कयामत थी यारो-2

कयामत थी यारो-2

प्रेषक : विशाल

मैं फिर से हाज़िर हूँ आप सबके बीच में अपनी कहानी को पूरा करने के लिए ! तो पहले भाग में मैं उसकी चूत के दर्शन करके हैरान रह गया। दोस्तो, पहली बार चूत के दर्शन जो किये थे मैंने ! लड़का हूँ ! अब तक तो बस अपना हाथ जगन्नाथ ही किया था पर उस दिन तो जैसे किस्मत कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी।

मैंने बिना देर किये अपने मुँह को उसकी चूत पर लगा दिया और ऐसे चाटने लगा जैसे वो मुझे दुबारा तो मिलने वाली है नहीं !

और उसके मुँह से निकलने वाली आ आई ईई ईई ईइ आआआ ईईईइ ऊऊ ऊ इस्स की आवाजें मुझे और मदहोश कर रही थी, मुझ में और जोश भर रही थी। मैं और ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चूत को चाटने लगा और एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल देता जिससे वो ऊपर सी उठ जाती थी।

उसके मुँह से आवाज आने लगी- और जोर से ! और जोर से !

फिर अचानक वो झर गई और उसने एक बार भी नहीं कहा कि वो झरने वाली है !

पर उसकी चूत से निकलने वाले रस में से अजीब सी खुशबू आ रही थी जो मुझे और ज्यादा पागल सा कर रही थी।

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और हम 69 की अवस्था में आ गए, वो मेरा लण्ड चूसने लगी और कुछ ही देर में मैं फिर से झर गया

मेरे से और रहा नहीं गया और मैं उसे अपनी तरफ खींच कर बोला- जानेमन, आज तो तेरी इस चूत को मारने में मज़ा आ जायेगा।

और उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा।

उसके मुँह से आने वाली सीत्कारें मुझे आपे से बाहर कर रही थी।

अचानक उसके मुँह से निकला- मादरचोद ! और कितना तड़पाएगा? अब डाल भी दे !

उसके मुँह से इतना सुनते ही न जाने मुझे क्या हुआ, मैंने लण्ड उसकी चूत में डाल दिया पर साला लण्ड नाराज सा हो गया, वो अंदर जा ही नहीं रहा था।

मैंने दोतीन बार कोशिश की मगर बेकार रही।

तब उसने कहा-मेरे बैग से क्रीम निकाल साले !

मैंने उसके बैग से क्रीम की शीशी निकाल कर उसे दी तो बोली- साले चूतिए ! इसे मेरी फ़ुद्दी में लगा और अपने लण्ड पे लगा।

मैंने झेंपते हुए थोड़ी क्रीम उसकी चूत पर लगा दी और कुछ अपने लण्ड पर लगा कर थोड़ा दम लगा कर डाल ही दिया अन्दर !

इस बार तो बिना किसी विरोध के अन्दर चला गया और उसके मुँह से निकलने वाली आवाज को मैंने मुँह पर हाथ रख कर बंद किया और उसके गाल पर थप्पड़ मार कर कहा- साली, रण्डी ! छिनाल मरवा देगी तू ! चिल्ला तो ऐसे रही है जैसे तेरे आदमी का घर है।

और मैं उसकी चूत को चोदने लगा, वो उछल उछल कर मेरा साथ देने लगी और मुझे भी मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैं झरने लगा तो उसने कहा- मैं मुँह में लेना चाहती हूँ तुम्हारा माल !

मैंने सारा माल उसके मुँह में निकाल दिया और वो सारा ही गटक गई, फिर मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। और मैं जैसे मर गया हूँ, ऐसा होकर उसके ऊपर लेट गया।

पर वो बोली- मेरे राजा, अभी तो मैदान बाकी है ! मेरी गाण्ड भी तो तुम्हें बुला रही है, उसका न्योता नहीं लोगे?

मैंने कहा- साली, तेरी कैपसिटी से कम नहीं हूँ ! आज तो तुझे ऐसा कर दूँगा कि तू भी याद रखेगी कि “विशाल का सच में विशाल” था !

मैंने वहाँ रखे तकिये उठाये और उसे उल्टा लिटा कर उसकी जांघों के नीचे लगा दिए और लण्ड को उसके गाण्ड के छेद पर रख कर अन्दर दबा दिया। पहले दबाव में ही अन्दर फ़िसलने लगा और मस्त चुदक्कड़ राण्ड की तरह मैं उसे चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरा सारा का सारा माल ही निकल गया।

अब तो ऐसा लग रहा था जैसे उस लड़की ने मुझे पूरा ही चूस लिया हो…

थोड़ा आराम करने के बाद मैं और वो साथ साथ नहाने चले गए और वह भी वो मेरे लण्ड से खेलने लगी।

मैंने कहा- एक दौर और हो जाये?

तो वो बोली- अब नहीं फिर कभी ! आज के लिए बहुत हो चुका, वरना मैं चल भी नहीं पाऊँगी, तुम तो मुझे भूखे कुत्ते की तरह खा जाना चाह रहे हो?

हम बाहर आये तो उसने मुझे बताया कि उसने मेरा मोबाइल ऑफ कर दिया था जिस से कोई परेशान न करे…

फिर हम वहीं सो गए, सुबह को हम उठे तो उसने मुझे मोबाइल नम्बर और कुछ पैसे दिए और मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया, मेरे ऊपर लेट कर एक जोरदार चुम्बन किया।

वो चली गई।

और एक बात दोस्तो, अगले दिन मेरे सभी दोस्तों ने मुझे कुत्ते की तरह मारा, इसलिए नहीं कि मैंने उन्हें सब बता दिया बल्कि इसलिए कि मैंने उनका फ़ोन नहीं उठाया।

बस यही मेरी कहानी थी और उसके बाद हम कई बार मिले और मैंने उसकी और उसकी कुछ सहेलियों की चूत और गाण्ड मारी। आज भी कभी मन होता है तो मैं उसी को फ़ोन कर देता हूँ या उसका मन हो तो उसी का फ़ोन आ जाता है !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताना जरूर !

मैं आपके मेल का इन्तजार करूँगा।

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