देवरानी-जेठानी को चोदा-3

देवरानी-जेठानी को चोदा-3

प्रेषक : सूरज कुमार जोशी

मैं तो बेताब प्यासी लौंडिया को पाकर मस्त था और पूरी तरह से मस्त करके चोदने के चक्कर में था। कुर्सी पर बिठाने के साथ अपने लंड को हाथ से पकड़ उसके गुलाबी नर्म-नर्म होंठों के पास करते हुए कहा- ले मेरी जान, आगे वाला सुपारा मुंह में लेकर चूस, देखना अभी चूत पानी निकाल देगी !

मुझे लंड चूसवाने में बहुत मज़ा आता था, छोटी बहू को पिलाने में अनोखा मज़ा आता। अब तक जितनी को चोदा था, सब 25 से ऊपर थी. यह पहली थी 18 साल की ! अगर आज चूसती तो फ़िर रोज़ ही लंड पिलाकर मनपसंद मज़ा ले सकता था।

वह हिचकिचाई तो मैं लंड को उसके मुंह से अलग कर बोला- नहीं चूसना तो जा कर बड़ी वाली को भेज दे, हम उससे चुसवाकर उसी को चोदेंगे। चूसने में बहुत मज़ा आता है, लंड चूसते ही चूत से पानी निकलता है। जा तू अपने मरियल आदमी से ही चुदवा !

बड़ी वाली को भेजने की बात सुन वह फौरन अपने हाथ से लंड को पकड़ मुंह में ले सुपारे को दबा-दबा चूसने लगी। अब मैं तन कर खड़ा होकर लौंडिया जैसी छोटी बहू से सबसे प्यारे मजे को लेने लगा। उसे मेरे मोटे तगडे लंड को चूसने में मज़ा आया हो या ना आया हो पर मुझे तो गज़ब का मज़ा आ रहा था। उसने 15 बार ही चूसा था कि मैंने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाला और झड़ने लगा। वह मेरे झड़ते लंड को प्यार से देखने लगी।

झड़ने के बाद मैंने उसको अपने बदन से चिपकाते हुए गांड की तरफ़ से उसकी चूत को टटोलते पूछा- क्यों रानी तुम्हारी चूत झरी?

“हाँ, सच बहुत मज़ा आया ! अब रोज़ लंड चुसवाना !”

“इसीलिए तो चुसाया था कि एक पानी तेरा भी निकल जाए तो चुदाई का मज़ा आ जाता है। अब तू सब कपडे उतारकर नंगी होकर चूत को पौंछकर बैठ, मैं पेशाब करके आता हूँ, तब चोदूँगा तुझे !”

“हाय आपका तो…”

“तुम्हारी गदरायी रसीली चूचियाँ पीते ही फ़िर खड़ा हो जाएगा।”

झड़ने से मस्ती हल्की हुई पर लंड खड़ा था, मैं नंगा ही बाहर आया, मुझे एक तीर से दो शिकार करने थे, बाहर आया तो देखा कि बड़ी बहू ससुर के सामने टाँगें फैलाये फटी सलवार से चूत को बाहर किए हाथ से फैलाये चटवा रही थी। उसका बुड्ढा ससुर उसकी गांड पर हाथ रख घुटने के बल बैठ कुत्ते की तरह जीभ से अपनी बड़ी जवान बहू की चूत को चाट रहा था।

मेरी आहट पाकर वह खड़ा हो गया। मैं पूरा नंगा था, मुझे देख बड़ी बहू मेरे पास आ मेरे लंड को देखती हुई अपने ससुर के सामने ही बोली- अब मुझे चोदिये !

“अभी नहीं !”

“हाय उसको कितनी देर से मज़ा दे रहे हैं आप ! अब मुझे भी तो मज़ा मिलना चाहिए ना !” उसने मेरे लंड को पकड़कर कहा।

तो मैं उसकी कमीज़ से बाहर झाँक रही चूचियों को पकड़ दबाते बोला- अभी अपने ससुर से मज़ा लो !

“हाय आपका लंड कितना तगड़ा है, मुझे भी एक बार चोदकर ही जाइयेगा !”

“घबराओ नहीं, पहले छोटी वाली की कसी चूत को ठीक से चोदकर अपने लायक फैला लूँ, फ़िर प्यार से तुम्हारी जवान चूत को चोदूँगा। जाओ जब तक ससुरे से चटवाओ !”

मैं उसे ससुर के पास पहुँचाकर पेशाब करने चला गया। बड़ी बहू को ससुर के सामने ही ख़ुद चुदवाने को कहते सुन बड़ा मज़ा मिला। बड़ी वाली तो छोटी वाली से ज्यादा चुदासी लग रही थी पर मज़ा छोटी में ज्यादा था।

मूत कर वापस कमरे में आया तो चुदवाने के लिए सारे कपड़े उतार एकदम नंगी बैठी 18 साल की छोटी बहू को देखते झरे लंड में गर्मी आने लगी। एकदम चिकना गुलाबी बदन था उसका, चूचियाँ तनी थी और निप्प्ल भी खड़े थे।

मैंने उसको बेताबी से अपने बदन के साथ चिपकाया और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए कहा- अब तू हमको भी अपनी चूचियाँ पिला ना !

इस पर उसने मस्ती के साथ अनार सी चूची को मेरे मुंह के पास किया, मैं उसकी चूची को प्यार से चूसते हुए अपने लंड को झरी कसी चूत में पेलने के लिए तैयार करने लगा। चूचियाँ छोटी थी और मुँह में पूरी जा रही थी इसलिए चूसने का मज़ा अनोखा था।वह भी एक बार झर चुकी थी इसलिए चूचियाँ चुसवाने से उसमें भी मस्ती आ रही थी।

दोनों चूचियों को प्यार से चूसकर लंड को खड़ा करते हुए बोला- बोलो, मुझे पिलाने में ज्यादा मज़ा आ रहा है या ससुरे से?

“हाय आपसे ! ओह अब चोद भी दो ना !”

“एक बार मुझसे भी चूत चटवा कर देख, फ़िर चोदेंगे ही !” मैं उसकी हल्के बालों वाली कसी चूत पर हाथ लगा कर बोला।

जवानी की तड़प के साथ गोद में उठा उसे बेड पर लिटाया और चुदासी खूबसूरत मस्त गरम गुलाबी चूत को पूरी नंगी देख मस्त हो गया। चूत चुदने के बाद भी कुंवारी लग रही थी। मैंने झुककर 8-10 बार जीभ से चाटा तो वह अपने आप हाथ से चूत को फैलाती, सिसक कर मुझे देखते बोली- हाय राजा मर गई ! बाद में चाट लेना, अब चोद दो ! हाय मैं मर गई।”

मैं तो अब चोदने के चक्कर में था ही, लंड भी तैयार था, उसकी फैलाई गई चूत पर लंड लगा उसकी दोनों टाँगों के बीच आकर चूचियों को पकड़ दबाते हुए बोला- फट जायेगी रानी !

“फटने दो राजा ! अब बद घुसा दो !” और चूत को लंड पर दबाया।

सुपारा गर्म था, मैंने उसे बांहों में ले इतना करार धक्का मारा कि उसने तड़पकर मेरी जांघें पकड़ ली, सिर्फ़ अपने आदमी के मरियल लंड से चुदी थी इसलिए गज़ब का कसाव था। पेलने लगा पर लंड बार-बार बाहर निकल जाता। चूचियों को पकड़ ताकत से पेला तो सुपारा अन्दर जाते ही मैं मस्त हो गया। नई चूत का मज़ा मिला तो धीरे धीरे पेलने लगा।

छोटी बहू होंठों को कसे पिलवा रही थी। आधा गया तो वह कराहने लगी तो मैंने चूचियों को मसलते हुए कहा- लगता है पूरा नहीं जाएगा, बहुत कसी चूत है तेरी !”

“फटने दो राजा ! और पेलो, पूरा डाल दो !” वह मेरे लंड को पाकर तड़प उठी थी।

पूरे 9 इंच का लंड जब उसकी चूत को फाड़ते हुए घुसने लगा तो वह हांफने लगी, उसका चेहरा पसीने से भीग गया, आधा घुस चुका था, फीर एक कसा धक्का मारा तो वह तड़प कर बोली- हाय, अब छोड़ दो, नहीं तो मर जाऊँगी।

“तूने अपने आदमी के सिवा किसी का लंड नहीं चखा है न इसीलिए लग रहा है। देखना अभी मज़ा आएगा तो अपने मरियल आदमी को भूल जाएगी।”

वह तड़पती बोली- नहीं नहीं राजा, निकाल लो, मैं मर जाऊँगी।

“ज़रा सा सह ले, फ़िर देखना कितना मज़ा आता है।” और मैंने ज़ोरदार चुदाई शुरु कर दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

कुछ देर बाद ही उसे मज़ा मिलने लगा तो वह नीचे से कूल्हे उछालने लगी, उसकी चूत से फचाफच पानी निकलने लगा तो मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है?

“हाय रजा, अब बहुत मज़ा आ रहा है, चोदते रहो ऐसे ही !”

मैं उसे आधे लंड से ही चोद रहा था, दमदार लंड की चुदाई पा वह हाय हाय करती प्यार से चुदवा रही थी। मैं भी इतनी खूबसूरत चूत को पाकर बहुत खुश था। कुछ देर बाद मैं उसे पकड़ कए हचाहच चोदने लगा, उसकी चूत अब पुच-पुच पानी छोड़ रही थी। वह दिल खोलकर साथ दे रही थी। मैं मस्ती से छोटी बहू को पूरी ताकत से चोद रहा था। छोटी बहू इतनी खूबसूरत और गदरायी थी कि देखकर कोई भी तड़प उठता।

मैं ऐसी लड़की पाकर बहुत खुश था, बहुत आराम से चोदकर मज़ा ले रहा था, जल्दी कोई नहीं थी. वह एक बार झर चुकी थी। दूसरी बार झरी तो मेरे लंड की तारीफ करने लगी, जिस पर मैंने कहा- अभी एक बार और चूत से पानी निकलेगा तब मेरा निकलेगा।

मैंने लंड को बाहर कर तौलिये से पौंछकर सुखाया और कड़ी-कड़ी चूचियों को दबा उसे फ़िर तैयार करने लगा।

वह फ़िर मस्त हुई तो उसी तरह से उसको चोदने लगा। वह दो बार झर चुकी थी और अब पस्त हो गई थी, वह मुझे कसती बोली- चोदो हाय ! अब हमको अपने पास रख लो, मैं अपने मरियल पति के साथ नहीं रहूँगी।

छोटी बहू तो मेरी दीवानी हो गई थी, वह चुदाई को पाकर तड़प उठी थी। “हाय तुम्हारा तो लोहे की तरह है, रजा लगता है तुम पानी नहीं छोड़ोगे कभी !”

“मेरी जान इतनी जल्दी नहीं झरता, आज तुम्हारी चूत को चार बार झारकर की लंड का पानी पिलाऊँगा तुझे !”

मैं अभी छोटी बहू को चोद ही रहा था कि बड़ी बहू एकदम नंगी हो कमरे में आई। वह मेरे पीछे आ अपनी कम उमर की देवरानी को चुदते देखकर मेरे कान में बोली- हाय जल्दी करो ना !

मैं बड़ी को मस्त देख छोटी को तेज़ी से चोदने लगा। तभी तीसरी बार झरते ही छोटी बहू सिसक कर हाय हाय करती बोली- हाय राजा, तीसरा पानी भी निकल गया ! हाय दीदी, यह बहुत दमदार हैं, मेरी तीन बार झर चुकी है। दीदी अपने पति तो आधे मिनट में दम तोड़ देते हैं। हाय राजा, फ़ाड़ दो आज ! दीदी अब तो मैं इनसे रोज़ चुदवाऊँगी। हाय रोज़ दिन में हमारे घर हमें चोदने आना !

“मज़ा लो देवरानी जी ! खूब मज़ा लो.” और दमदार चुदाई को देखती अपनी चूत में उंगली पेलती खड़ी देखती रही बड़ी बहू।

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