साली की बेटी को बेटे का तोहफा दिया -1

साली की बेटी को बेटे का तोहफा दिया -1

दोस्तो, आज आपके लिए पेश है, आप जैसे ही मेरे एक पाठक की सच्ची कहानी, जो उसने खुद मुझे बताई।
अब मैं उसको अपनी तरफ से संपादित करके और उसमें कुछ थोड़े और मसाले डाल कर, ताकि आपको और स्वाद आए, आपके लिए पेश कर रहा हूँ।
दोस्तो मेरा नाम रंजीत है और मैं लुधियाना, पंजाब में रहता हूँ। मेरी एक बड़ी साली है जो अम्बाला में रहती है, उसकी दो बेटियाँ हैं।
अब मैं आपको बता दूँ कि हर मर्द की तरह मैं भी बहुत दिल फेंक किस्म का आदमी हूँ। ट्राई तो मैंने बहुत की अपनी साली पर मगर वो साली मुझसे नहीं पटी।
चलो कोई बात नहीं, उसका नाम लेकर कई बार अपनी बीवी को चोद दिया और इस तरह से अपनी इच्छा को शांत किया।

वक़्त बीतता गया, जो उसकी दो छोटी छोटी बेटियाँ थी जवान होने लगी, अब जब उसकी बेटियाँ जवान हुई तो उनकी जवानी को देख कर मेरे कलेजे पे साँप लोटने लगे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

बहुत इच्छा थी कि इन दोनों में से किसी एक लड़की को तो चोदने का मौका मिले, मगर ऐसा भी नहीं हुआ बल्कि बड़ी लड़की लवलीन, जिसे सब प्यार से लव कहते थे, उसका किसी लड़के के साथ चक्कर चल गया और उसने उस लड़के से शादी कर ली।
मतलब अब मेरे पास सिर्फ एक मौका, और एक छोटी वाली लड़की ही रह गई थी, अगर मैं उसको चोद पाता तो ठीक, वर्ना उनमें से तो मुझे किसी भी नहीं मिलने वाली थी।

धीरे धीरे करके बड़ी लड़की की शादी को भी दो साल से ऊपर हो गए।
एक दिन पत्नी ने बताया- हमें दीदी के पास अम्बाला जाना है।
मैंने पूछा- क्यों?
बीवी बोली- अरे वो लव आई हुई है, उससे भी मिल लेंगे, और दीदी से कोई बात भी करनी है मैंने!
मैंने पूछा- क्या बात करनी है?
तो बीवी थोड़ा खीज के बोली- अरे है कोई लेडीज़ की बात, आपने क्या करना है जान कर?
मैं भी चुप हो गया।

अगले दिन हम अम्बाला चले गए, वहाँ सब से मिले, लव पहले से मोटी हो गई थी, पहले तो बड़ी पतली दुबली सी थी, मगर अब उसका बदन भर गया था, चूचियाँ बोबे बन गई थी, चूतड़ भी पहले की निस्बत भारी हो गए थे।
मुझसे वो गले मिल कर मिली, उसके गोल और विशाल बोबे मेरे सीने से लगे, आह क्या आनन्द आया। अब तो बस यही आनन्द रह गया था मेरी किस्मत में!
छोटी वाली कमल भी मिली, मगर गले नहीं मिली…
चलो…
चाय वाय पी, उसके बाद मैंने अपने साढू से बात करने लगा, लेडीज़ सब अलग बैठ गई।
समय बीतता गया, शाम को हमने पेग शेग भी लगाया, हंसी मज़ाक करते बातें करते हम खाना खा के सो गए।
पहले दिन कोई बात नहीं हुई।

अगले दिन बीवी ने बताया कि लव की शादी के कोई दो साल बाद भी बच्चा नहीं हो रहा, इस लिए घर में सब परेशान हैं।
मैंने मन में सोचा, साली मुझे एक मौका दे, चोद चोद के न गर्भवती कर दिया तो कहना।

सुबह नाश्ता करके साढू साहब तो अपने ऑफिस चले गए, मैं लेट उठा था तो वैसे ही जा कर डाइनिंग टेबल की कुर्सी खींच कर बैठ गया।
लव आकर मुझे चाय दे गई।
उसने एक टाईट से टी शर्ट और कॉटन की खुली सी स्कर्ट पहन रखी थी। पंखे की हवा से उसकी स्कर्ट उड़ तो रही थी, मगर इतनी नहीं के मुझे उसके घुटनो से ऊपर कुछ दिखाई दे जाता।
हाँ, घुटनों के नीचे से उसकी वेक्स की हुई चिकनी गोरी संगमरमर सी टाँगें बहुत खूबसूरत थी।
बड़ी इच्छा उठी दिल में कि काश मैं इसकी सारी टाँगें नंगी देख पाता।

तभी मेरा ध्यान, नीचे फर्श पे गया। फर्श पे जो उन्होने टाइल्स लगा रखी थी, वो तो शीशे की तरह चमक रही थी और उसी शीशे जैसी चमकती फर्श में मैंने लव की गोरी चिकनी टाँगो का प्रतिबिंब देखा।
‘अरे वाह…’ मेरे मन में आवाज़ आई, ये उसकी पूरी टाँगे नंगी दिख गई मुझे।

मुझे चाय दे कर लव पास में लगी शेल्फ पर रखी अखबार देखने लगी, और मेरा सारा ध्यान सिर्फ फर्श पर था। फर्श पर बनने वाले प्रतिबिंब में मैं उसकी पूरी टाँगें नंगी देख कर मज़े ले रहा था। मन में सोचा- चलो साली के नंगी टाँगे तो दिखी, मगर अगर इसको चोदने का मौका मिल जाए तो ज़िंदगी का मज़ा आ जाए।

खैर उसके बाद मैं नहा धो कर तैयार हो गया। जाना कहीं नहीं था, बस वैसे ही।
उसी दिन दोपहर के बाद सब लंच के बाद आराम कर रहे थे, तो मैं अकेला ही लेटा था कि लव मेरे पास आई, उसने वही टी शर्ट और कॉटन की फ्रॉक पहन रखी थी।
मैं बेड पे लेटा था तो वो भी मेरे पास आकर बैठ गई।

मैंने पूछा- और सुनाओ बेटू, क्या हाल चाल हैं, तुम्हारे?
वो बोली- बस मासड़ (मौसा) जी ठीक ही हैं।
‘ठीक ही हैं? इतना उदास हो कर क्यों बोल रही हो, अभी तो तुम्हारी शादी हुई है, अपनी ज़िंदगी के मज़े लो, अभी से इतनी उदासी?’ मैंने उसे टटोला।

वो बोली- वो बात नहीं मासड़ जी, हर कोई मेरे पीछे पड़ा है, बच्चा पैदा करो, बच्चा पैदा करो, दुखी आ गई मैं इन सब बातों से।
‘तो बेटा, अब तो तो तुम्हारी शादी को 2 साल से ऊपर हो गया है, अब तो यह बात जायज़ है।’ मैंने कहा।
‘वो तो ठीक है, मासड़ जी, पर मैं क्या करूँ, जब होगा तो होगा!’ वो काफी खीज कर बोली।
‘तो टेस्ट वगैरह करवाए सब तुम लोगो ने?’ मैंने पूछा, क्योंकि अब मेरे मन में एक और विचार जन्म ले रहा था।
‘जी मासड़ जी, सब करवाए, सब नॉर्मल हैं, मुझमें या इनमें कोई कमी नहीं, पर पता नहीं बेबी कनसीव क्यों नहीं हो रहा?’
अब गाड़ी मुझे कुछ कुछ पटड़ी पर आती दिखी।

‘तो बेटा कोई और तरीका इस्तेमाल कर के देखो?’ मैंने सलाह दी।
‘अब तो मासड़ जी एक ही तरीका बचा है!’ उसने बड़े विश्वास से कहा।
‘वो क्या?’ खैर मुझे पूछना तो नहीं चाहिए था क्योंकि वो मेरे बच्चों की जगह लगती थी, पर मेरी ठरक ने मुझे पूछने पर मजबूर ही कर दिया।
‘वो यह कि मैं किसी और के साथ ट्राई करूँ!’ उसने मेरी आँखों में देख कर कहा।
बाई गोड… मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए… मैं उठ कर बैठ गया- यह क्या कह रही हो बेटू?
मैंने नकली हैरानी ज़ाहिर करते हुये पूछा।
‘जी, आपने ठीक सुना!’ वो बोली।
मैंने मन में कहा- भाई अगर तू अपनी दावेदारी पेश कर दे तो हो सकता है जिसे तू शादी से पहले न चोद सका अब चोदने को मिल जाए।

पता नहीं क्यों, पर मैं कह बैठा- कोई देखा क्या?
उसने बड़ी हैरानी से पहले मेरी तरफ देखा और बोली- नहीं, पर सोच रही हूँ, ऐसा कौन हो सकता है, जो मेरा या काम भी करदे और मेरे राज़ को राज़ भी रखे और जिस पर मैं भरोसा भी कर सकूँ।
मेरा मन तो उछल पड़ा।
मैंने कहा- देखो बेटा, मुझे नहीं पता के तुम्हारे मन में कौन चल रहा है, पर तुम्हारी ये सारी शर्तें मैं भी पूरी कर रहा हूँ!

कहने को तो मैंने कह दिया पर गान्ड मेरी फटी पड़ी थी।
कहानी जारी रहेगी।
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