कॉलेज की चुदाई भरी यादें

कॉलेज की चुदाई भरी यादें

दोस्तो, मैं लकी.. अहमदाबाद गुजरात से आपके लिए अपनी पहली कहानी लेकर हाजिर हूँ।

कॉलेज का पहला दिन था.. मैं बहुत खुश था। उसमें भी कॉलेज में फिरती कातिल हसीनाओं ने मेरी ख़ुशी दुगनी कर दी। मैं खुद भी हैण्डसम लड़का था.. पूरी 6 फुट हाईट और कसरती बदन है। माता-पिता की दया से बदन भी गोरा है..
तो लड़कियों की ओर से लाइन तो बहुत मिल रही थी.. पर उसमें मुझे सेकंड इयर की एक स्कर्ट पहने हुई लड़की बहुत पसंद आ गई। क्या फिगर थी यारो.. मस्त 36-30-38 की.. मतलब वो एक भरे हुए बदन की मालकिन थी।

जाँच-पड़ताल के बाद मालूम हुआ कि उसका नाम मोना (बदला हुआ) था और यह भी मालूम हुआ कि वो बहुत तेज मिजाज थी।
मेरी पहुँच और ताकत से में एक ही हफ्ते में कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन का लीडर बन गया.. सो कॉलेज में सब मुझे पहचानने लगे।

एक दिन मैं कॉलेज से घर ही जा रहा था कि रास्ते में मोना अपनी एक्टिवा का मेन स्टैंड लगा कर खड़ी थी.. शायद उसका एक्टिवा बिगड़ गई होगी। सो मैं बाइक वहीं खड़ी करके उसको हेल्प करने गया.. तो उसने मना कर दिया।
लेकिन मैं यह मौका गंवाना नहीं चाहता था इसीलिए मैंने उसकी ‘न’ को अनसुनी करते हुए उसकी एक्टिवा को चैक करने लगा.. मैंने किक से स्टार्ट करने की कोशिश की तो एक्टिवा चालू हो गई।
मोना का नेचर मुझे मालूम था.. इसीलिए मैं बिना उससे कोई बात किए.. तुरंत वहाँ से चल निकला।

दूसरे दिन जब मैं कॉलेज गया तो वो अपनी मित्रों के साथ मेरे सामने ही कॉलेज के कैंपस में बैठी थी। मुझे देख कर वो मुस्कुरा रही थी। उसकी कातिल मुस्कराहट से मेरा लंड खड़ा हो गया। उसे देख कर मेरे साथ खड़े मेरे दोस्त भी मुझे चिढ़ाने लगे कि अरे क्या देख लिया लकी.. तेरा सांप क्यों खड़ा हो गया है.. और हम सब हँसने लगे।

थोड़ी देर बाद जब मेरे दोस्त चले गए और मैं अकेला वहाँ खड़ा रह गया.. तो मोना मेरे पास आई और मुझे ‘थैंक्स’ कहने लगी।
मैंने कहा- इट्स ओके.. लेकिन तू कल बहुत हॉट दिख रही थी।
तो वो शरमा के चली गई।

उस दिन से उसे चोदने की इच्छा और तीव्र हो गई।
सैटरडे को मैंने मोना से पूछा- तुम्हारा कल का क्या प्लान है?

तो उसने बताया कि कल वो घर पर अकेली है इसीलिए वो घर पर ही रहेगी।
मैं उदास हो गया… तो वो पूछने लगी- लकी, तू क्यों उदास हो गया?
तो मैंने बताया- मोना मैं कल तेरे साथ मूवीज देखने थिएटर जाना चाहता था.. लेकिन तुम हो कि घर पर रहने की बात कर रही हो।
तो उसने तुरंत कहा- कोई बात नहीं.. मैं घर पर अकेली बोर हो जाऊँगी.. तू मेरे घर आ जाना.. हम साथ में मूवी देखेंगे।
और इतना बोल कर वो मुझे एड्रेस देकर चली गई।

मैं बेसब्री से सन्डे का इंतजार करने लगा। दूसरे दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया और फ्रेश होकर चाय-नाश्ता करके उसके दिए एड्रेस पर पहुँच गया। उसका घर ग्राउंड फ्लोर पर था.. इसीलिए किसी को मुझे देख लेने का चांस कम था।
मैंने पहले बाहर से मोना को फ़ोन लगाया.. तो उसने कहा- दरवाजा खुला है.. अन्दर आ जा।

मैं जैसे ही अन्दर गया.. तो पूरा कमरा अस्त-व्यस्त था। उसके जीन्स टी-शर्ट्स और अंतर-वस्त्र भी इधर-उधर बिखरे पड़े थे। ये सब देख कर ही मेरा लंड तन गया और पैन्ट पर तम्बू बन गया।

शायद मोना ने भी देख लिया था। मोना पूछने लगी- लकी, कोई पिक्चर की सीडी भी लाये हो.. या बस यूँ ही खाली हाथ-पैर लिए आ गए..
और मेरे भी मुँह से निकल गया- लाया हूँ ना डार्लिंग।
पता नहीं ‘डार्लिंग’ शब्द मेरे मुँह से कैसे निकल गया और हम दोनों हँसने लगे।
मैं जानबूझ कर पोर्नमूवी की सीडी ले गया था।

मोना ने पहले जाकर दरवाजा बंद किया.. फिर मेरे पास सोफे में आकर बैठ गई।
मोना ने सिर्फ केप्री और लो-नैक टी-शर्ट पहनी थी.. तो उसके बॉल और गाण्ड के शेप अच्छी तरह दिख रहे थे।
मैं लगातार उसकी गाण्ड की ओर देख रहा था.. तो मोना बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं..

लेकिन मोना समझ गई थी कि मैं क्या देख रहा था और शायद इसीलिए ही वो बार-बार वीसीडी की केबल ढूँढने के बहाने मुझे अपनी कसी हुई गाण्ड दिखा रही थी।

जैसे ही उसने मेरी लाई हुई सीडी लगाई.. ब्लू-फिल्म चालू हो गई और मैं तो जैसे कुछ पता न हो ऐसा बिहेव करने लगा।
लेकिन मोना तो बड़े शौक से ब्लू-फिल्म देखने लगी।
मैं ये देख कर हैरान रह गया।

मोना हँसते हुए बोली- बढ़िया फिल्म है।
मैंने भी कहा- हाँ.. प्रेक्टिकल भी करना पड़ेगा।
तो मोना बोली- क्यों नहीं।

फिर तो समय न गंवाते हुए मैंने मोना को किस करना चालू कर दिया। वो सिसकारियाँ भरने लगी और जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को टी-शर्ट के ऊपर से ही दबाना चालू किया.. तो वो गाण्ड उठा कर उछलने लगी।
फिर वो सेक्सी आवाज में बोली- अब डाल भी दो..

लेकिन मैं भी कहाँ ऐसे ही स्टार्ट कर देता। मैं अभी उसे और उकसाना चाहता था.. इसीलिए उसके एक-एक करके कपड़े उतारने लगा।
जैसे ही मैंने मोना की टी-शर्ट निकाली… मैं तो हैरान रह गया।
क्या मम्मे थे.. यारों.. जैसे मक्खन के गोले हों.. और साइज़ में भी इतने बड़े कि हाथ में भी न समा पाएं।

फिर जैसे ही मैंने उसकी केप्री निकाली उसकी गांड उछल कर सामने आ गई। मैं तो पागलों की तरह मोना के चूतड़ों पर किस करता रहा।
मैं मोना के ऊपर आ गया और उसके मम्मे अपने मुँह में ले लिए और छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा। मोना और मैं दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे।
फिर मोना ने मेरा लंड चूसने की इच्छा जताई.. तो मैंने तुरंत अपना लंड उसके मुँह के सामने रख दिया… तो वो हैरान होकर देखने लगी।

बोली- लकी तेरा तो कितना बड़ा है.. अन्दर डालने में बहुत मजा आएगा।
तो मैंने पूछा- क्यों आज तक कितने लौड़े लिए हैं?
वो बोली- कम से कम छह लौड़े लिए हैं।

मोना फिर मेरे ऊपर 69 की अवस्था में चढ़ गई और मेरे लौड़े को चूसने लगी। मैं भी उसकी चूत को चाटने लगा।

तभी मैंने सोचा कि पहले चूत चोदन कर लिया जाए। मोना भी चूत की खुजली मिटवाना चाहती थी.. तो मैंने उसी अवस्था में उसे सीधा करते हुए अपने ऊपर ही रख कर चूत को लौड़े के निशाने पर ले लिया।
अब मोना ने रसीली चूत को गीले लौड़े पर टिका कर झटका लगाया तो झंडा किले पर फहर गया।

अब धकापेल धक्के लगने लगे और कुछ ही समय में चुदाई का पहला दौर पूरा हो गया.. हम दोनों एक साथ झड़ चुके थे।
इसके बाद अभिसार का यह दौर चार घन्टे तक चला इन चार घंटों में चार बार की चुदाई ने मुझे थका दिया था।

मित्रो, यह थी मेरी कॉलेज की रंगीन यादें.. आपको कैसी लगी.. मुझे ईमेल लिखिएगा।
[email protected]

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