पहले प्यार का चुदारम्भ-1

पहले प्यार का चुदारम्भ-1

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार… साथ ही अन्तर्वासना को मेरी पहली कहानी को दीर्घकालीन बहु-लोकप्रिय रसभरी कहानियों के संग्रह में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

दोस्तो, मेरा नाम आर्यन सिंह है और मैं मथुरा का रहने वाला हूँ, अपने बारे में ज्यादा न बताते हुए मैं आपका ज्यादा कीमती समय नहीं लूँगा।

यह सेक्स कहानी आज से 4-5 साल पहले की है जब मैं अठारह वर्ष का था, 12वीं में था, हमारे पड़ोस में एक लड़की रहती थी जिसका नाम कोयल था। वो मुझे बचपन से चाहती थी पर मैंने उसकी तरफ कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं हमेशा अपनी पढ़ाई में ही मस्त रहता था और हमेशा कालेज में अव्वल स्थान पर ही आता था।

कोयल देखने में बड़ी ही खूबसूरत और सेक्सी थी, उसका जिस्म मोहल्ले की बाकी लड़कियों की तुलना में कुछ ज्यादा ही खिला हुआ था। उसकी हाइट 5’5″ और उसका साइज 34-26-36 एकदम साँचे में ढला हुआ, दूध सा सफेद रंग… बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें… लम्बे बाल… उसकी चूचियों के तीखे उभार… नयन-नक्श… किसी अप्सरा की तरह संगमरमर जैसा बदन। कमर तक लम्बे बाल, मटकती हुई गांड, जब वो चलती थी ना… तो ये समझ लो कि अगर उसकी चाल इन्द्र की अप्सराएँ देख लें तो वो भी उसकी चाल की दीवानी हो जाये।

मोहल्ले के सारे लड़के उस की गांड के ही ज्यादातर दीवाने थे, शाम को जब रोज़ सब दोस्त घूमने जाते तो भोसड़ी के सभी उसके बारे में ही बातें करते थे और हर कोई उसे बस चोदने की बात करता।

पहला दोस्त- यार, कोयल की गांड कितनी मोटी होती जा रही है, जब चलती है तो उसके गोल गोल मोटे चूतड़ कैसे एक दूसरे से टकराते हैं, ऐसा मन करता है अभी जाके उसके चूतड़ों के बीच में अपना मुँह घुसा दूँ और किसी पालतू कुत्ते की तरह चाटने लग जाऊँ।
दूसरा- हाँ यार, और चूचे तो भाई कमाल कर रहे हैं आजकल, साली जब चलती है तो ऐसा लगता है जैसे सावन के महीने में झूला झूल रहे हैं।
तब भोसड़ी का तीसरा भी अपनी माँ चुदवा के बोल पड़ा- भाई, मुझे तो उसकी जाँघें बहुत अच्छी लगती हैं, एकदम मोटी और भरी हुई।

तब पहला बोलता है- भाइयों, सच में चलते समय उसकी जाघें एक दूसरे से ऐसे रगड़ती हैं अगर उनके बीच में अपना लौड़ा डाल दो तो पीस के कीमा बना देगी।

मुझे उनकी बातों पे बहुत गुस्सा आता था पर मैं उनसे कुछ कह भी नहीं सकता था क्योंकि सबको अपनी फीलिंग्स दोस्तों में बताने का पूरा हक है।

और वैसे भी यह सब एक तरह से मजाक ही था तो मैं उनकी बातें अनदेखी कर देता था।

जब मेरी परीक्षा चल रही थी तो मैं अपने रूम में बैठ कर पढ़ाई कर रहा था तभी कोयल मेरे पास आकर बैठ गयी और मुझसे छेड़खानी करने लगी, मैंने उसे डांटा लेकिन वो नहीं मानी और मेरी नोटबुक छीनने लगी।

मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसे थप्पड़ मार दिया।
वो रोने लगी फिर मुझे बहुत अफ़सोस हुआ और मैंने उसे गले से लगा के चुप कराने की कोशिश कराने लगा मगर वो मेरे सीने से चिपक के और तेज रोने लगी।
मैंने उन्हें चुप कराने की कोशिश की और उनका चेहरा पकड़ कर उनके आँसू पौंछने लगा… उनके आंसू पौंछते पौंछते मैं उनके होंठों के ऊपर हाथ फेरने लगा। वो मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी।
तब मैंने उसके मसूम से चेहरे को पहली बार जिन्दगी में इतने प्यार से देखा और मुझे उसके गुलाबी कम्पकपाते होंठ दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारे लगे।
उसकी आँखों से गिरते हुए आंसुओं की बूँदें उसके होंठों पर आ गई थी जो बहुत ही खूबसूरत दृश्य था।
वो लम्हा मेरी जान लेने पर उतारू था, बस उसी पल मुझे उससे प्यार हो गया।

मैं बस उसकी आँखों में खो जाना चाहता था, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और उनको बाँहों में भर कर किस करने लगा।
हम दोनों के शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई।
उसने अपने होंठ खोल दिए फिर अपने होंठों में मेरे ऊपर वाले होंठ को दबा लिया और जोरों से काट लिया।

मेरे होंठों से खून निकलने लगा लेकिन जोश और मस्ती में मुझे दर्द का एहसास तक नहीं हुआ और मैं पूरी मस्ती में उसके गुलाबी लबों को चूसने लगा। हमारी गर्म गर्म सांसें एक दूसरे को मदहोश करने लगी, मुझे पता भी नहीं था कि मेरे होंठ से खून निकल रहा है और वो उसे बड़े ही मजे से चूस रही है।
फिर मैंने उसकी पतली कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी ओर खींच के उसे कस के जकड़ लिया।

मेरा लंड अपने विराट रूप में आ चुका था और लोअर को फाड़ के बाहर आने को मचल रहा था। उसके 34 साइज के बूब्स मेरी छाती से दबे हुए थे और बहुत मोटे-मोटे खरबूज से लग रहे थे।
उसने शर्ट के अंदर ब्लैक कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसमें से उसके बूब्स बाहर तक झाँक रहे थे।

उसका लॉकेट उसके क्लीवेज में फंसा हुआ था जो बहुत ही खूबसूरत दृश्य था।

मैं उसे गर्दन पे पागलों की तरह किस करने लगा और अपनी जीभ बाहर निकल के उसकी गर्दन चाटने लगा, वो मेरे बालों में अपना हाथ फिरते हुए जोर जोर से आहें भरने लगी- ओह आर्यन डिअर… आई लव यू… आई लव यू सो मच… मुझे इसी तरह प्यार करो… मैं तुम्हारा साथ पाकर धन्य हो गयी… इसस्स्शह… उहह… आअहह उम… हाँ… आईए… अजईइ ईईईतत्त… जोर्रर… सीईए… शीई… ईईए शीईएस स्सस्स… आह्ह…
मैंने अपने दोनों हाथों में उसके खरबूजे जैसे बूब्स पकड़ लिए जो मेरे हाथों में पूरी तरह से आ भी नहीं रहे थे।

क्या बताऊँ दोस्तो कि कितने टाइट बूब्स थे, जैसे ही मैंने हाथों में भर के उन्हें दबाया, उसके मुंह से एक जोरदार आह निकली और वो बोली- आर्यन जान… दर्द हो रहा है, थोड़ा प्यार से करो न बाबू!
मैंने धीरे धीरे प्यार से उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और उसके गले पे अपने होंठ रगड़ने लगा।
वाह… क्या मस्त मम्में थे… मैं अपने आपको रोक नहीं सका… और मैं उसके एक मम्मे को ऊपर से ही मुँह में लेकर मस्ती से चूसने लगा और दूसरे को जोर जोर से दबाने और मसलने लगा।
वह ‘सी सीई…’ करने लगी- आर्यन, धीरे धीरे चूसो… मुझे बहुत मजा आ रहा है… आह़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह…

वो मेरी पीठ पे अपने कोमल हाथों को फिराने लगी और जोर जोर से आहें भरने लगी- जानू, मेरे पेट पे कुछ चुभ रहा है?
मैंने कहा- मेरी जान, खुद ही देख ले क्या चुभ रहा है।
उसने नीचे हाथ डाल के देखा तो लोअर के ऊपर से मेरा टनाटन बोलता लंड उसके हाथ में आ गया और वो चौंक गई।

उसने मुझे अपने आप से थोड़ा दूर किया और मेरे लंड को पकड़ के बोली- जानू, ये तुम्हारा इतना मोटा और लम्बा होता है क्या?
मैंने पूछा- क्यों तुझे नहीं पता, तूने कभी किसी का देखा नहीं क्या?
वो बोली- नहीं, मैंने बस छोटे बच्चों की नुनी ही देखी है लेकिन तुम्हारी नुनी तो बहुत बड़ी है।
इतना कह के उसने मेरे लोअर में अपना हाथ डाल दिया और मेरे हथियार को पकड़ के जोर से भींच दिया और टटोल टटोल के देखने लगी- बाप रे बाप… यह तो और भी लंबा हो गया… देखो… जान तुम्हारी नुनी बहुत सुंदर है, आई लव इट!

पहली बार किसी लड़की ने मेरा लंड पकड़ा था, उसके कोमल स्पर्श मात्र से मेरे लौड़े ने अपना विराट रूप दिखाना शुरू कर दिया और उसके हाथों में जंपिंग करने लगा।
उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आने लगी और मैं उसके गालों को चूमते हुए हंसने लगा।
वो बोली- हंस क्यों रहे हो ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
उसे चैन नहीं मिला और बोली- बताओ न, हंस क्यों रहे हो?
इतना कह के उसने मेरे लौड़े को ज़ोर से मसल दिया और मेरे मुख से हल्की सी चीख निकल गयी।

उसने एक हाथ मेरे गले में डाला और सॉरी बोलते हुए मेरे होंठों को चूम लिया फिर कहा- डार्लिंग, बताओ न क्यू हँसे थे तुम?
मैंने कहा- मेरी जान, इसे नुनी नहीं लंड कहते है।
मेरे साथ वो भी हंसने लगी और बोली- तुम बहुत गंदे हो।

फिर वो बोली- मुझे छोड़ो अब मुझे जाना है।
जब वो जाने के लिए जैसे ही मुड़ी मैंने उसे पीछे से कस के बाँहों में भर लिया और वो दीवार से चिपक गयी। दीवार से चिपके होने की वजह से उसके बूब्स और भी बड़े और मस्त लग रहे थे।
मेरी तो सांस ही रुक गईं… इतने सुन्दर और प्यारे उरोज… मैंने आज तक नहीं देखे थे।

मैं उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधों पे किस करते हुए उसके बूब्स के बीच में क्लीवेज को देख रहा था। तेज तेज साँस चलने की वजह से उसके बूब्स में हवा सी भरती जा रही थी और वो भयंकर कातिल नजर आ रहे थे। उसके 34 साइज़ के दो बड़े-बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो।

मैंने उसके शर्ट में अंदर अपने दोनों हाथ डाल दिए और एक हाथ से उसके पेट को सहलाने लगा और दूसरे हाथ को उसकी ब्रा में अंदर डाल के उसके चूचे दबाने लगा।
सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि… ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उसकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजों में समां जाए।
उसके चूचे एकदम टाइट और सिल्की थे, उन्हें दबाते ही वो मचलने लगी और अपने हाथ को मेरे बालों में डाल के मेरे मुंह को अपने होंठों के पास लाकर अपनी गर्म गर्म सांसें मेरे चेहरे पे छोड़ने लगी और बोली- आह… धीरे से दबाओ ना बाबू प्लीज… आह्ह दर्द हो रहा है… जरा धीरे करो।
मैं और वो अपनी अपनी आँखें बंद करके इस खूबसूरत लम्हे का जम के लुत्फ़ उठा रहे थे।

मैंने अपना हाथ उसके पेट से खिसकाते हुए उसकी पजामी में अंदर डालने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उसका हाथ पकड़ के अपने लंड के ऊपर रख दिया, फिर वापिस मैं अपना हाथ उसकी पजामी में डालने लगा तो इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उसका हाथ मेरे लंड से खेलने में बिजी था।

मेरा हाथ जब उसकी पैंटी में अंदर गया तो मैंने महसूस किया उसकी झांटें कुछ ज्यादा ही बड़ी थीं। मैं एक हाथ से उसके चूचे दबा रहा था और एक हाथ उसके चूत के घुंघराले बालों से अठखेलियाँ कर रहा था।
मैं पीछे थोड़ा सा उससे दूर खड़ा था, उसने पीछे हाथ करके मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपनी गांड से चिपका लिया। वो ‘हाय…’ कर उठी.
दोस्तो, क्या बताऊं कैसा एहसास था वो, मेरा लंड सीधा जाकर कपड़ों के ऊपर से ही उसकी गांड में उसके चूतड़ों के बीच में घुस गया।
वो बोली- कुछ करो, मेरे से अब रहा नहीं जा रहा… प्लीज़ कुछ करो!

मैंने उसका चेहरा पीछे करके उसके गुलाबी होंठों को अपने मुंह में दबोच लिया फिर नीचे अपना हाथ पूरा उसकी चूत पे पहुंचा दिया और पूरी चूत मेरे हाथ में आ गयी।
वाह… क्या मस्त चूत थी एकदम फूली हुई गर्मागर्म, गद्देदार कामरस से भीगी हुई।
मेरे लंड में गुदगुदी सी होने लगी और मैं उसकी गांड में अपना लंड रगड़ने लगा।

होंठों में गुलाबी होंठ, एक हाथ में चूचे, एक हाथ में उसकी मखमली चूत और मोटे-मोटे चूतड़ों में मेरा लंड ऐसे फँसा हुआ था जैसे किसी शेर के पंजो में शिकार की गर्दन… मुझे बस ऐसा लग रहा था कि अगर कहीं पे जन्नत है तो बस वो यही है।
वो अपनी गांड को मेरे लंड पर पागलों की तरह ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगी और बार बार मेरा नाम लेके मदहोशी में बोले जा रही थी- ओह डिअर… माई लव आर्यन… आई लव यू सो मच… ये सब क्या कर रहे हो… बहुत अच्छा फील हो रहा है… आह… ऊममह… हाँ… हाँ… ऐसे ही… बस ऐसे ही… अब बस भी करो… मार ही डालोगे क्या?

मैं तो बस उसकी मटकती हुई गांड को देख देख के ही मदहोशी में खोता जा रहा था जो मेरा मोटा लौड़ा अपने चूतड़ों में लेकर पूरा खाए जा रही थी।

हिंदी सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
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कहानी का दूसरा भाग : पहले प्यार का चुदारम्भ-2

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