शादी से पहले अलीशा ने रोज़ लिए चुदाई के मज़े

शादी से पहले अलीशा ने रोज़ लिए चुदाई के मज़े

नमस्कार दोस्तो.. मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ.. जो आप मेरी कहानियों को इतना प्यार बख्शते हो.. मुझे ईमेल करते रहते हो और मुझे बहुत देर तक याद भी रखते हो।

जैसे कि मेरे चुनिन्दा दोस्तों को तो मालूम है कि मैं अपने काम में काफी बिजी रहता हूँ.. इसलिए कहानी लिखने के लिए समय कम मिलता है.. परन्तु फिर भी मैं कोशिश करता हूँ कि ज़ल्दी से ज़ल्दी आप तक अपनी हाजिरी लगवाता रहूँ।

दोस्तो, यह कहानी मेरी एक पाठिका और दोस्त.. जो जयपुर से है.. उसने भेजी है और उसने अपनी जुबानी मुझे बताई है.. तो मैं आपको उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ।

मेरा नाम अलीशा है.. मैं जयपुर की रहने वाली हूँ.. अन्तर्वासना की रीडर भी हूँ और रवि जी की कहानियाँ मुझे बहुत पसंद आती हैं।

मैंने यहाँ पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और बहुत बार सोचा है कि मैं भी अपनी आपबीती दास्तान यहाँ आप तक पहुँचाऊँ।
आज मैं रवि जी के माध्यम से आप सब तक अपनी वो आपबीती भेज रही हूँ।

अभी मैं शादीशुदा हूँ पर यह बात तब की है जब मेरी शादी नहीं हुई थी और मैं उस वक्त 12वीं कक्षा में पढ़ती थी।
मुझे मेरे घर के पास में रहने वाले एक लड़के से बहुत प्यार हो गया था, उसके साथ हमारे फैमिली रिलेशन बहुत अच्छे थे, उसका हमारे घर पर आना-जाना लगा रहता था।

मैं भी जब घर पर अकेली होती तो उसे फ़ोन करके बुला लेती.. वो कभी मेरे मम्मों को दबाता.. कभी निप्पल पकड़ता और कभी चूचियाँ मसल कर चला जाता।
मेरा भी मन करने लगता कि मौका पकड़ मैं भी इसका लण्ड देखूँ.. उसे दबाऊँ और उसका लण्ड सहलाऊँ.. पर संकोच कारण मुझे कभी ऐसा वक्त नहीं मिल सका था।

पर एक तरफ मैं यह भी सोचती थी कि नहीं ये सब कुछ शादी के बाद करना ही सही है।

एक दिन उसने मुझे सेक्स कहानियाँ की एक किताब लाकर दी। मैंने उसमें लिखी हॉट कहानियाँ पढ़ कर कई बार अपनी चूत में उंगली की और मेरा दिल किया कि अब तो सच में अपनी चूत का उद्घाटन करवा ही लूँ.. परन्तु फिर भी कहीं न कहीं यह सोच थी कि अभी शादी नहीं हुई।
इस तरह जब भी चुदाई की कहानी पढ़ती तो मेरी चूत और पैंटी दोनों गीली हो जाती थीं।

आखिर एक दिन मैंने उसे अपने मन की बात बता ही दी और उससे कहा- जब भी मैं यह बुक पढ़ने लगती हूँ.. तो मुझे कुछ कुछ होने लगता है और मेरी पैंटी गीली हो जाती है।

तो वो बोला- अरे कोई बता नहीं जानेमन.. इसका इलाज़ है मेरे पास.. आज रात को हम फ़ोन पर बातें करेंगे।
ये कहकर वो चला गया.. रात हुई और मैं उसके फ़ोन का इंतज़ार करने लगी.. सभी सो गए थे।

उसका फ़ोन आया और बोला- आई लव यू जानेमन..
मैंने भी कहा- आई लव यू टू जान..
उसके बाद उसने दो-चार बातें करने के बाद कहा- आज हम दोनों निकाह करेंगे।
मैंने उससे कहा- ठीक है.. पर कैसे?
उसने कहा- तुमको सिर्फ ‘कबूल है’ बोलना है.. फिर हमारा निकाह हो जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है..
वो बोला- तुम्हें मेरे साथ निकाह कबूल है?
मैंने कहा- कबूल है..

उसने ये बात तीन बार दुहराई और मैंने तीन बार कहा ‘कबूल है..’
तो उसके बाद उसने ख़ुशी से कहा- अब हमारा निकाह हो गया।

हमने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी और हमने प्लान बनाया कि दूसरे दिन रात को जब सब सो जायेंगे.. तो मैं अपने घर का पीछे का दरवाजा खुला रखूंगी और वो इस दरवाजे से मेरे कमरे में आ जाएगा।

वैसा ही हुआ.. वो रात को पीछे के दरवाजे से मेरे कमरे में आ गया। मैंने उस दिन उसकी तरफ से गिफ्ट दी हुई ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी। मैंने अपने बाकी के कपड़े पहले ही उतार रखे थे।

वो आते ही मुझे चूमने लगा.. मैं थोड़ा थोड़ा शर्मा रही थी। उसने पहले मेरे लब चूमे.. फिर मेरा बदन चूमता हुआ नीचे की ओर जाने लगा।
मैं भी उसका साथ दे रही थी.. साथ-साथ मैं भी उसे कस कर पकड़ने लगी थी और मैं एकदम गर्म हो गई थी।
किसी मर्द का इस कदर स्पर्श ज़िन्दगी में पहली बार पाया था।
मैंने भी धीरे-धीरे उसकी कमीज़ उतार दी और पैन्ट भी..

उसके बाद उसने मेरी ब्रा उतारने के बाद.. एक हाथ पैंटी के अन्दर डाला और मेरी चूत को मसलने लगा..
मैं तो जैसे मर ही गई.. मुझे इतना मज़ा आ रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ।

उसने एक झटके में मेरी पैंटी उतार कर साइड पर फैंक दी।
मैंने भी जोश में आकर उसका अन्डरवीयर उतार कर उसे अल्फ नंगा कर दिया।
अब हम दोनों अल्फ नंगे थे।

मैंने उसका लण्ड पकड़ा और हाथ से थोड़ा सहलाना शुरू कर दिया। मैं जैसे-जैसे उसका लण्ड सहलाती.. वो और बड़ा होता जा रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जब लण्ड अपने जोश में आ गया तो मैंने उसके लण्ड पर किस कर दी, उसने भी मेरा सर पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लौड़ा दे दिया। उसका 7 इंच का लौड़ा मैंने अपने मुँह में ले लिया था और उसे ऊपर- नीचे करके चूसे जा रही थी।

ऊपर से वो मेरे मम्मों को दबा रहा था और अपने मुँह से मजेदार सिसकारियाँ लेते हुए.. मेरे सर को भी आगे-पीछे कर रहा था।

मैं उसके लण्ड का लाल रंग का सुपारा पकड़ कर अपने मुँह में आगे-पीछे कर रही थी। मुझे उसकी सिसकारियाँ सुनकर और मज़ा आ रहा था, मैं उसका मोटा लण्ड लगातार पागलों की तरह चूसती ही जा रही थी।

फिर उसने एकदम अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला और मुझे उठाया और मेरी गाण्ड के नीचे हाथ डाल कर उठा कर मुझे बिस्तर पर बिस्तर पर लिटा दिया, उसने मेरी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रखी और मेरी चूत को किस करने लगा और वो मेरी चूत को जैसे ही चूसने लगा.. मैं तो जैसे फिर से जन्नत में पहुँच गई।

वो मेरी चूत को चूसे ही जा रहा था और अब तो उसने हद ही कर दी.. अपनी जीभ तक मेरी चूत में डाल दी थी, मैं तो जैसे आसमान में उड़ रही थी, उसकी जीभ ने मेरी चूत के अन्दर जाकर मुझे रस से भर दिया था।

मेरे जवान निप्पल.. रसभरी चूचियां सब मस्त हो गई थीं, मेरा शरीर जैसे मानो शरीर न होकर बस मज़े का भण्डार हो।
सच में.. मेरी पहली रात का क्या मस्त सीन था.. मेरा हर अंग मज़े से भर गया था.. मैं सोच रही थी.. अभी तो लण्ड लेना बाकी है। अगर अभी इतना मज़ा आ रहा है तो जब लण्ड मेरी चूत में जाएगा तब कितना मज़ा आएगा।

वो मेरी नंगी चिकनी चूत को चाटता ही जा रहा था। कभी उसमें जीभ से कुरेदता.. कभी उसके दाने को खाने लगता। मेरी तो सिसकारियाँ निकलने लगतीं ‘उन्ह.. आं.ह. .सी..स.. आह्ह.. चोद.. लो. .आह्ह. आशु.. प्लीज़.. चाट ले.. मेरी जवानी.. उई.. आह. सी.. सी..’

मेरे मुँह से लगातार ये आवाजें निकल रही थीं।

जब मेरी चूत पानी छोड़ने के बिल्कुल करीब होती.. तभी वो फिर मेरी चूत चूसना छोड़ कर मेरे मम्मों को चूसने लगता। मानो वो मुझे बार-बार बहुत ज्यादा तड़पा रहा था।
जब हद हो गई.. तो मैंने बोल ही दिया- आ..ह ब..स.. उई.. अ..ब.. करो.. जान.. प्ली.ज़..

वो मेरी चूत के अन्दर जीभ डाल कर उसे अन्दर से गोल-गोल घुमा रहा था और जीभ को जब वो पूरा गोल घुमा देता तब मुझे ये लगता जैसे मेरी चूत के अन्दर जीभ पूरी तरह से गोल घूम रही हो और मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आता।

अब जब मुझे बर्दाश्त से बाहर हो गया.. तो मैंने थोड़ा खुल कर सिसकी लेते हुए कहा- उई..आ.. शु अ.ब.. डा.ले.गा.. भी.. या जी..भ.. से. ही. चो.. द.. कर. छो.ड़.. दे..गा..

मेरे इतना कहने भर की देर थी कि आशु ने तुरंत मेरी चूत से अपनी जीभ बाहर निकाली और अपना लण्ड मेरी चूत पर सैट कर दिया। अब उसने मेरी दोनों टाँगों को कस कर पकड़ा और एक जोर का झटका लगया.. तो मेरी चूत के फाटक जैसे पहले से ही उसके लण्ड को निमंत्रण दे रहे थे.. एकदम खुल गए और उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया।

थोड़ा ही लण्ड घुसा था उसके आगे जैसे ब्रेक लग गई हो.. उसके बार-बार झटके लगाने पर भी लण्ड आगे नहीं जा रहा था। मैंने उसके लण्ड को बाहर निकाला और उसके लण्ड पर तेल की थोड़ी मालिश की। उसने भी मेरी चूत पर थोड़ा सा तेल लगाया.. और दुबारा लण्ड को डाला तो लण्ड ज़ल्दी ही अन्दर घुस गया।

अब उसका लण्ड तो मेरी चूत में समाँ गया.. परन्तु मुझे इतना ज़ोरदार दर्द हुआ कि मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी कि क्योंकि अगर चिल्लाती.. तो घर में कोई भी उठ सकता था।

थोड़े दर्द के बाद मैंने भी उसका साथ देना शुरू किया और मुझे भी मज़ा आने लगा, अब हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी चूत की तो मानो जैसे लाटरी लग गई थी.. बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं उसके हर झटके का जवाब मजेदार सिसकारी के साथ देती।

अब हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे.. सेक्स के मज़े का जादू हम दोनों पर सर चढ़ कर बोल रहा था।
‘आह्ह.. आ..ह. उहई. चोद जान.. चोद.. दे आज.. मेरी.. जवानी.. तेरी.. आ..ज से.. मेरी.. जवानी.. ते..री.. है.. आशु पी ले. मुझे.. भर ले अपनी.. बांहों.. में आह्ह.. आह्ह.. चोद.. मेरी.. चूत.. चोद.. दे.. आह्ह उहई. उ..ई..’

मैं ऐसे पता नहीं क्या-क्या बोल रही थी.. ऊपर से आशु भी सिसकता हुआ मुझे बोल रहा था- उ..ई जानेमन.. आ..ह .आह्ह. उहई. चुद जा.. मेरे लौ.ड़े.. से।

इस तरह कहते-कहते उसके लण्ड ने अपना सारा पानी छोड़ दिया जो मेरी चूत में भर गया। मुझे इस सब में बहुत ज्यादा मज़ा आया। उस रात के बाद तो हम दोनों रोज़ रात को 2 बजे से लेकर 4 बजे तक खूब चुदाई करते। मैं अपना पीछे का दरवाजा खुला रखती और वो उसी दरवाजे से आता और उसी दरवाजे से वापिस चला जाता।

हम दोनों बहुत मस्त चुदाई करते। हमारा यह खेल करीब 2 साल तक चला, दो साल हमने जम कर चुदाई की। इसके अलावा हमने और भी कई जगह चुदाई की। फिर तो हम कालेज भी दोनों एक साथ ही कालेज आते और एक साथ ही जाते। उसकी बाइक के पीछे बैठ कर जब मैं जाती तो आगे से उसकी जिप खोल कर मैं उसका लण्ड निकाल लेती और उसे सहलाती रहती।

ऐसे भी हम मज़ा लेते.. कभी-कभी सुनसान राहों पर बाइक रोक कर हम एक-दूसरे के अंगों से खेलते.. वो मेरे मम्मों को दबाता.. मैं उसके लण्ड को सहलाती।

इस तरह हम बहुत मस्ती करते। इसके अलावा हमने कई बार चुदाई भी की.. कई बार हम कालेज से बंक करके भी चुदाई करते.. हमने होटल में भी कई बार चुदाई की।

ऐसे काफी समय तक चला। फिर उसके बाद आशु की शादी हो गई और कुछ दिन बाद मेरी भी शादी हो गई।
हम दोनों अपनी असली लाइफ में आ गए।

अब मैं सिर्फ अपने हजबैंड से ही चुदती हूँ.. पर वो हसीं यादें कई बार याद आ जाती हैं। मैं रवि जी की कहानियों की फैन हूँ.. इनकी हर कहानी पढ़ती हूँ। ऐसे ही मैंने भी सोचा कि रवि जी के जरिए आपको भी एक असली आपबीती की कहानी आप तक पहुँचा दूँ। रवि जी का और आप सभी दोस्तों और अन्तर्वासना का धन्यवाद करती हूँ.. जो आप सब मेरी स्टोरी को यहाँ पढ़ रहे हो।

दोस्तो.. यह एक सच्ची कहानी है.. जो मेरी दोस्त अलीशा के साथ आपबीती है.. इसी लिए इसमें ज्यादा मसाला नहीं लगाया गया और गालियों से भी परहेज़ किया गया है। सिर्फ असलियत को ही दिखाया गया है। जैसा मुझे अलीशा ने बताया है.. मैंने वैसे ही उसकी असलियत बयान की है।

अब आप सभी दोस्तों को निवेदन है कि वो अलीशा की ईमेल या उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में मुझसे कोई भी सवाल मत करें.. ऐसी मेल को तुरंत डिलीट किया जाएगा और बार-बार एक ही मेल आईडी से आने वाली ऐसी आईडी को ब्लाक कर दिया जाएगा। आप सभी दोस्तों का धन्यवाद।
मेरी एक और कहानी ज़ल्द ही आपके लिए हाज़िर होगी।

आपका दोस्त रवि स्मार्ट
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