प्यारी भांजी का शील-भंग – Antarvasna

प्यारी भांजी का शील-भंग – Antarvasna

मेरा नाम कुंदन है, हट्टा कट्टा हूँ, बहुत ही रोमांटिक हूँ। मेरा लंड छः इंच लम्बा है और तीन इंच मोटा है, आज तक बहुत सारी चूतों को चोद चुका हूँ। यहाँ अंतर्वासना पर आपकी कहानियों को पढ़कर मुझे भी लगा कि अपनी कहानी बताने मजा आयेगा।

यह घटना मेरे जीवन सच्ची घटी है, यह तब की बात है जब मैं 21 साल का था। मेरे शहर में ही मेरी मौसेरी बहन रहती है, जीजा जी एक कंपनी में काम करते हैं, बहन घर का काम सम्भालती है।
उनकी एकलौती बेटी है जिसका नाम पुष्पा है, वह बहुत गोरी, बहुत ही सुंदर तथा मादक है, शरीर से गबरू होने के कारण वह बहुत ही सुंदर लगती है, बिल्कुल नाम की तरह पुष्प है।
उसके सीने पर अमरुद की तरह स्तन उभर आये, कूल्हे गोल घेरा ले चुके हैं, वह आगे-पीछे से पूरी भरी हुई लगती है। उसकी गांड बहुत ही गहरी दिखती है। उसे देखकर किसी का भी लंड खडा हो सकता है।

मैं तो उसका मामा हूँ, मैं उसके यहाँ अक्सर जाता हूँ, वे सारे मुझे बहुत प्यार करते हैं, मेरे मन में भांजी के प्रति कभी बुरा ख्याल नहीं आया था लेकिन एक दिन मैं उनके यहाँ गया था मेरी बहन और मैं आंगन बैठकर बातें कर रहे थे, आंगन में ही एक पेड़ था जिस पर झूला बंधा था, वह झूला झूल रही थी।
बहन की उसकी तरफ पीठ थी, मैं सामने था, पुष्पा जैसे ही झूला झूलती, उसकी स्कर्ट ऊपर उठ जाती, उसकी गोरी टांगें तथा जांघें साफ दिखाई दे रही थी। इस दृश्य को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। वह बिल्कुल नजदीक थी इसीलिये सारा नजारा साफ था।

वह अपनी धुन में झूल रही थी और थोड़ी देर बाद पहली बार मुझे उसकी छोटी चड्डी दिखाई देने लगी, गोल जांघें साफ नजर आने लगी।

उफ़ ! क्या बात थी ! पुष्पा ने जो चड्डी पहनी थी वह बिल्कुल चूत के सामने फटी थी, मुझे उस दिन अस्पष्ट रूप में भांजी की चूत ने दर्शन दिये, उसी दिन लगा कि भांजी चोदने लायक हो गई है, कमसिन चूत के दर्शन पाकर मैं और मेरा लंड बहुत खुश थे।

उसी समय मुझे लगा कि वह मेरी भांजी नहीं बल्कि एक कामुक लड़की लगने लगी। तभी मेरी बहन ने भी पीछे पलट कर देखा और उसने भी देखा कि पुष्पा की चूत दिखाई दे रही है, बहन हंसने लगी।
और पुष्पा से कहा- पुष्पा, तेरी चिमनी दिख रही है !

हम हंसने लगे, वह शरमा गई और झूले से उतर कर घर में चली गई, जाते समय मेरे ऊपर तिरछी नजर छोड़ गई थी। पुष्पा अपना पुष्प दिखाकर मेरे अंदर खलबली मचा गई थी।

शाम को जीजा जी आये, हमने रात का खाना खाया और गप्पे मारने के बाद सोने की तैयारी हुई, उस दिन कुदरत मेहरबान थी, बहन ने सोने के लिये आंगन में ही बिस्तर लगाए, बहन-जीजा जी का बिस्तर एक तरफ़ लगाया और पुष्पा और मेरे लिये दूसरी तरफ़ लगाया।

मैं बहुत खुश था लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था और मुझे कब नींद आई पता नहीं चला।

रात में जब मेरी नींद खुली तब मेरे हिसाब से रात के दो बजे होंगे और देखता हूँ कि मेरी उंगलियाँ पुष्पा की चूत पर थी, मतलब साफ था, वो ही मेरी चारपाई पर आई और मेरा हाथ अपनी चूत पर ले गई थी। मतलब पुष्पा अपनी चूत का भोसड़ा बनवाने के लिये तैयार थी। इस दृश्य को देखकर मेरा बदन कांपने लगा, मैं धीरे से पुष्पा की चूत का जायजा उसकी फ़टी चड्डी में से उंगली डालकर लेने लगा। मैंने महसूस किया कि चूत बिल्कुल साफ थी, चूत पर इने-गिने रेशम से बाल थे, चूत पूरी तरह से कचोरी की तरह फ़ूली हुई थी। चूत के होंट आपस में मिले हुये थे।

मैंने एक उंगली से दोनों होटों को अलग करके देखा तब पुष्पा चूत की एकदम बन्द और कसी लगी। तब पुष्पा ने तेज सांस छोड़ी, मतलब वह जग रही थी।

तब मैंने पुष्पा को अपनी तरफ करके उसके माथे पर अपने होंठ जमा दिये, अपने कच्छे से लंड निकाल कर पुष्पा की जान्घों में जहाँ पर चूत का मुँह खुला था, रख दिया। फ़िर मैंने उसकी शर्ट के बटन खोले, उसके दोनों कबूतर आजाद हो गये, उसके होटों का चुम्बन करते हुए मैं अपने हाथ उसकी पीठ नितम्बों पर फेरने लगा। उसकी स्कर्ट मैंने पूरी उठा दी और उसके गोल कूल्हों को मसलने लगा।
उसके कड़े स्तन बहुत मसले, दस मिनट तक बहुत मजे लिये।

मैं ऊपर उसके गुलाबी लब चूस रहा था और नीचे पुष्पा की गोरी चूत के होटों का चुम्बन मेरा काला लंड ले रहा था।

उसकी सांसें तेज हो रही थी। तब मैंने नीचे हाथ ले जाकर उसकी चूत और मेरा लंड देखा, दोनों लार टपका रहे थे, पुष्पा की चूत गर्म हो रही थी, मेरे लंड के सुपारे पर महसूस हो रहा था। तब मैंने पुष्पा की चड्डी नीचे खिसकाई एक पैर से उसे उसकी चिकनी जांघों से सरकाते हुए उसकी टाँगों से अलग कर दी।

मैंने भी अपना कच्छा निकाला, पुष्पा का एक पैर मोड़ लिया और उसकी चूत पर लंड रख कर दबाव डालने लगा। कभी नीचे तो कभी ऊपर हो जाता था। उसकी चूत बहुत टाइट थी, तब मैंने बहुत सारा थूक मेरे सुपारे तथा उसकी चूत पर मल दिया और उसके कंधे पकड़कर जोर से धक्का दे दिया। चारपाई की चर्र की आवाज के साथ मेरा लंड पुष्पा की चूत में दो इंच जा चुका था। उसके मुख से सिसकारी निकल गई- ममम्म… म्म्म्माआआह !

तब मैंने उसके होटों को अपने होटों की गिरफ्त में ले लिया और चूसने लगा। पुष्पा की गोरी चूत में मेरा काला लंड फंसा पड़ा था, एक हाथ से उसके स्तन गोल गोल करके मसल रहा था। उसकी चूत से मस्त खुशबू आ रही थी। उसे मसलता हुआ थोड़ा हिलता रहा और कब 6 इंच लंड मैंने पुष्पा की चूत में पेल दिया, पता भी नहीं चला।

मेरी भांजी पुष्पा की चूत की गरमाहट मुझे बहुत मजे दे रही थी, मैं धीरे-धीरे धक्के देने लगा, पुष्पा को भी मजे आने लगे, पुष्पा भी मेरे बालों में उंगलियाँ फ़िराने लगी, मैं ऊपर उसका रस पी रहा था और नीचे पुष्पा की चूत मेरे लण्ड से मेरा रस निकाल लेने को आतुर हो रही थी।

तभी मुझे पुष्पा जोर जोर से जकड़ने लगी, मतलब उसका रस निकलने वाला था, मैंने गति बढ़ा दी, मैं उसे उठकर चोद नहीं सकता था क्योंकि पास में ही बहन और जीजा जी सोये थे।

वह मेरे होटों को, गालों को काटने लगी, मतलब उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, मैंने गर्म गर्म महसूस किया था। वह मुझे जोर से चिपक गई, मैंने जोर से झटके लगाये और कुछ देर बाद मेरा लिंग अपना लावा पुष्पा की योनि में छोड़ने लगा। हमने एक दूसरे को जोर से जकड़ लिया, मतलब हम एक हो गये थे।

मैंने पुष्पा का योनिछेदन करके उसका शील भंग कर दिया था। मैंने पुष्पा के पुष्प को बहुत रोन्दा था, मैंने कच्ची कली को फ़ूल बना दिया था !
और काफ़ी देर हम वैसे ही मतलब उसकी चूत में लंड डाले पड़े रहे !
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