मैं तो अभी तक झड़ा ही नहीं था, तो चुत को चोदना कैसे रोक देता। बस 5 मिनट बाद मैं भी झड़ गया और मैंने लंड को चुत से खींच कर पूरा माल आंटी के मुँह में डाल दिया।
अब मैं ओर आंटी नंगे ही लेट गए।

कुछ देर बाद आंटी खड़ी हुईं और बाथरूम में चली गईं.. वो नहाने लगीं।
मैं भी उनके साथ अन्दर चला गया और नहाने लगा, हम दोनों एक-दूसरे को मलने लगे और नहलाने लगे।

कुछ देर बाद आंटी मेरे करीब आकर मेरे शरीर को किस करने लगीं और पलट कर अपनी गांड को मेरे लंड से रगड़ने लगीं।

आंटी अभी भी भूखी लग रही थीं। उनकी चुत की खुजली मिट चुकी थी.. लेकिन पीछे की गांड मरवाने की चाहत अधूरी थी।

अभी रात के 2:30 बज गए थे। मैंने आंटी से कल गांड मारने की बात कही और हम दोनों अंडरगार्मेंट्स में ही सो गए।

सुबह आंटी चाय बनाकर लाईं.. उन्होंने मुझे उठाया और किस करने लगीं।
आंटी बोलीं- फटाफट रेडी हो जाओ.. आज बॉस आने वाले हैं। तुम अपने रूम में शिफ्ट हो जाओ.. और फिर होटल चलो।

मैंने चाय पी.. फिर फ्रेश हो कर रेडी हो गया और होटल जाने लगा।
तभी आंटी ने मुझे रोका और अपने साथ जाने के लिए कहा।

मैं और आंटी होटल गए। शाम में बॉस का फोन आया कि वो आज नहीं आ पाएंगे.. तो हम लोगों ने भी आज होटल में रुकने का प्लान किया।

हम होटल में रुके और मैं आंटी और वहाँ के एक सर्विस रूम में रुक गए।

रात को अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि आंटी रूम में नहीं हैं। मैं उन्हें ढूंढता-ढूंढता होटल के कॉमन टॉयलेट में चला गया.. वहाँ आंटी अकेली ही थीं।

मैंने पूछा- आंटी क्या हुआ?
तो आंटी ने कहा- खुजली हो रही थी.. बस वही मिटाने यहाँ आ गई।

उनके हाथ में एक मूली थी.. जिस पर माल लगा था। मैंने आंटी को कसके पकड़ा और वहीं उनके सारे कपड़े उतार दिए।

आज उन्होंने अपनी गांड आगे कर दी तो मैं उनकी गांड मारने लगा। ऐसा लगता था कि आंटी को गांड मराने का बड़ा शौक था.. बड़े आराम से मेरा मूसल लंड आंटी की गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था।

आंटी की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था.. मैं कभी उन्हें घोड़ी बना कर पेल रहा था.. तो कभी खड़े करके चोद रहा था।
कुछ देर चुदने के बाद आंटी को सुकून मिल गया।

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