कॉलेज गर्ल ने बर्थडे गिफ्ट में बुर में मेरा लंड लिया

कॉलेज गर्ल ने बर्थडे गिफ्ट में बुर में मेरा लंड लिया

मेरा नाम लोकेश है, नोएडा में रहता हूँ। मैं अपनी सच्ची चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ। ये आज से 6 महीने पुरानी बात है। जब मैं बी.टेक. की पढ़ाई कर रहा था।

मेरी लंबाई 5 फुट 8 इंच के लगभग है। मेरा रंग गोरा है। मेरे बालों का भी रंग गोल्डन है। मैं देखने में एकदम अंग्रेज की तरह दिखता हूँ, मेरे सभी दोस्त मुझे अंग्रेज ही बोलते हैं।

जब मैंने बारहवीं के बाद बी.टेक. में एडमिशन लिया था। तब मैं नोएडा में नया-नया आया था। मुझे नोएडा में बारे में ज्यादा नहीं पता था। मेरे बड़े भैया के दोस्त नोएडा में रहते थे, मैं उन्हें भैया बोलता था, उन्होंने मेरा एडमीशन अपने कॉलेज में करवा दिया.. उस कॉलेज में वो पढ़ाते थे।

मैं उनसे हॉस्टल में रहने के लिए बोलने लगा.. तो उन्होंने मना कर दिया, वो बोलने लगे- तू मेरा छोटा भाई है। तुझे मेरे साथ ही रहना पड़ेगा। मैं भी अकेला ही रहता हूँ.. मेरा भी मन लग जाएगा। तू मेरे साथ ही रहेगा.. तुझे खाने की भी दिक्कत नहीं होगी।

भैया ने एक खाना बनाने वाली लगा रखी थी। अब मैं उन्हीं के साथ रहने लगा था, उनका खुद का फ्लैट था और उन्हीं के साथ गाड़ी से रोज़ कॉलेज जाता था।
मेरे भैया की वजह से मुझे कॉलेज में सब जानते थे, उनकी वजह से कोई भी मुझे कुछ नहीं कहता था।

इंडियन कॉलेज गर्ल

मेरे कॉलेज में एक लड़की पढ़ती थी, वो मेरी सीनियर थी और वो भी हमारी सोसायटी में ही रहती थी।

एक दिन मैं अपनी फ़ाइल जमा करने अपनी प्रिंसिपल के पास गया था। प्रिंसिपल के पास वो लड़की भी अपनी फ़ाइल लेकर वहाँ पहले से खड़ी थी।
मैंने उससे पूछा- मैम अन्दर नहीं है क्या?
वो कहने लगी- पता नहीं!
मैंने उससे पूछा- तुम्हें पता नहीं है तो यहाँ क्यों खड़ी हो?
वो कहने लगी- मेम अन्दर तो हैं.. पर बिजी हैं।

अब मैं भी वहीं खड़ा हो गया।
फिर मैंने उससे पूछा- आपका नाम क्या है?
वो कहने लगी- अपने सीनियर का नाम भी नहीं जानते हो?
मैंने कहा- मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करता हूँ.. इसलिए मुझे बहुत कम के नाम पता हैं।

वो कहने लगी- मेरे नाम शालिनी है।
मैंने उससे पूछा- हॉस्टल में रहती हो?
शालिनी- नहीं..
मैं- फिर कहाँ रहती हो?
शालिनी- इससे आपको क्या करना है?
मैं- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही पूछ लिया।

शालिनी- मैं वहीं रहती हूँ.. जहाँ तुम रहते हो.. मतलब उसी सोसायटी में रहती हूँ।
मैं- ओह अच्छा.. कौन से फ्लैट में?
शालिनी- क्यों मेरे घर आना है क्या?
वो यह पूछ कर हँसने लगी।
मैंने भी हँसते हुए कह दिया- बुलाओगी तो जरूर आऊँगा।

फिर हम दोनों ने अपनी अपनी फ़ाइल जमा की और मैं फिर अपनी क्लास में आ गया।
शालिनी एकदम गोरी है.. और फिगर 32-28-34 का होगा। उसने अपने आपको बहुत सही से मेन्टेन कर रखा था।

अगले दिन शालिनी कॉलेज नहीं आई थी। उसके बाद जब वो कॉलेज आई तो मैंने उससे पूछा- कल आप कॉलेज क्यों नहीं आईं?
वो कहने लगी- मेरी स्कूटी ख़राब हो गई थी.. इसलिए नहीं आ पाई।

फिर हमारी दोस्ती बढ़ती गई.. बातें होने लगीं.. हम साथ लंच करने लगे.. साथ घूमना-फिरना भी होने लगा। हम काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। बस ये सब बातें कॉलेज में ही होती थीं.. उसके बाद वो अपने घर और मैं अपने घर.. और न ही हमारे पास एक-दूसरे के नंबर थे। बस ऐसे ही सब सामान्य चल रहा था।

दिसंबर के लास्ट में एग्जाम होने वाले थे.. तो कॉलेज की छुट्टी हो गई।

एक दिन में मैं मार्किट में कुछ सामान लेने गया था.. तो शालिनी अपनी मम्मी के साथ मार्केट में मुझे मिली। उससे ‘हाय.. हैलो..’ हुई और फिर उसें एक पर्ची मुझे पकड़ाई।
मैंने पूछा- क्या है ये?
तो कहने लगी- खोल कर देख ले ना!

मैंने खोल कर देखा तो उसमें उसका नंबर था। मैंने मार्केट से सामान लिया और अपने फ्लैट पर आ गया। फिर शाम को मैंने शालिनी को कॉल की।
मैं- हैलो..
शालिनी- कौन?
मैं- नंबर दे कर भूल भी गईं।

शालिनी- नहीं यार.. कैसे हो?
मैं- सही हूँ यार.. बस पढ़ रहा था, तुम सुनाओ।
शालिनी- यार घर पर पड़े-पड़े बोर हो गई हूँ.. मूवी देखने चलें?
मैं- नहीं यार पढ़ना है अभी.. कुछ ढंग से नहीं पढ़ पाया है और कुछ समझ में भी नहीं आ रहा।
शालिनी- मैं सब तैयार करवा समझा दूँगी.. पहले तू मूवी देखने चल।

मैं- कब..?
शालिनी- कल मेरे मम्मी-पापा बाहर जा रहे हैं.. वे दो दिन में वापस आएंगे तो हम कल मूवी देखने चलेंगे।
मैं- ओके कहाँ मिलोगी?
शालिनी- तुम कल मुझे सोसायटी के गेट से मुझे पिक कर लेना।
मैं- ओके.. बाय!

अगले दिन भैया दो दिन के लिए कहीं बाहर जा रहे थे, मैं भैया की गाड़ी लेकर चला गया, वो पहले से ही मेरा वेट कर रही थी, मैंने उसे गाड़ी में बिठाया, हम चल दिए।

शालिनी आज कुछ बदली सी लग रही थी, बहुत ज्यादा खुश थी।
मैंने उससे पूछा- कहाँ चलना है?
शालिनी कहने लगी- मूवी तो कोई भी अच्छी नहीं लगी हुई है।
मैंने कहा- फिर कहाँ चलें?
कहने लगी- अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना हो तो डिस्को में चलें। मैं आज तक डिस्को में नहीं गई हूँ.. मुझे एक बार जाना है.. चलें?
मैंने कहा- मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. चलो चलते हैं।

हम डिस्को में चले गए, हमने बहुत एन्जॉय किया। आज घर पर मैं अकेला था तो किसी बात का डर भी नहीं था। मैंने थोड़ी सी ड्रिंक कर ली और शालिनी को भी ऑफर की।
पहले तो वो मना करने लगी.. फिर मेरे कहने पर मान गई। ड्रिंक करने के बाद तो शालिनी जैसे आज़ाद सी हो गई.. वो खुल कर डान्स करने लगी।

हम बहुत लेट हो रहे थे.. तो मैंने शालिनी से कहा- अब हमें चलना चाहिए।
शालिनी- थोड़ी देर और बस..
मैं मान गया।

फिर हम डिस्को से बाहर आए तो शालिनी कहने लगी- आज मैं बहुत खुश हूँ.. आज मेरा बर्थडे है।
मैं एकदम शॉक सा हो गया- सच में आज तुम्हारा बर्थडे है?
शालिनी कहने लगी- हाँ सच में मेरा बर्थडे है।
मैं बोला- फिर तुम्हारे बर्थडे वाले दिन तुम्हारे मम्मी-पापा बाहर क्यों गए हैं?
शालिनी कहने लगी- आज पापा की कोई अर्जेन्ट मीटिंग थी और मेरे एग्जाम की वजह मम्मी-पापा ने कुछ भी करने से मना कर दिया।

मैंने उसे गले से लगाकर बर्थडे विश किया और कहा- सॉरी यार मुझे पता नहीं था कि आज तुम्हारा बर्थडे है।
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।
मैंने शालिनी से पूछा- अच्छा बताओ बर्थडे गिफ्ट क्या लोगी?
शालिनी चुप रही.. वो कुछ नहीं बोली।
मैं- बोलो ना क्या चाहिए?

शालिनी- मुझे कुछ नहीं चाहिए.. बस मुझे तुम चाहिए।
मैं- मतलब..
शालिनी- मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ।

मेरी तो जैसे समझो कि लॉटरी लग गई। आज मुझे समझ में आ गया था कि इसकी बुर को बर्थडे गिफ्ट में मेरा लंड चाहिए है। मेरी गर्लफ्रेंड की बुर मेरे लंड पर खेलने वाली है।

मैं भी उसे प्यार करने लगा था, पर उसे कभी बोला नहीं था इसलिए कि हमारी दोस्ती भी खत्म न हो जाए।

हमने एक-एक बीयर और ली और चल दिए। हमने रास्ते में बीयर खत्म कर दी और खाना खा कर हम शालिनी के घर पहुँच गए। शालिनी घर पर अकेली होने के कारण बोलने लगी- आज मेरे घर ही रुक जाओ।

पहले मैंने मना किया.. फिर वो जिद करने लगी तो मैं मान गया। मैं गाड़ी पार्किंग में लगा कर उसके फ्लैट में चला आया। मैं सोफे पर बैठ गया और वो मेरे पास आकर मुझसे चिपक कर बैठ गई।

शालिनी ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपना सर मेंरे कंधों पर रख लिए और बैठ गई। मैंने उसके कंधों पर हाथ रख लिया और मैं उसके होंठों के पास अपने होंठ ले गया।

हम दोनों एक-दूसरे की गरम-गरम साँसों को महसूस कर रहे थे। फिर धीरे-धीरे मैंने उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. वो भी यही चाहती थी.. पर पहल नहीं कर पा रही थी। फिर उसकी आँखें बंद हो गईं और वो जोर-जोर से मेरे होंठ चूसने लगी। मेरा एक हाथ उसकी कमर को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसकी गोल-गोल चूचियों को दबा रहा था।

हम सोफे पर ही कई मिनट तक एक-दूसरे को चूमते और चूसते रहे। शालिनी गर्म होने लगी थी।
हम एक-दूसरे से अलग हुए.. शालिनी कहने लगी- चलो मेरे कमरे में चलते हैं।
कमरे में पहुँच कर शलिनी ने लाइट बंद की और नाईट बल्ब ऑन कर दिया।

उसके बाद शालिनी मेरे ऊपर चढ़ कर और मेरे होंठ चूसने लगी। मेरे लंड की हालत खराब हो रही थी। मैंने शालिनी के धीरे-धीरे सारे कपड़े उतार दिए।

अब वो मेरे सामने काली ब्रा और काली पैंटी में थी.. क्या गज़ब लग रही थी.. एकदम मस्त माल जैसी।

ऐसा लग रहा था कि उसे कहीं जोर से दबा दूँ.. तो उसका खून बाहर न निकल आए। वो अन्दर से बहुत ही गोरी थी। उसके बाद उसने मेरे कपड़े उतार दिए। बस मैं अंडरवियर में था। मैंने उसको पलट दिया और उसके ऊपर आ गया। मैं उसके पूरे बदन को चूसने लगा। उसके होंठ चूसने लगा और एक हाथ से उसकी जांघों को सहलाने लगा।

वो मेरी कमर सहला रही थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ। फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा हटा दी।

वाह.. क्या चूचे थे.. उसके एकदम गोल-गोल और सख्त खड़े मम्मे थे। मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं उसके चूचुकों को कभी-कभी काट लेता था.. तो उसकी कामुक सिसकारी निकल जाती थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

मैं धीरे-धीरे नीचे को आकर उसकी नाभि को चूमने लगा। दोनों हाथों से जोर-जोर उसके मम्मों को दबाने लगा। उसकी मादक सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थीं, वो कहने लगी- आअह्ह.. म्मम्म.. लोकेश मेरे नीचे कुछ हो रहा है।

कॉलेज गर्ल की रेशमी बुर

उसकी पेंटी पूरी गीली हो गई थी। मैं उसकी जांघों को किस करने लगा। फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी। क्या मखमली बुर थी उसकी.. अनछुई.. छोटी सी.. उसके ऊपर रेशमी बाल..
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी बुर को चूसना शुरू कर दिया।

जैसे ही मैंने अपना मुँह उसकी बुर पर रखा.. वो उछल पड़ी और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को दबाने लगी, वो जोर-जोर से ‘आहें..’ भरने लगी ‘आह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. म्मम्म.. और तेज़ अह्ह्ह.. म्मम्म..’

मैं और ज़ोर-ज़ोर से बुर चूसने लगा। उसकी बुर में क्या मस्त स्वाद आ रहा था। बस पूछो मत उस पल को.. मैं शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता।

कुछ मिनट बुर चूसने के बाद वो एकदम से कांपने लगी और उसकी जोर-जोर से सांसें चलने लगीं। फिर वो उछली और उसका सारा पानी निकल गया।

अब मेरी बारी थी, वो कहने लगी- मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और अपने नहीं निकाले।
मैंने कहा- तुम निकाल दो।
उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया और जैसे ही उसने मेरा अंडरवियर निकाला.. उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो कहने लगी- तुम्हारा लंड इतना बड़ा है..

वो लंड को हाथ में पकड़ के आगे-पीछे करने लगी। मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया था और इसका सुपारा एकदम लाल सुर्ख था।
मैंने शालिनी से कहा- मेरे लंड पर किस करो ना प्लीज़..

पहले तो वो मना करने लगी.. फिर मान गई और मेरे लंड को किस करने लगी। मेरा लंड पूरा तन गया था। ऐसा लग रहा था कहीं फट ना जाए।

मैंने उसके सर को पकड़ कर जोर-जोर से उसके मुँह में लंड पेलने लग गया। मैं अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पाया और जोर-जोर से उसके मुँह को चोदने लगा.. मेरी ‘आहें..’ निकलने लगीं ‘आआह्ह्ह्ह.. ओऊ ह्ह्ह्ह..’
वो ऐसे चूस रही थी जैसे किसी कुल्फी को चूस रही हो।

मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है..
फिर मैंने उसके मुँह में से अपना लंड निकाल कर सारा का सारा पानी उसकी ब्रा पर निकाल दिया। मेरी सांसें बहुत जोर-जोर से चल रही थीं। मैं पूरा पस्त हो गया था।

हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए और एक-दूसरे को सहलाने लगे। अब मैं धीरे-धीरे एक हाथ से उसकी चूची और दूसरे हाथ से उसकी मुलायम सी बुर को सहला रहा था। उसकी धीरे-धीरे सांसें फिर से तेज़ होने लगीं और वो ‘आहें..’ भरने लगी।

बुर चोदन

वो मुझे लगातार किस किए जा रही थी, वो बहुत तेज़-तेज़ ‘आहें..’ भरने लगी और कहने लगी- प्लीज़ कुछ करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी.. उईईई.. आह्ह्ह्ह.. ऊऊम्म.. आह्ह्ह्ह..

मैं समझ गया कि अब यह बहुत गर्म हो गई है, मैं बिस्तर से नीचे उतर गया और उसको बिस्तर के एक साइड में खींच लिया। उसके दोनों पैरों को अलग करके और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया, उसकी बुर थोड़ी ऊपर हो गई और मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसकी बुर पर अपना लंड रगड़ने लगा, वो ‘आह्ह्ह.. आह्ह्ह..’ करने लगी।

मैं देर ना करते हुए अपना लंड उसकी बुर में डालने लगा। मेरा लंड उसकी बुर में जा ही नहीं रहा था.. बार-बार फिसल जाता था।

फिर उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर के मुँह पर रखा और मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरे लंड का टोपा बुर के अन्दर घुस गया और उसकी चीख निकल गई ‘आह्ह्ह.. मम्मी.. मरररर.. गईईई.. आआहह.. उंहहउह..’
उसकी आँखों में पानी आ गया क्योंकि उसका छेद शायद बहुत छोटा था।
मैं भी समझ गया कि ये पहली बार लंड ले रही है।

फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब धीरे से एक धक्का और मारा जिससे मेरा आधा लंड उसकी कमसिन बुर के अन्दर चला गया और वो दर्द के मारे तड़फे जा रही थी।

मैं रुक कर उसकी एक चूची को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और दूसरी चूची को हाथ से दबाने लगा। कुछ पल में उसका थोड़ा दर्द कम हुआ.. तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक ज़ोर से धक्का मार दिया। अब मेरा पूरा लंड उसकी बुर में समा गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी ‘ऊईई ममा.. मरर.. गईईई.. आआहह.. म्मम्म..’

मैं थोड़ी देर रुक गया और उसका दर्द कम होने तक उसकी चूचियां दबाने लगा, साथ ही उसके होंठों को चूसने लगा। जब उसका थोड़ा दर्द कम हुआ.. तो वो अपनी गांड हिलाने लगी.. मैं समझ गया कि इसका दर्द खत्म हो गया और इसे मज़ा आने लगा है।

अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी बुर में आगे-पीछे करने लगा। वो भी अपनी गांड धक्कों के साथ आगे-पीछे करने लगी। वो मजे लेते हुए जोर-ज़ोर से ‘आहहह.. अह्ह्ह..’ कर रही थी।

कुछ मिनट की चुदाई के बाद वो कहने लगी- आह्ह.. और ज़ोर से करो.. जल्दी-जल्दी करो.. फाड़ दो मेरी चूत.. आह्ह्ह म्म्म्म.. आह्ह्ह्ह.. ऊऊई माँ.. मरर.. गईई रे..’

अचानक उसने मुझको कस के पकड़ लिया और ‘आआहह..’ करते हुए उसने अपना सारा पानी छोड़ दिया।

अब मैं भी झड़ने वाला था.. तो मैंने अपने लंड के धक्कों को स्पीड बढ़ा दी। जब मुझे लगा कि अब स्खलन होने ही वाला है तो मैंने उससे पूछा- मेरा होने वाला है.. कहाँ निकालूँ?

उसने मुझे कसते हुए कहा- आह्ह.. मेरे अन्दर ही निकाल दो अपना सारा पानी.. आह्ह..
कुछ दमदार धक्कों के बाद मैंने अपना सारा पानी उसकी बुर में छोड़ दिया और उसके ऊपर ही गिर गया।
हम दोनों बहुत तेज़ हाँफ रहे थे और एक-दूसरे की गर्म-गर्म साँसों को महसूस कर रहे थे।

उसके बाद हमने उस रात एक बार और चुदाई की और फिर एक-दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गए। सुबह जब वो उठी.. तो उससे चला नहीं जा रहा था.. क्योंकि उसकी बुर में थोड़ी सूजन सी आ गई थी, जिसकी वजह से उसे मीठा-मीठा दर्द हो रहा था। उसके चेहरे पर कुछ अलग ही ख़ुशी थी।

उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता.. हम खुल कर सेक्स करते। पर अब तो सिर्फ हम फ़ोन सेक्स ही कर पाते हैं क्योंकि उसकी फैमिली अलीगढ़ शिफ्ट हो गई है।

यह बिल्कुल सच्ची चुदाई की कहानी है.. इसमें आपको ज्यादा मज़ा नहीं आया होगा क्योंकि मैंने इसमें कोई झूठ नहीं कहा है.. जो सच में हुआ था, वही आपके साथ शेयर किया है।

मुझसे कोई गलती हो गई हो तो मुझे अपना दोस्त समझ कर माफ़ कर देना।
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