अंतहीन प्यास-6

अंतहीन प्यास-6

आपकी सारिका कंवल
मैंने कहा- मैं तो फिलहाल अकेली रहती हूँ बच्चों के साथ.. मगर रात में ही मिल सकती हूँ!
उसने तुरंत कहा- आज रात को मिलें फिर?
मैंने कहा- नहीं… आज नहीं… फिर कभी!
उसने कहा- कब?
मैंने कहा- कल!
उसने कहा- ठीक है।
मैं अपने बच्चे को लेकर घर चली आई और दिन में बड़ी प्यारी नींद आई। मैं बहुत दिनों के बाद सुकून से सोई थी। रात में भी मुर्तुजा से देर रात बात हुई।
उसने मुझसे अगली रात मिलने के बारे में बताया कि वो घर में अपनी बीवी से झूठ बोल कर रात भर के लिए मेरे साथ रुकना चाहता है।
मैं भी बेक़रार हो गई। पता नहीं उसमें क्या बात थी कि मैं उसके आगे झुकती चली गई। शायद उसकी बातें करने का तरीका, या उसका आकर्षक बदन।
अगले दिन मैं उससे फिर स्कूल के बाहर मिली, हम साथ घर आए, पर इस बीच हमने कोई सम्भोग से सम्बंधित बातें नहीं की, बस इधर-उधर की बातचीत होती रही।
शायद उसके मन में बातें चल रही थीं, पर उसने कुछ नहीं कहा और न ही मैंने।
मैं लगभग भूल चुकी थी कि वो मुझसे मिलने को आने वाला है।
अचानक रात 9 बजे उसका फोन आया और उसने कहा- तैयार रहना, मैं करीब 11 बजे आऊँगा, सबके सोने के बाद।
मुझे भी उसकी योजना ठीक लगी।
उसकी बातों से मेरा दिल खुश हो गया और बच्चों को जल्दी-जल्दी सुला कर खुद तो तैयार करने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था मैं उसके सामने और भी आकर्षक दिखना चाहती थी। ठण्ड बहुत थी पर फिर भी मैंने एक नाईटी पहनने की सोची, जो छोटी सी फ्रॉकनुमा थी और मेरे घुटनों तक आती थी।
फिर मैंने नई पैंटी और ब्रा का सैट निकाला जो बहुत ही पतला और जालीदार था। मैंने बालों को खोल दिया और बदन पर परफ्यूम छिड़क लिया।
मैं तैयार हो कर बस उसके इंतज़ार में बैठ गई। मेरी ननद ने मुझे बहुत पहले एक सोने की चैन दी थी, कमर में बाँधने के लिए। मैं उसे कभी पहनती नहीं थी, पर आज मैंने उसे लुभाने के लिए उसे बाँध लिया था।
लगभग ग्यारह बजने वाले थे तभी मुर्तुजा का फोन आया और उसने मुझसे पूछा- क्या मैं आ सकता हूँ?
मैं कहा- हाँ आ जाओ..!
उसने फोन रखते ही दरवाजा खटखटाया मैंने एक शाल ओढ़ी और दरवाजा खोला तो सामने मुर्तुजा मुस्कुराते हुए खड़ा था।
मैंने उसे अन्दर आने को कहा और दरवाजा बंद कर लिया।
हम अन्दर आकर सोफे पर बैठ गए और फिर बातें करने लगे।
उसने मुझे कहा- सोने की तैयारी हो गई पूरी?
मैंने कहा- हाँ.. बच्चों को अन्दर सुला दिया है।
उसने मुझसे पूछा- हम कहाँ सोयेंगे?
मैंने कहा- यहीं जमीन पर बिस्तर बिछा लेते हैं, अन्दर बच्चे हैं।
हमने एक चटाई बिछाई, उसके ऊपर एक गद्दा बिछाया और फिर ओढ़ने के लिए एक कम्बल ले लिया। ठण्ड बहुत थी सो मैं जल्दी से अपना शाल उतार कर कम्बल के अन्दर घुस गई।
तभी उसने कहा- आप नाईटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो, थोड़ी देर मुझे आपको देखने तो दो!
मैंने कहा- ठण्ड बहुत है।
पर उसने जिद कर दी और कहा- मेरी किस्मत में ये सब नहीं है प्लीज.. बस कुछ देर के लिए कम्बल से बाहर आओ।
मैं कम्बल हटा कर उसके सामने आ गई। उसने वासना भरी ललचाई नजरों से मुझे देखा और मेरा हाथ पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे बालों को मेरे चेहरे से हटाते हुए मेरी आँखों में देखा और मेरे होंठों को चूम लिया।
इसके बाद तो बिना देर किए हमने एक-दूसरे को अपनी बाँहों में जकड़ कर चूमने में लीन हो गए।
मैंने उससे कहा- मुझे ठण्ड लग रही है कम्बल के अन्दर चलो, फिर जो मर्ज़ी कर लेना!
तब उसने मुझसे कहा- कपड़े तो निकाल दो।
मैंने अपनी नाईटी निकाल दी, उसने मेरी ब्रा और पैंटी को गौर से देखा और कहा- आप बहुत फैंसी कपड़े पहनती हो… काश कि मेरी बीवी भी ऐसी ही होती।
फिर मैं कम्बल के अन्दर चली गई। मुर्तुजा ने भी अपने कपड़े निकल दिए और अंडरवियर में आ गया। उसका बदन देखने लायक था, मजबूत बाजू, गोरा जिस्म, लम्बा-चौड़ा और सीने से लेकर पाँव तक बाल, चौड़े सीना और कंधे ऐसे जैसे उसमें कोई भी झूल जाना चाहे।
उसके बदन को देख कर तो मैं दीवानी हो गई उसकी, पर सोचा कि उसकी बीवी कैसी होगी जिसको ये नहीं भाता… एक पल ऐसा भी लगा कहीं मुर्तुजा मुझे पाने के लिए मुझसे झूठ तो नहीं कह रहा। फिर सोचा अब जो भी हो मुझे मेरी वासना की आग से मतलब था।
मुर्तुजा ने कम्बल हटाया और फिर मेरे ऊपर झुक कर मेरी कमर पर चूम लिया और कहा- आपका जिस्म एकदम मखमल की तरह कोमल है, जी चाहता है खा जाऊँ।
मैंने भी छेड़खानी के अंदाज में कहा- तो रोका किसने है!
फिर क्या था, मेरे कहते ही उसने कम्बल को पूरा हटा दिया और मेरे जिस्म को सर से पाँव तक चूमने लगा। ठण्ड इतनी थी कि मैं काँपने लगी, पर उसके गर्म जिस्म के छूने से थोड़ी गर्माहट मिल रही थी जो बहुत मजेदार थी।
वो मेरे जिस्म में अपनी जीभ घुमा-घुमा कर मुझे चाटने लगा और कहने लगा- आपका जिस्म कितना नमकीन है।
उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी गर्दन पर चुम्बनों की बारिश सी शुरू कर दी। कभी मुझे मेरे गालों पर चूमता तो गले को अपनी जीभ से चाटने लगता। फिर धीरे-धीरे वो ऐसे ही चूमते और चाटते हुए मेरे पीठ तक पहुँच गया और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।
मैं उसकी ऐसी हरकतों से पागल हुई जा रही थी मेरी योनि की मांसपेशियां कभी सिकुड़ जाती तो कभी ढीली हो जाती, यही हाल मेरे पैरों का था।
अब उसने मेरे कमर को चूमना शुरू किया फिर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरे बड़े और चर्बीदार कूल्हों को दबाने और प्यार करने के बाद उसने मेरी पैंटी सरका कर जाँघों तक कर दी।
उसने मेरे कूल्हों को दबाया और फिर अपनी जीभ मेरे चूतड़ों पर फिराने लगा और उन्हें चूमते हुए मेरे चूतड़ के बीच में घुमाने लगा। जब वो ऐसे करता मेरी कमर खुद बा खुद ऊपर की और उठ जाती।
उसने अब मेरी टांगों को थोड़ा फैलाया और मेरी योनि को अपनी जीभ से ढूंढने लगा।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैंने अपने हाथ पीछे की तरफ ले जाकर खुद से दोनों कूल्हों को पकड़ कर उन्हें फैलाने लगी और कूल्हों को ऊपर उठा दिया।
उसे तो जैसे कोई खजाना मिल गया मेरी योनि को अपने मुँह में पाते ही उसने अपना मुँह फाड़ कर मेरी योनि को उसमें भर लिया और अपनी जीभ मेरी योनि की दरारों में रगड़ने लगा।
मेरी अंतहीन प्यास की कहानी जारी रहेगी।
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